RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
गतान्क से आगे………………………….
दूसरे ही दिन मैं नासिक के लिए रवाना हो गया मौसी एक छोटे खूबसूरत बंगले में रहती थी जब मैं मौसी के घर पहुँचा तो रवि अंकल बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे रवि अंकल, मेरे मौसाजी असल में मौसी से चार पाँच साल छोटे थे दोनों का प्रेम विवाह हुआ था मौसी को कोई संतान नहीं हुई थी पर फिर भी वे दोनों खुश नज़र आते थे
रवि मौसाजी एक बड़े आकर्षक मजबूत पर छरहरे गठीले बदन के नौजवान थे और काफ़ी हैम्डसम थे उन्होंने मेरा बड़े प्यार से स्वागत किया और बोले कि मैं एकदमा ठीक समय पर आया हू क्योंकि उन्हें कुछ दिनों के लिए बाहर दौरे पर जाना था "तेरी मौसी भी अब अकेले बोर नहीं होगी" उन्होंने कहा
मैंने नहा धोकर आराम किया मौसाजी शाम को निकल गये और मैं और मौसी ही घर में बचे
दरवाजा लगाकर मौसी ने अपनी बाँहें पसार कर मुझे पास बुलाया "राजा, इधर आ, एक चुंबन दे जल्दी से बेटे, कब से तरस रही हू तेरे लिए" मैं दौड कर मौसी से लिपट गया और उसने मेरा खूब देर तक गहरा उत्तेजना पूर्ण चुंबन लिया मैं तो अब उसपर चढ जाना चाहता था पर मौसी ने कहा कि अभी जल्दी करना ठीक नहीं, लोग घर आते जाते रहते हैं और अब तो सारी रात और आगे के दिन पड़े थे मज़ा लूटने के लिए
आज मौसी एक पारदर्शक काले शिफान की साड़ी और बारीक पतला ब्लओज़ पहने थी, जैसे अपने पति को रिझा रही हो ब्लओज़ में से सफेद ब्रेसियर के पट्टे सॉफ दिख रहे थे खाना खाते खाते ही मेरा बुरा हाल हो गया मौसी मेरी इस हालत पर हँसने लगी और मुझे प्यार से चिढाने लगी खाना समाप्त होने पर मुझे जाकर उसके बेडरूम में इंतजार करने को कहा "तू चल और तैयार रह अपनी मौसी के स्वागत के लिए तब तक मैं सॉफ सफाई करके और दरवाजे लगाकर आती हूँ" मैं मौसी के बड़े डबल बेड पर जाकर बैठ गया मेरा लंड अब तक तन्ना कर पूरा खड़ा हो गया था
आधे घंटे बाद मौसी आई उसने दरवाजा बंद किया और पैंट में से मेरे खड़े लंड के उभार को देखकर मुस्कराते हुए बोली "अरे मूरख, अभी तक नंगा नहीं हुआ? क्या अब बच्चों जैसे तेरे कपड़े मैं उतारूं?" पास आकर उसने मेरे कपड़े खींच कर उतार दिए और मुझे नंगा कर दिया मेरे साढ़े पाँच इंच के गोरे कमसिन शिश्न को उसने हाथ में लेकर दबाया और बोली "बड़ा प्यारा है रे, गन्ने जैसा रसीला दिखता है, चूस कर देखती हूँ कि रस कैसा है"
मेरे कुछ कहने के पहले ही मौसी मेरे सामने घुटने टेक कर बैठ गई और मेरे लंड को चूमने और चाटने लगी उसकी गुलाबी जीभ का मेरे सुपाडे पर स्पर्श होते ही मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गई"शन्नो मौसी, अब बंद करो नहीं तो आपके मुँह में ही झड जाऊँगा"
मुस्करा कर वह बोली कि यही तो वह चाहती थी फिर और समय ना बरबाद करके मेरे पूरे शिश्न को मुँह में ले कर वह गन्ने जैसा चूसने लगी मौसी के मुँह और जीभ का स्पर्श इतना सुहाना था कि मैं 'ओह मेरी प्यारी शन्नो मौसी' चिल्लाकर झड गया मौसी ने बड़े मज़े लेलेकर मेरा वीर्य निगला और चूस चूस कर आखरी बूँद तक उसमें से निकाल ली
मुझे बड़ा बुरा लग रहा था कि मुझे तो मज़ा आ गया पर बिचारी मौसी की मैंने कोई सेवा नहीं की मेरा उतरा चेहरा देखकर मौसी ने प्यार से मेरे बाल बिखराकर कहा कि जानबूझकर उसने मेरा लंड चूस लिया था एक तो वह मेरी जवान गाढी मलाई की भूखी थी, दूसरे यह कि उसे मालूम था कि अब एक बार झड जाने पर मैं अब काफ़ी देर लंड खड़ा रखूँगा जिससे उसे मेरे साथ तरह तरह की कामक्रीडा करने का मौका मिलेगा
मैंने मौसी को लिपटाकर वादा किया कि अब मैं तब तक नहीं झड़ूँगा जब तक वह इजाज़त ना दे खुश होकर शन्नो मौसी ने मुझे सोफे में धकेल कर बिठा दिया और बोली "अब चुप-चाप बैठ और देख, तुझे स्ट्रिप तीज़ दिखाती हूँ! देखी है कभी?" मैंने कहा कि एक मित्र के यहाँ वीडीओ पर देखी थी
मौसी कपड़े निकालने लगी और मैं मंत्रमुग्ध होकर उसके मादक शरीर को देखता रह गया मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी सग़ी मौसी, मेरी माँ की छोटी बहन, मेरे साथ संभोग करने जा रही है साड़ी और पेटीकोट निकालने में ही मौसी ने पाँच मिनिट लगा दिए साड़ी को फोल्ड किया और अलमारी में रखा उसके पतले ब्लओज़ में से उसके भरे पूरे उन्नत उरोजो की झलक मुझे पागल कर रही थी फिर उसने ब्लओज़ भी निकाल दिया
अब मौसी के गोरे गदराए हुए शरीर पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी बचे थे उस अर्धनग्न अवस्था में वह इतनी मादक लग रही थी कि मुझे ऐसा लगने लगा कि अभी उसपर चढ जाऊ और चोद डालूं मुझे रिझाते हुए शन्नो मौसी ने रम्डियो जैसी भाषा में पूछा "क्यों मेरे लाडले, पहले उपर का माल दिखाऊँ या नीचे का?"
शन्नो मौसी के मांसल स्तन उसकी ब्रा के कपों में से मचल कर बाहर आने को कर रहे थे और पैंटी में से मौसी की फूली फूली चुनमुनिया का उभार और बीच की पट्टी के दोनों ओर से झांत के कुछ काले बाल निकले हुए दिख रहे थे उन दोनों मस्त चीज़ों में से क्या पसंद करूँ यही मुझे समझ में नहीं आ रहा था इसलिए मैं भूखी लालचाई नज़रों से मौसी के माल को ताकता हुआ चुप रहा
मौसी कुछ देर मेरी इस दशा को मज़े ले लेकर कनखियों से देखती रही और फिर मुझ पर तरस खा कर बोली "चल पूरी नंगी हो जाती हूँ तेरे लिए" और ऐसा कहते हुए अपने उसने ब्रा के हुक खोले और हाथ उपर कर के ब्रेसियर निकाल दी फिर पैंटी उतार कर मादरजात नंगी मेरे सामने बड़े गर्व से खडी हो गयी
शन्नो मौसी मेकअप या किसी भी तरह के सौंदर्या प्रसाधन में बिल्कुल विश्वास नहीं करती थी इसलिए उसकी कांखो में घने काले बाल थे जो ब्रा निकालते समय उठी बाहों के कारण सॉफ मुझे दिखे मौसी हमेशा स्लीवलेस ब्लओज़ पहनती थी और बचपन से मैं उसके यह कांख के बाल देखता आया था छोटी उमर में मुझे वे बड़े अजीब लगते थे पर आज इस मस्त माहौल में तो मेरा मन हुआ की सीधे उसकी कांखो में मुँह डाल दूँ और चूस लूँ
नग्न होकर मौसी मुस्कराती हुई जान बूझकर कमर लचकाती हुई एक कैबरे डाँसर की मादक चाल से मेरी ओर बढ़ी उसके मांसल भरे पूरे ज़रा से लटके उरोज रबर की बड़ी गेंदों जैसे उछल रहे थे निपल गहरे भूरे रंग के थे, बड़े मूँगफली के दानों जैसे और उनके चारों ओर तीन चार इंच का भूरा गोल अरोल था मौसी का मंगलसूत्र उसकी छातियों के बीच में फंसा था वह सोने का एक ही गहना उसके शरीर पर था और उसकी नग्नता में चार चाँद लगा रहा था मौसी की फूली गुदाज चुनमुनिया घनी काली झांतों से आच्छादित थी; { दोस्तो यहाँ मैं आपको बता दूं कि मैं चूत को चुनमूनियाँ कह रहा हूँ आशा है आपको अच्छा लगेगा } ऐसा लगता था कि मौसी ने कभी झांतें नहीं काटी होंगी
शन्नो मौसी के कूल्हे काफ़ी चौड़े थे और जांघें तो केले के पेड़ के तनों जैसी मोटी मोटी थीं मेरा लंड अब मौसी के इस मस्त जोबन से तन्नाकार फिर से ज़ोर से खड़ा हो गया था और मौसी उसे देखकर बड़े प्यार से मुस्कराने लगी उसे भी बड़ा गर्व लगा होगा कि एक छोटा कमसिन छोकरा उसकी अधेड उम्र के बावजूद उसपर इतना फिदा था और वह भी उसकी सग़ी बड़ी बहन का बेटा!
मेरे पास बैठकर मुझे पास खींचकर मौसी ने मेरी इच्छा पूछी की मैं पहले उसके साथ क्या करना चाहता हू अब मैं कई मायनों में अभी भी बच्चा था और बच्चों का स्वाभाविक आकर्षण तो माँ के स्तनों की ओर होता है इसलिए मैं इन बड़े बड़े उरोजो को ताकता हुआ बोला "मौसी, तेरे मम्मे चूसने दे ना, दबाने का मन भी हो रहा है"
मौसी ने मुझे गोद में खींच लिया और एक चूचुक मेरे मुँह में घुसेड दिया मैं उस मूँगफली से लंबे चमडीले निपल को चूसने लगा चूसते चूसते मैंने मौसी की चूची दोनों हाथों में पकड़ ली और दबाने लगा मौसी थोड़ी कराही और उसका निपल खजूर सा कड़ा हो गया अब मैं दूध पीते बच्चे जैसा मौसी का मम्मा दबा दबा कर बुरी तराहा से चूस रहा था मेरा लंड पूरा खड़ा होकर मौसी के पेट के मुलायम माँस में गढ़ा हुआ था उसे मैं मस्ती में आगे पीछे होता हुआ मौसी के पेट पर ही रगडने लगा
कमरे में एक बड़ी मादक सुगंध भर गयी थी जब मैंने मौसी को कहा कि उसके बदन से इतनी मस्त खुशबू कैसे आ रही है,तो उसने बताया कि वह असल में उसकी चुनमुनिया से निकल रहे पानी की गंध थी क्योंकि मौसी की चुनमुनिया अब पूरी गरमा हो चुकी थी
मौसी मुझे चूमते हुए बोली"देख मेरी चूत कितनी गीली हो कर चू रही है तेरे मौसाजी होते तो अब तक इसपर मुँह लगाकर चूस रहे होते वे तो दीवाने हैं मेरी चुनमुनिया के रस के तू भी इसे चखेगा बेटे?"
मैं तो मौसी की चुनमुनिया पास से देखने को आतुर था ही, झट से मूंडी हिलाकर मौसी के सामने फर्श पर बैठ गया मौसी टिक कर आरामा से बैठ गई और अपनी जांघें फैला कर मुझे उनके बीच खींच लिया
पहले मैंने मौसी की नरम नरम चिकनी जांघों को चूमा और फिर उसकी चुनमुनिया { दोस्तो यहाँ मैं आपको बता दूं कि मैं चूत को चुनमूनियाँ कह रहा हूँ आशा है आपको अच्छा लगेगा } पर नज़र जमाई औरत के गुप्ताँग का यह मेरा पहला दर्शन था और मौसी की उस रसीली चुनमुनिया को मैं गौर से ऐसे देखने लगा जैसे देवी का दर्शन कर रहा हू बड़े बड़े गुलाबी मुलायम भगोष्ठ, उनके बीच गीला हुआ लाल गुलाबी छेद और ज़रा से मटर के दाने जैसा क्लिटोरिस
यह सब मैं इस लिए देख पाया क्योंकि मौसी ने अपनी उंगलियों से अपनी झातें बाजू में की हुई थीं मैं उस माल पर टूट पड़ा और जैसा मुँह में आया वैसा चाटने और चूसने लगा मौसी ने कुछ देर तो मुझे मनमानी करने दी पर फिर प्यार से चुनमुनिया चाटने का ठीक तरीका सिखाया
"ऐसे नहीं बेटे, जीभ से चाट चाट कर चूसो झांतें बाजू में करो और जीभ अंदर डालो फिर जीभ का चम्मच बनाकर अंदर बाहर करते हुए रस निकालो हाँ ऐसे ही मेरी जान, अब ज़रा मेरे दाने को जीभ से गुदगुदाओ, हां ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह यह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, बहुत अच्छे मेरे लाल ! बस ऐसा ही करता रहा, देख तुझे कितना रस पिलाती हूँ"
मौसी ने जल्द ही मुझे एक्स्पर्ट जैसा सीखा दिया मैंने मुँह से उसकी चुनमुनिया पर ऐसा करना किया कि वह पाँच मिनट में स्खलित हो गई और मेरे मुँह को अपनी चुनमुनिया के पानी से भर दिया चुनमुनिया का रस थोड़ा कसैला और खारा था पर बिल्कुल पिघले घी जैसा चिपचिपा मैंने उसे पूरा मन लगाकर चाट लिया तब तक मौसी मेरे चेहरे को अपनी चुनमुनिया पर दबा कर हौले हौले धक्के मारती रही
क्रमशः……………………..
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