RE: कमीना पार्ट - II Incest
कमीना पार्ट - II Incest--4
शुरू शुरू मे तो कविता बहुत झिझकति थी लेकिन मेरे बार बार कहने पर वह भी सेक्स की बाते ज़्यादा नही तो कम से कम फोन पर मेरे साथ 1 घंटे खड़ी रहती और मैं उससे चुदाई की बाते करके समय पास करता, आज बहुत खुस था दीवाली की 4 दिन की छुट्टी मिली थी और चार दिन मे कविता को कम से कम 8 बार दिन और रात दोनो टाइम के हिसाब से चोदने का प्लान करके जा रहा था,
मैं तो सारी रात चोद्ता लेकिन कविता का हाल ऐसा था कि एक बार चोद दो तो झट से सो जाती थी, मैं अब चोदने मे एक दम एक्सपर्ट हो गया था और फ़िल्मे देख देख कर ओरल सेक्स करने लगा था, बड़ा मज़ा आता और फिर जब मैं घर पहुचा तब घर मे कोई नही था और कविता अकेली मेरे आने का वेट कर रही थी, साड़ी ब्लाउज मे किसी भरी पूरी औरत की तरह गदराए बदन को देख कर मुझे एहसास हुआ कि वह पूरी तरह मम्मी की तरह मस्त माल नज़र आ रही थी,
वैसे भी बच्चा होने के बाद औरत कुच्छ ज़यादा ही गदरा जाती है, मुझसे रहा नही गया और मैने उसे अपनी बाँहो मे भर लिया और कविता भी मुझसे ज़ोर से चिपक गई, मैं पागलो की तरह कभी उसके दूध दबाता कभी उसकी मोटी मोटी गंद को साड़ी के उपर से दबाता और कभी उसकी चूत को साड़ी के उपर से ही मुट्ठी मे भर कर भींच लेता, उसके होंठो और गालो को मैं कब तक उसके दूध और मोटी मोटी गान्ड दबाते हुए चूमता रहा यह मुझे भी याद नही रहा,
मम्मी को नंगी देखे एक लंबा टाइम बीत चुका था और कविता जब ब्याह कर आई थी उसमे और अब की कविता मे ज़मीन आसमान का फ़र्क हो चुका था अब वह पूरी औरत बन चुकी थी, और मैण तो बचपन से ही बड़ी बड़ी अपनी मम्मी जैसी औरतो को चोदने का दीवाना था, आज कविता ने मुझे मम्मी की गदराई नंगी जवानी की फिर से याद दिला दी थी और मेरा लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था,
कविता- अब छोड़िए भी क्या दिन भर ऐसे ही खड़े खड़े मुझे प्यार करते रहेंगे, चलिए हटिए मैं आपके लिए चाइ बना कर लाती हू, मैने कविता को छोड़ दिया और वह मुस्कुराते हुए अपनी मोटी गान्ड मटका कर अंदर जाने लगी और उसकी मस्त उठी और चौड़ी गान्ड देख कर मैं मस्त हो गया और किचन मे जाकर उसकी गान्ड से अपने लंड को सटा कर फिर से उसके मोटे मोटे दूध दबोच कर उसे चूमने लगा,
कविता को भी इतने दिन बाद अपनी जवानी मसलवाने का मोका मिला था इसलिए मेरे पकड़ते ही उसकी आँखे बंद हो गई और उसने अपने आप को मेरी गिरफ़्त मे ढीला छोड़ दिया, तभी मेरा छोटा सा बच्चा रोने लगा और कविता को जैसे होश आया,
सोनू- कविता माँ कहा है,
कविता- आस पास बैठी होगी अभी आ जाएगी,
चाइ पीने के बाद मोम आ गई और उन्हे और कविता को एक साथ देखने पर महसूस हुआ कि दोनो के गदराए बदन बिल्कुल भारी है, हालाकी मोम बड़ी उमर की होने की वजह से थोड़ी ज़्यादा भारी और हैल्थि लग रही थी उनका पेट कविता के पेट से ज़्यादा उठा हुआ और बड़ा था और उनकी गान्ड भी इस समय कुच्छ ज़्यादा ही मोटी और चौड़ी नज़र आ रही थी, मोम मेरे पास आकर बैठ गई और उनकी भारी भरकम जाँघो के सपर्श ने मेरे लंड को फिर ताव मे ला दिया था,
कुच्छ देर मोम बैठी रही और फिर पास के मार्केट से सब्जिया लेने का कह कर चली गई मैं हाथ मूह धोकर लूँगी मैं आ चुका था और कविता किचन मे कुछ काम कर रही थी, मैं कविता के पास गया और उससे सेक्सी बाते करने लगा वह लूँगी मे मेरा लंड तना हुआ था और फिर ना जाने कैसे मैं कविता को वह सब भी बताता चला गया जो फ्फीलिंग मुझे मोम की गदराई जवानी देख कर आती है और कविता वह सब सुन कर सॉक्ड हो गई..........
आज काफ़ी दिनो बाद मोम को देखा था और कविता मेरी बाँहो मे थी मैं कविता को शुरू से लेकर आख़िरी तक वह सब बताने लगा जो जो मैने मोम और डॅड को करते देखा, कविता का हाथ पकड़ कर मैने लूँगी के अंदर खड़े लंड पर रख दिया और उसकी फूली हुई चूत को उसकी साड़ी के उपर से दबाते हुए, उसे सब बताने लगा, कविता बड़े ध्यान से मेरी एक एक बात सुन रही थी उसके चेहरे पर आश्चर्य और सेक्स दोनो के भाव नज़र आ रहे थे, तभी बाहर किसी ने दरवाजा बजाया और कविता मेरे लंड को ज़ोर से मसल्ते हुए कहने लगी
कविता- सोनू अभी नही रात को अच्छे से बताना कि कैसे तुमने मोम को पापा से चुद्ते हुए देखा था अभी कोई दरवाजे पर
आया है, मैने कविता की चूत को कस कर मसल्ते हुए उसे छोड़ दिया और वह अपनी मस्त गुदाज गान्ड को मटकाते हुए
दरवाजा खोलने चली गई,
रति- मुस्कुराते हुए अंदर आ गई, सोनू के लिए चाइ बनाई कि नही,
कविता- बना दी है, आपको भी दू,
रति- ला दे दे थोड़ी सी,
मैं चेर पर बैठ गया और मोम को देखने लगा उनकी साड़ी उनके उठे हुए पेट से काफ़ी नीचे बँधी थी उनकी गहरी नाभि और
गुदाज पेट बहुत ही कामुक नज़र आ रहा था तभी मैने कविता की ओर देखा तो पाया कि उसने मेरी नज़रे पकड़ ली है और मेरी ओर हल्के से मुस्कुराकर आँख दिखाती हुई किचन मे चली गई, मोम इधर उधर की बाते करने लगी लेकिन मैं अपनी नज़रो को बार बार उसके गुदाज पेट और नाभि से नही बचा पा रहा था, एक बार तो मोम ने भी मुझे अपना पेट घूरते हुए देख लिया और फिर नज़रे दूसरी ओर कर के चाइ की चुस्किया लेने लगी,
|