RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मुझे तो खुद कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर कुछ देर चुप रहा और फिर मैंने अपने दोस्त से कहा यार साना यह काम उस लड़के के साथ कर चुकी है वह अपनी इज़्ज़त तो खराब कर चुकी है। इसका एक ही समाधान हो सकता है अगर साना और उस लड़के की आपस में शादी करवा दी जाए तो ही बदनामी से कम से कम बच पाएँगे तो मेरा दोस्त मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोला यार तू बहुत भोला है। तू जानता है वह लड़का किसका बेटा है। मैं अपने दोस्त की तरफ देखने लगा और फिर मेरे दोस्त ने कहा यार वह लड़का कोई साधारण घर का लड़का नहीं है उसका पिता एक सरकारी महकमे के बड़ा अधिकारी है उसकी पहुंच मुझसे भी बहुत ज़्यादा है और वह अपने बाप की बिगड़ी औलाद है। और वह लड़का तो बस साना के साथ अपना काम निकाल कर एक तरफ हो जाएगा उसने खुद ही शादी से इनकार कर देना है और अगर मैं अपनी स्थिति का उपयोग करके उसे कुछ करवाने की कोशिश करूँगा तो उसका पिता उसे एक घंटे में बाहर ले आएगा और लाभ कुछ भी नहीं होगा। इसलिए मेरे दोस्त कुछ और सोच जिससे यह समस्या भी हल हो जाय और बदनामी न हो। और फिर मेरा दोस्त मुझे लेकर कार में बैठ गया।
मैंने अपने दिमाग पर जोर देना शुरू कर दिया और लगभग आधा घंटा कार में चुपचाप बैठ कर मैंने साना के बारे में सोच लिया था। मैंने अपने दोस्त को पहले ज़ुबैदा और उसकी माँ की सारी स्टोरी सुना दी और उस लड़के इमरान के बारे मे भी पूरा बता दिया मैंने यह नहीं बताया कि ज़ुबैदा मेरी पत्नी है बस यही कहा कि वो मेरी रिश्तेदार हैं। मेरी किस्मत अच्छी थी मेरा दोस्त मेरी शादी में भी नहीं आया था। मैंने अपने दोस्त को बता दिया कि मैं अभी अपने रिश्तेदारों को वापस मुल्तान ले जाना चाहता हूँ और मकान के सौदे का भी बता दिया और उसे इमरान का पक्का काम करने के लिए और वीडियो वाले सबूत के लिए भी बोल दिया। और यह भी कह दिया जब मेरी वह रिश्तेदार मुल्तान शिफ्ट हो जाएँगे तो साना को भी वापस मुल्तान ले जाऊंगा और वहां मुल्तान शहर में ही पढ़ाई के लिए भर्ती करा दूंगा। मेरा दोस्त मेरी सारी बात समझ गया था उसने कहा कि यह बहुत अच्छा फैसला किया है तुमने साना को वापस ले जाओगे और उसमें ही हमारी बदनामी नहीं होगी और रही बात इस लड़के की तुम बेफिक्र हो जाओ उसकी ऐसी व्यवस्था करवा दूंगा अगर 12 या 14 साल पहले बाहर आया तो कहना और वह वीडियो वाला सबूत भी लेकर समाप्त करूंगा। और यह काम अगले सप्ताह में हो जाएगा। अब हम घर चलते हैं खाना खाकर ड्राइवर तुम्हें साना के हॉस्टल ले जाएगा तुम साना से मिल लेना और फिर आ जाना आगे तुम्हारी प्रॉब्लम के बारे में सोचते हैं कि क्या करना है। तो मैंने कहा यार मैं खाना खाकर साना से मिल लूँगा और फिर आज रात ही मुझे वापस मुल्तान जाना है। और हो सकता है अगले 2 या 3 दिन तक मुझे लाहौर जाना पड़े क्योंकि मुझे मकान का भी कुछ करवाना है। तो मेरा दोस्त बोला ठीक है यार जैसे तेरी इच्छा और फिर हम घर आ गए और दोपहर को खाना खाकर मैं साना के हॉस्टल चला गया और साना को जाकर मिला वह मुझे देख कर बहुत खुश हुई। मैंने उसे थोड़ा सा भी शक नहीं होने दिया कि मुझे उसकी सारी बात पता चल चुकी है। और फिर मैं उसके साथ वहाँ लगभग 2 घंटे रहा मैंने एक बात नोट की कि साना को सऊदी जाने से पहले देखा था और आज फिर से देख रहा था। वो काफी हद तक बदल चुकी थी वह अब एक बच्ची से एक पूरी जवान लड़की बन चुकी थी उसका शरीर भी काफी भर चुका था उसके सीने के उभार काफी निकल आए थे और मैंने तस्वीर में देखा था उसके मम्मे गोल गोल और मोटे हो चुके थे। और उसका पेट भी एक दम स्लिम था और उसकी गांड भी काफी बाहर निकली नजर आ रही थी। मैं सोच रहा था उस लड़के ने पता नहीं कितनी बार इस फूल को कुचला होगी जिससे साना अब ऐसी दिखने लगी है। और फिर साना से मिलकर और कुछ पैसे देकर वापस अपने दोस्त के घर आ गया वह घर पर ही था शाम तक यही बातें होती रहीं उसने बताया मैं आज ही लाहौर फोन करके उस लड़के इमरान की जांच करने के लिए एक बंदे की ड्यूटी लगा दी है और आज रात तक यह पता चल जाएगा। और एक ही हफ्ते में सारी व्यवस्था भी होगी।
फिर मैंने अपने सामान लिया और अपने दोस्त से अनुमति ली और उसका ड्राइवर मुझे स्टेशन छोड़ने आया और फिर रात 11 बजे वाली कराची वाली ट्रेन में सवार हो गया और अपने घर अगले दिन दोपहर 3 बजे वापस मुल्तान आ गया।
मैंने रावलपिंडी ट्रेन में बैठ कर ही चाची को बता दिया था कि काम हो गया है। और मैं आज रात वापस जा रहा हूँ कल दिन में घर पहुँच जाऊँगा। चाची भी यह सुनकर खुश हो गई थी। अगले दिन 3 बजे जब घर पहुंचकर सबसे अभिवादन करके फिर कुछ देर आराम करने के लिए अपने कमरे में चला गया। रात का खाना आदि खाकर सो गया ज़ुबैदा का चुदाई का मूड था लेकिन मैंने उसे थकान का बोलकर टाल दिया और सो गया और अगला दिन भी ऐसे ही बीत गया और उस रात भी ज़ुबैदा या नबीला के साथ कुछ नही हुआ एक बात थी कि नबीला मुझे घर में देखकर खुश हो गई थी। और मेरे आगे पीछे शायद किसी बात के लिए अवसर देख रही थी। लेकिन शायद उसे उचित मौका नहीं मिल रहा था। फिर वह दिन भी यूं ही बीत गया। मुझे घर आए आज 2 दिन हो गए थे। और अगले दिन शाम को मौसम अच्छा था तो मैं छत पर टहलने के लिए चला गया। अभी मुझे छत पर आए 15 मिनट ही हुए थे तो ज़ुबैदा नीचे से ऊपर छत पर भागती हुई आ गई उसका सांस फूला हुआ था वह भागती हुई आई और मेरे सीने से लग गई और कुछ देर तक तो चुप रही जब उसकी कुछ सांस बहाल हुई तो वो मेरी आँखों में देखकर बोली वसीम आज मैं बहुत खुश हूँ आज मुझे बहुत बड़ी खुशखबरी मिली है और वो तुम्हें ही पहले सुनाना चाहती हूँ तो मैंने थोड़ा हैरान होकर उसे सवालिया नज़रों से देखा तो वह बोली आपको पता है मेरे पास अभी थोड़ी देर पहले अम्मी का लाहौर से फोन आया है वह कहती हैं मैं अब लाहौर में नहीं रह सकती मेरा अकेले यहाँ दिल नहीं लगता है और मैं अब वापस गांव आ जाना चाहती हूँ तुम सब के साथ रहना चाहती हूँ।
मुझे तो यह बात पहले से ही पता था लेकिन ज़ुबैदा को किसी भी शक में नहीं डालना चाहता था। इसलिए उसकी बात सुनकर अपना मूड काफी अच्छा कर लिया और खुशी प्रकट करने लगा और उससे कहा यह तो बहुत अच्छी बात है चाची वापस गांव आना चाहती है। और अब्बा जी तो पहले भी चाचा के लाहौर जाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन चलो जो हुआ सो हुआ लेकिन अब खुशी की बात है चाची वापस अपने गांव आना चाहती है। फिर ज़ुबैदा ने कहा वसीम अम्मी कह रही थी वसीम को 1 या 2 दिन में लाहौर भेज दो ताकि मैं मकान बेचकर अपना सामान लेकर वापस मुल्तान आ जाऊं तो मैंने कहा ठीक है मुझे कोई समस्या नहीं है कल या परसों तक चला जाता हूँ। और फिर ज़ुबैदा भागकर नीचे जाने लगी और कहने लगी अम्मी जी मतलब मेरी अम्मी को बता देती हूँ। और नीचे चली गई मैं भी उसके पीछे नीचे उतरकर आ गया अम्मी बाहर आंगन में ही थीं ज़ुबैदा जाकर उनके गले लग गई और उन्हें अपनी अम्मी की वापसी के बारे मे बताने लगी
नबीला किचन में चाय बना रही थी उसने थोड़ा पीछे हट कर बाहर देखा और फिर ज़ुबैदा की बात सुनकर मेरी ओर देखा तो मैंने इशारे से उसे सब ठीक है बता दिया वो भी संतुष्ट हो गई। मेरी अम्मी भी ज़ुबैदा की बात सुनकर खुश हो गई और प्रार्थना करने लगी। फिर नबीला चाय लेकर आ गई। हम सब ने मिलकर चाय पी और फिर समय देखा तो शाम के 6 बज रहे थे। ज़ुबैदा ने कहा मैं आज बहुत खुश हूँ मैं आज वसीम को उसकी पसंद की बिरयानी और खीर बनाउन्गी और नबीला को कहा आज तुम आराम करो मैं रसोई का साराकाम खुद करूँगी नबीला भी उसकी बात सुनकर हैरान हुई। फिर ज़ुबैदा किचन में घुस गई और नबीला बाहर अम्मी के साथ ही बैठ कर बातें करने लगी कुछ देर बैठ कर फिर मैं उठकर अपने कमरे में चला गया। लगभग 1 घंटे बाद नबीला मेरे कमरे में आ गई और आकर मेरे साथ बेड पर बैठ गई। और मुझे सवालिया नज़रों से देखने लगी। मैंने इसे लाहौर वाली चाची और अपनी पूरी स्टोरी सुना दी मैंने नबीला को साना की कोई बात अभी नहीं बताई थी
फिर नबीला ने कहा भाई इसका मतलब है ज़ुबैदा और चाची की उस लड़के से जान छूट जाएगी और आप को अपनी पत्नी और चाची दोनों का मज़ा मिला करेगा। तो मैंने आगे होकर नबीला के होठों पर एक फ्रेंच किस की और कहा नबीला तुम और बाजी जमीला मेरी जान हो तुम दोनों से बढ़कर कोई नहीं है और जो सुख और आराम तुम ने दिया है वह तो आज तक मुझे ज़ुबैदा से नहीं मिल सका इसलिए ज़ुबैदा की अपनी स्थिति है तुम्हारी अलग है और तुम मुझे अधिक प्रिय और प्यारी हो। नबीला मेरी बात सुन कर खुशी से लाल लाल हो गई। और मेरे गले लग गई और धीरे से मेरे कान में कहा भाई आज मेरा आखिरी दिन चल रहा है कल तैयार रहना मुझे तुमसे मिलना है। और आप को एक खुश खबरी भी सुनानी है। फिर वह उठ कर बाहर चली गई। मैं टीवी देखने लगा और फिर रात का भोजन कर के अपने कमरे में लेटा हुआ था तो 10 बजे ज़ुबैदा घर के सब काम निपटा कर कमरे में आ गई और मुझे पता था वह खुश भी है और वह 2 दिन से मेरे साथ चुदाई करने के मूड में थी। लेकिन आज नबीला ने भी कहा था कल वह भी तैयार है। खैर मैंने ज़ुबैदा को नाराज न करते हुए एक बार जमकर चोदा और फिर उसे थकावट का कहकर सो गया।
अगले दिन सुबह नहा धोकर अपने ही कमरे में बैठा टीवी देख रहा था 11 बजे का समय होगा नबीला मेरे कमरे में आ गई और बोली- भाई आज अम्मी और ज़ुबैदा को खाना खाने के बाद बुआ के घर जाना है उन्हें 1 घंटे का समय वापस आने में लगेगा इसलिए आप तैयार रहना आज मुझे आप से मज़ा लेना है नबीला की बात मैं सुनकर मुस्कुरा पड़ा और कहा ठीक है मेरी जान और फिर वह चली गई। दिन के 2 बजे के करीब खाना खाकर अम्मी ने कहा बेटा मुझे आज तेरी फूफो की तरफ जाना है बहुत दिन हो गए हैं चक्कर नहीं लगा सकी सोचा आज चक्कर लगा लूँ तो मैंने कहा ठीक है अम्मी जी आप बेफिक्र हो जाएं । और फिर ज़ुबैदा और अम्मी चली गईं और मैं अपने कमरे में आ गया और अम्मी और ज़ुबैदा जाने के 10 मिनट बाद ही नबीला मेरे कमरे में आ गई और मैं यह देखकर हैरान हुआ वह अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे कमरे में नग्न हो कर आई थी और आते ही कमरे का दरवाजा बंद किया और झट से मेरे साथ आकर चिपक गई। और बोली भाई 1 सप्ताह आप के बिना पता नहीं कैसे निकाला है मुझे तो बस आप का नशा हो गया है। मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा तो वह फिर बेड पर उठ कर बैठ गई और बोली- भाई मुझे मज़ा नहीं आ रहा है आप अपने कपड़े उतार दें और जल्दी से और मेरी तरह नग्न हो जाओ मैंने उठकर अपने कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा होकर बेड पर टेक लगाकर बैठ गया नबीला फिर मेरे साथ चिपक गई और एक हाथ से मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी और एक हाथ से मेरे लंड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी और बोली भाई आपको पता है। आपके लिए बहुत अच्छी खुशखबरी है। तो मैंने कहा हां तुमने बताया था लेकिन अब सुना भी दो। तो कहने लगी जब आप लाहौर गए थे तो मैं 2 बार बाजी जमीला के घर गई थी और वहाँ एक बात अच्छी हुई कि शाजिया बाजी नहीं मिली उनका पति उन्हें मना कर घर ले गया है। और मुझे उम्मीद है वह अब ज़्यादा अपने घर में ही रहा करेगी। तो मैंने कहा नबीला यह तो अच्छी बात है। अब जमीला बाजी को घर में भी कुछ आराम हो जाएगा और जफर भाई भी काफ़ी समय देंगे।
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