RE: Mastram Kahani खिलोना
"मिस्टर.कक्कर,मैं नही चाहता कि मेरे गुज़रे हुए बेटे को कोई धोखेबाज़ के रूप मे याद करे.",उन्होने अपना विज़िटिंग कार्ड कोट की जेब से निकाला & उसपे कुच्छ लिखा,"ये मेरा कार्ड है & इस्पे मेरे घर के फोन नंबर्स. भी मैने लिख दिए हैं.आप मुझे अकाउंट नंबर. दीजिए,कल ही उसमे 4 लाख रुपये जमा हो जाएँगे."
"ओके,मिस्टर.साक्शेणा.",कक्कर ने कार्ड लिया & हसरत भरी निगाह रीमा पे डाली.
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शाम ढले पंचमहल की उस पॉश कॉलोनी जिसका नाम सिविल लाइन्स था,मे 1 कार दाखिल हुई 1 पुराने मगर शानदार बंगल के सामने आकर रुक गयी.कार मे से विरेन्द्र साक्शेणा & रीमा उतरे तो अंदर से गेट खोल 1 बुज़ुर्ग सा आदमी बाहर आया.रीमा समझ गयी कि यही दर्शन है यानी दद्दा.
"ये सुमित्रा की नयी नर्स रीमा हैं,दर्शन.इन्हे इनका कमरा दिखा दो."
"आइए.",दर्शन जैसे उसे देख खुश नही हुआ था.
कमरे मे समान रख दर्शन बाहर जाने लगा तो रीमा ने उसे आवाज़ दी,"दद्दा!"
दर्शन चौंक कर घुमा,"तुम्हे कैसे पता कि मुझ से छ्होटे मुझे दद्दा बुलाते हैं?तुम तो अभी-2 आई हो."
रीमा सकपकाई पर उसने संभालते हुए पास के शेल्फ पे रखी 1 तस्वीर की ओर इशारा किया,"वाहा लिखा है ना.",तस्वीर मे दर्शन दो बच्चों के साथ खड़ा था & 1 बच्चे की लिखावट मे ही फोटो के नीचे स्केच पेन से तीनो के नाम लिखे थे.वो दोनो बच्चे शेखर & रवि थे.
"ओह्ह..",दर्शन के होटो पे मुस्कान आ गयी.
"मैं आपको दद्दा बुला सकती हू ना?"
"हां,नर्स जी."
"नर्स जी नही मेरा नाम रीमा है."
"अच्छा,रीमा जी."
"रीमा जी नही सिर्फ़ रीमा."
"अच्छा,रीमा.",दर्शन हंसता हुआ बाहर चला गया.
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थोड़ी देर बाद सुमित्रा जी के डॉक्टर डॉक्टर.वेर्मा आ गये.,"तो यही हैं नयी नर्स.हेलो,नर्स."
"हेलो,डॉक्टर."
"आओ,मैं आपको पेशेंट के बारे मे बता देता हू."
"चलिए,डॉक्टर."
"...तो रीमा,चूँकि ये खुद नही मूव कर सकती तो हमे इन्हे मूव करना पड़ता है नही तो बेड्सोरे होने का डर है.दिन मे हर 2 घंटे मे इनकी पोज़िशन बदल देना.हा रात मे सोते वक़्त इसकी ज़रूरत नही ..",डॉक्टर रीमा को समझा रहे थे,"ये है सारी दवाएँ & उनकी डोसेज.ओके.और कुच्छ पूच्छना है?"
"नही,डॉक्टर."
"वेरी गुड.मेरा नंबर.विरेन्द्र जी के पास है.कोई प्राब्लम हो तो कॉल मी.अब मैं चलता हू."
"बाइ,डॉक्टर."
-------------------------------------------------------------------------------सफ़र से थॅकी रीमा जब बिस्तर पे लेटी तो वो सोचने लगी कि तक़दीर भी उसके साथ क्या खेल खले रही है.जब तक पति ज़िंदा था तब तक वो ससुराल नही आई & अब पति की मौत के बाद वो यहा रह रही है.अपनी किस्मत पे 1 फीकी हँसी हंस वो करवट बदल नींद मे डूब गयी.
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