RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
हम दोनो बिल्कुल नंगे थे ...बिल्कुल उस तरह जैसा उनकी चूत से पहली बार इस दुनिया में आया था ...उफ़फ्फ़ मा के सामने नंगा होना भी कितना सुखदायी होता है...कोई शर्म लीहाज़ नहीं ....सब कुछ कितना अपनापन लिए होता है...पर मा को नंगी देखना ...ये शायद दुनिया का सब से अद्भूत नज़ारा था ....जहाँ से मैं निकला था ...उसे देखना ....एक कंपकपी सी आ रही थी मेरे पूरे बदन में .. ...उसके सामने खड़ा हो कर देखे जा रहा था .अपनी मा को ...उसके नायाब बदन को ...भारी भारी चुचियाँ ...गोल गोल घुंडिियाँ ...घुंडीयों के चारो ओर काले काले सिक्के जैसी गोलाई ....और उसके बीच घुंडी ...भरा भरा पर सपाट पेट और पेट के नीचे उसकी भारी चूतड़ ..बैठने से उसके चूतड़ खाट पर फैले थे... जंघें भी फैली थी ..उस ने अपनी टाँगें भी थोड़ी फैला दी थीं...उफ्फ चूत की फाँकें गुलाबी फाँक ....मैं उन्हें एक टक देखे जा रहा था ..
" बेटा ...कब तक देखता रहेगा ...मैं क्या तुझे इतनी अच्छी लगती रे..??" मा ने कहा ..
अब मैं मा की ओर अपना चेहरा किए उसकी गोद पर आ गया .मेरी टाँगें उसकी कमर को लपेटे खाट पर थी ..अपने लौडे को उसके पेट पर दबाता हुआ उस से लिपट गया ...और उसकी कान में कहा ....
" हां मा ..तू तो दुनिया की सब से खूबसूरत औरत है...तेरा सब कुछ कितना सुन्दर है मा .."
उसकी चुचियाँ हल्के से पकड़ लिया ..दबाया ...और मसल्ने लगा ... अपने होंठ उसके होंठों से लगा चूसने लगा ...
मा तड़प उठी ..मा की चूचियों में कितना प्यार भरा था ..उफफफ्फ़ ..जितनी बार दबाता ..मुझे ऐसा महसूस होता जैसे उसका प्यार छलक के उसकी घूंदियो से बाहर आ जाएगा ...
मा ने अपने हाथ मेरी पीठ पर रखते हुए मुझे अपनी ओर खिचा और वो भी मेरे होंठ चूसने लगी ..अपने बेटे के होंठ ...मा बेटा दोनो एक दूसरे का प्यार अपने में समेट लेने को बेताब थे ..तड़प रहे थे ...
हम सिसकारियाँ ले रहे थे , अया ..उउउः किए जा रहे थे..हम और , और और भी एक दूसरे से चिपके जा रहे थे
मेरा लौडा और भी कड़क होता जा रहा था ..मा के पेट में मानो घूसने को तैय्यार ...
मा ने अपना एक हाथ नीचे करते हुए मेरे लौडे को बड़े प्यार से थामा ..और सहलाने लगी ...जैसे उस ने हाथ लगाया , मेरा लौडा और भी तंन हो गया ..और उसकी चूत से पानी टपकने लगा ..
" आअह..... बेटा सिंधु ठीक ही कहती है..तेरा लौडा कमाल का है..हाथ में लो तो ऐसा लगता है जैसे ये मेरी चूत के अंदर है ...उफफफफफ्फ़ ...बेटा ..अब आ जा ना मेरे अंदर ...देख ना मेरी चूत कितना रो रही है तेरे लौडे से अलग होने पर...डाल दे ना अंदर ..मेरे बच्चे ...डाल दे ना ...." मा मस्ती में बोली जा रही थी
मैं उसकी चुचियाँ चूस रहा था ...मा की चूची ..सब से नशीली चूची ..मैं नशे में था ..
मैने उसे अब लिटा दिया
उसके पैरों के बीच बैठ गया ..मा की आँखें बंद थीं ... अपने बेटे को उसने अपने आप को सौंप दिया था ...
मा की टाँगें फैली थीं...उसकी चूत इतनी गीली थी ..उसकी चूत के होंठ , चमक रहे थे गीलेपन से
मैं झुकता हुआ उसकी फाँक अपनी उंगलियों से अलग किया ..अया कितनी गुलाबी थी अंदर ..कितना मांसल था और कितना मुलायम ...फूली फूली चूत ...
मैने अपने होंठ वहाँ रखे और उसकी चूत को होंठों से जाकड़ लिया और जोरों से चूस्ता रहा ..उसका पूरा रस मेरे अंदर एक ही बार पतली धार बनाता हुआ चला गया ..मा की चूतड़ उपर उछल पड़ी
" आआआः ....हाआाआआं रे ...अया ले ले बेटा ..अपनी मा की चूत खा जा ..पूरा रस पी जा ...अच्छा लगा ना ..? सब कुछ तो तेरा ही है बेटा ..इसी रस से तो तू बना था .. इसे तू पी जा ..पूरा पी जा ..हा रे ..हाआंन्नननननननननननणणन् ....ऊवू ..कितना अच्छा लग रहा है...." मा बद्बडाये जा रही थी ..
मैने उसके चूतड़ के नीचे हाथ रखे उपर उठाए उसकी चूत और भी अपने मुँह से चिपका लिया ..चूसे जा रहा था ...उफफफफफ्फ़ ..कितना सुख था उसकी चूत में ..मेरी सारी दुनिया थी वहाँ ... मेरा पूरा प्यार , पूरा सुख और सारी खुशियाँ मा की चूत में थी ..मैं सब कुछ अपने अंदर ले लेना चाहता था ..सब कुछ ...
मा तड़प रही थी ... बड़बड़ा रही थी ...अपनी चूतड़ उछाले जा रही थी ...
आख़िर मुझ से रहा नहीं गया ...मैं अब उसकी चूत के अंदर जा कर उसका सब कुछ महसूस करना चाहा ..उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी ....आआआआः मानो किसी गर्म , नर्म और मुलायम सी मक्खन के कटोरे में उंगली घूसी हो ...
मैं अपनी उंगलियों को अंदर ही अंदर घूमाता रहा ..और उसे महसूस करता रहा ...
मा की तड़प बढ़ती जा रही थी ..मछली की तरह ...
" बेटा ....अब डाल दे ना ...मैं मर जाऊंगी रे ...आआआः ....."
मुझे भी अब उसके अंदर अपने लौडे से महसूस करने की ललक हो रही थी ..
मैने अपनी अब तक उसके रस से सनी और चेपचीपी उंगलियों और हथेली को मा को देखाता हुआ चाट लिया ..फिर उसी हाथ से अपने लौडे को थामता हुआ उसकी फडक्ति चूत के मुँह पे रखा ..
मा ने फ़ौरन अपनी चूतड़ उपर की और मैने भी अपने लौडे को अंदर दबाया ...एक ही बार में फिसलता हुआ लौडा मा की नर्म , गर्म और मक्खन जैसी चूत के अंदर था ...
दोनो को राहत मीली..
" हां बेटा ..अब जितनी देर मेरे अंदर रहना है रह ..बस डाले रह मेरी चूत में ....रखे रह अपना लौडा मेरी चूत में ..जिंदगी भर ...आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..सारी जिंदगी बेटे के लौडे को लिए रहूंगी ..हां बेटा .."
और मैं भी अपना लौडा अंदर किए किए ही उस से चिपक गया ..बूरी तरह ...उसने भी मुझे अपने से चिपका लिया ...अपनी टाँगें मेरे चूतड़ पर रख दबाती रही ..ज़ोर और ज़ोर लगाती हुई..
मैं कभी उसकी चुचियाँ चूस्ता ...कभी उसके होंठ चूस्ता ...और अपना लौडा और भी अंदर तक दबाने की कोशिश करता ..मेरी जंघें , बॉल्स और लौडे की जड़ मा की चूत से चिपकी थी ..हम दोनो एक दूसरे से और , और और भी चिपकते जाते ..इतना की शायद एक दूसरे के अंदर समा जाने की कोशिश में तड़प रहे थे .
ये ऐसा सुख था ..जो शायद मा की चूत में ही मिल सकता था ..और कहीं नहीं ...
फिर मैने अपने लौडे को बाहर किया और झट से फिर से अंदर .... लंड के बाहर निकलते ही मा ने अपनी चूतड़ उपर उठा ली ..मानो उसे फिर से अंदर लेने की तड़प रही हो..मैने भी झट अंदर डाल दिया अपना गीला लौडा ...
उफ़फ्फ़ ये अंदर बाहर का खेल ..कितना नायाब था ... लौडा बाहर निकलते ही अंदर जाने को पागल हो उठता ..और मा की चूत भी उसे निगलने को छटपटा उठ ती ...
हम दोनो पागल हो रहे थे...
अंदर डालते ही मेरा पूरा बदन सिहर उठता , मा भी कांप उठ टी ...सिसकारियाँ लेती जाती ...
" ओऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..जग्गू ...उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ..कितना सुख है रे तेरे लौडे में ..हां रे कितना आराम है ...ऐसा लग रहा है ..अंदर कितना खाली खाली था ...अब तू ने भर दिया ...सब कुछ दे दिया ..मैं निहाल हो गयी रे ..हां ..रे ..आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...."
मा की सिसकारियाँ सुन सुन मैं और भी तड़प उठ ता ..और भी जोश में आता जा रहा था ...धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था ...
फतच फतच और ठप ठप की आवाज़ों से हमारा नया कमरा गूँज रहा था ..कितना मज़ा आ रहा था ..कोई डर नहीं , किसी के सुन ने की परवाह नहीं ...वहाँ बस सिर्फ़ मैं था और मेरी मा ...
उसकी चूत कितनी गीली और गर्म थी ...
उसकी टाँगों की जाकड़ मेरे चूतड़ पर बढ़ती जा रही थी ..बढ़ती जा रही थी ...मेरा लौडा अंदर फीसलता हुआ जा रहा था ...इतनी गीली थी उसकी चूत ..
"हा ..बेटा ...हां रे ...अयाया ...ऊवू ..मैं मर जाऊंगी रे ..सहा नहीं जा रहा बेटा ....उफफफफ्फ़ ..क्या हो रहा है..ऐसा कभी नहीं हुआ रे ...अयाया ...क्या हो रहा है.." .और मा की चूत की पकड़ मेरे लौडे पर बहुत टाइट हो गयी ...फिर एक दम से ढीली ..फिर टाइट , फिर उसके चूतड़ ने उछाल मारी ..एक बार , दो बार और मेरा पूरा लौडा उसके गाढ़े रस से सराबोर होता गया ..और फिर मा के हाथ पैर ढीले पड़ गये ..
क्रमशः…………………………………………..
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