RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
तभी बिल्लू ने पीछे मूड कर देखा, और बोला कि अभी कुछ मत बोलना, कोई पीछे से साइकल पर आ रहा है, मैने पूछा, हाई राम, कही वही आदमी तो नही. बिल्लू बोला, कैसी बात करती है, उसे तो मैने भगा दिया ना, अब वो नही आएगा. मैं वाकई मे बिल्लू से खुश थी कि उसने उस घिनोनी सूरत वाले आदमी को भगा दिया था. और मुझे ये भी अछा लगा कि अब वो रिक्शे के पीछे ध्यान रख रहा था.
थोड़ी दूर जा कर, एक आइस-क्रीम वाले के सामने, उसने रिक्शा रोक दिया. मैं बोली, ये क्या कर रहे हो, मैं लेट हो रही हू, और मौसम भी खराब है. उसने दो आइस-क्रीम ली और एक मुझे पकड़ा दी. वो बोला आइस-क्रीम खाओ और मन को ठंडा करो. वो रिक्शा चलते-चलते आइस-क्रीम खाने लगा. मैं मन ही मन सोच रही थी की, बेचारा कितनी कोशिश कर रहा है मुझे, पटाने की. मुझे उस पर दया आ रही थी कि, उसे मुझ से कुछ नही मिलेगा. ये मेरी मजबूरी थी.
अचानक मुझे ख्याल आया कि मई लेट हो रही हू. जब मैं घर से चली थी, तो संजय सोने जा रहे थे. पिछली रात, उन्होने पूरी रात क्लिनिक मे ऑपरेट करते हुवे बिताई थी. इसीलिए वो शायद ही उठे होंगे. पर चिंटू तो मौसी को परेशान कर रहा होगा (मैं चिंटू को पदोष मे अपनी एक मौसी के यहा छोड़ आई थी). मैने बिल्लू को कहा, रिक्शा थोड़ा तेज चलाओ, मुझे घर जा कर खाना बनाना है.
ये सुनते ही, उसने रिक्शा एक ढाबे के बाहर रोक दिया. वो बोला मैं एक मिनूट मे आया. उसने कुछ खाना पॅक कराया और मुझे थमा दिया, और बोला ये लो खाने की चिंता ख़तम,ये यहा का सबसे अछा ढाबा है. मैने पूछा, ये सब क्यो कर रहे हो, घर तो मुझे जाना ही है. उसने कहा, घर तो मैं तुझे ले जा ही रहा हू, ये खाना इसलिए है कि तू तेज-तेज चलने की बात ना करे, आख़िर पहली बार तेरे से मुलाकात हुई है, और वो भी ऐसे मौसम मे. खिड़की से देखने मे और ऐसे तेरे साथ रिक्शे मे फरक है, मैं आज बहुत खुस हू.
मैं सोचने लगी कि, बेचारा कितना तड़प रहा है मेरे लिए. बिल्लू पीछे मुड़ा और मेरी नज़रो मे झाँक कर बोला, सच बता, तुझे कैसा लगा था, जब मैने उस आदमी को कहा था कि ‘हा मेरी बीवी है’. मैने पूछा कहा क्या मतलब ? वो बोला, मतलब कि मुझे तो, बहुत अछा लगा, ये बोल कर कि, तू मेरी बीवी है, तेरे जैसी बीवी हो तो मैं दिन रात घर पर ही रहू, और दिन रात तेरी लेता रहू. उसने फिर से मुझे शरमाने पर मजबूर कर दिया और मैने बिना कुछ कहे नज़रे झुका ली.
वो बोला, बता ना, तुझे कैसा लगता, अगर मैं तेरे पति होता तो, क्या तू रोज रात को, मेरा बड़ा लंड झेल पाती. वो ऐसे, सवाल पूछ रहा था, जिनके कि, कोई भी भले घर की औरत, जवाब नही दे सकती थी. मैं एक ऐसे परिवार मे पली, बढ़ी थी जहा पर औरत को बहुत मर्यादाओ का पाठ पढ़ाया जाता है. और मैं, अपनी मर्यादाओ का, आदर भी करती हू. मैने ऐसी बाते, ना सुनी थी, और ना ही किसी से कही थी. इसलिए, मेरे पास, उसके किसी सवाल का, जवाब नही था. उस बेचारे को, क्या पता था कि, वो एक हारी हुई, बाजी खेल रहा है.
मैं किसी भी हालत मे, अपने असुलो को, नही भुला सकती थी. और मेरा सबसे बड़ा असूल था, अपने परिवार के प्रति ईमानदारी. आप लोग भी ये सब देख ही रहे होंगे की किस तरह बुराई, हम पर हावी होने की कोसिस करती है और किस तरह हमारी परम्परये, और हमारी मर्यादाए, हमे बचाते है. खैर मुझे खुद पर, विस्वास था कि, मई खुद की मर्यादाओ का पालन करती रहूंगी.
पर मैं सोच रही थी की इस शरारती लड़के का क्या करू. ये तो हर हाल मे मेरी……… पर आतुर है. अचानक आसमान मे, बिजली कोंधी और मैं डर गई. मैने बिल्लू को कहा, बिल्लू अब तो जल्दी करो, तूफान आने को है. वो पीछे मुड़ा और बोला इस से बड़ा तूफान तो आ ही चुका है, इस से क्यो डरती हो.
मैं सोचने लगी कि, वाकई मे बिल्लू सच बोल रहा था. उसका तो पता नही, पर मेरी जिंदगी ज़रूर एक तूफान मे फँस गई थी. और ये तूफान मेरे रोम-रोम मे मुझे महसूस हो रहा था. मैं जानती थी कि, मैं बिल्लू को, कुछ नही दूँगी, पर ना जाने क्यो मेरी योनि रस की नादिया बहा रही थी. ऐसा मेरे साथ, क्यो हो रहा था, पता नही. मैने अंदाज़ा लगाया कि शायद पहली बार इतनी एरॉटिक बाते सुन कर ऐसा हो गया है. बिल्लू पीछे मुड़ा और मेरी आँखो मे देखा. मुझे, उसकी आँखो मे, देख कर ऐसा लगा, मानो वो कह रहो हो कि, मैं हर हाल मे तेरी……रहूँगा. पर शायद, उसने भी मेरी आँखो मे, देख लिया होगा की, मैं किसी भी हालत मे उसे अपनी नही दूँगी."
|