vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
बेनाम सी जिंदगी
"आ...आ.आ..एयेए...ईयी.ससीईसी..आआआआअहह.....न्न्न्नाअ...एयेए..नाइइ...ऊवू..ऊवू...म्म्मा..माआआ"...
मेरी आखे बंद हो चुकी थी. ज़िंदगी मे इससे ज़्यादा सुख मुझे नही मिल सकता. मुझे ही नही..अपनी पूरी ज़िंदगी मे कोई भी मर्द इस सुख से ज़्यादा कुछ नही चाह सकता.. अपनी बंद आखो से भी मैं सब कुछ देख रहा था. उसकी हर हलचल से मुझे महसूस हो रही थी, मानो वक़्त थम गया हैं और हर हलचल से मेरा लंड उस सुंदर, गुलाबी, घुंघराले बालो वाली,कोमल और गीली चूत मे अंदर जा रहा हैं. उसकी कमर के हर झटके से हमारा बेड खिसकता था, इतनी गहराई से हमारे जिस्म एक दूसरे से मिल गये थे. ना ही मेरा लंड दिख रहा था और नाही उसकी चूत. बस हमारे 2 जिस्म एक दूसरे से मिल गये थे, मानो जुड़वा बच्चे हो. बिना किसी कोशिश के मेरा एक हाथ उसके निपल्स को अपनी उंगलियों मे पीस रहा था, जिससे वो और भी चीखने लगती मगर उसकी हर सास मे मैं लस्ट महसूस कर पा रहा था. और दूसरा हाथ, अपने आप ही उसकी सॉफ्ट, स्मूद और टाइट गांद को सहला रहा था. भगवान ने भी औरत का जिस्म इस तरह बनाया हैं कि नॅचुरली मर्द उस जिस्म को छू सके, महसूस कर सके. जैसे एक नट और बोल्ट होता हैं जो बने ही इसलिए होते हैं कि एक दूजे मे फिट हो सके. उसकी गांद पे मेरा हाथ, मेरी उंगलियो के बीच उसके निपल्स. इट वाज़ ऑल सो पर्फेक्ट!
हर झटके से मैं उसके अंदर घुस रहा था. मेरी आखे मानो हमेशा के लिए बंद होने के लिए तैयार थी मगर खुल नही रही थी. धीरे धीरे मुझे महसूस होने लगा, मेरे आँड मे प्रेशर बढ़ने लगा. मैं अब उसके निपल्स नही बल्कि पूरा बूब मसल्ने लगा, अपने हाथो के निशान बनाने लगा,सुर्ख लाल निशान उसकी बिल्कुल गोरी आंड मुलायम स्किन पे. उसकी चीखे मेरे कानो मे संगीत की तरह गूँज रही थी क्योकि मैं जानता था कि उसे इतना सुख किसी ने नही दिया और मैं उसके लिए ये ज़िंदगी भर कर सकता था. वो मेरी ज़िंदगी बन गयी थी, दुनिया मे सबसे ज़्यादा किसी से प्यार किया हो मैने तो आज, इस वक़्त, इस घड़ी वोही थी. अजीब सा एहसास था जैसे जन्मो से एक दूजे को जानते थे, मगर कभी पहचाना नही. मेरी कमर भी अपने आप हिलने लगी. उसका पूरा जिस्म मेरे लंड के उपर झूम रहा था. उसकी छाती बाहर की ओर निकली थी. और वो ऑर्गॅज़म की ओर बढ़ने लगी थी. हम दोनो के जिस्म पसीने मे डूब गये थे, सासे फूल गयी थी मगर आज नही, अब नही, और नही रुक सकते थे. एक ज़ोरदार चीख से वो झड गयी और उस चीख से मेरा बाँध टूट गया और मेरा कम उसकी चूत मे निकल गया.
वो 16 सेकेंड्स, दुनिया की हर चीज़ कुर्बान कर दूं मैं उन 16 सेकेंड्स के लिए, उस जिस्म के लिए, उस एहसास के लिए, दिल की इस प्यास को बुझाने के लिए! ऑर्गॅज़म होने के बाद मेरी आखे अपने आप लग गयी और मुझे एहसास हुआ कि उसकी छाती मेरी छाती पर हैं. मैं उसके दिल की धड़कन सुनते हुए ही सो गया. उसके जिस्म की गर्मी और मेरे जिस्म की थकान की वजह से मैं सो गया. सुख किसे कहते हैं, मोक्ष कैसा होता होगा, दा फीलिंग टू बी कंप्लीट. सब कुछ मैं पा गया उस वक़्त.
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क्या आप मे से कोई मच्छर के काटने से उठा हैं??? अजीब सवाल हैं जानता हूँ मगर कभी हो तो आप समझोगे कि खून चूसने वाले ये जीव नाही आपका खून चूस्ते हैं बल्कि अगर आप नींद मे हो तो एक फ्री का थप्पड़ भी आपको पड़ सकता हैं. जिससे नींद भी टूट सकती हैं. मगर इससे पहले वो मेरा खून चुरा के उड़ पाता मैने एक ज़ोर्का थप्पड़ अपने बाए गाल पे चढ़ा दिया,जिससे मेरा खून मुझे वापिस मिल गया.. वेल, किंडा! आखे कुछ देर तो ऑन नही हुई मगर गाल पे थप्पड़ सॉफ महसूस हो रहा था. रात के 10:36 बज रहे थे. मैं एनक्रिपशन का सोर्स कोड लिख रहा था और पता नही कब नींद लग गयी. आखे मसल कर चश्मा पहना तो दुनिया दिखने लगी. अंगड़ाई भर के मैं खड़ा हुआ तो एहसास हुआ कि कोई और भी खड़ा हैं. जवान लड़को की सबसे बड़ी मुसीबत यही हैं. एवररटाइम न्ड एवेरिवेर खड़ा होता हैं.
मेरा नाम सम्राट हैं.जैसा कि आप समज़ ही गये होगे कि मैं सॉफ्ट.इंजिनियरिंग का स्टूडेंट हू, 19 साल की उमर हैं मेरी. और आज मैं आपको कहानी नही सुनाने वाला. हाँ! सही समझा.. कहानी उसे कहते हैं जो सच्चाई नही होती. मैं आपको वो नही सुनाने वाला ,वेल टेक्निकली पढ़ने जा रहा हू जो मेरी ज़िंदगी मे हुआ हैं. मैं इसे नाम नही दे पा रहा. क्योकि इसे क्या कहूँ मैं खुद नही जानता. इसलिए मैं इसे 'बेनाम सी जिंदगी' ही कहूँगा. जो लोग इसे एक शॉर्ट कट सेक्स स्टोरी समझ रहे हैं, प्लीज़ इट्स नोट आ सिंपल, सेक्स स्टोरी. "मैने उसे छोड़ा, उसने मेरा चूसा..", ऐसा होगा, मगर धीरे धीरे..
मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही हैं. कुछ वक़्त पहले तक थी, मगर जब आपको पता चलता हैं कि आपकी ही गर्लफ्रेंड आपके ही बेस्ट फरन्ड के साथ सो रही हैं तो ज़रा मुश्किल हो जाता हैं रिश्ता रख पाना. जिन्होने मेरी पहली कहानी पढ़ी हैं वो लोग नेहा के बारे मे जानते होगे. हाँ तो जैसा की क्लियर हैं, आइ आम सिंगल. दोस्तो आप तो जानते ही हो कि इश्स दुनिया मे जहाँ लड़किया हांकी से छोटे छोटे कपड़े पहनती हैं वहाँ एक सिंगल लड़का होना कितनी बड़ी मुसीबत हैं. ऐसे वक़्त पे मैं उपरवाले का शुक्रिया अदा करता हू कि उसने हमे 2 हाथ दिए. ब्रेक अप के कुछ समय बाद तक मेरे हाथ मेरे काम नही आए. मगर मैं ऑप्टिमिस्टिक हूँ, और 1 मंत बाद ही रंगीले सपने, सुबह बड़ा सा एरेक्षन, एक लंबा सा शवर और कॉलेज के लिए रेडी. कॉलेज मे फिर से डेटा कलेक्ट करके शाम को फिर एक शवर. इस तरह से ज़िदगी कर रही थी. अचानक से नॅपकिन, बेबी-आयिल और इंटरनेट मेरे बेस्ट फरन्डस बन गये थे. जितने हाथ कभी जिम मे नही चलाए उतने मैने अपने बाथरूम मे चलाए. नोट दट बॅड आइदर.!
मैने लॅपटॉप ऑन किया और क्रोम ओपन किया.
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