vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:31 PM,
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मे: कॉल करूँ या ना करूँ? अगर कॉल नही किया तो वेड नही मिलेगे और अगर कॉल किया तो पता नही क्या बात करूगा उससे. 
अककड़ बक्कड़ बम्बे बो करके मैने कॉल लगा ही दिया. रिंग जाने लगी. 7 बार रिंग जाने के बाद भी कॉल रिसीव नही की उसने तो मैं खुश हो गया कि चलो अब बात भी नही करनी पड़ेगी और मुझे जो चाहिए वो भी मिल जाएगा. उतने मे ही आवाज़ आई;
‘हेलो?’
मे: हे! हाई.. हेलो.
चीक्की: यआः? हू’ज दिस?
मे: हेलो चीक्की..दिस इस सम्राट. मम्मी ने तुम्हारा नंबर देकर कहा कि कॉल करूँ तुम्हे….

चीक्की: सम्राट??? हेलो.. हाँ याद आया. मैने ही कहा था मामी से कि तुम्हे मुझे कॉल करने को. मैने उनसे मागा था तुम्हारा नंबर, बट वो बोली कि तुम खुद ही कॉल करोगे. इतने दिन हो गये उस बात को. आइ वाज़ स्टार्टिंग टू थिंक दट यू वोंट कॉल एवर. 

मे: ओह्ह! ओके. सो, अभी कॉल किया. आज ही मम्मी ने नंबर दिया तुम्हारा और मुझसे कहा कॉल करने को. 

चीक्की: कहा कॉल करने को? तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे बोहोत ही ज़बरदस्ती मन मारके कॉल कर रहे हो मुझे.

मैने सोचा लड़की समझदार हैं. जल्दी बात समझ जाती हैं.

मे: नही नही! ऐसा कुछ नही. आइ मेंट, मम्मी आज याद दिलाई तुम्हे कॉल करने की. एनीवे! सो… वस्सूप? कुछ काम था क्या मुझसे?

चीक्की: काम? मुझे क्या काम रहेगा तुमसे? और क्या बिना किसी काम के मैं बात नही कर सकती तुमसे?

मे: चीक्की, इट्स बिन यियर्ज़ सिन्स वी हॅव टॉक्ड. आइ डॉन’ट ईवन रिमेंबर हाउ यू लुक आंड आइ आम स्योर नीदर डू यू. 

चीक्की: तभी तो बात करनी थी. वी आर रिलेटिव्स और इतना भी नही जानते कि कौन कैसे दिखता हैं. अजीब लगता हैं. आइ थॉट अब तुम बड़े हो गये हो, सो मुझसे बात कर सकते हो.

मे: मेरे बड़े होने का क्या लेना देना तुमसे बात करने से?

चीक्की: अर्रे! आइ मीन, हम बड़े हो गये हैं. मैं भी और तुम भी.

मे: अच्छा! 

चीक्की: एनीवे, मैं अभी बाहर जा रही हू. तुम वटसपप पे हो ना?

मे: यस! क्यूँ?
चीक्की: सेव करो मेरा नंबर. रात को बात करते हैं. ड्प मेरा ही हैं तो कन्फ्यूज़ मत होना. ओके?

मे: ओके! बाइ

चीक्की: बाइ, टेक केयर!
मे: डिटो!
मैने कॉल कट कर दिया. 
मे: ‘ड्प मेरा ही हैं’! जैसे लोग बता बता के ड्प रखते हैं. नेवर्दलेस, वास्न’ट दट हार्ड आक्च्युयली. बात करली और अब टाइम हैं पेट-पूज़ाका .

मैं कॉल लोग मे से उसका नंबर सेव करते करते नीचे की ओर जाने लगा. 

मे: नंबर सेव्ड, नेम लोनवाला चीक्की..डन! देखु तो ज़रा वटसपप पे क्या ड्प हैं तो.

मैने वटसपप की कॉंटॅक्ट लिस्ट रेफ्रेश की और स्क्रोल करने लगा.
मे: ए, बी, सी, चाइ, च…….
और जो ही मैने चीक्की की पिक देखी;
मे: ओह्ह्ह भेन्चोद!!!
पीछे से आवाज़ आई,
आकांक्षा: व्हाट??
बॅक टू दा रेग्युलर फ्लो ऑफ दा स्टोरी!
मैने पीछे मूढ़ कर देखा तो आकांक्षा ठीक मेरे पीछे खड़ी थी. उसे अच्छे से सुनाई दिया जो मेरे मूह से निकला था. अब उसको कहा से समझाऊ मैं कि मेरे मूह से बहनचोद इसलिए निकला क्योकि मैने चीक्क्की का ड्प देखा. माँ की आख! मुझे विश्वास ही नही हो रहा था कि ये मेरी बुआ की बेटी हैं, जिससे सारा बचपन मैने दूर भागते हुए बिताया हैं. और क्यू ना दूर भागता मैं उससे? कभी उसकी नाक बहती थी, तो कभी उसे अजीब सी ख़ासी हो जाती थी. हम उसे बचपन मे कहते थे कि, ‘चिंकी, तू बड़ी होकर डॉक्टर ही बनना, ताकि तुझे बाहर किसी डॉक्टर के पास जाके खर्चा ना करना पड़े हर वक़्त’. वो अजीबसी सुखी लकड़ी जैसी दिखती थी. पतला सा शरीर और उससे भी पतले बाल. अजीब सी दिखती थी, जैसे जिस्म मे कुछ हैं ही नही. मुझे तो भरोसा ही नही हो रहा था कि ये वोही लड़की हैं. मैने सोचा शायद कोई आक्ट्रेस हैं उसकी फॅवुरेट. 
मगर अभी मुझे उससे बड़ा टेन्षन ये था कि ये बेवकूफ़ लड़की ने सॉफ सॉफ सुन ली जो मैने कहा. और अगर इसे अभी ना रोका गया तो ये सब बक्क देगी मम्मी के सामने. अब मैं क्या करूँ? 

मे: तू? ऐसे चोरो की तरह क्यों मेरे पीछे पीछे घूम रही है?

आकांक्षा: तूने मुझे चोर कहा??

मे: चोर नही कहा, उल्लू. मैने कहा ‘चोरो की तरह’. फरक हैं दोनो मे.

आकांक्षा: मैं कोई चोर-वोर नही. और तू क्या बोला अभी?

मे: मैं कहाँ कुछ बोला?

आकांक्षा: हाँ बोला तू! मैने सॉफ सॉफ सुना तू क्या बोला तू

मे: हाँ तो बता मैं क्या बोला तो. मुझे क्या पता तूने क्या सुनी और क्या समझी?

आकांक्षा: मुझे पता हैं तूने गाली दी. मैं जानती हूँ सब. रुक, अभी मम्मी को बताती हूँ.

मे: अरे बट मुझे तो बता कि तूने क्या देखी सपने मे?

आकांक्षा: सपना? मैने अभी सॉफ-सॉफ सुनी अपने कानो सो जो तूने कहा. शियी!

मे: हाँ तो बता मैने क्या कहा?

आकांक्षा: मैं अब तो मम्मी को ही बताउन्गी..

मे: जब तू मुझे नही बता पा रही तो तू मम्मी को कैसे बताएगी?

आकांक्षा के चेहरे पे मैं सॉफ देख पा रहा था कि मेरा सवाल उसे सोचने पे मजबूर कर रहा हैं. मैं भी जानता था कि उसने ठीकसे सुनी जो मैने कहा. मगर मैं ये भी जानता था कि ये कभी नही कहेगी मम्मी के सामने. और मैं इसी बात पर कॉन्फिडेंट था.

मे: बता!!!?

आकांक्षा: वो…. उम्म्म्म.. मुझे पता हैं तूने क्या कहा… बसस्स!

मे: तो बता! बोल?

आकांक्षा: मैं नही बताउन्गी…
इतना कह के वो साइड से निकलने लगी नीचे जाने के लिए. मैं उसके ठीक सामने जागे खड़ा हो गया..

मे: अच्छा चल! मैं एक डील ऑफर करता हूँ तुझे. 

आकांक्षा: तू कुछ भी ऑफर कर. मैं मम्मी से जाके कहने वाली हूँ मतलब कहने वाली हूँ. बॅस!

मे: हाँ कह दे ना! इन फॅक्ट, चल, मैं तेरे साथ मे चलता हूँ. दोनो साथ मे जाके बताएँगे मम्मी को. बॅस एक शर्त पे.

आकांक्षा: कैसी शर्त?

मे: तू पहले मुझे बता जो मैने कहा वो. अगर तूने मुझसे कह दी तो मैं तेरे साथ चलुगा और तेरा साथ भी दूँगा मम्मी से सब कुछ सॉफ सॉफ बताने मे.. बोल, डील?

आकांक्षा: मुझे तेरी ज़रूरत नही हैं मम्मी से सच कहने मे

मे: ट्रू! सबको पता हैं कि आकांक्षा हमेशा सच कहती हैं. नो डाउट! बट, जो सच बोलने के लिए तू इतनी उतावली हो रही हैं वो तू मुझसे कह नही सकती तो मम्मी से कैसे कहेगी?

आकांक्षा: किसने कहा मैं नही कह सकती? 

मे: देन बोल ना! बता मैने अभी क्या कहा? 

आकांक्षा: वो.. तूने गंदी गाली दी… 

मे: कौन सी गाली?

आकांक्षा: शरम नही आती तुझे? अपनी बेहन से गाली बुलवा रहा हैं

मे: जहाँ तक मुझे पता हैं, मैने तो भिंडी कहा.. अब तूने क्या सुना मैं नही जानता. और अगर तू मम्मी के सामने जाएगी भी तो क्या कहेगी? तू मेरे सामने तो कह नही पा रही. वहाँ जाके तू कहेगी कि मैने गाली दी तो मम्मी पूछेगी कौनसी गाली दी? अब उसका जवाब तू क्या देगी?

आकांक्षा: मैं कह दुगी तूने जो कहा वोही..

मे: और मैने क्या कहा?

अब आकांक्षा भी समझ रही थी कि वो अपने ही जाल मे फस्ति जा रही. मैं अच्छे से जानता था कि वो नही बोलेगी. और मेरे सामने अगर वो नही कह सकती तो मम्मी के सामने क्या……….

आकांक्षा: भैनचोद!

मैं अपने ही मॅन मे लड्डू फोड़ रहा था उतने मे ही मुझे सुनाई दिया ये. ये तो गजब हो गया! इसने तो सच मे बोल दी

आकांक्षा: ले! कह दिया मैने. अब मैं मम्मी के सामने सब सच कह दुगी

जल्दी कुछ सोचना पड़ेगा. आइ मीन, इट्स नोट आ बिग डील. मैं लड़का हूँ. एवेरिबडी नोस दट ऐसा कोई लड़का नही हैं जो कभी गालियाँ नही देता. मगर फिर भी, मम्मी ऐसा नही सोचेगी कि मैं लड़का हूँ…. वेट! राइट! मैं लड़का हूँ, मगर आकांक्षा तो लड़की हैं. मैने गाली देना एक बात हैं मगर लड़की ने गाली देना ऐंगल! समझ गया!

मे: ओके! चलो फिर. जाते हैं मम्मी के सामने और तू एग्ज़ॅक्ट्ली यही कहना जो तूने अभी बोली.

आकांक्षा: हाँ तो वोही प्लान हैं मेरा! आइ डॉन’ट नीड यू..
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:31 PM

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