RE: Mastram Kahani खिलोना
आज रवि की मौत को 1 महीना हो गया था & रीमा घर मे बिल्कुल अकेली उदास पड़ी हुई थी.हादसे की खबर सुनते ही मौसी फ़ौरन उसके पास आ गयी थी & कल शाम तक उसके साथ थी.पर वो भी आख़िर कब तक यहा रुकती,कल रात वो भी वापस पुणे चली गयी.
बॅंगलुर से करीब 60 किलोमीटर दूर आर्कवाती नदी पे 1 पुराना पुल है.इसी पुल की रेलिंग तोड़ती रवि की बाइक नदी मे जा गिरी थी.बरसात की वजह से नदी भरी हुई थी & उपर से रवि को तैरना भी नही आता था.आक्सिडेंट उनकी आनिवर्सयरी की शाम को हुआ था & दूसरे दिन 1 बराज के गेट मे अटकी रवि की लाश मिली थी.
विरेन्द्र & शेखर साक्शेणा पंचमहल से आकर रवि का अंतिम संस्कार कर 15 दिनी मे वापस चले गये थे.रीमा के ससुर ने 1 बार भी उस से ना बात की ना उसका हाल पूचछा.हा,शेखर ने ज़रूर उसे कहा कि वो अगर ज़रूरत पड़े तो उसे बेझिझक बुला सकती है & अपना फोन नंबर. भी उसे दिया.
पता नही क्यू,रीमा का दिल पोलीस की बात मानने को तैय्यार नही था की ये आक्सिडेंट था.आख़िर रवि शहर से दूर उस वीराने मे क्या करने गया था?उसे अपने पति की मौत इतनी सीधी-सादी नही लग रही थी.कोई तो बात थी..फिर रवि इतने दीनो से परेशानी भी था.इन्ही ख़यालो मे वो खोई थी कि उसका मोबाइल बजा तो उसने उसे अपने कान से लगाया,"हेलो."
"हेलो,क्या मिसेज़.रीमा साक्शेणा बोल रही हैं?"
"जी हां."
"मैं अनिल कक्कर बोल रहा हू मेट्रोपोलिटन बॅंक से.आप कैसी हैं?"
"नमस्ते सर.मैं ठीक हू.कहिए क्या बात है?",ये रवि का बॉस था.
"रीमा जी,मैं इस वक़्त आपको परेशान तो नही करना चाहता पर बात ही कुच्छ ऐसी है.क्या आप आज बॅंक आ सकती हैं?"
"क्या बात है सर?"
"फोन पे बताने वाली बात होती तो मैं आपको कभी परेशान नही करता.प्लीज़ 1 बार बॅंक आ जाइए."
"ठीक है,सर मैं 11 बजे तक आ जाऊंगी.",रीमा ने घड़ी की तरफ देखा.
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बॅंक मे अनिल कक्कर के सामने बैठी रीमा का मुँह हैरत से खुला हुआ था,"ये आप क्या कह रहे हैं,सर?"
"मैं सच कह रहा हू.रवि ने 1 फ़र्ज़ी इंसान को .4 लाख का लोन दिलवाया था.अभी 2 दिन पहले जब लोन की पहली इंस्टल्लमेंट का पोस्ट-डेटेड स्चेक बाउन्स हो गया तो हमने तहकीकात की तो पता चला की लोनी के नाम & पता दोनो झूठे थे."
"पर आप यकीन से कैसे कह सकते हैं कि ये रवि ने ही किया है?रवि का काम तो फिगर्स आनलाइज़ करने का था."
"आप सही कह रही हैं,रीमा जी.पर बॅंक का कोई भी एंप्लायी बॅंक की कोई भी स्कीम किसी कस्टमर को बेच सकता है & रवि ने इसी बात का फ़ायदा उठा कर ये काम किया है.",उसने कुच्छ पेपर्स उसके सामने बढ़ाए,"आप चाहे तो ये पेपर्स पढ़ कर तसल्ली कर सकती हैं."
रीमा को तो कुच्छ समझ नही आ रहा था,"ये पैसे...ये क्या...मुझे चुकाने पड़ेंगे?"
"जी बिल्कुल,नही तो हमे मामला पोलीस को देना पड़ेगा.",कक्कर ने ठंडी साँस भारी.,"..बल्कि हमे तो अभी तक पोलीस को खबर कर देनी चाहिए थी,पर आपके हालत देख मैने सोचा कि पहले आपसे बात कर लू."
4 लाख रुपये!कहा से लाएगी वो इतनी बड़ी रकम...उसका सर चकरा रहा था...पोलीस का नाम सुन कर तो उसके पसीने छूट गये थे.तभी उसे पीठ पे कुच्छ महसूस हुआ,सर उठाया तो देखा की कक्कर मुस्कुराता हुआ उसकी पीठ सहला रहा था,"..घबराईए मत...1 और तरीका है...आप मेरे साथ को-ऑपरेट कीजिए,मैं आपको इस मुसीबत से निकालूँगा."
हर औरत मे मर्द की बुरी नियत भापने की ताक़त होती है,रीमा भी कक्कर का मतलब समझ गयी.उसका दिल तो किया कि 1 ज़ोर का तमाचा रसीद कर दे इस कामीने इंसान के गाल पे,पर उसने खुद पे काबू रखा & कुर्सी से उठ खड़ी हो गयी,"...जी सर...मुझ-...मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक़्त चाहिए..."
"हां..हां!लीजिए वक़्त.मैं 5 दीनो तक ये मामला दबा सकता हू,5 दीनो के बाद...",उसकी अनकही बात रीमा समझ गयी & वो उसके ऑफीस से बाहर निकल गयी.बाहर मार्केट मे उसने 1 जूस वाले से जूस पिया तो उसे थोड़ा सुकून मिला,उसने अपने बॅग से रवि का एटीम कार्ड निकाल कर उसके अकाउंट का बॅलेन्स चेक करने की सोची & बगल के एटीम मे घुस गयी.
एटीएम स्क्रीन पे जो रकम देखी उसने उसे फिर परेशान कर दिया,उसने दुबारा चेक किया पर एटीएम स्क्रीन पे .40,000 ही दिख रहा था.उसे अच्छी तरह से याद था कि इस अकाउंट मे करीब .2.5 लाख थे तो आख़िर 2 लाख कहा गये?
"ओह्ह...रवि,तुमने क्या किया था आख़िर?",वो मन ही मन बोली.दिन के 2 बजे वो वापस घर पहुँची.अंदर घुस कर उसने दरवाज़ा बंद किया ही था कि डोरबेल बज उठी.दरवाज़ा खोला तो देखा की उसके मकान मालिक खड़े हैं.
"नमस्ते अंकल."
"जीती रहो बेटी.",वो कोई 65 साल के बुज़ुर्ग थे & यही पास ही मे रहते थे.रवि की मौत के बाद उन्होने रीमा की काफ़ी मदद की थी.
"अरे,मैं तो भूल ही गयी थी.आपको किराए का चेक़ भी तो देना है."
"नही बेटी मैं उसके लिए नही आया था,पैसे कही भागे थोड़े ना जा रहे हैं.मैं तो बस तुम्हारा हाल पुच्छने आया था.",वो सोफे पे रीमा के बगल मे उसके कुच्छ ज़्यादा ही पास बैठ गये,"कुच्छ सोचा तुमने आगे क्या करना है?"
"अभी तक तो कुच्छ नही,अंकल.",उसे अंकल की नज़दीकी कुच्छ ठीक नही लगी तो वो उठ ड्रॉयर से चेकबुक निकाल उनका किराए का चेक़ बनाने लगी.
"घबराना मत बेटी,मैं हू ना.",अंकल उसके पास खड़े उसकी पीठ सहलाते हुए हाथ ब्लाउस से नीचे उसकी नंगी कमर पे ले आए.
"आपका चेक़,अंकल & बुरा ना माने तो आप अभी जा सकते हैं.मुझे थोड़ा काम है."
"हां...हां!तुम आराम करो बेटी....& कोई ज़रूरत हो तो मुझे बेझिझक बुला लेना.",रीमा ने दरवाज़ा बंद किया &रोती हुई सोफे पे जा गिरी.पहले रवि का बॉस अब ये बुड्ढ़ा.इन सबने उसे क्या कोई सड़क पे पड़ा खिलोना समझ रखा था क्या कि जिसकी मर्ज़ी हो वो उसके साथ खेल ले.
तभी फिर से डोरबेल बजी.रीमा ने आँसू पोछे & दरवाज़ा खोला तो चौंक उठी,सामने उसके ससुर खड़े थे.सकपका के उसने उनके पाँव छुए & उनके अंदर आते ही दरवाज़ा बंद कर दिया.
"तुम्हे हुमारे साथ पंचमहल चलना होगा."
"जी.",रीमा ने चौंक के उन्हे देखा.
"सुमित्रा-रवि की मा की हालत तो तुम जानती हो.डॉक्टर्स का कहना है कि कई बार अगर कोई बहुत शॉकिंग न्यूज़ सुनाई जाए तो ऐसे पेशेंट्स बोलने लगते हैं.इसीलिए हमने उसे रवि की मौत की खबर दी.सुमित्रा बोली तो नही पर उसकी आँखो से आँसू बहने लगे,रुलाई की आवाज़ नही निकली बस आखें बरसती रही.उस दिन से वो ठीक से खा-पी भी नही रही है.मैं जब भी उसके सामने जाता हू तो जैसे उसकी नज़रे मुझ से कुच्छ मांगती रहती हैं.थोड़े दीनो मैं समझ गया कि वो तुम्हे ढूंडती है."
"मा जी तो कुच्छ बोलती नही,फिर आपको ऐसा कैसे लगा?"
"मैं उसका पति हू,इतने साल हम साथ रहे हैं.उसके दिल की बात समझने के लिए मुझे किसी ज़ुबान की ज़रूरत नही."
"अपना सामान तैय्यार रखना,हम कल ही यहा से निकल जाएँगे.और हा 1 बहुत अहम बात सुन लो.मैं आज भी तुम्हे अपनी बहू नही मानता,बस अपनी पत्नी की बेहतरी के लिए तुम्हे वाहा ले जा रहा हू.और तुम भी बस 1 नर्स की हैसियत से वाहा जा रही हो.मेरी पूरी बिरादरी या जान-पहचान मे कोई भी रवि की शादी या तुम्हारे वजूद से वाकिफ़ नही है.तो तुम जब तक इस राज़ को अपने सीने मे दफ़न रखोगी वाहा रहोगी."
कोई और मौका होता तो रीमा उन्हे बाहर का रास्ता दिखा देती पर आज वीरेन्द्रा साक्शेणा के रूप मे भगवान ने उसे मुसीबत से बाहर निकालने का ज़रिया भेज दिया था.
"मुझे आपकी बात मंज़ूर है पर आपको अपने बेटे की 1 ग़लती सुधारनी होगी...और रवि की मौत के पीछे ज़रूर कोई राज़ था ,आपको उस राज़ का भी पता लगाना होगा."
"सॉफ-2 बात करो,पहेलियाँ मत बुझाओ."
और रीमा ने उन्हे पूरी बात बता दी.विरेन्द्र जी को उसकी बात पे यकीन नही हुआ पर जब दूसरे दिन वो उसके साथ बॅंक गये तो उन्हे यकीन करना ही पड़ा.
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