RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
अचानक मुझे ऐसा महसूस हुआ उसकी चूत की पकड़ मेरे लंड पर टाइट हो गयी ..मानो उसे और भी जाकड़ लेगी ..फिर ढीली हुई ..फिर टाइट और फीर बिंदु का पूरा बदन ऐंठ गया ..उसकी चूतड़ ने मेरे लंड पर एक दो बार उछाल मारी और तेज धार मेरे लंड पर महसूस हुआ ..बिंदु ढीली पड़ गयी मेरे नीचे ...उसके हाथ पैर ढीले पड़ गये ..वो निढाल हो कर मेरे नीचे पड़ी थी..
मैं भी दो चार धक्के और लगा उसकी चूत में फव्वारे छोड़ दिया..मेरा लंड झटके ख़ाता हुआ झड़ता रहा ...बिंदु मेरे गर्म वीर्य की महसूस से कांप उठी ..सिहर उठी .. मैं पूरा झाड़ता हुआ , हांफता हुआ उसके सीने पर ढेर हो गया ..
दोनो हाँफ रहे थे ..
जब मेरी सांस ठीक हुई ..मैने अपना सर उसके मुलायम सीने से उपर उठाया ..उसे देखा ..बिंदु की आँखें अभी भी बंद थीं ..चेहरे पे एक सुकून था , मानो उस ने सारा जहाँ फ़तेह कर लिया हो .. ...होंठों पे हल्की सी मुस्कान थी ...
मैने उसके होंठों को चूम लिया ..
बिंदु ने आँखें खोल दीं ..मेरी ओर देखा ..मेरे बाल सहलाने लगी
" बिंदु ....दर्द ज़्यादा हुआ क्या..?"
उस ने कहा " भाई ..अगर येई दर्द है तो ऐसे हज़ारों बार का दर्द अपने भाई पर कुर्बान है ...तू रोज मुझे ऐसा दर्द दे भाई ..... "
और वो मुझ से चिपक गयी और खुशी के मारे फफक फफक के रो पड़ी .... ये रोना तभी आता है जब खुशियाँ सारी सीमायें तोड़ डालती हैं, जब किसी को ये समझ में ना आए के क्या कहे , कैसे कहे ....फिर आँसू ही आखरी सहारा होता है अपने आप को ज़ाहिर करने का ....
"भाई तुम कितने अच्छे हो ..कितने प्यारे हो ....उफफफफ्फ़ कितना प्यार है तुझे हम सब से ...."
" हां बिंदु .." और मैं फिर से उसके सीने पर सर रख दिया , दोनो एक दूसरे की बाहों में पड़े पड़े सो गये...
थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली ..मैने आँखें खोलीं..देखा बिंदु दुनिया से बेख़बर मेरे सीने से लगे अभी भी सो रही थी..कितनी मासूम लग रही थी ... उसका एक हाथ मेरे सीने पर रखा था ...
दीवार पर टाँगे एक पुरानी सी घड़ी पर नज़र गयी ...10 बज गये थे..मेरे काम पर जाने का टाइम हो चूका था .... बिंदु की तरफ नज़र गयी ..अफ कितनी हसीन लग रही थी ...उसका नंगा बदन मेरे से चिपका...चेहरे पर सुकून ..मानो मेरे सीने से लगी अपने आप को कितना महफूज़ समझ रही हो ...
मैं उठना चाहा ..पर जाने क्यूँ उसके हाथ मेरे सीने पर कस गये ...मानो मुझे रोक रही हो...मुझे समझ नही आया ये अंजाने में हुआ या उस ने जान बूझ कर किया....
मैं रुक गया...अपनी शर्मीली बहेन पर मेरा मन फिर से डोल गया ...मैने सोचा चलो आज का काम अपनी बहेन पर कुर्बान कर दो..उस ने भी तो आज सब कुछ मेरे पर कुर्बान कर दिया है...ऐसा मौका बार बार नहीं आता ....
मैं फिर से लेट गया ..और उस के चेहरे की तरफ घूमता हुआ आमने सामने लेट गया ..उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके होंठ चूमने लगा ...मेरे चूमने से उसकी नींद खुल गयी ...
" भाई ....अभी भी मन नहीं भरा ..? और कितना चूसोगे ..उफ्फ देखो ना मेरे होंठ कितने सूज गये हैं .." उस ने खुमारी से भारी आवाज़ में कहा ..
" बिंदु ..इस से कभी मन भरता है क्या..? मन करता है बस तुम्हें ऐसे ही चूस्ता रहूं .." और मैने ऐसा कहते हुए उसे अपने से और भी चिपका लिया.." तू ने ही तो कहा था ना मैं जो जी में आए करूँ ....तो रानी मैं वोई तो कर रहा हूँ.." मैने हंसते हुए कहा ..
बिंदु ने फिर से आँखें झुका लीं
" बड़े बेशरम हो ...तुम ..." धीमे से उस ने कहा ...और मेरे सीने पर प्यार से मुक्के लगाने लगी
मैने उसके हाथ पकड़ लिए और उसकी हथेली मुँह में डाल उसकी लंबी लंबी और मुलायम उंगलियाँ चूसने लगा ...
" भाई...तेरे को लगता है सब कुछ छोड़ मेरी उंगलियाँ ही इतनी अच्छी लगीं ...जब देखो चूसना शुरू करते हो .."
" हां रे बड़ी मस्त हैं ..." मैने कहा और चूसना शुरू कर दिया ...बिंदु भी अब मस्ती में आ रही थी ...उसकी आँखें बंद हो रही थीं
मैने एक टाँग उसकी जाँघ के उपर रख उसे अपने से और भी चिपका लिया ..अब उसकी चुचियाँ मेरे सीने से बिल्कुल चिपक गयी थीं ...मानो गुब्बारा चिपका हो..
मेरा लौडा भी उसकी जांघों के बीच उसकी चूत से रगड़ खा रहा था
बिंदु को भी अच्छा लगा ...उसकी चूतड़ भी अपने आप आगे की ओर हो गये ... मैने अपना हाथ नीचे किया उसकी चूत पर लगाया ...
काफ़ी चीपचीपा था ..मेरे वीर्य , उसके खून और रस से भरा भरा ...
बिंदु ने मेरे हाथ रोक लिए और कहा " भाई ज़रा रुक ना ..मैं अभी आई ...और उठ कर कोने की ओर गयी , मैने अपना सर घुमाया उसकी तरफ ...देखा तो पहले तो च्छुरर चुर्र मूतने की आवाज़ आई...बिंदु कोने में जहाँ पानी की बाल्टी रखी थी ..वहाँ एक नाली बनी थी ..वहीं बैठ कर मूत रही थी...अया उसकी चूत से मूत की धार की आवाज़ ने मुझे सन सना दिया .... फिर मैं देखा उस ने अपनी टाँगें फैलाई और एक गीले कपड़े से जांघों के बीच अच्छी तरह सॉफ किया , और दूसरा सूखा कपड़ा हाथ मे लेते हुए मेरी तरफ आई....
उफफफफ्फ़ ..पूरी की पूरी नंगी , मेरे सामने बिंदु खड़ी थी ...चलती हुई मेरी तरफ बढ़ रही थी ..मानो कोई मॉडेल फॅशन परदे में चल रही हो..इतना शेप्ली था बिंदु का बदन ..चुचियाँ उछलती हुई , पेट और भारी भारी जंघें हिलती हुई....चूत बिल्कुल सॉफ सुथरा , चमचमाती हुई .. चेहरे पर हल्की हल्की शर्मीली मुस्कान ...नज़रें आधी झुकी आधी खुली ...मैं तो बस पागल हो उठा और इसके पहले कि वो खाट पर बैठ टी , मैने उसे जाकड़ लिया ..अपने सीने से चिपका लिया ...और उसे बेतहाशा चूमने लगा ..कभी होंठों को, कभी चूचियों को..कभी पेट ..उफ़फ्फ़ मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ ..कहाँ कहाँ चूमूं...
" उफफफफफ्फ़.भाई क्या कर रहे हो...छोड़ो ना ...".और वो कसमसा रही थी मेरी बाहों में ...
मेरा लौडा फिर से खड़ा उसकी जांघों के बीच दबा था ...
"ठहरो ना भाई..इतने उतावले मत हो ना....देख ना तेरा हथियार भी गंदा है...मैं सॉफ कर देती हूँ..चल बैठ जा ...फिर जो चाहे करना ..छोड़ ना .."
और उस ने बड़ी मुश्किल से अपने को छुड़ाया ..मुझे धीरे से धकेलते हुए खाट पर बैठा दिया ..खुद नीचे फर्श पर बैठ गयी मेरे पैरों के बीच और मेरे तननाए लौडे को अपने हाथों में लिया और सूखे कपड़े से अच्छी तरह अपनी हथेली उपर नीचे करते हुए बड़े प्यार से पोंछने लगी...मेरे लौडे पर लगे खून , वीर्य और उसकी चूत के रस को पोंछती रही ...
मेरा लौडा हिल रहा था उसके हाथ के छूने से ...मैं बिल्कुल पागल हो गया ...
मैने उसे अपनी बाहों से जकड़ता हुआ उठाया और खाट पे लिटा दिया ..और उसके टाँग फैला दी ..आज पहली बार मैं इतना बेचैन हुआ था किसी की चूत में लंड पेलने को..
क्रमशः…………………………………………..
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