RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं असमंजस मे पड़ गई कि क्या करू. अगर किशी ने इशे यहा देख लिया तो क्या होगा.
ये सच था कि, वाहा पीछे कोई नही आता जाता, पर अगर, बाइ चान्स किसी ने, उसे यहा मेरी खिड़की पर, नज़र गड़ाए देख लिया तो, मेरी बदनामी होगी.
मुझे उस पर भी, तरस आ रहा था कि बेचारा यहा मेरे लिए, यहा बारिश मे भीग रहा है. मैने सोचा इसे पीछे जा कर समझाती हू.
मैं बेडरूम मे गई, देखा संजय अभी भी सोए हुवे है. मैने सोचा, मैं जल्दी से उसे, यहा से भेज कर, वापस आ सकती हू. मैं चुपचाप छाता ले कर घर से बाहर आई, तो पाया की बारिश और तेज हो गयी थी.
ये एक तरह से अछा ही हुवा, अब मुझे कोई घर के पीछे जाते हुवे, नही देख सकता था, क्योंकि सभी लोग घरो मे थे.
कोई 2 मिनूट चलने के बाद, झाड़ियो से होते हुवे, मैं अपने घर के, पीछे आ गयी. मुझे यकीन था कि, मुझे किसी ने नही देखा.
मैने देखा कि, बिल्लू एक पेड़ के नीचे खड़े हुवे, मेरे किचन की तरफ देख रहा है.
मुझे देखते ही वो खिल उठा. वो भाग कर मेरे पास आया, और बोला अरे मैं तो, तुझे कब से, खिड़की मे बुला रहा था, और तुम यहा आ गयी.
मैने कहा, ये क्या पागल पन है ? वो बोला, आओ पहले उस पेड़ के नीचे चलो. मैं उसके पीछे,पीछे उस पेड़ के नीचे आ गयी जहा वो पहले खड़ा था.
मैने कहा, मेरे पास ज़्यादा वक्त नही है, मेरे पति किसी भी वक्त उठ सकते है, तुम प्लीज़ यहा से चले जाओ.
मैने कहा, देखो कितनी तेज बारिश हो रही है, ऐसी बारिश मे कोई बाहर रहता है क्या.
वो बोला, मैं तेरे जैसी मस्त आइटम को यहा छोड़ कर घर पर क्या करूँगा.
मैने कहा, देखो अब मज़ाक बंद करो. मैं शादी, शुदा हू, और मैं, अपने परिवार मे खुस हू. मेरा एक छोटा बेटा है. मेरी कुछ मर्यादाए है, जो मैं नही लाँघ सकती. तुम मुझ पर, वक्त बर्बाद मत करो, और किसी अपनी उमर की, लड़की से दोस्ती कर लो.
वो बोला, ये क्या मर्यादाओ की बात करती है, तू किस जमाने मे जी रही है, सेक्स मे कोई मर्यादा नही होती.
मैने कहा, सेक्स मे मर्यादा हो, या ना हो, पर मेरी जिंदगी मे मर्यादा है.
वो बोला, अगर तुझे मर्यादाए, इतनी ही प्यारी थी, तो तू रोज खिड़की मे आ कर, मेरा लंड क्यो देखती थी, और क्यो, मेरी सेक्सी बाते सुन-ती थी. मैं कुछ भी ना कह सकी, और शर्मिंदगी से, आँखे झुका ली.
मैने हिम्मत जुटा कर कहा, मैं भी एक इंसान हू, मुझसे ग़लती हो गई, पर अब मैं अपनी ग़लती सुधारना चाहती हू.
मैने उससे कहा, मैं आज के बाद तुम्हे नही मीलुन्गि और ना ही खिड़की पर से तुम्हे देखने आउन्गि, ये मेरा वादा है. तुम भी अब, सही रास्ते पर आ जाओ. अगर तुम्हे सेक्स की, इतनी ही भूक है, तो जल्दी से किसी लड़की से शादी कर लो.
वो तुरंत बोला, अरे मेरी उमर अभी शादी की नही है, और रही बात लड़कियो की मैने बहुत लड़कियो को ठोका है, मुझे सेक्स की नही तुम्हारी भूक है.
मैने कहा, तो फिर मुझे अफ़सोस है कि, तुम्हारी ये भूक, कभी नही बुझेगी. थोड़ी देर वाहा शांति छा गई, और हम दोनो कुछ नही बोले, मैने सोचा शायद वो मेरी बात समझ रहा है.
पर मैं ग़लत थी, उसने अचानक अपना दाया हाथ मेरे नितंबो पर रख दिया और उन्हे मसालने लगा. मेरे शरीर मे बिजली सी कोंध गयी.
मैने उसका हाथ, वाहा से फॉरन हटा दिया, और बोली, प्लीज़ ऐसा मत करो. मैं तुम्हे यहा समझाने आई हू, ना कि ये सब, बदतमीज़ी झेलने, आई हू. दुबारा ऐसा मत करना, वरना मैं चली जा-उंगी.
पर उस पर, मानो कोई असर नही हुवा, और मेरे नितंबो पर फिर से हाथ टीका दिया और उन्हे मसल्ने लगा. पहली बार किसी गैर मर्द के हाथ मेरे नितंबो पर थे, और मैं खुद पर शर्मिंदा हो रही थी.
मेरे नितंबो को, मसालते-मसालते, वो बोला, तू मुझे, कुछ मत दे, पर कम से कम, तेरी बॉडी को छू कर, महसूस तो कर लेने दे. मैं फिर यहा नही आ-उँगा. बस प्लीज़ एक बार मुझे तेरे शरीर को आछे से महसूस कर लेने दे.
मैं कुछ नही बोल पाई, और नज़रे झुका कर, खड़ी हो गयी.
मैं सोच मे पड़ गयी कि, क्या करू इस लड़के का, ये यहा से जाने को तैयार ही नही है. और मैं हर हाल मे उसे वाहा से दफ़ा करना चाहती थी.
मैने सोचा, ये मेरे नितंबो पर फिदा है, चलो इसे, उन्हे छू लेने दो. ये कहानी अगर, नितंबो से, ख़तम होती है तो, हरज ही क्या है, इसके बाद, मुझे मन की शांति तो मिलेगी.
मैने उसका हाथ, अपने नितंबो से हटाया, और बोली कि, यहा छूने से पहले, तुम वादा करो कि तुम, मेरे नितंबो को छूने, के बाद यहा से चले जा-ओगे, और फिर यहा नही आ-ओगे.
वो मेरी आँखो मे देख कर बोला, पक्का वादा, मैं तेरी गांद को, आछे से, महसूस करके, यहा से चला जा-उँगा, और दुबारा यहा नही आ-उँगा.
ये सब सुन कर, मेरा रोम-रोम कांप उठा. मैं असमंजस मे थी कि कही मई ग़लत तो नही कर रही. मैने अपने फ़ैसले को, सही ठहराने के लिए, तरक दिया कि मेरी, छोटी सी भूल की, शायद यही सज़ा है.
|