RE: Mastram Kahani खिलोना
रीमा चाहती तो नही थी की उसके कारण रवि को अपने पिता से दूर होना पड़ा पर रवि नही माना,उसने बॅंगलुर मे अपनी पहली पोस्टिंग जाय्न करने के 1 महीने के अंदर ही रीमा से कोर्ट मे शादी कर ली.शादी मे उनके सभी दोस्त & मौसी शामिल हुए थे.वो रीमा की ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था.
शवर बंद कर तौलिए से अपना बदन पोंच्छ रीमा ने टवल को अपने जिस्म पे लपेटा & बाहर अपने बेडरूम मे आ गयी.कमर तक लहराते काले,घने बालों से घिरा उसका चेहरा जिसपे दो काली-2,बड़ी-2 आँखें चमक रही थी,कुच्छ ज़्यादा ही सुंदर लग रहा था.उसके दिल की खुशी ने उसके रूप को और भी निखार दिया था.
शीशे के सामने खड़ी हो रीमा ने तौलिया हटा दिया & उसमे अपने नंगे जिस्म को निहारने लगी.उसने गौर किया था की शादी के बाद उसमे 2 बड़े बदलाव आए थे.पहला तो ये की वो अब थोड़ा और खुल कर बात करती थी & हँसती थी.अपने दिल मे अपने जज़्बात दबाना तो वो अब भूल सी गयी थी.और दूसरा ये की उसका साइज़ 2 इंच बढ़ गया था.
ये रवि की मेहेरबानी थी,हर रात उसके साथ वो कमसे कम 2 बार उसे चोद्ता था.रीमा का 32-26-34 फिगर अब 34-28-36 हो गया था.वो शुरू से ही 1 भरे शरीर की मलिका थी,और अब तो उसका जिस्म और भी नशीला हो गया था.शीशे मे देखते हुए वो अपने शफ्फाक़ गोरे जिस्म पे हाथ फेरने लगी.
उसकी 34द साइज़ की चूचिया बिल्कुल कसी हुई थी & उनपे 2 गुलाबी रंग के निपल्स चमक रहे थे.जब भी वो ब्रा खरीदने जाती रवि कहता कि उसे ब्रा की ज़रूरत ही नही है,उसकी चुचियाँ तो ऐसे ही इतनी कसी हुई हैं.बिल्कुल सच कहना था रवि का.केवल चुचियाँ ही नही रीमा का पूरा जिस्म एकद्ूम कसा हुआ था.उसके हाथ उसके सीने से नीचे उसके सपाट पेट से फिसलते हुए उसकी गहरी नाभि पे आ गये,और वाहा से उसकी कमर पे.
रीमा ने नीचे का बदन घुमा कर अपनी भारी गंद को शीशे की ओर किया.उसकी गंद रवि को बहुत पसंद थी & चुदाई के अलावा भी वो उसे सहलाने या दबाने का कोई मौका नही छ्चोड़ता था.कभी-2 वो जब मार्केट या किसी और पब्लिक प्लेस मे उसकी गंद को लोगो की नज़र बचा सहला देता तो उसके गाल शर्म से लाल हो जाते.
उसने बदन सीधा कर अपनी भारी जाँघो को देखा & फिर उसकी नज़र गयी उनके बीच उसकी प्यारी,गुलाबी,चिकनी चूत पे जिसपे 1 बॉल भी नही था.1 साल से वो रोज़ रात को रवि से चुदती थी,बस इधर पिच्छाले एक-आध महीने से ये सिलसिला थोड़ा गड़बड़ा गया था & वो रोज़ के बजाय 2-3 दीनो मे 1 बार उसकी चुदाई करने लगा था.पता नही कौन सी बात उसे परेशान कर रही थी.रीमा ने सोच लिया था कि वो रवि से इस बात का कारण पुच्छ के रहेगी.
ख़यालो मे डूबे हुए कब उसका हाथ उसकी चूत को सहलाने लगा,उसे पता ही ना चला.जब होश आया तो उसे खुद की इस हरकत पे शर्म भी आई & हँसी भी.उसे अपनी सुहग्रात याद आ गयी,जब वो पहली बार रवि के साथ हुमबईस्तर हुई थी.वो अब गरम होने लगी थी.
वो वैसी ही नंगी अपने बिस्तर पे लेट गयी,उसका हाथ अभी भी उसकी चूत सहला रहा था & रीमा अपनी सुहग्रात की यादों मे खो गयी.रवि के दोस्तो ने उन दोनो के लिए लोनवाला के 1 होटेल मे 5 दीनो के लिए कमरा बुक करा दिया था & कोर्ट मे शादी करते ही दोनो वाहा के लिए निकल पड़े & शाम ढले पहुँच गये.
रवि तो टॅक्सी मे ही बेसबरा हुआ जा रहा था.पूरे रास्ते उसने रीमा को अपने से सताए रखा & हर थोड़ी देर पे चूम लेता.रीमा को टॅक्सी ड्राइवर की मौजूदगी मे शर्म आ रही थी & वो रवि को रोक रही था पर वो कहा सुनने वाला था.उसकी हर्कतो से वो भी थोड़ा मस्त हो गयी थी.
होटेल के कमरे मे पहुँचते ही रवि ने उसे बाहो मे भर लिया & लगा चूमने.रीमा ने भी उसके गले मे बाहें डाल दी & उसकी किस का जवाब देने लगी.दोनो काफ़ी देर तक 1 दूसरे के होंठो के चूमते हुए 1 दूसरे की जीभ से खेलते रहे.रवि ने उसके होटो को छ्चोड़ उसकी गर्दन का रुख़ किया & पागलो की तरह चूमने लगा.
"ऊओ...रवि....इतने बेसबरा क्यू हो रहे हो?मैं कही भागी थोड़े जा रही हू...आहह...!
"अब मुझ से सब्र नही हो सकता,मेरी जान!",रवि उसे लिए-दिए बिस्तर पे गिर गया.दोनो हंसते हुए बिस्तर पे लेटे फिर एक दूसरे के होटो का रस चखने लगे.रीमा चित लेटी थी & रवि उसके उपर झुका उसे चूम रहा था.
रवि उसके होटो को छ्चोड़ थोड़ी देर तक उसके चेहरे को चूमता रहा,उसने उसके कानो के झुमके हटा उनपे हल्के से काट लिया तो रीमा की मज़े से आह निकल गयी.उसकी चूत तो पूरी गीली हो चुकी थी.अब रवि उसकी गर्दन चूम रहा था & उसके सीने से उसका आँचल हटा रहा था.रीमा की धड़कने तेज़ हो गयी.उसने अभी तक रवि को चूमने से ज़्यादा कुच्छ नही करने दिया था.शादी से पहले 1 बार रवि जोश मे उसकी छाती दबा बैठा था वो बहुत नाराज़ हो गयी थी.ऐसा नही था की उसे अच्छा नही लगा था पर वो इस के लिए तैय्यार नही थी.उसे मनाने मे रवि को 4 दिन लग गये थे.
पर आज की बात और थी,आज तो वो खुद अपने आशिक़ की बाहो मे पिघल कर उसके जिस्म को अपने जिस्म मे खोने देना चाहती थी.रवि उसका आँचल सरका उसके क्लीवेज को चूम रहा था,उसकी पलके मूंद गयी & वो आहें भरने लगी.रवि ने चूमते हुए उसके ब्लाउस के हुक्स खोल दिए,अब उसके सामने लाल रंग के लेस ब्रा मे क़ैद उसकी छातिया उसकी तेज़ सांसो की वजह से उपर नीचे हो रहा था.
रवि ब्रा के उपर से ही उन्हे चूमने लगा & चूमते हुए नीचे उसके पेट पे आ गया.उसकी ज़ुबान उसके चिकने पेट पे से फिसलती उसकी नाभि पे आ गयी & उसकी गहराई नापने लगी.रीमा पागल हो गयी & रवि के बालो को कस के पकड़ लिया & अपनी जांघे रगड़ने लगी.उसकी चूत पानी छ्चोड़ रही थी.आज जैसा उसे पहले कभी भी महसूस नही हुआ था.शादी से पहले जब भी वो रवि से मिलती तो दोनो 1 दूसरे को बाहों मे भर बहुत किस्सिंग करते & हुमेशा उसकी चूत गीली हो जाती थी.पिच्छले कुच्छ महीनो से रात को सोने से पहले वो अपनी चूत को अपनी उंगली से शांत करने लगी थी पर उसे आज जैसा एहसास कभी नही हुआ था.
|