RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
उधर पिक्चर में उस किशोरी की अम्मा आखरी सीन में अपनी बेटी से चुनमूनियाँ चुसवा रही थी और उसके डैडी कुतिया स्टाइल मे उसकी गान्ड मार रहे थे पिक्चर खतम होने तक मौसाजी ने धीरज रखा फिर खिसका कर मुझे लिए वे फर्श पर आ गये जहाँ पहले ही शन्नो मौसी ने इस काम के लिए एक गद्दी बिछा रखी थी मुझे गद्दी पर लिटाकर वे मुझपर चढ गये और बेतहाशा मेरी गान्ड चोदने लगे
उनका लौडा अब बड़ी आसानी से मेरी मख्खन से चिकनी और फुकला हुई गान्ड में अंदर बाहर हो रहा था उस मोटे लंड और सूजे सुपाडे के घर्षण से मुझे असहनीय सुख मिल रहा था मेरे ख्याल से यही क्षण था जब मैं पूरा गान्डू बन गया इसके बाद मुझे कभी किसीसे गान्ड मराने में बहुत ज़्यादा दर्द नहीं हुआ
मौसी हमारे सामने लेट गई और अपने पति के सिर को अपनी जांघों में लेकर उनसे चुनमूनियाँ चुसवाने लगी पर उसे भी चुदवाने का मन हो रहा था इसलिए मौसाजी ने मेरी गान्ड मारना थोड़ी देर के लिए रोका और अपना लंड वैसे ही मेरी गान्ड में रहने देकर मुझे उठा लिया मौसी हमारे नीचे लेट गई और उन्होंने मुझे मौसी के उपर लिटा दिया मैंने अपना लंड मौसी की चुनमूनियाँ में घुसेडा और मौसी ने मुझे बाँहों मे भर लिया मौसाजी अब मेरे उपर लेट गये और फिर मेरी गान्ड मारने लगे
मेरा अब मस्त सैम्डविच बना गया था मियाँ बीवी के बीच दबा हुआ मैं मौसी को चोद रहा था और मौसाजी मुझे चोद रहे थे उनके धक्के इतने जबरदस्त थे कि मुझे धक्के देने की ज़रूरत ही नहीं थी जैसे उनका लंड मेरे चुतडो को फैलाता हुआ अंदर बाहर होता, अपने आप मेरी शिश्न मौसी की चुनमूनियाँ में अंदर बाहर चलता हम दोनों ने मौसी की एक एक चूची मुँह में ले ली और चूसते हुए चोदते रहे हमारा जो सामूहिक स्खलन हुआ उसे सिवाय स्वर्गिक आनंद के और कोई उपाधि नहीं दी जा सकती
कुछ समय बाद मेरे गुदा में से अपना झडा लंड खींच कर अंकल उठ बैठे मौसी के रस और मेरे वीर्य से लिपटे मेरे शिश्न को उन्होंने चूस डाला फिर झुक कर मौसी की चुनमूनियाँ के रस पर ताव मारने लगे उन्हें असल में उसमें से रसते वीर्य और चुनमूनियाँ रस का पान करना था जो उन्होंने मन भर कर किया अपना लंड उन्होंने मुझसे चुसवाकर सॉफ करवाया अपनी ही गान्ड में से निकला वह लंड चूसने में पहले मुझे कुछ अटपटा लगा पर फिर उस सौंधे स्वाद ने मेरी सब झिझक मिटा दी
कुछ देर बाद सुस्ता कर हम फिर शुरू हो गये दिन भर मेरी चुदाई चलती रही मेरी गान्ड से मौसाजी का मन ही नहीं भर रहा था
क्रमशः……………………
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