RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---14
गतान्क से आगे………………………….
रवि अंकल को यह आइडीया एकदम पसंद आया ऐसा लगता था कि उन्हें यह आसन आज़माने की बहुत चाह थी, क्योंकि उनका लंड उछल कर और तन्ना गया मौसी जाकर मख्खन का डिब्बा ले आई और मौसाजी एक आराम कुर्सी में बैठ गये उनका लंड तन कर झंडे जैसा सीधा खड़ा था आज वह आठ इंच से भी ज़्यादा लंबा लग रहा था उसे पकड़ कर मस्ती से मुठियाते हुए वे बोले "चल बेटे, तेरी सूली को तू ही मख्खन से चिकना कर जितना मख्खन लगाएगा उतना ही तुझे दर्द कम होगा"
मुझे मौसी ने उनके सामने बिठा दिया मैंने हथेलियों में काफ़ी मख्खन लिया और उनके लौडे पर चुपडने लगा घोड़े के लंड सी उसकी साइज़ देख कर डर से मैं काँप रहा था पर हाथों में उस महाकाय शिश्न का कड़ा स्पर्श और फूली हुई नसों का अनुभव मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं उस लंड को मख्खन लगाने में पूरी तरह से उलझते ना रहकर मैंने उस टमाटर से फूले लाल लाल सुपाडे को चूमलिया तो मौसाजी भी मेरी इस कामना पर मुस्करा उठे इस बीच मौसी अपनी उंगली से मेरे गुदा में मख्खन के लौंदे भर कर उन्हें दो उंगली से अंदर डाल करती हुई खूब चुपड रही थी
मौसाजी ने मुझे पकड़ कर उठाया और घुमा कर अपनी पीठ उनकी ओर करके अपनी टाँगों के बीच खड़ा कर लिया मौसी मेरे सामने खडी होकर मुझे कर मेरा ढाढस बंधाने लगी "देख बेटे, डरना नहीं, दर्द हो तो चिल्लाना नहीं, मज़ा भी बहुत आएगा बड़ी मीठी सूली है यह!" मौसाजी ने अपना सुपाडा मेरे गुदा में थोड़ा फंसाया और फिर मेरी पतली कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी गोद में खींच लिया
मैंने सुपाडा घुसने से अपनी गुदा को खुलते हुए महसूस किया और फिर दर्द की टीस मेरी गान्ड में उठने लगी पर मैंने दाँत तले होंठ चबाकर ज़रा भी आवाज़ नहीं निकाली और ज़ोर लगाकर अपनी गान्ड ढीली कर दी
"अब मौसाजी की गोद में बैठ जा धीरे धीरे, अपनी गान्ड खोल, अपने आप इनकी सूली पर तू चढ जाएगा" मौसी बोली मैं झुककर नीचे बैठने की कोशिश करने लगा और सहसा पुक्क से मेरे गुदा को फैलाता हुआ उनका मोटा सुपाडा गुदा के छल्ले के अंदर समा गया इतना दर्द हुआ कि ना चाहते हुए भी मैं चीख उठा
पर चीख निकली नहीं क्योंकि मौसी बिलकुल तैयार थी और उसने तुरंत मेरे होंठ अपने मुँह में पकड़ लिए और दाँतों से उन्हें दबाकर चूसने लगी मेरी चीख उसके मुँह में ही दब कर रह गई मौसी ने भी मेरे कंधों पर हाथ जमाए और पूरी शक्ति से वह मुझे नीचे दबाने लगी उधर मौसाजी ने मेरी कमर पकड़ कर मुझे नीचे खींचा और ज़बरदस्ती अपनी गोद में बिठाना शुरू कर दिया
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