RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---9
गतान्क से आगे………………………….
नहाने के बाद हमने नंगे ही नाश्ता किया मैं जल्दी नाश्ता खतम करके उठने लगा तो मौसी ने शरारत भरी आवाज़ में पूछा "मलाई नहीं खाएगा रे?" मैं जब समझा नहीं कि मौसी क्या कहा रही है तो उसने समझाया "मेरा मतलब उस मलाई से है जो तेरे अंकल के लंड के अंदर है मलाई निकालने में भी उतना ही मज़ा आएगा जितना खाने में"
मैंने शरमा कर मौसाजी की ओर देखा उन्होंने प्यार से मुझे चूमा और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया "ले बेटे, सब तेरा है मज़ा कर" मैं इतना उतावला हो गया था कि टेबल के नीचे घुसकर उनकी जांघों के बीच बैठ गया उन्होंने अपना सुपाडा बड़े लाड से मेरे होंठों, गाल और आँखों पर रगडना शुरू कर दिया सुपाडे से एक मोटी सी बूँद उनके प्रीकम की निकली जिसे चख कर मैं और बेचैनी से उनके लंड को चाटने लगा
मौसाजी ने तृप्ति की एक साँस ली और बोले "प्यार से आराम से चूसो बेटे, तेरे लिए रात भर से बचा कर रखा है यह माल" मैं अब उस रसीले लंड को चूसने के लिए मरा जा रहा था इसलिए मुँह में लेने की कोशिश करने लगा मौसी ने देखा कि यह मेरा पहला अनुभव है तो उसने बड़े प्यार से मुझे सिखाया कि लंड कैसे चूसा जाता है
मुँह पूरा खोल कर, दाँतों को होंठों से ढक कर आख़िर उस पूरे गोले को मैं मुँह में भर कर चूसने लगा मौसी के सिखाए अनुसार अपनी जीभ मैंने सुपाडे के निचले फूले हिस्से पर रगड़ी तो मौसाजी ने एक सिसकारी भर कर मेरा सिर अपनी गोद में दबा लिया और उपर नीचे होकर मेरा मुँह चोदने लगे चूमा चाटी की आवाज़ से मैंने समझ लिया कि अब दोनों में खूब प्रेम से चुंबनो का आदान प्रदान हो रहा है
"जल्दी मत करना बेटे, तेरे मौसाजी को भी लंड चुसवाने का मज़ा लेने दे" मौसी बोली बीस मिनट मैंने बड़े प्यार से अंकल का लौडा चूसा और फिर आख़िर उनसे ना रहा गया मेरे सिर को पकडकर वे नीचे से ही मेरा मुँह चोदने की कोशिश करने लगे मैं समझ गया और दोनों हथेलियों में उनके लंड का डंडा लेकर मैं ज़ोर ज़ोर से उनकी मुठ्ठ मारने लगा सुपाडा चूसना मैंने जारी रखा
"मार मेरी मुठ्ठ मेरे राजा, लगा जोरदार सडका, चूस ले मेरे सुपाडे को" कहते हुए एक हिचकी के साथ वे झड गये और उनका गाढा वीर्य मेरी जीभ पर निकल आया उस गरमा गरम चिपचिपे गाढे माल को खाने में वह मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकता स्वाद ले लेकर मैंने उसे खाया और लंड को मुठियाता रहा कि आख़िरी बूँद तक निकल आए आख़िर सिकुड कर लंड नन्हा मिरची जैसा हो गया और उसे कुछ देर और प्यार से चूस कर मुँह पोंछता हुआ मैं उठकर बाहर निकल आया
मौसाजी बिलकुल निढाल होकर आँखें बंद करके मौसी की चूची चूस रहे थे मौसी भी प्यार से उन्हें अपनी छाती से लिपटाए हुई थी मुझे उसने शाबासी दी "बहुत अच्छा चूसा तूने राज, तेरे अंकल तो फिदा हो गये तुझ पर" मेरा लंड अब मस्त मचल रहा था और जब मौसाजी ने उसे देखा तो उनकी आँखें चमकने लगीं मुझे खींच कर वे सोफे पर ले गये और मुझे उसपर लिटा कर मेरे बाजू में लेट कर मेरा लौडा चूसने लगे
उनके गीले गरम मुँह ने मेरा वह हाल किया कि मैं भी अपने चुतड आगे पीछे करके उनका मुँह चोदने लगा अंकल ने अपनी बाँहें मेरे नितंबों के इर्द गिर्द डाल दीं और हौले हौले मेरी गुदा सहलाने लगे अब मुझसे नहीं रहा गया और उन्हें पटककर मैं उनके मुँह पर चढ गया और ऐसे चोदने लगा जैसे चुनमुनिया चोद रहा हूँ
यह आसान देख कर मौसी को भी मज़ा आ गया अपने पति को मीठा ताना देती हुई वह बोली "चलो तुम्हारे मुँह को भी चोदने वाला कोई तो मिला!"
कुछ ही पलों में स्खलित होकर मैं हाम्फते हुए मौसाजी के उपर पड़ा रहा मौसाजी बड़े प्यार से मेरा वीर्यापान कर रहे थे और मुझे यह बड़ा सुहाना लग रहा था मौसी इस सारे कामकर्म के दौरान भूखी रह गयी थी इसलिए हमने बारी बारी से उसकी चुनमूनिया चूसकर उसे दो बार झडा दिया
मौसाजी को काम पर जाना था इसलिए रति यहीं रोक दी गयी मौसाजी कपड़े पहनने लगे पर पहले उन्होंने अपने शिश्न पर अमृतांजन लगाया और फिर मेरे शिश्न पर बड़ी जलन सी हुई और लंड एकदम सुन्न हो गया मौसी ने पूछा कि यह क्या कर रहे हो तो उन्होंने कारण बताया बोले कि आज रात को चुदाई के करिश्मे करने के लिए दिन भर लंडों को पूरा आराम मिलना ज़रूरी है जिससे वे पूरे तन्ना कर खड़े हों इसीलिए अंजन से उन्हें बधिर कर देना ही उचित है
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