Mastram Kahani खिलोना
11-12-2018, 12:42 PM,
#12
RE: Mastram Kahani खिलोना
शेखर उनसे मिलने उनके कमरे की ओर चल दिया.थोड़ी देर बाद रीमा सुमित्रा जी की दवा ले उनके कमरे मे जा रही थी कि दरवाज़े के बाहर बाप-बेटे की बातचीत सुन उसके कदम वही के वही रुक गये.दोनो उसके बारे मे बात कर रहे थे.

"..तो वो यह बस 1 नर्स की हैसियत से है & मैं चाहता हू कि तुम भी उसे वही समझो...",विरेन्द्र जी की भारी,गंभीर आवाज़ सुनाई दी.

"आप & आपकी बातें च्छुपाने की आदत!",उसकी हँसी मे अपने पिता के लिए अपमान था.

"शेखर!"

"मुझे तो लगता है कि बेचारा रवि भी आपकी किसी च्छुपाई हुई बात का ही तो शिकार नही हो गया."

"क्या बकवास कर रहे हो?!होश मे रहो."

"होश ही मे हू.आप चिंता ना करें,मैं आपका कोई भी राज़ कही नही खोलूँगा."

रीमा तेज़ी से घूम अपने कमरे मे चली गयी.शेखर भी अपने पिता के कमरे से निकल अपने कमरे मे चला गया.

रीमा के मन मे हलचल मच गयी...क्या उसके ससुर का कोई राज़ था?क्या उसी की वजह से रवि की मौत हुई?आख़िर ऐसा क्यू कहा शेखर ने?...फिर विरेन्द्र जी ने रवि के गबन किए हुए 4 लाख रुपये इतनी आसानी से क्यू दे दिए?..उन्होने रवि की इस हरकत का कारण जानने की कोशिश क्यू नही की?...उसने सोचा था कि पैसे देने के बावजूद इस मामले की तहकीकात करेंगे पर बॅंगलुर से लौट के उन्होने इस बारे मे कुच्छ नही किया था.रीमा सोच मे पड़ गयी,उसे लग रहा था कि बस उठे & अपने ससुर & जेठ के सामने सवालो की झड़ी लगा दे.पर अगर वो जवाब देने को तैय्यार भी हो गये तो वो उस से सच बोलेंगे इस बात की क्या गॅरेंटी है...कोई दूसरा तरीका सोचना होगा उसे.उसका दिमाग़ इस के लिए तरकीब ढूँढने मे लग गया & वो दवा ले अपनी सास के पास चली गयी.

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"चलिए ना,दद्दा!मा जी का भी दिल बहल जाएगा.फिर इसी कॉलोनी के पार्क मे तो जाना है.",रीमा दर्शन से कह रही थी,"..फिर अभी 4 ही तो बजे हैं."

"हा...वैसे तो मालिक & भाय्या & के पहले घर नही आएँगे."

"इसीलिए तो कह रही हू.बस 1/2 घंटे मे आ जाएँगे."

"अच्छा चलो."

रीमा दर्शन को सुमित्रा जी को बगल के पार्क मे सैर कराने ले जाने के लिए कह रही थी.उसका मानना था कि बाहर खुले मे घूम उसकी सास को अच्छा लगेगा,उसने उनके डॉक्टर से फोन पे इस बारे मे भी पूच्छ लिया था.

दर्शन की मदद से उसने उन्हे व्हील्चैर मे बिठाया & तीनो घर मे ताला लगा पार्क मे चले गये.जब लौटे तो देखा कि विरेन्द्र जी के घर के बाहर खड़े हैं.दर्शन ने भागते हुए ताला खोला & सब अंदर दाखिल हुए.विरेन्द्र जी ने अभी तक 1 लफ्ज़ भी नही बोला था.

शाम को जब दर्शन बाज़ार गया तो विरेन्द्र जी ने हॉल मे रीमा से कहा,"मैने तुम्हे पहले भी कहा है कि नर्स ही रहो,बहू बनने की कोशिश ना करो.आख़िर किस हैसियत से तुम सुमित्रा को बाहर ले गयी थी?उसे कहीं कुच्छ हो जाता.मैं साफ-2 कहे देता हू,अपनी ऐकात मत भूलो.समझी!अपनी हद..-"

"बहुत हो गया!जब से आई हू तब से आपका रवैयय्या देख रही हू.मैं मा जी को डॉक्टर साहब की इजाज़त से बाहर ले गयी थी...आख़िर मेरी ग़लती क्या है?यही ना कि मैने आपके बेटे से प्यार किया था.तो कोई गुनाह किया क्या?",रीमा के सब्र का बाँध टूट गया.

"हा,किया तुमने गुनाह.तुम नही होती तो वो आज यहा होता ,ज़िंदा."

"आप ग़लत कह रहे हैं,मिस्टर.साक्शेणा.याद कीजिए आपका बेटा आपके पास आया था आपके साथ रहने के लिए.पर आपकी ज़िद के चलते उसे जाना पड़ा.अगर उसकी मौत का कोई ज़िम्मेदार है तो वो है आपकी ज़िद!मैं अनाथ हू,जितना मैं परिवार की अहमियत समझती हू,उतना कोई नही समझ सकता,मैने रवि को बार-2 आपसे सुलह करने को कहा था पर वो भी आपकी तरह ज़िद्दी था.",रीमा अपने दिल का पूरा गुबार निकाल देना चाहती थी,"..मैं यहा केवल मा जी के लिए आई थी.हा ये सच है कि आप नही आते तो मुझे रवि की ग़लती का खामियाज़ा भुगतना पड़ता..उसके लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करती हू.पर मुझे अब इस घर मे और ज़लील नही होना है.आप मा जी के लिए किसी दूसरी नर्स का इंतेज़ाम कर लीजिए...जब वो आ जाएगी तो मैं यहा से चली जाऊंगी & आपके दिल को भी चैन पड़ेगा.",रीमा का गला भर आया & आँखे छल्छला आईं तो वो भाग के अपने कमरे मे चली गयी & तकिये मे मुँह च्छूपा रोने लगी.

उस रात उसने खाना भी नही खाया,दर्शन पुच्छने आया तो उसने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया.दूसरे दिन सवेरे दरवाज़े पे दस्तक हुई तो उसकी आँख खुली,उसने दरवाज़ा खोल तो सामने विरेन्द्र जी को खड़ा पाया.

वो अंदर आ गये.थोड़ी देर तक 1 असहज सी खामोशी कमरे मे पसरी रही,फिर विरेन्द्र जी की वज़नदार आवाज़ ने उसे तोड़ा,"रीमा.."

पहली बार उसने अपने ससुर के मुँह से अपना नाम सुना.

"हमे..हमे माफ़ कर दो.कल तुमने जो भी कहा वो बिल्कुल सच था.अगर रवि की मौत का कोई ज़िम्मेदार है तो वो मैं हू.अगर मैं ज़िद ना करता तो शायद वो हुमारे बीच इस घर मे होता.इंसान का दिल बड़ी अजीब चीज़ है,रीमा.ग़लती मेरी थी पर उसे मानने के बजाय मेरे दिल ने तुम्हे गुनहगार बना दिया & तुमसे नफ़रत करने लगा."
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Mastram Kahani खिलोना - by sexstories - 11-12-2018, 12:34 PM
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