RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---18
गतान्क से आगे………………………….
ललिता अधीरता से मेरे लंड के उपर पैर फैला कर खडी हो गयी, मौसी ने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और दूसरे हाथ से ललिता की चुनमूनियाँ खोलकर उसमें मेरा सुपाडा फंसा दिया फिर ललिता को नीचे बैठने को कहा ललिता की चुनमूनियाँ बड़ी टाइट थी और जैसे मेरा लंड उसमे धीरे धीरे घुसा, मैं सुख से सिसक उठा मुझे लगा नहीं था कि इस उम्र में भी उस नौकरानी की चुनमूनियाँ ऐसी सकरी होगी
ललिता को भी बड़ा मज़ा आया और सिसकारियाँ भरते हुए वह धीरे धीरे मेरे लौडे को अंदर लेती हुई मेरे पेट पर बैठने लगी "हाय दीदी क्या मस्त लौडा है, बच्चा है पर फिर भी क्या कस कर खड़ा है, बहुत दिन हुए लंड को अपनी चूत में ले के बड़ा मज़ा आ रहा है दीदी"
मौसी ने पूछा "मुझे मालूम है कि तूने अपने मर्द को छोड़ दिया है तो साली तू रात में आजकल क्या करती है, और किसी से चुदवाती नहीं क्या? तेरे जैसी चुदैल को तो बहुत लौडे मिल जाएँगे गाँव में"
शन्नो शैतानी से बोली "वह मेरे और मेरी बेटी के बीच की बात है, नहीं बताउन्गि, शरम आती है पर कभी कभी एक छोटा गाजर या ककडी घुसेड लेती हूँ, मेरी बेटी को बाद में खाने में मज़ा आता है " सुनकर मैं चकरा गया माँ बेटी के इन कारनामों को सुनकर मैं और उत्तेजित हो गया लगा ललिता आगे भी बताएगी पर उस बदमाश ने चुप्पी साध ली और हँसती रही
आधा लंड अब तक ललिता की चुनमूनियाँ में घुस चुका था मौसी ने जल्द उसे घुसेडने के लिए ललिता के कंधों पर हाथ रखकर उसे ज़ोर से नीचे दबा दिया फच्च से पूरा लंड अंदर चला गया और उसकी झांतें मेरे पेट पर आ टिकीं
मेरा लंड अंदर लेकर ललिता का मुँह असहनीय आनंद से खुला था और वह ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी एक मिनिट वह अपनी चुनमूनियाँ में फँसे लंड का मज़ा लेती हुई बैठी रही और फिर धीरे धीरे मुझे चोदने लगी उसकी गरमा गरम गीली चुनमूनियाँ इतनी कस के मेरे लंड को पकड़े थी कि मैं चहक उठा "मौसी, ललिता की चूत क्या टाइट फिट होती है मेरे लंड पर, जैसे कोई छोटी बच्ची की हो"
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