RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मैने उसे समझाया ...खूब मनाया और अच्छे से चुदाई की उसकी ....वो काफ़ी खूश थी ....उसे अब काफ़ी अच्छा और हल्का महसूस हुआ...अपनी बेटी की जुदाई का गम उसकी चूत की चुदाई ने भूला दिया था..
इतने दिनों के साथ ने हमें एक दूसरे के काफ़ी करीब ला दिया......शन्नो अब हम सब से इतनी जुड़ गई थी कि ..उसे अपनी जिंदगी हमारे बिना बेमाने लगती ..मेरे बिना उसे चैन नहीं था ...हम उसकी जिंदगी बन गये थे ....
उस ने सोच लिया अपनी जिंदगी को पूरी तरह अपना लें ..अपना बना लें ... हमेशा के लिए ...
शन्नो एक दिन एक डिबिया में सिंदूर ले आई ..मेरी ओर देखा ..मेरी उंगली पकड़ी उसे सिंदूर में डुबोया और अपनी माँग में लगा दिया....
मैं तो भौंचक्का रह गया .....पर कुछ कह ना सका .....प्यार के सामने उम्र , समय और अमीरी ग़रीबी की सीमाओं का कोई मतल्ब नहीं होता ...सारी सीमायें और बंधनों को लाँघते हुए .हम एक दूसरे से हमेशा के लिए एक हो गये ...
उस रात शन्नो ने अपने ही अंदाज़ में हमारी सुहागरात मनाई..उस ने मेरे सुपाडे में सिंदूर लगाया ..फिर अपनी चूत और गांद की सुराख पर भी सिंदूर लगा दिया ..और बारी बारी से सिंदूर का टीका लिए लौडे को पहले अपने हाथों से अपनी चूत में डाला और फिर मेरी ओर अपनी गांद करते हुए अपने हाथों से मेरे लौडे को थामते हुए अपनी गुदाज , मुलयाम , मोटी मोटी , भारी भारी गांद के सुराख पर टीकाया और मुझे कहा " अब लगा धक्के जग्गू ..आज से सब कुछ तेरा है..तेरे लौडे का है ....हां रे मैं पूरी तरह से तेरी हो गयी ..चोद ले ..मार ले मेरी गांद ...ले ले मेरी चूत..भर दे अपने लौडे के रस से ...हां रे मा के लौडे ...ले ले ...."
और सारी रात मैं कभी गांद पेलता कभी चूत ..तो कभी गांद में लंड और चूत में उंगली धँसा देता..और इसी तरह हम दोनो एक दूसरे की बाहों में चिपके थक कर सो गये ...
हमारी शादी से मा और मेरी बहेनें तो बस खुशी से झूम उठी थीं ...इतना अच्छा मौका था ..हमारी ग़रीबी अब हमारे पीछे छूट गयी थी.....
हम सब मेम साहेब के बंगले में ही रहने लगे .....
आपास में कोई भेद भाव नहीं था ..एक खुला खुला सा माहौल था..
समय रहते ही हम ने अपनी दोनो बहनो की शादी भी अच्छे अच्छे घरों में कर दी ...पैसा हो तो कुछ भी मुमकीन है....
दोनो बहुत खुश हैं अपने अपने घरों में..और जब हमारे यहाँ आती हैं ..कहना ना होगा ..अपने भाई के लंड से खूब खेलती हैं दोनो .....उस समय मा और शन्नो दोनो हम भाई-बहनो को साथ छोड़ देती हैं .....खूब चूद्वाति हैं अपने प्यारे भाई से ..जी भर कर ..बारी बारी से अपनी अपनी चूतो में लंड भर लेती हैं और रात-रात भर पड़ी रहती हैं...और फिर दोनो बहेनें खुशी खुशी अपने अपने घर चली जाती हैं .....
फिर रह जाते हैं हम तीनों ... मा, शन्नो और मैं ..अपनी दुनिया में खोए ....सारी दुनिया से बेख़बर ..जहाँ सिर्फ़ हम तीन होते हैं और साथ में होती हैं शन्नो और मा की चूत.....और मेरा हलब्बी लंड......
दा एंड .
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