RE: non veg story एक औरत की दास्तान
"मगर उस कमीने को हमारे प्लान के बारे मे पता चल गया और उस दिन वो मुझे ही मारने घर आया था पर वो जग्गू बुद्धा भी मारा गया और उसके साथ साथ खुद वीर भी.. मैने जान बूझकर खुदको पोलीस से पकड़वाया और कोर्ट गयी ताकि दुनिया वालों का शक़ मुझ पर से हमेशा के लिए उठ जाए.. और पहले से बेवकूफ़ बन रही दुनिया को एक बार और बेवकूफ़ बनाया.." ये बोलकर तीनो हस्ने लगे और तबतक हंसते रहे जब तक उनकी आँखों मे आँसू ना आ गये...
"और इन सब कामों मे तुम लोगों ने मेरा बखूबी साथ दिया.." स्नेहा ने अपनी हसी रोकते हुए कहा..
"मगर एक बात समझ नही आई कि तुमने ठाकुर साहब को चाकू क्यूँ मरवाया जब तुमने उन्हें ज़हेर देकर मार ही दिया था..?" रिया ने पूछा तो स्नेहा मुस्करा दी..
"इसलिए ताकि उन्हे लगे कि उसे चाकू से मारा गया है मगर आजकल के ज़माने मे सच को छुपा पाना बहुत मुश्किल काम है इसलिए मुझे नौकरानी के मुह्न मे और पैसे ठूँसने पड़े ताकि वो मेरी जगह राज यानी कि वीर की नाम ले.." स्नेहा ने कहा और फिर खड़ी होकर इधर उधर घूमने लगी..
"और वो तुम्हारे पेट मे जो बच्चा पल रहा है उसका क्या..?" रिया ने पूछा तो स्नेहा ने फिर से उसकी तरफ मुस्कराते हुए देखा..
"तुम्हें क्या लगता है कि सिर्फ़ तुम्ही झूठी प्रेग्नेन्सी का नाटक कर सकती हो..?" स्नेहा ने उसी अंदाज़ मे कहा..
"अब आगे का क्या प्लान है..?" रवि ने पूछा तो स्नेहा के चेहरे पर फिर से एक शैतानी मुस्कान छा गयी..
"विदेश जाउन्गि घर खरिदुन्गि और आराम से जिंदगी बिताउन्गि" स्नेहा ने हस्ते हुए कहा..
"बाइ दा वे अब हमे भी चलना चाहिए.. तुम्हें हमारा हिस्सा तो याद है ना.." रिया और रवि ने खड़े होते हुए कहा..
"तुम्हारा हिस्सा तो अब राज ही दे पाएगा.." स्नेहा ने हंसते हुए कहा..
"इससे क्या मतलब है तुम्हारा..?" रवि ने अश्मन्जस से कहा... और इससे पहले कि वो कुछ समझ पाता दो गोली सीधे उसके सीने के आर पार हो गयी.. और उसने गिरते गिरते पाया कि रिया क़ी भी अब मौत होने वाली है..
उसने स्नेहा की तरफ नज़र डाली तो पाया कि वो जोरों से हंस रही है और इसके साथ ही वो मौत के मुह्न मे चला गया..
दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना तो फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड
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