Chudai Story मौसी का गुलाम
10-12-2018, 12:49 PM,
#10
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---7

गतान्क से आगे………………………….

आख़िर मन मार कर डॉली उठी और कपड़े पहनने लगी बाल सँवार कर और जींस तथा टीशर्ट ठीकठाक कर जब वह निकलने लगी तो मौसी ने उसका चुम्मा लेते हुए पूछा"अब कब आएगी डॉली बेटी? फिर इतनी देर तो नहीं करेगी मेरी रानी?" डॉली ने मौसी से वायदा किया "नहीं मम्मी, बस अगले महने से मैं यहीं वापस आ रही हूँ, फिर एक महने की छुट्टियाँ ले लूँगी जब तेरे पति यहाँ नहीं होंगे फिर बोलो तो तेरे पास आकर ही रहूंगी"

मौसी ने मज़ाक में पूछा "क्यों रानी, कहो तो अपनी नौकरानी ललिता बाई को भी बुला लूँ रहने को?" और फिर हँसने लगी डॉली ने कानों को हाथ लगाते हुए कहा "माफ़ करो दीदी, तुम्हारी नौकरानी तुम्हे ही मुबारक, दुक्के पर तिक्का मत करो, मुझे तो बस तुम्हारी छातियों और जांघों में जगह दे दो, मुझे और कोई नहीं चाहिए" मुझे ललिता बाई का जोक कुछ समझ में नहीं आया पर बाद में सब पता चल गया यह भी बड़ी मीठी कहानी है, फिर कभी बताऊन्गा

डॉली चली गई और मौसी दरवाजा बंद कर के आ गई वह अभी भी पूरी नंगी थी मैं अब तक वासना से ऐसे तडप रहा था जैसे बिन पानी मछली मुँह से गोंगिया रहा था कहने की कोशिश कर रहा था कि मौसी अब दया कर मौसी ने जब मेरा हाल देखा तो बिना कुछ और कहे मेरे बंधन खोल दिए और मुँह खोल कर अपनी ब्रा और पैंटी निकाल ली उसे मैंने चूस चूस कर ऐसा सॉफ कर दिया था कि धुली सी लग रही थी

मौसी ने अब मेरे उपर एक और बड़ी दया की चुपचाप जाकर ओन्धे मुँह पलंग पर पट लेट गई और आँखें बंद कर लीं वह काफ़ी थकी हुई थी और उसकी चुनमूनियाँ भी चूस चूस कर बिलकुल ठम्डी हो गई थी इसलिए आँखें बंद किए किए ही मौसी बोली "राज बेटे, तू ने बड़ी देर राह देखी है, आ, मेरी गान्ड मार ले मन भर के जो चाहे कर ले मेरे चुतडो से, बस मेरी चुनमूनियाँ को छोड़ दे, मैं सोती हूँ, पर तू मन भर के मेरे शरीर को भोग ले"

यह तो मानों मेरे लिए वरदान जैसा था और मैंने उसका पूरा फ़ायदा उठाया मौसी पर चढ कर उसकी गान्ड मारने लगा पहली बार तो मैं पाँच मिनट में ही झड गया पर फिर भी मौसी पर चढा रहा दूसरी बार मज़े ले लेकर आधा घंटे तक उसकी गान्ड मारी और तब झडा

झडने के बाद देखा तो मौसी सो गई थी और खर्ऱाटे ले रही थी पर मैंने और मज़ा लेने की सोची और तीसरी बार हचक हचक कर रुक रुक कर घंटे भर मौसी की गान्ड चोदी तब जाकर मेरी वासना शांत हुई गान्ड मारते हुए मैंने मौसी की चुचियाँ भी मन भर कर जैसा मेरा मन चाहा दबाई और मसली मौसी सोती ही रही आख़िर आधीरात को मैं अपना पूरा वीर्य उसके गुदा में निकालकर फिर ही सोया

मौसी के साथ गर्मी की छुट्टियो में मैंने अकेले में मस्त चुदाई शुरू कर दी थी मौसाजी तब दौरे पर थे मैंने मौसी से पूछा कि उसके और डॉली के बारे में क्या मौसाजी को मालूम है?

उसने हाँ कहा और पूरी बात बता दी "अरे तेरे मौसाजी भी कम नहीं हैं दूसरे शहर में उनके भी एक दो यार हैं जिनके साथ वे खूब मज़ा करते हैं हाँ सब पुरुष हैं किसी और औरत के साथ उनका संबंध नहीं है इसी तरह तेरे अलावा मैंने किसी और पुरुष से नहीं चुदवाया हाँ डॉली जैसी गर्ल फ्रेन्ड ज़रूर बना ली असल में हम दोनों बाई-सेक्सुअल हैं इसीलिए हमने शादी की और एक दूसरे पर कोई बंधन नहीं रखा है वैसे उन्हें यह भी मालूम है कि मैं तेरे साथ क्या कर रही हूँ मैंने उन्हें पहले ही बता दिया था वे भी बोले की हाँ घर का ही प्यारा लडका है, मैं जो चाहे कर लूँ"

सुनकर मुझे बड़ा मज़ा आया पर जब मौसाजी वापस आए तो मैं ज़रा उदास हो गया मुझे लगा कि अब मौसी के गदराए शरीर का भोग करना मेरे नसीब में नहीं है पर हुआ बिल्कुल उल्टा तीन शरीरों की जुगलबंदी शुरू हो गई

हुआ यह कि जब मौसाजी वापस आए तो उन्होंने ज़रा भी जाहिर नहीं किया कि उन्हें मेरे और मौसी के संबंध के बारे में मालूम है मैं भी चुप रहा उस रात मैं एक दूसरे कमरे में सोया बड़ी रात तक सोने की कोशिश कर रहा था रात को मौसी से संभोग की आदत हो जाने से मुझे अकेले नींद नहीं आ रही थी और इसलिए एक चुदाई की किताब पढ़ रहा था मौसाजी और मौसी अपने कमरे में थे वहाँ से हँसने खेलने की आवाज़ें आ रही थीं

अंत में लंड बुरी की तरह खड़ा हो गया मैं बस बत्ती बुझा कर मुठ्ठ मार कर सोने ही वाला था कि मौसी ने मुझे आवाज़ दी "राज, अकेला क्या कर रहा है बेटा? यहाँ आ जा"

मुझे समझ में नहीं आया कि आज की रात तो मौसी अपने पति की बाँहों मैं है तो मुझे क्यों कबाब में हड्डी बनाने को बुला रही है मैंने दरवाजा खटखटाया मौसी चिल्लाई "आ जा बेटे, दरवाजा खुला है"

मैं अंदर आया तो देखता ही रह गया आँखें फटी रहा गयीं और लंड और खड़ा हो गया रवि अंकल आराम कुर्सी में बैठे थे और मौसी उनकी गोद में बैठी थी दोनों मादरजात नंगे थे मौसी की टाँगें पसरी हुई थीं और मौसाजी का मोटा लंड मौसी की गुदा में जड तक धँसा हुआ था मौसाजी का एक हाथ अपनी पत्नी की चुनमूनियाँ में दो उंगलियाँ अंदर बाहर कर रहा था और दूसरे हाथ से वे मौसी के मम्मे दबा रहे थे आपस में चूमा चाटी भी चल रही थी
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