RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी ने मेरी ओर देखा और आँखों आँखों में कुछ पूछा मैंने बड़ी बेचैनी से सिर दुलाकर हामी भरी, मैं जानता था कि अब क्या होने वाला है और उसकी कल्पना करके ही मैं वासना से सिहर उठा मेरी हाँ देखकर मौसी ने आँखों आँखों में मुझे शाबासी दी और डॉली से बोली "अरे रुक, बाथरूम क्यों जाती है, यहीं कर ले" डॉली चकरा गयी गुस्से से बोली "क्या दीदी, गंदी बात करती हो, तुम्हारा बिस्तर मैं क्यों खराब करूँ?"
मौसी उसकी चूची दबाती हुई बोली "बिस्तर पर मूतने को कौन कहा रहा है रानी, अरे अपना प्यारा पोर्टेबल टॉयलेट यहीं है, मुझे भी लगी है, देख पहले मैं करती हूँ, फिर तू कर लेना ऐसे ही" मेरे मुँह पर बैठते हुए फिर मौसी बोली "बेटे, मुँह खोल, सू सू लगी है"
मुझे जम के प्यास लगी थी और मैं खुश हो रहा था कि दो मस्त चुनमूनियाओ का मूत आज पीने मिलेगा मैंने मुँह खोल दिया और मौसी निशाना लगाकर मेरे मुँह में मूतने लगी मैं गटागट उस खारे शरबत को पीने लगा और मौसी डॉली के आश्चर्यचकित चेहरे की ओर देखकर हँसने लगी
डॉली को पहले विश्वास ही नहीं हो रहा था पर जब उसने देखा कि कितनी लालसा से मैं मौसी का मूत पी रहा हूँ तो वह भी उत्तेजित हो गयी जब मौसी आख़िर रुकी तो डॉली अपने ही क्लिट को रगड रगड कर अपनी चुनमूनियाँ में उंगली करते हुए सिसक रही थी
मौसी उठी, डॉली को बाँहों में कस कर उसे चुम्मा और उसका हौसला बढाती हुई बोली "अब तू भी आराम से इस नन्हे प्यारे टॉयलेट को इस्तेमाल कर और पिला दे अपना मूत इसे डर मत, इसपर कोई ज़बरदस्ती नहीं है, इसे सच में औरतों का और ख़ास कर सुंदर औरतों का मूत बहुत अच्छा लगता है"
डॉली लडखडाती हुए किसी तरह मेरे मुँह पर बैठी और फिर झुक कर मेरी आँखों में देखने लगी जब उसे वहाँ सिर्फ़ प्यार और वासना की चमक दिखी तो उसे विश्वास हो गया कि सच में मैं उसका मूत पीने को तैयार हूँ उसकी रही सही हिचक जाती रही और एक गहरी साँस लेकर उसने मेरे खुले मुँह में मूतना शुरू कर दिया
क्या मस्त खारा गरमा गरम मूत था! मैं मन लगा कर पी रहा था डॉली भी अब वासना से थरथराते हुए बिना रुके पूरे ज़ोर से मूत रही थी लगता था कि काफ़ी देर से मूती नहीं थी मुझे बड़ी जल्दी जल्दी उस अमृत को निगलना पड़ा मौसी भी थोड़ी घबराई कि इस जोरदार धार को मैं सह पाऊन्गा कि नहीं पर मैंने एक बूँद भी गिराए बिना पूरा मूत निगल लिया
आख़िर प्रेशर कम होने पर डॉली ने मूतने की गति धीमी कर दी मेरी आँखों में देखते हुए वह रुक रुक कर मूतने लगी कि मुझे उसका स्वाद लेने का मौका मिले वह तडप कर मौसी से बोली "दीदी, यह तो सच में मेरा मूत पी गया, और बड़े प्यार से पी रहा है जैसे शरबत हो"
मौसी ने उसकी चुचियाँ मसलते हुए और उसे चूमते हुए समझाया "मैंने कहा था ना रानी, मेरा गुलाम है और अब तेरा भी, इसके लिए तो यह चुनमूनियाँ का शरबत सचमुच के शरबत से बढकर है जब से इसने यह पीना सीखा है, मैंने बाथरूम जाना ही छोड़ दिया है"
क्रमशः……………………
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