RE: Parviar Mai Chudai ससुराली प्यार
इस खेल के दौरान गैर इरादी तौर पर अचानक मेरी नज़र शॉर्ट्स पहने हुए अपने ड्यूवर सरवर के जिस्म के निचले हिस्से पर पड़ी.तो में ये देख कर हैरान रह गई कि उसका लंड उस की शॉर्ट्स में खूब तना हुआ था.
शाम का वक़्त था और रोशनी कम ज़रूर थी. लेकिन इस के बावजूद फिर भी साफ नज़र आ रहा था कि उस का लंड शॉर्ट के अंदर में खूब मचल रहा है.
में हैरान इसलिए थी. कि सरवर तो किसी गैर लड़की या अपनी किसी कज़िन को नही बल्कि अपनी ही सग़ी बहन को तैरना सिखा रहा है. तो ये कैसे हो सकता है कि उस का लंड अपनी ही सग़ी बहन नाज़ की वजह से खड़ा हो जाए.
“हो सकता है कि मुझे कोई ग़लत फहमी हुई हो” मैने अपने आप से कहा. मगर फिर जब मेरा दिल ना माना तो मैने पानी में एक दो बार गोता लगा कर सार्वर को करीब से देखने की कॉसिश की.
तो मुझे बिल्कुल यक़ीन होगया. कि बिल्कुल ऐसा ही है जैसा मैने सोचा था.
क्यों कि इसी दौरान सरवर ने जब नाज़ की दोनो टाँगों के दरमियाँ हो कर उससे तैरने को कहा.
तो उस वक़्त ये बात बिल्कुल सॉफ होगई कि उस ने अपना लंड नाज़ की टाँगों के बीच में टिकाया हुआ था.
मेरी हैरानी उस वक़्त बढ़ती गई जब मैने ये देखा. कि तैरने के दौरान जब नाज़ को ये अंदाज़ा हुआ कि कोई और उन की तरफ ध्यान नही दे रहा है. तो उस ने पानी के अंदर अपना हाथ ले जा कर अपने भाई के लंड को उस की शॉर्ट्स के उपर से एक लम्हे के लिए थाम कर छोड़ दिया.
में तो ये मंज़र देख कर लरज गई कि ये कैसे मुमकिन हे. कि सगे बहन भाई आपस में इस तरह की हरकत करें.
सगे भाई बहन का तक़द्दुस ऐसे अमल मे भी हो सकता हे. ये मेने कभी सोचा भी नहीं था. इसलिए मेरे दिल में एक वहशत सी भर गई.
शाम का अंधेरा गहरा होने पर सब लोग पूल से बाहर निकल आए.
फिर रात का खाना वाघहैरह खा कर सब आपस में गप शॅप करने लगे. लेकिन मेरे ज़हन में सरवर और नाज़ का वो मंज़र घूम रहा था.
इस दौरान मैने नोटीस किया कि वो दोनो हमारे साथ नहीं हैं.
मुझे ख्याल आया कि देखू तो सही कि ये दोनो कहाँ गये है. और मैं किसी को कुछ बताए बगैर ही खाने की टेबल से उठ गई.
मैने टीवी लाउन्ज में वीडियो गेम खेलते हुए अपनी फॅमिली के एक बच्चे से पूछा कि सरवर कहाँ है. तो उस ने कमरे से बाहर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वो उस तरफ नाज़ आपी के साथ गये हैं.
में दबे क़दमों से उसी तरफ चल पड़ी. में ये देखना चाहती थी कि वो लोग क्या कर रहे हैं.
हालाँकि रात थी लेकिन बाहर पार्क लाइट की वजह से कुछ कुछ नज़र भी आ रहा था.
नंगे पाँव में आख़िर दरख्तो के उस झुंड के पास पहुँच ही गई. जिस जगह मुझे शक था कि वो दोनो माजूद होंगे.
मैने घने दरखतों के बीच इधर उधर नज़र दौड़ाई तो आख़िर वो मुझे नज़र आ ही गये.
वो एक बड़े दरख़्त के पीछे एक दूसरे से चिमटे हुए थे. उन के मुँह एक दूसरे में जज़्ब थे और वो एक दूसरे को किस कर रहे थे.
में खामोशी से एक पेड़ की ओट में खड़ी बहन भाई को एक दूसरे के लबों को चूस्ते,चाटते देखती रही. और हेरान होती रही.
वो दोनों काफ़ी देर एक दूसरे को किस करते रहे.
कुछ देर बाद सरवर ने नाज़ से कहा अब वापिस चलते हैं.तुम रात को मेरे साथ ही सोना.
नाज़ अपने भाई की बात सुन कर कहने लगी कि भाई पूरी फॅमिली के लोग इधर माजूद है.मुझ डर है कि किसी ने देख लिया तो ग़ज़ब हो जाएगा.
|