vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:31 PM,
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
इतना कहके वो जाने लगी, उतने मे ही
मे: गुड प्लान! तू जाएगी मम्मी के सामने और कह देगी सब सॉफ सॉफ जो मैने कहा. आइ वंडर मम्मी क्या सोचेगी इस बारे मे कि उनकी बेटी उनके सामने गाली दे रही है

आकांक्षा बीचमे ही रुक गयी और वही पे खड़ी रह गयी.. मैं समझ गया कि ये बात तो उसने सोची ही नही. 

मे: अर्रे? क्या हुआ? रास्ता नही पता किचन जाने का?

वो कुछ नही बोली. मैं उल्टा चलते हुए उसके सामने जाके खड़ा हो गया. उसकी शक़ल पे सॉफ दिख रहा था कि अब वो कन्फ्यूज़ हो गयी हैं. मुझे लगा चलो जाने दो

मे: आकांक्षा, ऐसे कारनामे तू कम कर दे जिससे मुझे कोई टेन्षन हो तो अपन दोनो के रीलेशन अच्छे रहेगे. आपस मे भी और घर में भी. मैं नही जानता कि तू मेरे बारे मे क्या सोचती हैं और ना ही मुझे कोई फ़र्क़ पड़ता हैं. मगर इसके आगे पंगे लेने से पहले सोच समझ के लिया कर. दिमाग़ दिया हैं ना भगवाना ने, यूज़ इट!

इतना कहके मैं वहाँ से चला गया और आकांक्षा भी वापिस पैर पटकते हुए अपने रूम मे चली गयी. मैं भी अपने रूम मे वापिस आ गया.

थोड़ी देर बाद मैं डिन्नर करने के लिए नीचा चला गया. मम्मी पापा ने ऑलरेडी खाना खा लिए थे. कोई मूवी देखने जाना था उन्हे तो वो खाना खाकर निकल गये. सो अब बचे मैं और मेरी पागल बेहन. मैं नीचे गया तो मुझे कोई नही दिखाई दिया. मैने सोचा कि वो आने से पहले खाना ख़तम करके मैं निकल जाता हूँ अपने रूम की तरफ. नही तो फिरसे कोई नयी बात पे वो बकबक शुरू कर देगी और एक दिन मे दो-दो बार उसकी टॅपर-टॅपर सुनना मुश्किल ही नही, ना-मुमकिन हैं. मैने प्लेट मे खाना लिया और हॉल मे जाके बैठ गया टीवी के सामने. हमारे घर मे टीवी के सामने बैठके खाना खाने की मनाई हैं. आइ मीन, चाइ-नाश्ता ईज़ ओके, बट डिन्नर ऑर लंच हॅव टू बी ईटन इन दा डाइनिंग रूम. 


मगर अभी तो घर मे कोई था नही जो डान्टेगा मुझे और आकांक्षा आजके एक्सपीरियेन्स के बाद कुछ दिन तो भी मुझसे पंगे नही लेगी. मैने टीवी ऑन किया. 'दा लीग ऑफ एक्सट्रा-ओर्डिनेरी जेंटेल्मेन' शुरू थी एचबीओ पे. मुझे बड़ी पसंद हैं वो मूवी. शॉन कॉन्नरी और नसरुद्दीन शाह जैसे आक्टर्स हैं इस मूवी मे. अंसीएंट इंडियन साइन्स की डेवेलपमेंट बड़ी अच्छे से दिखाई हैं वो मूवी मे. मैं डिन्नर करते हुए वो मूवी देखने लगा. उतने मे ही मुझे सीढ़ियो से किसी के उतरने की आवाज़ आई. मैने अपनी आखे रोल करते हुए मन मे ही कहा;
'इसे भी अभी ही आना था??'

पलट के देखने की कोई ज़रूरत नही थी क्योकि मैं जानता था कि ये और कोई नही हो सकता. मैने खाने पर कॉन्सेंट्रेट करना ही ठीक समझा. उतने मे ही वो बोली;
आकांक्षा: मम्मी ने मना किया हैं ना वहाँ बैठके कुछ भी खाने के लिए? उठ वहाँ से!

मैने बिना पीछे मुड़े ही कहा;
मे: सॉरी मम्मी!

आकांक्षा: अरे बुद्धू! मम्मी-पापा नही हैं घर में. तू सॉरी किसको कह रहा है?

मे: जब वो घर मे नही हैं तो तू क्यू दिमाग़ खा रही है? खाना रखा हैं. बढ़िया सी सब्जी बनी हैं. खा और जा
मुझे एक गहरी सास लेने की आवाज़ आई पीछे से. आकांक्षा को गुस्सा आ रहा था जैसे मैं उसे ट्रीट कर रहा था उस वजह से. 

आकांक्षा: फाइन! कर जो करना हैं वैसा. 

मैने प्लेट नीचे रख दी और खड़ा हो गया अपनी जगह से. मैं धीरे धीरे आकांक्षा की ओर चलके जाने लगा. आकांक्षा प्लेट मे खाना ले रही थी. मैं उसके ठीक पीछे जाके खड़ा हो गया. वो प्लेट मे खाना लेने मे बिज़ी थी उतने मे ही मैने उसका हाथ पकड़ के उसका मूह अपनी तरफ कर दिया. वो डर गयी और चीखने ही वाली थी उतने मे मैने अपना लेफ्ट हॅंड उसके मूह पे रख दिया और उसकी चीख दबा दी.
मे: चिल्ला मत! मैं ही हूँ.

आकांक्षा के इतने करीब होने की वजह से मुझे उसके जिस्म से एक बड़ी मादक महक आ रही थी. मैं उस महक से इतना प्रभावित हुआ कि मैं भूल ही गया कि मैं क्या कहने जा रहा था. जबसे मैने उसकी डाइयरी पढ़ना स्टार्ट की हैं, मैं आकांक्षा को अब एक जवानी मे कदम रखती हुई लड़की की तरह देखता हूँ. उसके जिस्म के कुवर्व्स को मैं नोटीस करता हूँ. जब भी वो स्लीवेलेस्स पहनती हैं मेरी नज़र उसके स्मूद आर्म्स और अंडरआर्म्स की तरफ जाती हैं. जब वो सीढ़ियो से उतरती हैं तो अंजाने मे ही मैं उसकी चेस्ट को देखने लगता हूँ. एक बड़ा ही कामुक बाउन्स हैं उसकी चेस्ट मे. वो जब सुबह रन्निंग करके आई हैं तो मैं अपने आप को रोक नही पाता उसकी गान्ड को घूर्ने से. टाइट स्लॅक उसकी टाँगो को ऐसे चिपकती हैं जैसे कि स्किन हो, कपड़ा नही. किसी से नफ़रत और उसी लड़की के लिए लस्ट कैसे रह सकती हैं, ये मेरी समझ के बाहर था. वो उसकी बड़ी बड़ी आखो से मुझे घूर रही थी और उतने मे ही...
मे: ओउच!!!

उसने मेरे हाथ को काट खाया. और पीछे हटने लगी, मगर मैने उसकी बाह नही छोड़ी.

आकांक्षा: पागल हो गया क्या?? छोड़ मुझे!

मैं खुद ही नही समझ पा रहा था कि अचानक मैं क्यूँ रुक गया वही पे. मगर अपनी दुनिया से बाहर आते हुए मैने कहा;
मे: आकांक्षा, हर छोटी बात पे मुझसे ज़गड़ा करना बंद कर. स्टार्ट आक्टिंग लाइक आ सिस्टर आंड नोट आ बिच. अंडरस्टुड?

आकांक्षा बिना पलके झपकाए मेरी तरफ देखती जा रही थी. आज लाइफ मे पहली बार उसने मुझे इस तरह से बात करते हुए देखा था. उसके चेहरे पे सर्प्राइज़, आंगर, फियर ऐसे एक्सप्रेशन्स नाच रहे थे. मैने अपनी पकड़ को कसते हुए एक बार फिर कहा;
मे: अंडरस्टुड?

वो कुछ नही बोली. बॅस, 'हाँ' मे अपनी गर्दन हिलाते रही. मैने उसका हाथ छोड़ दिया और एक रोटी लेकर अपनी जगह पर चला गया. वो अब भी वही पे बूत की तरह खड़ी थी. मैने नीचे बैठते हुए कहा;
मे: खाना खा ले! ठंडा हो जाएगा

और मैं खाना खाने लगा. मगर मेरे दिमाग़ मे कयि बातें एक साथ चलने लगी. ये मैने क्या किया? और क्यू किया? मगर सबसे इंपॉर्टेंट बात, ये अजीब सी खुशी क्यूँ हो रही हैं मुझे अभी?

मैं खाना खाकर अपने रूम मे चला गया. आकांक्षा और मेरे बीच अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ था, मैं उसके बारे मे सोचते हुए रूम मे आया. मुझे ऐसा लग रहा था कि आज पहली बार मैने आकांक्षा को कुछ सबक सिखाया हो. आज पहली बार हुआ होगा कि मैने उसकी बकबक सुनके नज़रअंदाज़ नही कर दिया, ना उसे आज कोई बचाने वाला था. मगर उससे भी ज़्यादा मेरे दिमाग़ मे ये बात घूम रही थी कि मैने कभी भी आज तक किसी से इस तरह से बात नही की थी. इतनी औतॉरिटी से, इतने कॉन्फिडेन्स से, इतने.......डोमिनटिंग टोन मे. और उससे भी बड़ी बात, आइ एंजाय्ड इट अलॉट. मैं अपने न्यू-फाउंड एग्ज़ाइट्मेंट मे ही था उतने मे ही मुझे यूथिका की याद आई. काफ़ी दिन हो गये थे, मैने उससे बात नही की थी. लास्ट टाइम जब मैने उससे बात की थी, उसके बाद से मैने सिम ही नही डाला फोन मे. मगर उससे पहले मैं यूथिका के मेसेज पढ़ चुका था. 

मैं जानता था कि वो अब तक वो बूरी तरह से डेस्परेट हो गयी होगी मुझसे बात करने के लिए. क्योकि पिछली बार ही उसके मेसेज से ये सॉफ हो गया था. मैने कपबोर्ड मे से सिम निकाला और मोबाइल मे डाल दिया. मोबाइल स्टार्ट होते से ही ढेर सारे मेसेज आने लगे थे.
मसेज 1:
यूथिका: यू देयर???
मसेज 2:
यूथिका: हेल्ल्लूऊऊऊओ?????? व्हेयर दा फक आर यू?
मसेज 3:
यूथिका: अरे रिप्लाइ तो करो? व्हेयर आर यू? आइ वॉंट टू टॉक. इफ़ यू डोंट रिप्लाइ देन आइ विल नेवेर टॉक टू यू
मसेज 4:
यूथिका: व्हाट दा हेल!!! अगर बात ही नही करनी थी तो नंबर क्यू लिया मेरा? डेलीट माइ नंबर राइट नाउ आंड डोंट एवर मसेज मी अगेन. 
मसेज 5:
यूथिका: प्लीज़ रिप्लाइ! आइ रियली नीड टू टॉक टू यू. व्हेयर डिड यू गो ऑफ टू? आर यू अलाइव?
मसेज 6:
यूथिका: लंबाआअ!!!!!! व्हेयर आर यू? रिप्लाइ प्ल्ज़.. इफ़ यू डोंट वॉंट टू टॉक टू मी देन यू कॅन से सो. बट उसके लिए तुम्हे रिप्लाइ करना पड़ेगा... 
मसेज 7: 
यूथिका: आर यू आंग्री वित मी? आइ'ल्ल टेल यू एवेरितिंग. यू वर राइट!! रिप्लाइ!!!!!!!

अया!! मैने सब मेसेज 2-3 बार पढ़े. कितनी डेस्परेट हैं ये लड़की!! किसी ऐसे इंसान से बात करने के लिए जिसे वो जानती भी नही हैं, जिससे उसका कोई रिश्ता नही हैं. मैं तुरंत समझ गया कि कोई बहुत बड़ा होल हैं इसकी लाइफ मे जो ये भरना चाहती हैं. 

इंटरनेट जगह ही ऐसी हैं. साइबर-वर्ल्ड मे लोग आते ही इसलिए हैं ताकि वो अपनी लाइफ की ख़ामिया भर सके. कोई ना कोई बात की कमी होती हैं किसी ना किसी को, और लोग वो कमी इंटरनेट की साइबर लाइफ मे पूरी करने की कोशिश करते हैं. ज़िंदगी का कोई तो पहलू ऐसा होता हैं जिससे वो वंचित रहते हैं और इंटरनेट उन्हे वो सहूलियत देता हैं कि वो इस वर्चुयल रिलिटी की दुनिया मे वो पहलू जी सके. झूठ ही सही, मगर उन्हे इस बात की तसल्ली होती हैं कि वो जो चाहते हैं वो उन्हे मिल रहा हैं. जिससे प्यार की कमी होती हैं वो लोग डेटिंग साइट्स पे अपना लक आज़माते हैं, जिन्होने कभी ज़िंदगी मे लड़की के जिस्म को छुआ तक ना हो वो इंसान सेक्स चॅट-साइट्स पे, पॉर्न साइट्स पे वो कमी पूरी करने की कोशिश करता हैं. जो असली ज़िंदगी मे किसी से बात नही कर सकते वो लोग अचानक से कॉन्फिडेंट और डाइनमिक बन जाते हैं इस दुनिया मे. 


आप जो चाहो वैसी अपनी पर्सनॅलिटी बना सकते हो. कोई बोहोत ही मोटा सा 40+ उमर का घटिया सूरत वाला इंसान भी एक लंबा-चौड़ा, सिक्स पॅक वाला बन सकता हैं. किसी का लंड छोटा हो तो वो कह सकता हैं कि उसका लंड 9 इंच का हैं. क्योकि सच और झूठ के बीचमे कोई अंतर नही होता यहा. ऐसा नही हैं कि इंटरनेट की दुनिया मे सच और झूठ के बीच की लाइन नही हैं, लोग बस उसे देखना नही चाहते. वरना उनकी असल ज़िंदगी, जिससे वो पीछा छुड़ाना चाहते हैं, और साइबर वर्ल्ड विल हॅव नो डिफरेन्स अट ऑल. और अगर ऐसा हो जाए, तो महीने के 1500/- हाइ स्पीड अनलिमिटेड इंटरनेट कनेक्षन के लिए खर्च करने का फ़ायदा ही क्या होता हमे?

यूथिका ढूँढ रही हैं ऐसे किसी को जो बस उसकी बात सुने, उससे बात करे. असल दुनिया मे उसकी लाइफ अधूरी हैं, जिसकी भरपाई साइबर-वर्ल्ड मे करना चाहती हैं. और मैं अच्छी तरह से वो बात समझ चुका था. उसके डेस्परेट मेसेजो ने ही मुझे उसकी कहानी सुना दी थी. मैने मोबाइल उठाया और मेसेज विंडो मे जाके टाइप किया;
मे: हेलो यूथिका!
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:31 PM

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