Desi Sex Kahani कमीना पार्ट - II
10-15-2018, 10:51 PM,
#8
RE: Desi Sex Kahani कमीना पार्ट - II
कभी उसकी जंघे कभी उसकी चूत और फिर धीरे से और उपर हाथ ले गया उसका पेटिकोट नाभि के काफ़ी उपर बँधा था और उसके उठे हुए गुदाज पेट और पेडू पर हाथ फेरने मे जो मज़ा आ रहा था वह बता नही सकता बहुत ही गुदाज और उठा हुआ पेट था उसका,

कविता- फिर क्या हुआ,

सोनू- फिर क्या था बीच मे एक बार 2 बजे मूतने गया और सारी रात मौसी की नंगी जवानी को सहलाता और दबाता रहा,

कविता- उनकी पैंटी मे हाथ डाल कर चूत नही सहलाई,

सोनू- अरे पागल वह सो रही थी बेहोश नही थी अगर पैंटी के अंदर हाथ डालता तो कितनी पक्की नींद होती वह जाग जाती,

कविता- बड़े कमिने है आप अपनी मौसी को भी नही छोड़ा,

सोनू- क्या करू रानी जब वह अपनी भारी जंघे खोल कर मेरे इतने करीब पड़ी थी तो मैं कैसे कंट्रोल कर सकता था,

कविता- खेर वो तो है और वैसे भी जब आप ने अपनी मम्मी को ही नही छोड़ा तो फिर क्या मौसी और क्या कोई और, देखो मम्मी का नाम लेते ही आपके लंड मे कैसे झटने आने लगते है,

सोनू- कविता की चूत को दबोचता हुआ हाँ मेरी रानी, सच तो यह है कि मम्मी के नाम से ही मेरा लंड तुरंत खड़ा हो जाता है, सच मे आपकी मम्मी भी बड़ी चुड़क्कड़ है, खूब तबीयत से पापा से अपनी चूत मरवाती है ना,

सोनू- हाँ यह तो है,

कविता- एक बात कहु, आपकी मौसी भी मुझे कम छिनाल नही लगती है, मुझे तो लगता है उस रात ट्रेन मे वह जाग रही होगी और जानबूझ कर आप से अपनी चूत दबबा रही होगी,

सोनू- पता नही लेकिन मुझे तो यही लग रहा था कि वह सो रही है,

कविता- नही मैं सच कह रही हू, वरना भला ऐसा भी कभी होता है क्या कि कोई किसी औरत की चूत मे हाथ फेरे और उसकी फूली हुई चूत को दबाए और औरत को पता ना चले,

सोनू- हो सकता है,

कविता- मैं पक्का कह सकती हू वह जनभुज कर आप से अपनी चूत दबवा रही थी, अगर आप उसकी पैंटी मे हाथ डाल कर भी उसकी चूत की फांको को दबाते या उसकी चूत के छेद मे उंगली डाल देते तब भी वह उठती नही,

सोनू- अगर ऐसा होता तो उसका मस्त भोसड़ा वही मार देता,

कविता- मूह बनाते हुए, तुम्हारे मन मे बस अपनी मा और मौसी ही बसी रहती है मेरा तो जिस्म जैसे आपको अच्छा ही नही लगता है,

सोनू- कविता का मूह पकड़ कर उसके रसीले होंठो को चूमता हुआ, मेरी रानी तेरी चूत और गान्ड तो दुनिया की सबसे खूबसूरत चूत और गाण्ड है उपर से यह मोटे मोटे दूध, तू नही जानती तू कितना मस्त माल है, तुझे देखते ही लोगो का लंड खड़ा हो जाए, तू तो मेरी गुड़िया रानी है, मेरा बच्चा है,

कविता- मुस्कुराकर लंड को दबाते हुए, बच्चा नही हू मैं आपका,

सोनू- तो फिर क्या है,

कविता- मम्मी हू आपकी, बोलो अपनी मम्मी की चूत पियोगे, देखो कितना पानी छोड़ रही है आपकी मम्मी की चूत,

कविता अपने मस्त भोस्डे को अपनी दोनो टाँगे उठा कर मुझे दिखाने लगी, वाकई मेरी बीबी का मस्त भोसड़ा बिल्कुल मेरी मम्मी के फूले हुए भोस्डे जैसा ही लग रहा था,

कविता- मुस्कुराकर अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए, ले बेटा चाट ले अपनी मा की मस्त बुर को, पी जा इसका सारा रस,

कविता की हर्कतो ने मुझे पागल कर दिया था और मैने उसकी मोटी गान्ड के नीचे एक तकिया लगा कर उसकी चूत को और उभार कर फैला लिया और फिर यह सोच सोच कर उसकी चूत चाटने और चूसने लगा जैसे मैं अपनी मम्मी रति की चूत फैला फैला कर चाट रहा हू,

कविता- अया आ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह सोनू बेटा चाट और ज़ोर से चाट, लाल कर दे अपनी मम्मी की चूत चाट चाट कर आहह आ ऑश्फ्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सोनू खा जा अपनी मम्मी की प्यासी बुर को,

मैं कविता की बाते सुन सुन कर और भी जोश के साथ उसकी फूली हुई बुर को अपनी मोम की चूत समझ कर खूब ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था और कविता मुझे मम्मी का नाम ले ले कर और भी उत्तेजित करती हुई मेरे मूह पर अपनी चूत मार रही थी, तभी कविता ने उठ कर मेरे लंड को पकड़ लिया और मेरा मूह चूमते हुए कहने लगी बेटे अब अपनी मम्मी की चूत अपने इस मोटे मूसल से चोद चोद कर फाड़ दे,

सोनू- कविता का मूह पकड़ कर, पहले अपनी जीभ दिखा, मेरे कहते ही कविता ने अपनी जीभ बाहर निकाली और मैने उसकी रसीली जीभ को अपने मूह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया, कविता के होंठो और जीभ को पीते हुए मैं खूब कस कस कर उसके दूध दबा रहा था और कविता मेरे मूह मे अपनी जीभ डाल डाल कर मेरे लौडे को दबोच रही थी, कुच्छ देर तक उसकी जीभ का रस पीने के बाद मैने उसे उसी तकिये पर गान्ड रख कर लेटा दिया और फिर उसके फूले भोस्डे मे अपना लंड रख कर एक ज़ोर के धक्के के साथ पूरा लंड जड़ तक घुसा दिया,

कविता की चूत पानी पानी हो रही थी और मेरा लंड आसानी के साथ उसमे फिसल रहा था, कविता ज़ोर ज़ोर से आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करती हुई मुझे मम्मी का नाम ले कर उकसा रही थी और मैं खूब कस कस कर उसकी चूत मार रहा था,

कविता- ओह ओह आह आहह सी सी सीई ओह सोनू फाड़ दे अपनी मा का भोसड़ा खूब कस कस कर चॉड बेटे अपनी मम्मी को खूब कस कस कर मार अपनी मम्मी का मस्त भोसड़ा, मैं भी दनादन कविता की ठुकाई कर रहा था और कविता अपनी गान्ड उठा उठा कर मेरे लंड पर मारते हुए बार बार बस यही कह रही थी कि सोनू बेटे ठोक खूब ठोक आज फाड़ दे अपनी मम्मी की चूत और फिर वह छन भी आ गया जब दोनो एक दूसरे को मस्त तरीके से कस कस कर ठोकते हुए एक दूसरे की चूत और लंड को जड़ तक घुसा कर कस कर चिपक गये और दोनो की नसो ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया, कविता दूसरी चुदाई के बाद जल्दी ही गहरी नींद मे चली गई और मैं फिर से फ्लश बॅक मे चला गया,
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