RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मैं फिर बेड के साथ टेक लगा कर बैठ गया और चाची ने मेरा एक हाथ अपने हाथ में पकड़ा हुआ था। फिर मुझे जो जो बातें नबीला ने कही थीं मैंने एक एक करके चाची को बता दीं मैंने चाची को नबीला की वह बात भी बता दी जो नबीला ने चाची को उस लड़के के साथ करते हुए पकड़ा था। काफी देर तक बोलता रहा और चाची चुपचाप सुनती रही। जब चाची को बातें सुना रहा था तो मेरा ध्यान दूसरी ओर था। जब मैंने अंतिम बात यह बोली कि चाची जान आप तय करो इसमें मेरा दोष क्या था। मैंने जब देखा तो चाची आंखों में आंसू ही आंसू थे। चाची ने आगे होकर मेरा हाथ चूम लिया फिर मेरा माथा चूमा फिर मेरे गालों को चूमा और फिर मेरे होंठ पे हल्का सा चुंबन दिया, और पीछे हट कर बेड के साथ टेक लगा कर बैठ गई। और कुछ देर चुप रही। फिर कुछ देर बाद चाची के मुंह से एक रुआंसी सी आवाज़ निकली कि वसीम बेटा जो जो तुमने कहा है वह सब कुछ सच है और इसमें मेरी अपनी कोई गलती नहीं है मैं तुम्हें एक बात सच सच बताती हूं। हो सकता है तुम मेरी बात का विश्वास ना करो और यह भी कहो जैसी बेटी वैसी ही माँ लेकिन बेटा ऐसा कुछ भी नहीं है। फिर चाची ने कहा बेटा जब ज़ुबैदा कॉलेज में जाती थी तो उस लड़के के साथ उसके कॉलेज में मिली थी तो ज़ुबैदा और इमरान के बीच दोस्ती गहरी होती गई और ज़ुबैदा को भी यह बात नहीं थी कि तुम्हारे चाचा ने उसका रिश्ता तुम्हारे साथ तय करना है इसलिए वह इमरान के साथ अपने प्यार की पींग बढ़ाने लगी और यह दोस्ती और प्यार की पींग ज़्यादा खतरनाक साबित हुई। क्योंकि ज़ुबैदा इमरान के चक्कर में बहुत पागल हो चुकी थी जवान थी जवानी ने तंग करना शुरू कर दिया था और इन दोनों की दोस्ती और प्यार की कहानी लंबी होती जा रही थी। फिर ज़ुबैदा जब विश्वविद्यालय में चली गई तो इमरान ने भी इस विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया अब तो ज़ुबैदा और इमरान एक हो गए थे मुझे उस वक्त तक ज़ुबैदा और इमरान के संबंध का कुछ पता नहीं था। बस यही समझती थी कि कॉलेज के दोस्त हैं। लेकिन मैं गलत थी क्योंकि एक दिन ज़ुबैदा ने घर आकर बताया कि अम्मी हमारे कॉलेज का टूर मर्री के लिए जा रहा है। और मैंने भी जाना है हमारा 3 दिन टूर है तुम्हारे चाचा ने मना किया और पर वह बाज नहीं आई मुझे भी इतनी बातों का पता नहीं था। मैंने भी तुम्हारे चाचा को बोलकर उसे अनुमति ले दी और वह मरी चली गई।
बस वही सबसे बड़ी गलती थी। क्योंकि टूर से वापस आने के काफी दिन बाद मैंने नोट किया कि ज़ुबैदा पहले 2 बजे तक घर आ जाती थी। लेकिन फिर धीरे धीरे वह देर से घर आने लगी कभी शाम को 6 बजे कभी 8 बजे घर आती थी। माँ थी मुझे चिंता लग गई थी। एक दिन शाम को 8 बजे वह घर आई तो उसका चेहरा लाल लाल था और काफी परेशान भी लग रही थी। घर आकर अपने कमरे में चली गई डिनर के लिए साना 2 बार उसके कमरे में गई तो वह खाना खाने के लिए नहीं आई मैं किचन का सारा काम खत्म करके लगभग रात 10 बजे अपने कमरे में चली गई तो वह तकिए में सिर देकर लेटी हुई थी और धीरे धीरे रो रही थी।
मैं कमरे का दरवाजा बंद कर उसके बेड पे चली गई और उसके पास बैठकर तकिया उसके मुँह से हटाया तो उसकी आँखें लाल लाल थीं और वह रो रही थी। मेरा तो दिल ही बैठ गया मैंने पूछा ज़ुबैदा मेरी बच्ची क्या हुआ है रो क्यों रही हो। वह मेरी आवाज सुन कर वो और ज़्यादा रोने लगी तो काफी देर रोने के बाद उठ कर मेरे गले लग गई और बोली अम्मी मुझे माफ कर दो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। मैंने उसे दिलासा दिया और बोला बेटी मुझे बताओ क्या हुआ है। फिर उसने जो अपनी कहानी मुझे सुनाई मेरे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। उसने अपनी और इमरान की कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय तक की सारी अपनी प्यार और दोस्ती की कहानी सुनाई उसने कहा पहले पहले तो इमरान मुझे कहीं किसी होटल में या विश्वविद्यालय में अकेली जगह पे ले जाता मुझे बस प्यार करता रहता था मुझे किस आदि करता रहता था फिर धीरे धीरे मेरे मम्मों तक चला गया मुझे अपनी गोद में बैठा कर मेरे मम्मे सहलाता रहता था और किसिंग करता रहता था और कभी कभी कोई सुनसान जगह देख कर मेरी सलवार के अन्दर हाथ डाल कर मेरे योनी को सहला देता था। विश्वविद्यालय तक वो यही कर के मुझे भी मजा देता था खुद भी लेता था उसने और मैंने वादा किया था कि हम आपस में शादी भी करेंगे। लेकिन फिर विश्वविद्यालय में आकर जब हम लोग मर्री गए तो वहां उसने ग्रुप से अलग हो कर एक कमरा ले लिया और मुझे भी बता दिया और एक रात मुझे उस होटल में ही कमरे में बुलाकर मुझसे मज़ा लिया और मजे ही मजे मैं बहक गई और उसने मुझे उस रात चोद दिया और फिर 3 दिन तक लगातार वह मुझे रात को कमरे में बुला लेता और मुझे चोदता रहता था। फिर जब हम वापस आ गए तो काफी बार अपने किसी दोस्त के फ्लैट में भी ले जाता और मुझे चोदता रहता था उसके प्यार में गुम थी मुझे इसके अलावा कुछ नहीं दिख रहा था। फिर एक दिन उसने मुझे कहा कि मेरे एक दोस्त को खुश करो ये वो ही दोस्त था जिसके फ्लैट में वह मुझे ले जाकर चोदता था। मैं उसकी बात सुनकर आगबबूला हो गई। और उसे थप्पड़ मार दिया और बोला तुमने मुझे गश्ती समझ रखा है जो तुम्हारे दोस्त के साथ भी करूंगी यह कभी नहीं होगा। फिर उसने मुझे अपने मोबाइल में एक वीडियो दिखाया जिसे देख कर मेरे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई थी।
यह वीडियो मर्री के उस होटल में बनी हुई थी जिसमें इमरान ने मुझे पहली बार चोदा था। मैं बहुत रोई बहुत गिडगिडाइ लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी। फिर मैं उस वीडियो की वजह से मजबूर हो गई। और उसके दोस्त भी करवाया और उसके ग्रुप के 2 और दोस्त थे जिनसे मैंने करवाया। बेटा फिर ज़ुबैदा ने अपने पिता के डर से उनके साथ समझौता कर लिया। फिर कुछ समय बाद इमरान घर तक आने लगा और जब तुम्हारा चाचा काम पे होता था वह ज़ुबैदा के साथ घर आ जाता और मेरे और साना के होते हुए भी वह ज़ुबैदा को उसके कमरे में चोदता रहता था। यह जानकर भी मेरी बेटी अंदर किसी गैर मर्द से चुद रही है। कई बार मरती थी कई बार जीती थी। फिर तो इमरान ने उस वीडियो की वजह से मेरी बेटी के साथ साथ मुझे भी अपना गुलाम बना लिया क्योंकि उसने ज़ुबैदा को मेरे लिए भी मजबूर करना शुरू कर दिया। और फिर आखिरकार मुझे भी अपनी बेटी की खातिर उसका साथ देना पड़ा। फिर भी औरत थी भावनाओं को रखती थी तुम्हारे चाचा की अनदेखी के कारण भी मैं बहक गई और उसका साथ देने लगी। लेकिन मैंने अपने शरीर को आगे कर ज़ुबैदा को काफी हद तक बचाया था वह लड़का और उसके दोस्तों को मैं अकेले ही निपटा लेती थी। फिर मैंने तुम्हारे चाचा को बोलकर ज़ुबैदा की शादी जल्दी से जल्दी करवा के उसे यहाँ से भेज दिया बाद में अकेले ही इन सब झेल रही थी जब इमरान ज़्यादा तंग कर देता था तो कभी कभी ज़ुबैदा को बुला लेती थी और वह बेचारी भी यहां आकर जितने दिन रहती थी इमरान और उसके दोस्त आकर दिन उसको चोदते थे। फिर उनकी नजर साना पे पड़ी तो मुझे और ज़ुबैदा को साना के लिए मजबूर करने लगे। साना का सुनकर तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई थी क्योंकि मेरी एक बेटी की जिंदगी बर्बाद हो चुकी थी मैं दूसरी बेटी की जिंदगी बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी
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