Chudai Story मौसी का गुलाम
10-12-2018, 12:48 PM,
#5
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---4

गतान्क से आगे………………………….

मौसी मुझे चूम कर बोली "मेरे मुँह से ऐसी गंदी भाषा और गालियाँ सुनकर तुझे बुरा तो नहीं लगता बेटे?" मैंने कहा "नहीं मौसी, बल्कि लौडा और खड़ा हो जाता है" वह बोली "मुझे भी मस्ती चढती है हम रोज बोल चाल में इतनी सभ्य भाषा बोलते हैं इसीलिए ऐसी भाषा से कामवासना बढ़ती है तेरे मौसाजी भी खूब बकते हैं जब तैश में होते हैं"

मैं इतना थक गया था मौसी से गप्पें लगाते लगाते ही कब मेरी आँख लग गई, मुझे पता भी नहीं चला

जब मैं सुबह उठा तो मौसी किचन में काम कर रही थी मुझे जगा देखकर मेरे लिए ग्लास भर दूध लेकर आई उसने एक पतला गाउन पहना था और उसके बारीक कपड़े में से उसके उभरे स्तन और खड़े चूचुक सॉफ दिख रहे थे मेरा चुंबन लेकर वह पास ही बैठ गई मैं दूध पीने लगा तब तक वह मेरे लंड को हाथ से बड़े प्यार से सहलाती रही

दूध खतम करके जब मैंने पहनने को कपड़े माँगे तो हँस कर शन्नो मौसी बोली "छुपा दिए मैने, मेरे लाडले, अब तो जब तक तू यहाँ है, कपड़े नहीं पहनेगा और घर में नंगा ही घूमेगा, अपना तन्नाया प्यारा लंड लेकर जब भी चाहूँगी, मैं तुझे चोद लूँगी कोई आए तो अंदर छुप जाना कपड़े पहनना ही हो तो मैं बता दूँगी पर अब नहाने को चल"

बाथरूम में जाकर मौसी ने झट से गाउन उतार दिया दिन के तेज प्रकाश में तो उसका मादक भरापूरा शरीर और भी लंड खड़ा करने वाला लग रहा था शावर चालू करके मौसी मुझे साबुन लगाने लगी अगले कुछ मिनट वह मेरे के शरीर को मन भर सहलाती और दबाती रही उसने मेरे लंड को इतना साबुन लगाकर रगडा कि आख़िर मुझे लगा कि मैं झड जाउन्गा लंड बुरी तरह से सूज कर उछल रहा था पर फिर मौसी ने हँस कर अपना हाथ हटा लिया

"इसको अब दिन भर खड़ा रहना सिखा दो, खड़ा रहेगा तब तू दिन भर मैं कहूँगी वैसे मेरी सेवा करेगा" मैंने भी मौसी से हठ किया कि मुझे उसे साबुन लगाने दे मौसी मान गयी और आराम से अपने हाथ उपर करके खडी हो गई मैंने जब उसकी कांखो में साबुन लगाया तो उन घुंघराले घने बालों का स्पर्श बड़ा अच्छा लगा मौसी के स्तन मैंने साबुन लगाने के बहाने खूब दबाए फिर जब उसकी चुनमूनियाँ पर पहुँचा तो उन घनी झांतों में साबुन का ऐसा फेन आया कि क्या कहना मौसी की फूली चुनमूनियाँ की लकीर में भी मैंने उंगली डाल कर खूब रगडा

फिर मैं फर्श पर बैठ कर मौसी की जांघों और पिंडलियों को साबुन लगाने लगा उसके पीछे बैठ कर मैंने जब उसके नितंबों को साबुन लगाया तो मेरा बदन थरथरा उठा गोरे भरे पूरे चुतड और उनमें की वह गहरी लकीर, ऐसा लगता था कि चाट लूँ और फिर अपना लंड उसमें डाल दूं पर किसी तरह मैंने सब्र किया कि कहीं वह बुरा ना मान जाए जब मैं मौसी के पैरों तक पहुँचा तो मेरा तन्नाया लंड और उछलने लगा क्योंकि मौसी के पैर बड़े खूबसूरत थे बिलकुल गोरे और चिकने, पैरों की उंगलियाँ भी नाज़ुक और लंबी थीं; उनपर मोतिया रंग का नेल पालिश तो और कहर ढा रहा था

बचपन से ही मुझे औरतों के पैर बड़े अच्छे लगते थे माँ बताती थी कि मैं जब छोटा था तो खिलौने छोड़कर उसकी चप्पलो से ही खेला करता था इसलिए मौसी के कोमल चरण देख मुझसे ना रहा गया और झुक कर मैंने उन्हें चूम लिया फिर मैं बेतहाशा उन्हें चाटने और चूमने लगा

मौसी के पैर उठा कर उसके गुलाबी चिकने तलवे चाटने में तो वह मज़ा आया कि जो अवर्णनीय है मौसी को भी बड़ा मज़ा आ रहा था जब मैं उसका पैर का अंगूठा मुँह में लेकर चूसने लगा तो वह बोली "मौसी की चरण पूजा कर रहा है, बहुत प्यारा लडका है, मौसी खुश होकर और आशीर्वाद देगी तुझे"

शावर चालू करके शन्नो मौसी यह कहते हुए पैर फैलाकर दीवाल से टिक कर खडी हो गई और मेरे कान पकडकर मेरा सिर अपनी धुली चमकती चुनमूनियाँ पर दबा लिया मैं मौसी की टाँगों के बीच बैठकर उसकी चुनमूनियाँ चूसने लगा चुनमूनियाँ में से टपक कर गिरता ठंडा शावर का पानी चुनमूनियाँ के रस से मिलकर शरबत सा लग रहा था झडने के बाद भी मौसी मेरे सिर को अपनी चुनमूनियाँ पर दबाए रही "प्यार से आराम से चूसो बेटे, कोई जल्दी नहीं है, मेरी चुनमूनियाँ लबालब भरी है, जितना रस पियोगे, उतना तेरा ज़्यादा खड़ा होगा"

आख़िर नहाना समाप्त कर हम बदन पोछते हुए बाहर आए मौसी तो एक बार झड ली थी और बड़ी खुश थी पर मेरा हाल बुरा था फनफनाते लंड के कारण चलना भी मुझे बड़ा अजीब लग रहा था पर मौसी मुझे झडाने को अभी तैयार नही थी

हमने नाश्ता किया और मौसी ब्लओज़ और साड़ी पहन कर अपना काम करने लगी मुझे उसने वहीं अपने सामने एक कुर्सी में ही नंगा बिठा लिया जिससे मेरे लंड को उछलता हुआ देख कर मज़ा ले सके सहन ना होने से मैंने अपने लंड को पकडकर मुठियाने की कोशिश की तो एक करारा थप्पड मेरे गाल पर रसीद हुआ "लंड को छूना भी मत, नहीं तो बहुत मार खाएगा" वह गुस्से से बोली

याने मेरे लंड पर अब मेरा कोई अधिकार नहीं था, सिर्फ़ उसका था और यह बात उस तमाचे के साथ उसने मुझे समझा दी थी! तमाचे से मेरा सिर झन्ना गया पर मज़ा भी बहुत आया ऐसा लगा कि जैसे मैं अपनी मौसी का गुलाम हूँ और वह मेरी मालकिन!

सब्जी बना कर मौसी आख़िर हाथ पोंछती हुई मेरे पास आई अब तक तो मैं पागल सा होकर वासना से सिसक रहा था लंड तो ऐसा सूज गया था जैसे फट जाएगा मौसी को आख़िर मुझ पर दया आ गई मेरे सामने एक नीचे मूढे पर बैठ कर उसने अपना मुँह खोल दिया और मुझे पास बुलाया मैं समझ गया और खुशी खुशी दौडकर मौसी के पास खड़े होकर उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया

मौसी ने उसे पूरा निगल लिया और फिर बड़े लाड से धीरे धीरे चूसने लगी अपनी जीभ से उसे रगडा और थोड़ा चबाया भी उसे भी एक किशोर लंड को चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था मैं पाँच मिनट में ही कसमसा कर झड गया और मौसी के सिर को पकडकर कस कर अपने पेट पर दबा लिया पूरा वीर्य चूसकर मौसी ने लंड मुँह से निकाला और प्यार से पूछा "मज़ा आया बेटे? राहत मिली? अब तो मौसी की सेवा करेगा कुछ?"

मेरे खुशी खुशी हामी भरने पर मौसी ने टेबल के दराज में से एक किताब निकाली किताब पर आपस में लिपटी हुई दो नंगी औरतों का चित्र देख कर ही मैं समझ गया कि कैसी किताब है मैंने भी किशोरावस्था में आने के बाद ऐसी खूब पढ़ी थीं और मुठ्ठ मारते हुए उन्हें पढने का आनंद लिया था मौसी सोफे में बैठते हुए बोली "राज, ऐसी काम-क्रीडा वाली किताबों को पढ़ते पढ़ते मैं हमेशा खुद को उंगली करती हूँ पर आज तो तू है, मेरी चूत चूस दे बेटे, बड़ा मज़ा आएगा तुझसे चुनमूनियाँ चुसवाते हुए इसे पढने में"

मौसी ने अपनी साड़ी उठाकर अपनी नंगी बाल भरी चुनमूनियाँ दिखाई और मुझे अपने काम में जुट जाने को कहा मैं उसकी टाँगों के बीच बैठ गया और मुँह लगाकर चुनमूनियाँ चूसने लगा मौसी ने मेरे सिर को कस कर अपनी चुनमूनियाँ में दबाया और फिर पैरों को सिमटाकर मेरे सिर को अपनी जांघों में दबाकर बैठ गई साड़ी मेरे शरीर के उपर से धक कर उसने नीचे कर ली और मैं पूरा उस साड़ी में छुप गया फिर आगे पीछे होकर मेरे मुँह पर मुठ्ठ मारती हुई उसने किताब पढना शुरू किया

पढ़ते पढ़ते मस्ती से सिसककर बोली "राज डार्लिंग, क्या मज़ा आ रहा है आज यह किताब पढने में, मालूम है इसमें क्या है? ननद भाभी की प्रेमा कथा है, और अभी मैं जो पढ़ रही हूँ उसमें ननद अपनी भाभी की चुनमूनियाँ चूस रही है, हाय मेरे राजा, तू तो मुझे दिख भी नहीं रहा है, ऐसा लगता है जैसे तू पूरा मेरी चुनमूनियाँ में समा गया है"

मौसी ने एक घंटे में पूरी किताब पढ़ डाली और तभी उठी उस एक घंटे में मैंने चूस चूस कर उसे कम से कम चार बार झड़ाया होगा

अब खाने का समय भी हो गया था इसलिए मौसी साड़ी संभालती हुई उठी तृप्त स्वर में मुझे बोली "राज बेटे, आज मैं इतना झडी हूँ जितना कभी नहीं झडी चल माँग क्या माँगता है तेरे इनाम में"

मैं मौसी को छोड़ कर उसकी चुनमूनियाँ का स्वाद बदलना नहीं चाहता था अभी दिन भर मैं चुनमूनियाँ चूसना चाहता था, चोदना तो रात को सोने के पहले ही ठीक रहेगा ऐसा मैंने सोचा पर मेरा ध्यान बड़ी देर से मौसी के गोरे गोरे नरम नरम भारी भरकम चुतडो पर था किताबों में भी 'गांद मारने' के बहुत किस्से मैं पढ़ चुका था इसलिए अब मेरी तीव्र इच्छा थी कि मौसी की गांद मारूं डरते डरते और शरमाते हुए मैंने मौसी से अपनी इच्छा जाहिर की

मौसी हँसने लगी "सब मर्द एक से होते हैं, तू भी झान्ट सा छोकरा और मेरी गांद मारेगा? चल ठीक है मेरे लाल, पर खाने के बाद दोपहर में मारना और मारने के पहले एक बार और मेरी चुनमूनियाँ चूसना" मैं खुशी से उछल पड़ा और मौसी को चूम लिया मौसी ने ज़बरदस्ती मुझे चड्डी पहना दी नहीं तो उसके ख्याल में मैं खाने के पहले ही झड जाता, इतना उत्तेजित मैं हो गया था

मौसी जब तक किचन प्लेटफार्म के सामने खडी होकर चपातियाँ बना रही थी, मैं उसके पीछे खड़ा होकर ब्लओज़ पर से ही उसकी चुचियाँ मसलता रहा और अपना मुँह उसके घने खुले बालों में छुपाकर उसकी ज़ूलफें चूमता रहा चड्डी के नीचे से ही मैं उसकी साड़ी के उपर से चुतडो के बीच की खाई में अपना लंड रगडता रहा और मौसी को भी इसमें बड़ा मज़ा आया जल्दी से खाना खाकर मैं भाग कर बेडरूम में आ गया और मौसी का इंतजार करने लगा

मौसी आधे घंटे बाद आई मैंने मचल कर अपने बचपन के अंदाज में कहा "मौसी, जाओ मैं तुझ से कट्टी, कितनी देर लगा दी!" अपनी साड़ी और ब्लओज़ निकालती हुए उसने मुझे समझाया "बेटे, अपनी नौकरानी ललिता बाई छुट्टी पर है इसलिए सब काम भी मुझे ही करने पड़ते हैं चल अब मैं आ गयी मेरे राजा बेटा के पास, अपनी गाम्ड मराने को पर पहले तू अपना काम कर, जल्दी से एक बार मेरी चुनमूनियाँ चूस ले"

नग्न होकर टाँगें फैलाकर वह बिस्तर पर लेट गई और मुझे पास बुलाया मैं कूदकर उसकी टाँगों के बीच लेट गया और उसकी चुनमूनियाँ चाटने लगा मेरी जीभ चलते ही मौसी ने मेरा सिर पकड़ा और चुतड उछाल उछाल कर चुनमूनियाँ चुसवाने लगी "बहुत अच्छी चूत चूसता है रे तू मालूम है इस काम के बड़े पैसे मिलते हैं चिकने युवकों को इन धनवान मोटी सेठानियों को तो बहुत चस्का रहता है इसका, उनके पति तो कभी उनकी चूसते नहीं उन औरतों को तेरे जैसा चिकना छोकरा मिले तो हज़ारों रुपये देंगी तुझसे चूत चुसवाने के लिए"

क्रमशः……………………..
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RE: Chudai Story मौसी का गुलाम - by sexstories - 10-12-2018, 12:48 PM

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