RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---6
गतान्क से आगे………………………….
स्त्री - स्त्री संभोग की यह कहानी सुनते सुनते मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया मौसी ने देखा तो हँसने लगी बोली "बेटे, आज तेरी नहीं चलेगी, डॉली तो बिलकुल बरदाश्त नहीं करेगी कि कोई पुरुष हमारे बीच में आए, भले ही वह तेरे जैसा प्यारा कमसिन किशोर ही क्यों ना हो अगर उसे पता चला की तू यहाँ है तो वह शायद रुकने को भी तैयार नहीं होगी"
मुझे बड़ा बुरा लगा एक तो उस सुंदर युवती के साथ संभोग का मेरा सपना टूट गया, दूसरे यह कि मेरे कारण मौसी की अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ चुदाई भी खट्टे में ना पड जाए
मौसी ने मेरा मुरझाया हुआ चेहरा देखा तो मुझे ढाढस बँधाती हुई बोली "तू फिकर मत कर बेटे, तू दूसरे कमरे में रहना दोनों कमरों के बीच एक आईना है मेरे कमरे में से वह आईना लगता है पर दूसरे कमरे में से उसमें से सब सॉफ दिखता है तू आराम से मज़ा लेना हाँ, एक बात यह कि तेरे हाथ-पैर और मुँह मैं बाँध दूँगी अगर अनजाने में कोई आवाज़ की तो सब खटाई में पड जाएगा और दूसरे यह कि उस मस्त छोकरी के रूप को देखने के बाद तू ज़रूर मुठ्ठ मारेगा और यह मैं नहीं होने दूँगी, तेरा लंड मैं अपने लिए बचा कर रखूँगी"
शन्नो मौसी ने फटाफट टेबल और किचन सॉफ किया और मुझे दूसरे कमरे में ले गई यहाँ उसने मुझे उस एक तरफे आईने के सामने (वॅन-वे-मिरर) एक कुर्सी में बिठाया और फिर मेरे हाथ पैर कस के कुर्सी से बाँध दिए फिर धोने के कपड़ों में से अपनी एक मैली ब्रेसियर और पैंटी उठा लाई और मुझसे मुँह खोलने को कहा मुँह में वह ब्रा और चड्डी ठूँसने के बाद उसने एक और ब्रेसियर से मेरे मुँह पर पट्टी बाँध दी
यह करते हुए मेरे थरथराते लंड को देखकर वह दुष्टा हँस रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि उसके शरीर की सुगंध और पसीने से सराबोर उन पहने हुए अंतर्वस्त्रों का मुझ पर क्या असर होगा जानबूझकर मुझे उत्तेजित करने और मेरा लंड तन्नाने के लिए उसने ऐसा किया था पूरी तरह मेरी मुश्कें बाँधने के बाद मौसी ने मुझे प्यार से चूमा और दरवाजा लगाती हुई अपने कमरे में तैयार होने को चली गई उसका सजना संवरना मुझे साफ साफ काँच में से दिख रहा था
मौसी ने अपनी डॉली रानी के लिए बड़े मन से तैयारी की नंगी होकर पहले एक कसी हुई काली ब्रेसियार और पैंटी पहनी जो उसके गोरे गदराए बदन पर गजब ढा रही थी, फिर एक साड़ी सफेद साड़ी और लंबे बाहों का अम्मा स्टाइल का ब्लओज़ पहना मेकअप बिल्कुल नहीं किया पर माथे पर एक बड़ी बिंदी लगाई अपने घने बाल जूडे में बाँधे और उसमें गजरा पहना आख़िर में अपनी कलाई में बहुत सी चूड़ियाँ पहन लीं; अब वह एक आकर्षक मध्यम आयु की असली भारतीया नारी लग रही थी मैं समझ गया कि ऐसा उसने डॉली की माँ की चाहत को पूरा करने के लिए किया है
तभी डोरबेल बजी ओर मेरी ओर देख कर मुस्करा कर मौसी ने मुझे आँख मारी कि तैयार रह तमाशा देखने के लिए और कमरे के बाहर चली गई, दरवाजा खोलने के लिए
मुझे हँसने और खिलखिलाने की आवाज़ें आईं और साथ ही पटापट खूब चुंबन लिए जाने के स्वर भी सुनाई दिए कुछ ही देर में एक जवान युवती से लिपटी मौसी कमरे में आई वह युवती इतने ज़ोर ज़ोर से मौसी को चूम रही थी कि मौसी चलते चलते लडखडा जाती थी "अरे बस बस, कितना चूमेगी, ज़रा साँस तो लेने दे" मौसी ने भी डॉली को चूमते हुए कहा पर वह तो मौसी के होंठों पर अपने होंठ दबाए बेतहाशा उसके चुंबन लेती रही
शन्नो मौसी ने किसी तरह से दरवाजा लगाया और फिर तो डॉली मौसी पर किसी वासना की प्यासी औरत जैसी झपट पडी और मौसी के कपड़े नोचने लगी डॉली को मैंने अब मन भर कर देखा वह एक लंबी छरहरे बदन की गोरी सुंदर लड़की थी और जीन और एक टीशर्ट पहने हुए थी अपने रेशमी बॉबी कट बाल उसने कंधे पर खुले छोड़ रखे थे टाइट टीशर्ट में से उसके कसे जवान उरोजो का उभार सॉफ दिख रहा था उसने मौसी की एक ना सुनी और उसकी साड़ी और ब्लओज़ उतारने में लग गयी शन्नो मौसी ने खिलखिलाते हुए कहा "अरे ज़रा ठीक से कपड़े तो उतारने दे बेटी और तू भी उतार ले"
डॉली को बिलकुल धीर नहीं था "मामी, पहले अपनी चूत चुसाओ, फिर बाकी बातें होंगी" ऐसा कहते हुए उसने मौसी को पलंग पर धकेला और फिर मौसी की साड़ी उपर करके खींच कर उसकी चड्डी उतार दी "क्या दीदी, पैंटी क्यों पहनी, मेरा एक मिनट और गया" कहकर उसने मौसी की टाँगों के बीच अपना सिर घुसेड दिया जल्दी ही चूसने और चाटने की आवाज़ें आने लगीं मौसी सिसकारी भरते हुए बोली "अरी पगली, मेरी प्यारी बेटी, तेरी मनपसंद काली ब्रा और पैंटी पहनी है, सोचा था कि धीरे धीरे कपड़े उतारकर तुझे मस्त करूँगी पर तू तो लगता है कब की भूखी है"
डॉली का सिर अब मौसी की मोटी मोटी गोरी जांघों के बीच जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहा और मौसी उसे हाथों में पकड़ कर डॉली के रेशमी बाल सहलाती हुई अपनी टाँगें फटकार रही थी दस मिनट यह कार्यक्रम चला और फिर मौसी तडप कर झड गई डॉली ने अपना मुँह जमा कर चुनमूनियाँ चूसना शुरू कर दिया और पाँच मिनट बाद तृप्त होकर अपने होंठ पोंछते हुए उठ बैठी वह अब किसी बिल्ली की तरह मुस्करा रही थी जिसे की मनपसंद चीज़ खाने को मिल गई हो
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