RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--53
गतान्क से आगे................
"तो तुम कहना चाहते हो कि तुम बेक़ुसूर हो और तुम्हारी शकल का कोई और बंदा पिच्छले 36 घंटे से हमारी नाक में दम कर रहा है...!" मानव ने हॅरी बने उस युवक के साथ जी भर कर माथा पच्ची करने के बाद कहा....
"ज्जई... अगर आप कह रहे हैं कि आपने खुद उसको देखा है तो हो सकता है... पर मुझे इस बारे में सच में कुच्छ नही पता....!" हॅरी लेते लेते जवाब दे रहा था....
"मैं ये सब नही मान सकता... हूबहू शकल... वही आवाज़... ये सब कहानियों में होता है... मुझे उल्लू बनाने की कोशिश ना करो; यही अब तुम्हारे लिए... वैसे तुम रहने वाले कहाँ के हो?" मानव को अचानक कुच्छ ध्यान आया...
"ज्जई... मैं बता दूँगा... पर आप प्लीज़ मेरे घर पर सूचित ना करें... मैने अपना घर छ्चोड़ दिया है...!"
"पूच्छ सकता हूँ क्यूँ...?" मानव ने तिर्छि नज़रों से उसको घूरते हुए पूचछा....
"जी... वो मैं आपको नही बता सकता... " हॅरी ने एक गहरी साँस छ्चोड़ी...,"मैं जुलना से हूँ...!"
"कौन कौन हैं तुम्हारे घर में...?" मानव ने अगला सवाल किया....
"जी.. मम्मी पापा हैं... और एक छ्होटा भाई... मयूर...!"
"मतलब तुम हॅरी ही हो! पर ववो.. कौन है जो ये सब करवा रहा है...? तुम्हारा कोई जुड़वा भाई है क्या?" मानव ने अगला सवाल किया....
"ज्जई.. नही... पर कुच्छ यकीन से कह भी नही सकता...!" हॅरी ने कहा और नज़रें चुरा ली....
"क्या... क्या मतलब?" मानव उसके मुँह से ही सुन'ना चाहता था.....
"जी.. दरअसल मैं उनका गोद लिया हुआ बेटा हूँ... ववो मुझे अनाथालय से लेकर आए थे.... इसीलिए..."
"साला ये चक्कर क्या है..." मानव झुझलाते हुए स्टूल से उठ कर खड़ा हो गया...," अगर तुम बेक़ुसूर हो और हॅरी ही हो तो वो कौन है जिसको कल अंजलि ने देखा था... जो परसों मेरे साथ था... और वो भी बिल्कुल तुम्हारी तरह... कुच्छ फ़र्क तो जुड़वाँ बच्चों में भी होता है...!"
मानव की जब कुच्छ और समझ में नही आया तो उसने घर फोन करके पिंकी को हॉस्पिटल में बुला लिया... और फिर बाहर निकल कर अंजलि को आवाज़ दी..,"इधर आना अंजू...!"
"ज्जई... सर.." अंजलि सहमी हुई सी कमरे में आकर खड़ी हो गयी... हॅरी की ओर उसने देखा तक नही...
"ध्यान से इसको देखो... क्या ये हॅरी ही है?" मानव ने अंजलि से कहा...
अंजलि ने मानव के कहने पर एक सरसरी नज़र हॅरी पर डाली और फिर मानव की ओर देखते हुए अपनी गर्दन 'हां' में हिलाकर झुका ली....
"ऐसे नही.. एक दम ध्यान से देखो... मुझे लगता है कि एक ही शकल के दो आदमी हैं कहानी में.... तुम गौर करके बताओ कि क्या ये वही लड़का है जिसको तुमने गाँव में देखा है...?"
अंजलि ने इस बार देखते हुए हॅरी से नज़रें चार की तो वह मुस्कुरा दिया....,"हां... यही है... कल भी मैने इसी को देखा था थाने में....!" अंजलि ने कन्फर्म किया.....
"हॅरी... पहली बार तुमने इसको कब देखा था....?" मानव ने हॅरी से सवाल किया....
"ज्जई... ये दोनो मेरे ऑफीस में आई थी... तभी मैने इसको और पिंकी को पहली बार देखा था...!" हॅरी बना युवक यहाँ मात खा गया... अंजलि ने कुच्छ याद किया और हॅरी से सीधा सीधा सवाल किया...,"क्या पिंकी को भी तुमने वहीं देखा था पहली बार....?"
हॅरी अंजलि की बात का मतलब समझ गया..,"नही... ऐसे तो मैने कयि बार तुम्हे भी देखा था आते जाते... पर..."
"नही... मैं ये नही कह रही... पिंकी से पहली बार तुम कब मिले थे और क्या बात हुई थी...!" अंजलि तालाब वाली बात याद करके बोली....
"हां... बात तो शायद पहले भी हुई हैं... पर कुच्छ याद नही आ रहा...!" हॅरी हड़बड़ा गया था....
"झूठ!" अंजलि उच्छलते हुए सी बोली...,"वो बात तो तुम भूल ही नही सकते... ये ज़रूर हॅरी नही है...!" अंजलि मानव की और देख कर बोली.....
"ये तुम क्या कह रही हो... मुझे सब कुच्छ याद है... तुम और पिंकी पहली बार मेरे पास ई-पिल लेने आई थी... पिंकी ने माँगी थी और मैं नाराज़ हुआ था... उसके बाद तुम मुझे शहर में मिली... वो सब भी मुझे याद है... बाद में तुम्हारे साथ ही पिंकी पैसे लौटने आई थी.....!" हॅरी हद से ज़्यादा बोलकर सफाई देने लगा....
"तो फिर इसका मतलब यही हुआ कि दूसरा कोई आदमी है ही नही... तुम ही हॅरी हो और तुम ही बॉस हो!" मानव ने निष्कर्ष निकालने की कोशिश की.....
"नही... पहले इस'से पूच्छो की पहली बार ये पिंकी से कहाँ मिला था.... उस बात को तो कोई भूल ही नही सकता.... ये हॅरी नही है अगर इसको नही पता तो....!"
"ऐसी क्या बात है...?" मानव अंजलि के चेहरे पर गौर करता हुआ बोला और फिर अपने आप ही उसको चुप रहने का इशारा किया....,"रहने दो... यही बताएगा.. या फिर....!"
मानव बोल ही रहा था कि बाहर से एक पोलीस वाला पिंकी को साथ लिए कमरे में दाखिल हो गया... पिंकी सहमी हुई भी थी और शरमाई, सकूचाई हुई भी....
"पिंकी... एक बार इसको ध्यान से देख कर बताओ कि क्या यही लड़का हर बार तुमसे मिला है...?" मानव ने पूचछा....
पिंकी ने बिना देखे ही हामी भर दी... हॅरी को कनखियों से उसने देख तो पहले ही लिया था....
"पिंकी! क्या तुम्हे याद है तुम दोनो पहली बार कब मिले थे...?" अंजलि से बिना पूच्छे रहा ना गया....
"हां!" पिंकी ने कहकर सिर झुका लिया..,"तालाब पर!"
"एक मिनिट... अभी तुम कुच्छ मत बोलो...!" मानव ने निर्देश दिया...,"अब कुच्छ याद आया हॅरी जी!"
"ज्जई.." हॅरी हड़बड़ा गया था..,"पर... पर ढंग से याद नही है....!"
"कोई बात नही.. जितना याद है.. वही बता दो!" मानव को कुच्छ ना कुच्छ निष्कर्ष निकालने की उम्मीद बँधने लगी थी....
"बस.. थोड़ा थोड़ा ही याद है.... शायद... नही... कुच्छ याद सा नही आ रहा...!" हॅरी बोलता भी तो क्या बोलता.....
"हो ही नही सकता 'वो' बात याद ना हो..." अंजलि से रहा नही जा रहा था....,"चलो यही बता दो कि जब तुम इसके पास गये तो पिंकी क्या कर रही थी..."
"कहा ना यार कुच्छ याद नही है...!" हॅरी झल्ला उठा....
"मैं बताती हूँ... पिंकी अपनी भैंसॉं को लेने तलब के उस पार गयी थी....!" अंजलि बोल ही रही थी कि हॅरी ने उसको टोक दिया...,"हां हां.. याद आ गया... मैं उधर नहर की तरफ से घूमफिर कर आ रहा था.... तभी ये मुझे मिली थी....!"
"अच्च्छा... अब तो याद आ गया ना... चलो अब बताओ फिर क्या हुआ था... बाकी बात तो तुम भूल ही नही सकते.....!" मानव चुपचाप अंजलि और हॅरी की बातें सुन रहा था... उसको विश्वास था कि अंजलि ठीक चल रही है... इसलिए उसने उसको रोकने की कोई कोशिश नही की.....
"फिर... बस एक आध बात हुई थी और....!"
"ये... हॅरी नही है सर...!" अंजलि ने अपना फ़ैसला सुना दिया...,"उस बात को ये कैसे भूल सकता है जब पिंकी मुसीबत में थी और हॅरी ने इसको बचाया था... दरअसल...!" बोल रही अंजलि को मानव ने बीच में ही टोक दिया...,"एक मिनिट... ये हुई ना बात! अब कुच्छ याद आया हॅरी जी?"
हॅरी के पास अब भी बोलने को कुच्छ नही था... उसको पता था कि इस सवाल का जवाब उसके पास नही है... निढाल सा होकर लेट'ते हुए उसने अपना जबड़ा कस लिया और आँखें बंद कर ली...,"मेरा नाम प्रशांत है!"
पर... लेकिन ये क्या कह...!" पिंकी आसचर्यचकित होकर कुच्छ बोलने को विवश हो ही गयी थी कि मानव ने अपनी आँखों का इशारा करके उसको चुप कर दिया...,"हां.. क्या बोल रहे थे भाई साहब!"
"मेरा नाम हॅरी नही है... मैं तो...!"
"तो फिर हॅरी कहाँ है...?" अब मानव को हॅरी की तलाश थी....
"शिट!" प्रशांत ने हताशा में अपना माथा पीट लिया... उसको मालूम था कि अब उसको सब सच बोलना ही पड़ेगा...," तरुण मेरा बहुत अच्च्छा दोस्त था... एक तरह से इस धंधे में आप उसको मेरा पार्ट्नर कह सकते हैं...."
"मैने पूचछा हॅरी कहाँ है....?" मानव ने गुस्साए हुए लहजे में फिर पूचछा....
"है... जिंदा है... उसकी शकल मुझसे बहुत मिलती थी... उसकी सारी कहानी जान'ने के बाद मुझे उस'से हमदर्दी सी हो गयी थी.... इसीलिए उसको उस वक़्त जान से नही मार पाया.... 'वो' भी मेरी तरह अनाथालय में ही होता अगर उसको किसी ने गोद ना लिया होता... अपनी अपनी किस्मत है!" प्रशांत ने मुँह पिचकाया....
"तो इसका मतलब तुम दोनो भाई हो?" मानव उसके पास आकर बैठ गया.....
"पता नही... शायद भाई ही होंगे.... तभी तो....!"
"तुम पहले हॅरी बताओ कहाँ है..? बाकी बातें बाद में होती रहेंगी....!" मानव उतावला सा होकर बोला.....
"लाइए मैं फोन कर देता हूँ... वो 'लोग' उसको छ्चोड़ देंगे!"
"नही.. तुम अड्रेस बताओ!"
"अगर पोलीस वाले उसको लेने गये तो उसकी लाश ही मिलेगी... मैने उनको समझा रखा था कि उन्हे क्या करना है... फिर भी अगर आप..." प्रशांत को बोलते बोलते मानव ने बीच में ही टोक दिया,"नही... ये लो... फोन करके कह दो...!"
"थॅंक्स!", कहकर प्रशांत ने फोन मिलाया....
"हेलो!"
"हां... कौन है?"
"मैं बोल रहा हूँ...!" प्रशांत ने इतना ही कहा और उधर वाले बंदे को आवाज़ पहचान में आ गयी....,"जी बॉस... पर बॉस...?"
"हॅरी को छ्चोड़ दो.... रात वाला प्रोग्राम कॅन्सल करवा दो....!"
"पर क्यूँ बॉस? ववो.. पैसे तो हमने भिजवा दिए... आपने ही तो बोला था कि...."
"पैसे को मारो गोली यार... उसको छ्चोड़ दो और तुम सब भाग जाओ... सब ख़तम हो चुका है....!"
"पर बॉस....." सामने वाला अब भी दुविधा में था...,"आप कैसे बचेंगे फिर?"
"मैं अब बचना नही चाहता.... छ्चोड़ दो उसको..!" प्रशांत ने कहकर फोन काट दिया.....
"वेरी इंट्रेस्टिंग!" मानव ने उसके हाथ से फोन ले लिया...,"तो तुम हॅरी को मरवा कर उसको 'बॉस!' साबित करना चाहते थे.... हां... अब बताओ पूरी कहानी....!"
प्रशांत ने तकिये से सिर लगाया और कुच्छ दिन पुरानी यादों में चला गया....
तरुण और मैं एक दूसरे को बहुत दीनो से जानते थे.... मनीषा हमारी पहली शिकार थी और उसको मेरे पास तरुण ही लेकर आया था... सब कुच्छ ठीक चल भी रहा था... एक दिन मुझे तरुण ने बताया कि उसके गाँव में एकदम मेरी ही शकल का लड़का रहने के लिए आया है.... यू.पी. में दो चार केस मुझ पर चल रहे थे... पर मैं कभी पकड़ा नही गया था... उन्न मामलों को ख़तम करने के लिए मैने हॅरी को प्रशांत बनाकर मरा हुआ दिखाने का प्लान बनाया और गाँव में आने के कुच्छ दिन बाद ही उसको उठवा लिया था.... पर उसकी बातें सुनकर जाने क्यूँ उस'से हमदर्दी सी हो गयी थी.... खास तौर पर ये जान'ने के बाद कि 'वो' भी शुरुआत के कुच्छ दिन अनाथालय में ही रहा है...
मुझे भी यही लग रहा था कि वो मेरा भाई हो सकता है... पर मैने उसको छ्चोड़ा नही... ऐसी ही किसी एमर्जेन्सी के लिए जिंदा रख लिया था था.... इसके अलावा मुझे गाँव में एक सुरक्षित जगह भी मिल गयी थी.... मैं गाँव में ही रहने लगा....
"पर मैं तुम्हारा फोन कभी ट्रेस नही कर पाया... तुम गाँव में रहते थे... पर तुम्हारी लोकेशन कभी उसके आसपास भी नही लगी...!" मानव ने उसको टोक कर बीच में सवाल किया....
"हां... एक तो मैं अपने नंबर.स फ्रीक्वेंट्ली बदलता था... दूसरे मैं हमेशा अपने सेल पर फॉर्वर्डेड कॉल्स ही रिसीव करता था... शायद इसीलिए...!"
"आगे बोलो....!"
तरुण मीनू को इस बिज़्नेस में लाने की सोच रहा था... उसी दौरान उसने मुझे बताया कि पिंकी ने उसके साथ क्या किया... वो अपने तरीके से बदला लेना चाहता था पर मैने उसको संयम रखने की सलाह दी..... स्कूल की इनकी मूवी देखने के बाद मुझे भी लगने लगा था कि इनको जिस तरह चाहें हम उस तरीके से नचा सकते हैं... और फिर हमारी लिस्ट में ये दो लड़कियाँ और शामिल हो गयी... पर उसी रात तरुण का खून हो गया.... इसके लिए मैं मीनू को ही ज़िम्मेदार मान रहा था क्यूंकी उसी दिन उसने मुझे बताया था कि 'वो' मीनू' से मिलने जा रहा है....
और जब मनीषा ने मुझे बताया कि उसने सोनू को तरुण पर चाकू से हमला करते देखा है तो मैने गुस्से में उसको अपने पास बुलाकर मार डाला... उसके पास तरुण का फोन देख कर मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि उसी ने तरुण को मारा है......
बाद में पिंकी मेरे पास आई और मेरे दिमाग़ में एक दूसरा प्लान कौंध गया.... पिंकी ने मुझसे इस लहजे में बात की जैसे ववो मुझे पहले से पसंद करती है.. मैने हॅरी से इस बाबत जानकारी लेनी चाही पर उसने इस बात से ही नकार कर दिया कि ऐसा कुच्छ है.... हां इतना ज़रूर कहा था कि 'ये' उसको अच्छि लगती है और 'वो' इसको कयि बार गुलबो कहकर चिड़ा भी देता है.... मैने अपने तरीके से तरुण की ली हुई कसम का बदला लेने का फ़ैसला कर लिया...... यही मेरा बिज़्नेस भी था..... मैने पिंकी को प्यार के जाल में फँसाया... बाकी तो आप सब को पता ही है.... " प्रशांत ने बात ख़तम करके नज़रें झुका ली....
"मुझे उम्मीद नही थी तुम इतनी जल्दी हार मान कर टूट जाओगे....!" मानव उसको घूरता हुआ बोला....
"मुझे नही पता कि हार क्या होती है और जीत क्या! मैने जिंदगी को हमेशा शतरंज के खेल की तरह जिया है.... मैं सामने वाले की चाल समझे बगैर वार नही करता... पर मेरे मंन में तब से ही एक उधेड़बुन चल रही थी जब से मैने खुद को बचाने के लिए हॅरी का एनकाउंटर करवाने का प्लान बनाया था.... ये सच है कि मैं खुद को अब भी बचा लेना चाहता था... पर पता नही क्यूँ.. मैं इसकी.." हॅरी ने पिंकी की तरफ एक पल के लिए देखा..," इसकी आँखों का सामना नही कर सका..... पता नही क्यूँ... मैं इसको धोखा दे रहा था पर मुझे ये भी लग रहा था कि मैं खुद को ही छल रहा हूँ... पता नही क्यूँ...."
"फिर ये भी नही चाहता था कि मेरे कर्मों की सज़ा मेरा... वो भाई भुगते... बस पता नही क्यूँ.... खैर...!" प्रशांत ने एक लंबी साँस ली और चुप हो गया....
"तो.. तुम शुरू से ही हॅरी नही थे....!" पिंकी आँखें फाड़ कर बोली....
"तालाब वाली बात का मुझे नही पता.. पर तब से जब तुम मेरे पास 'वो' गोलियाँ माँगने आई थी.... मैं ही था.....!"
"जाओ.. तुम थोड़ी देर बाहर बैठो...!" मानव ने अंजू और पिंकी की ओर इशारा किया....
"चलो...!" पिंकी अंजू का हाथ पकड़ कर बाहर ले आई....
"हॅरी मुझसे प्यार करता होगा क्या?" पिंकी अजीब कसंकस में थी.....
"पता नही... वो आए तो उसका गला पकड़ कर पूच्छ लेना.... पर एक बात तुम बिल्कुल सही कह रही थी....!" अंजलि ने कहा....
"क्या?" पिंकी ने अंजलि की आँखों में झाँकते हुए पूचछा.....
"हॅरी ने सच में किसी को भी तालाब वाली बात नही बताई.... अगर वो इसको बता देता तो आज ये बच जाता...!" अंजलि ने कहा....
"हां.. और वो..." पिंकी बीच में ही रुक गयी..,"बता ना! वो मुझसे प्यार कर लेगा ना?"
"मुझे नही पता... मैं तो बस इतना जानती हूँ कि इस चक्कर में झमेले बहुत हैं... मैने तो आज से तौबा कर ली!" अंजलि ने कहा और अपने कान पकड़ लिए
तो दोस्तो बाली उमर की प्यास अब एक बीती बात बन गई थी इसके बाद अंजलि ने फिर कभी सेक्स की बातो पर ध्यान नही दिया और वह अपनी पढ़ाई सीरियस होकर करने लगी फिर मिलेंगे एक नई कहानी बाबुल प्यारे के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड
गतान्क से आगे................
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