RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतांक से आगे.....................................
मौसम खराब, होता जा रहा था, और मैं अब घबराने लगी थी. मुझे अब, बिल्लू से डर लग रहा था.
मैं सोच रही थी कि कही ये कोई चालाकी तो नही कर रहा. मैने उसे आवाज़ लगाई और बोली कि, तुम जो मुझ से चाहते हो वो मैं तुम्हे नही दे सकती, तुम बेकार मे अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो.
वो पीछे मुड़ा, और बोला कि तेरे उपर तो मैं, वक्त क्या, अपना सब कुछ बर्बाद कर सकता हू. मैं सोच मे पड़ गई कि, आख़िर ये क्या मुशिबत है.
सामने से, एक खाली रिक्शा आता हुवा दिखाई दिया तो, मैने सोचा, अछा मोका है, इस बिल्लू के चंगुल से, निकलने का, और मैने उसे आवाज़ लगाई, भैया ज़रा रुकना. मैने बिल्लू को कहा कि तुम मुझे यही छोड़ दो, मैं अब और तुम्हारे साथ नही चल सकती.
उसने रिक्शा नही रोका और चलता रहा. मैने गुस्से मे कहा बिल्लू रोक रिक्शा मुझे उतरना है. और उसने रिक्शा रोक दिया. दूसरे रिक्शा वाला हमारे रिक्से के पास आया, और बोला कि मेडम कोई परेशानी है क्या. बिल्लू बोला हे, चल तू अपना काम कर, यहा कोई परेशानी नही है.
मैं रिक्से से उतरने लगी तो बिल्लू बोला, ऋतु जी प्लीज़ रुक जाओ, मैं अब कोई ग़लती नही करूँगा. मैं आपको अभी तेज़ी से घर पहुँचा दूँगा. ये सुन कर, मैने अपने कदम रोक लिए. मैं हैरान थी कि, उसने पहली बार, शभ्य भासा का इश्तेमाल किया था.
मैं वापस रिक्से मे बैठ गयी, और उसने रिक्सा आगे बढ़ा दिया.
हवा की तेज़ी बढ़ती जा रही थी, और अब चारो तरफ घन-घोर अंधेरा छा गया था. कुछ देर तक, सब ठीक रहा, और वो, चुपचाप, रिक्सा चलाता रहा.
पर, अचानक उसने ऐसी हरकत की, जिशे देख कर मैं फिर घबरा गयी. उसने तेज़ी से रिक्सा एक सुनसान गली मे मोड़ दिया. मैं परेशान हो गई. चारो तरफ तन्हाई थी. शायद मौसम के कारण लोग घरो मे बैठे थे. मेरे दीमाग मे चिन्ताओ के बदल छा गये. मुझे तरह तरह के बुरे खेयाल आने लगे.
ऐसे मे, ना जाने कहा से, मुझे अचानक, मेरे कॉलेज के दीनो की एक खौफनाक घटना याद आ गयी. उस दिन भी मैं ऐसे ही डर गई थी.
एग्ज़ॅम के दीनो का वक्त था. मैं कॉलेज की, लाइब्ररी मे एग्ज़ॅम के लिए, कुछ नोट्स बना रही थी. पढ़ते, पढ़ते, शाम हो गयी, और मैने देखा की, लाइब्ररी मे सिर्फ़ मैं ही पढ़ रही हू.
मुझे लगा, मुझे अब चलना चाहिए. मैने अपना बेग उठाया, और बाहर आ गयी. मुझे अचानक पानी की प्यास लगी. मैने दिन भर से, पानी नही पिया था. पर पानी का कूलर, जहा मैं खड़ी थी, उसके उपर वाले फ्लोर पर था. मैं पानी, पीने के लिए उपर आ गयी.
वाहा गिलास नही था, इसलिए मैं झुक कर हाथ से पानी पीने लगी. अचानक, मुझे अपने नितंबो पर हल्का सा दबाव महसूस हुवा, और मैने उसी पोज़िशन मे, पीछे मूड कर, देखा. मैने जो देखा, उशे देख कर, मेरे होश उड़ गये.
हमारे कोल्लेज का पेओन, अशोक, मेरे पीछे खड़ा था, और उसने अपने शरीर का वो हिस्सा, जहा आदमी का लिंग होता है, मेरे नितंबो से सटा रखा था. कोई अगर, दूर से देखता, तो उसे ऐसा लगता कि, वो मेरे साथ इस पोज़िशन मे कुछ कर रहा है.
मैं पानी, पीना भूल कर फॉरन सीधी खड़ी हो गयी. पर वो बड़ी बेशर्मी से वही खड़ा रहा.
मैने देखा की उसकी पॅंट मे उसका लिंग तना हुवा था. मैने गुस्से मे पूछा की ये क्या बाद-तमीज़ी है. वो बोला, मैडम कुछ नही, मैं तो यहा पानी पीने आया था, आप पानी पी, रही थी, इसलिए मैं आपके पीछे, लाइन मे खड़ा हो गया.
अशोक दीखने मे, बहुत ही बदसूरत था, उसकी नाक बहुत घिनोनी थी, और चेहरा एक दम काला था. पर मैने, उसके बारे मे, सुन रखा था कि, वह इस कॉलेज की, कई लड़कियो को, पटा कर, उनकी, ले चुका है. मुझे पूरा यकीन था कि, आज वह मुझ पर डोरे डाल रहा है, और उसने ये सब मेरे साथ जान-बुझ कर किया है. उसकी पॅंट मे, तना लिंग, भी यही गवाही, दे रहा था. मुझे बहुत, गंदी फीलिंग हो रही थी कि, ऐसे आदमी ने मेरे साथ ऐसी हरकत की है. मैं बर्दस्त नही कर पा रही थी. वो वाहा खड़े, खड़े मुझे घूर रहा था.
मैं घबरा गई, और सहम गई कि, यहा आस पास कोई भी नही है, और ये बदमास ऐसी, अश्लील हालत मे मेरे सामने खड़ा है.
वह मेरी परवाह किए बगार, अपने लिंग पर हाथ फेरते हुवे बोला, मेडम जी, आपको कोई ग़लत फ़हमी हो रही है. और मैने अपनी नज़रे दूसरी और घुमा ली.
मैं उसे कैसे कहती की, क्या ये तुम्हारी पॅंट मे तना हुवा लिंग, मेरी ग़लत फ़हमी है.
मैने कुछ भी कहना , मुनासिब नही समझा, और चुपचाप वाहा से चल पड़ी.
मैं शीधियो से उतर कर, फॉरन नीचे आ गयी और तेज़ी से कॉलेज के गेट की ओर चल दी. तभी मैने देखा क़ी वो जिस रास्ते पर मैं जा रही थी, उसी रास्ते मे, आगे खड़ा है. शायद वो किसी और रास्ते से वाहा पहुँच गया था.
मैने फॉरन अपना रास्ता बदला और भागना सुरू कर दिया और 2 मिनूट मे कॉलेज के बाहर आ गयी.
बाहर आ कर, मैने फॉरन एक ऑटो पकड़ा, और सीधी घर आ गयी. घर पहुँच कर मैने अपने पापा को पूरी बात बता दी. मेरे पापा जाने-माने आड्वोकेट है और उनके आचे ख़ासे कनेक्षन्स है. उन्होने अपने कनेक्षन्स का इश्तेमाल कर के उसे कॉलेज से निकलवा दिया.
वो एक दिन, मुझे कॉलेज के बाहर मिला, और रिक्वेस्ट करने लगा की, मेडम मुझे माफ़ कर दो. मेरी नौकरी, का सवाल है, मेरा एक छोटा बेटा है, एक बेटी है, उनकी मा भी नही है, मैं कैसे नौकरी के बिना उनको पलूँगा.
मैने उसे कहा, यहा से दफ़ा हो जाओ, ऐसी घिनोनी हरकत करने से पहले, तुम्हे सोचना चाहिए था.
मैने कहा मुझे सब पता है तुम लड़कियो को फँसा कर उनके साथ क्या करते हो. उसने मेरी आँखो मे झाँक कर पूछा, क्या करता हू मेडम.
और मैने नज़रे फेर ली, और उसे डाँट ते हुवे कहा, चुप कर, और यहा से दफ़ा हो जा. वो वाहा से हिला नही, और बोला मेडम आप मुझे अछी लगती हो, आप बहुत सुंदर हो, इस लिए मेरा मन फिसल गया, मैने जब आपको वाहा झुके हुवे देखा तो, ना जाने मुझे क्या हो गया, और मैं आपके पीछे सॅट कर, खड़ा हो गया, मुझे माफ़ कर दो मैं दोबारा ऐसा नही करूँगा.
उसके मूह से ये सब सुन कर मेरा मन खराब हो गया, मैं सोचने लगी कि ये बदसूरत मेरे बारे मे कैसी बाते कर रहा है. इसकी हिम्मत कैसे हुई ये सब सोचने की और कहने की.
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