RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
शाम को लगभग 5 बजे ज़ुबैदा मुझे जगा रही थी और चाय के लिए बाहर बुला रही थी। मैं बेड से उठ कर बाथरूम में घुस गया मुंह हाथ धोकर फ्रेश हुआ तो कमरे से निकल कर बाहर आंगन में आ गया और सभी के साथ चाय पीने लगा और अम्मी के साथ यहाँ वहाँ की बातें करने लगा तो मैं वहाँ से उठकर छत पे चला गया क्योंकि मुझे मेरे इस्लामाबाद वाले दोस्त की कॉल आ रही थी छत पे जाकर उसे फिर कॉल मिलाई तो अभिवादन के बाद उसने मुझे कहा किसी दिन समय निकालकर इस्लामाबाद आओ तुमसे जरूरी बातें करनी हैं । मैंने पूछा क्या समस्या है कुछ बताओ तो सही तो उसने कहा के साना संबंधित तुम्हें कुछ बताना है लेकिन फोन पे नहीं बता सकता। इसलिए तुम समय निकालकर इस्लामाबाद का चक्कर लगाना। मैंने कहा ख़ैरियत तो है साना को क्या हुआ है। तो वह बोला साना ठीक है चिंता मत करो बस तुम यहाँ आ जाओ फिर बैठकर विस्तार में बात होगी। मैंने कहा चलो ठीक है जल्दी ही चक्कर लगाऊँगा अभी मुझे कुछ दिन के लिए लाहौर जाना है एक जरूरी काम है। फिर कुछ देर और बातें करके फोन बंद हो गया
अचानक मेरी नज़र सीढ़ियों के पास खड़ी नबीला पे पड़ी पता नहीं वो कब से खड़ी मेरी बातें सुन रही थी। फिर वह धीरे चलती हुई मेरे पास आई और मुझे बोली भाई क्या बात है आपका दोस्त साना के बारे में क्या कह रहा था साना क्या हुआ ख़ैरियत तो है। मैंने कहा नबीला मेरी जान कोई समस्या नहीं है साना ठीक है वह मेरा दोस्त वैसे ही मुझे बुला रहा था और साना के बारे में बात वहाँ ही बता देगा ज़्यादा कोई समस्या नहीं होगी बस साना की पढ़ाई का कोई मुद्दा होगा जिसके लिए मुझे बुलाया होगा। चिंता की कोई बात नहीं है समय निकालकर जाकर पता कर आऊँगा। नबीला मेरी बात सुनकर शांत हो गई और फिर बोली भाई शाजिया बाजी की दो दो मतलब वाली बातें सुनी थीं। मैं हंस पड़ा और कहा हां सुनी थीं बड़ी ही तेज है मुझ पर खुद ही डोरे डाल रही थी।
नबीला ने कहा भाई जब बाजी की तरफ गई थी तो मैंने शाजिया बाजी को आपसे संबंधित कुछ गर्म बाते और ज़ुबैदा की एक दो बातें बताई थीं। लगता है उसका असर हो रहा है। मैंने कहा हां नबीला तुम ठीक कह रही हो तो मैंने गली में हुई मेरी और शाजिया की बातें सुना दीं नबीला यह सुनकर खुश हो गई और बोली- बस भाई अब शाजिया बाजी पे 1 या 2 बार और मेहनत करनी पड़ेगी तो वे आपके नीचे होगी। और फिर जमीला बाजी का काम भी बेहतर होना शुरू हो जाएगा। जब आप लाहौर जाएंगे तो 1 या 2 चक्कर और लगाऊँगी और शाजिया बाजी को पूरी तरह तैयार कर दूंगी। फिर नबीला ने कहा भाई आपने ज़ुबैदा को बता दिया है कि आप इस्लामाबाद जा रहे हो। तो मैंने कहा अभी नहीं बताया आज रात को बता दूंगा और परसों मैंने जाना भी है। नबीला ने कहा ठीक है भाई अब नीचे चलती हूँ रसोई में थोड़ा काम है मुझे आगे होकर होठों पे एक किस किया और फिर नीचे चली गई
फिर भी कुछ देर टहल कर नीचे आ गया 8 बज चुके थे खाना तैयार था सबने मिल खाना खाया और फिर मैं अपने कमरे में आ गया और टीवी लगा कर बैठ गया। और टीवी देखने लगा लगभग 10 बजे ज़ुबैदा घर का काम खत्म कर के कमरे में आ गई और दरवाजा बंद कर बाथरूम में चली गई। फिर 10 मिनट बाद बाथरूम से निकल कर बेड पे आकर मेरे साथ लेट गई और मेरे साथ चिपक गई और सलवार के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी। मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा ज़ुबैदा मैं परसों जा रहा हूँ मुझे अपनी पेमेंट लेनी है। और अपने दोस्त को भी मिलना है शायद 3 से 4 दिन लग जाएं। तो वो बोली ठीक है जैसे तुम चाहो लेकिन आज तो मेरा कुछ करें। तो उस रात को मैने 2 बार ज़ुबैदा की जमकर चुदाई की और 2 बार की चुदाई से ज़ुबैदा निढाल हो गई थी। और थक कर सो गई और मैं भी सो गया। फिर अगले दिन कुछ खास नहीं हुआ और उस रात ज़ुबैदा के साथ भी कुछ नहीं किया और सो गया और फिर अगले दिन सुबह उठकर तैयारी की अपना बैग तैयार किया और 9 बजे घर से निकल आया और स्टेशन पे आ गया 10 बजे ट्रेन का समय था फिर लगभग 6 बजे के करीब लाहौर पहुंच गया। फिर मैंने अपने प्लान के अनुसार चाची फोन किया और चाची का हाल हवाले मालूम किया तो कुछ देर यहाँ वहाँ की बातें करके मैंने कहा चाची को बताया कि इस्लामाबाद से पेमेंट लेनी थी और अपने दोस्त को भी मिलना था लेकिन मेरा दोस्त कुछ अपने कार्यालय के काम के लिए लाहौर आ गया है उसने ही मेरी इस्लामाबाद से पेमेंट ले कर देनी है। इसलिए मैं अब लाहौर में ही हूँ और मैं किसी होटल मे रात को रुकने के लिए जा रहा हूँ में अपना सामान रखकर आपकी ओर आता हूँ आप से भी थोड़ी देर के लिए मुलाकात हो जाएगी। चाची मेरी बात सुनकर गुस्सा हो गई और बोली वसीम तुम मेरे दामाद हो और लाहौर में आकर होटल में रहोगे। तुमने मुझे नाराज कर दिया है। मैंने कहा चाची आप नाराज मत हो 1 रात की बात है। मैं आपको तंग नहीं करना चाहता था। चाची ने कहा मुझे कुछ नहीं सुनना बस तुम अब अपना सामान लेकर घर आओ और तुम्हें यहाँ रहना है और गुस्से से फोन बंद कर दिया। मेरा प्लान सफल हो गया था। मैंने उनके नंबर पे एसएमएस किया चाची आप नाराज ना हों में सामान ले आपकी तरफ आ रहा हूँ, लेकिन आप ज़ुबैदा को मत बताना नहीं तो वह भी मुझे गुस्सा करेगी।
चाची को जब मेरा एसएमएस मिला तो चाची की कॉल आ गई और बड़ी खुश लग रही थी और बोली वसीम मेरे बेटे मैं नाराज नहीं हूँ मैं ज़ुबैदा को नहीं बताउन्गी तुम बस अब घर आ जाओ। मैं ने कहा जी चाची जान मैं आ रहा हूँ। और फिर मैंने अपना फोन बंद करके रिक्शा पकड़ा और इसमें बैठकर चाची के घर की ओर रवाना हो गया लगभग आधे घंटे बाद चाची के घर के दरवाजे के पास खड़ा था। फिर मैंने रिक्शे वाले को पैसे दिए वह चला गया तो मैंने दरवाजे पे दस्तक दी 1 मिनट बाद ही चाची ने दरवाजा खोला चाची शायद अभी नहा कर निकली थी। उनके बाल गीले थे। मैने घर के अंदर प्रवेश किया और चाची को सलाम किया तो चाची ने सलाम का उत्तर देकर मुझे अपने गले से लगा लिया चाची जब मुझे गले लगकर मिली तो उनके रूई जैसे नरम नरम मोटे मम्मे मेरे सीने के साथ चिपक गए मेरे अंदर चाची के मम्मों को महसूस कर वासना की लहर दोड़गई। और मेरे लंड ने भी नीचे से अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया इससे पहले लंड चाची को अपने आपको दिखाता में चाची से आराम से अलग हो गया और बोला चाची जी अंदर चलते हैं। तो वह भी बोली हां बेटा चलो अंदर चलो मैंने अपने बैग को उठाया घर के अंदर आ गया
अंदर आकर चाची ने बैग मुझसे ले लिया और कमरे में रखने के लिए चली गई और मैं उनके टीवी लाउंज में ही बैठ गया फिर चाची कमरे से निकलकर सीधा किचन में चली गई और वहां से ठंडी कोल्ड ड्रिंक 2 गिलास में डाल कर ले आई एक मुझे दिया और एक खुद लेकर सामने वाले सोफे बैठ गई। जब चाची बैठी तो उन्होंने एक पैर उठाकर दूसरे पैर के ऊपर रख कर अपना शरीर थोड़ा मोड़ लिया जिससे उनकी गाण्ड का एक इनपुट बिल्कुल स्पष्ट हो गया था चाची ने सफेद रंग की टाइट सलवार पहनी हुई थी जिससे चाची की गाण्ड का उभार साफ नजर आ रहा था। यह नज़ारा देख मेरा लंड झटके खाने लगा था मैंने सलवार कमीज पहनी हुई थी मैंने अपनी टांग उठा कर दूसरे पैर के ऊपर रखकर आपस में जोड़ लिया और अपने लंड को जांघों के बीच कैद कर लिया चाची मेरी ये हरकत देख कर समझ गई थी वह पुरानी खिलाड़ी थी सब जानती थी मुझे एक दिल फैंक इमाइल दी और कोल्ड ड्रिंक पीने लगी जब मैंने कोल्ड ड्रिंक खत्म कर ली तो चाची बर्तन उठा कर किचन में चली गई। और कुछ देर बाद आ कर मेरे साथ बैठ गई मुझे घर में सब के बारे में पूछने लगी। फिर चाची ने कहा वसीम बेटा तुम उठ कर नहा लो और फ्रेश हो जाओ मैं इतनी देर में तुम्हारे लिए खाना तैयार करती हूँ फिर एक साथ खाना खाते हैं। मैंने कहा ठीक है। तो चाची ने कहा आओ मैं तुम्हें बाथरूम दिखा देती हूँ.
मैं चाची के पीछे पीछे चल पड़ा चाची मुझे अपने कमरे में ले गई और अपने कमरे से कनेक्ट बाथरूम दिखा कर बोली तुम अंदर जाकर फ्रेश हो जाओ तो बाहर ही आ जाना मैं किचन में तुम्हारे लिए खाना बनाती हूँ। फिर चाची चली गई। मैं भी बाथरूम में घुस गया और अपने कपड़े उतार कर नहाने लगा जब मैं अपने कमरे उतारकर रखने लगा तो मुझे वहाँ चाची के भी कपड़े दिखे और उनके साथ उनकी ब्रा और अंडरवियर भी लटका था। मुझे चाची का अंडरवियर देख कर गर्मी सी चढ़ गई मैं आगे होकर चाची की ब्रा और अंडरवियर को लेकर चेक करने लगा। चाची का अंडरवियर मुझे गीला गीला लगा मैंने उंगली फेरकर गीला पन चेक किया तो कुछ गीली सी चीज़ मेरी उंगली पे लग गई मैं अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने लगा तो मुझे भीनी भीनी सी खुशबू महसूस हुई मैं वहाँ ही मस्त हो गया। मैं चाची के अंडरवियर को अपने लंड पे चढ़ाकर उसे मसलने लगा थोड़ी देर बाद ही चाची के गीले अंडरवियर की खुशबू से मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया और झटके खाने लगा। कुछ देर तक अंडरवियर को अपने लंड के ऊपर मसलता रहा मैं और फिर उसे लटका दिया क्योंकि मैं अंडरवियर के ऊपर फारिग होकर चाची को किसी प्रकार के शक में नहीं डालना चाहता था। फिर नहा कर फ्रेश हो गया और बाथरूम से बाहर निकल आया और फिर आकर टीवी लाउंज में आकर बैठ गया।
चाची सामने खड़ी रसोई में काम कर रही थी। वह रसोई की खिड़की से मुझे देख रही थी मैंने टीवी चला लिया क्रिकेट मैच लगा हुआ था। मैंने कहा चाची साना नहीं आई तो चाची ने कहा कि वह 1 महीने पहले आई थी एक सप्ताह रहकर फिर वापस चली गई थी। अब फिर उसने आना है कह रही थी शायद इस महीने के अंत में चक्कर लगाउन्गी अब उसने फाइनल पेपर देने हैं पढ़ाई सख्त है। इसलिए नहीं आ सकती। फिर मैं और चाची यहाँ वहाँ की बातें करते रहे और चाची किचन में खाना बनाती रही। लगभग 9 बजने वाले थे तो चाची ने किचन में खाना तैयार कर लिया था तो उन्होंने टीवी लाउंज में ही खाना लगा दिया।
चाची ने बिरयानी बनाई थी और साथ में खीर बनाई थी। फिर मैं और चाची बैठ कर खाना खाने लगे खाना खाकर मैं सोफे पे बैठ गया और चाची बर्तन उठाने लगी बर्तन उठा कर किचन में रखकर साफ सफाई करके लगभग 10 बजे चाची खाली होकर आकर मेरे साथ ही सोफे पे बैठ गई अपनी दोनों टाँगें सोफे के ऊपर रख लीं और मुझसे से बातें करने लगी। चाची ने कहा वसीम बेटा तुम सुनाओ सऊदी से आकर पाकिस्तान में दिल लग गया है या नहीं तो मैंने कहा चाची विदेश विदेश होता है अपने देश या अपने घर के बराबर आराम बाहर कहाँ मिलता है और अपने लोगों का प्यार और विचार भी तो अपने देश में ही मिलता है। तो चाची ने कहा, हां यह तो है लेकिन तुमने तो अपनी चाची को कभी अपना समझा ही नहीं है। कभी अपनी विधवा चाची ख्याल तुम्हें आया ही नहीं है।
में चाची की बात सुनकर हंस पड़ा और बोला चाची आपका ख्याल क्यों नहीं है आपका ख्याल नहीं होता तो यहाँ आप के पास क्यों आता और आपका ख्याल था तभी तो आपकी बेटी से शादी भी की थी। चाची ने कहा आज मैं आप से नाराज नहीं होती तो आपने कब आना था। और रही बात मेरी बेटी उसके साथ शादी तो आपने अपने चाचा के प्यार में की है। मुझसे भला किसको प्यार
मैं चाची की बात सुनकर उन्हें देखने लगा तो वह बोली हां मैं सच कह रही हूँ तुम को कहाँ अपनी विधवा चाची की चिंता है। तुम तो अपनी पत्नी के साथ भी यहां नहीं आते हो और कभी फोन पे भी चाची का हाल हवाले नहीं पूछा है
मैने कहा चाची जी आपकी बात बिल्कुल ठीक है लेकिन आप अगर वहाँ गांव में होती तो मैं रोज आपके हाल हवाले पूछ लेता आपका ख्याल भी करता आप हमारा और हमारे चाचा का सम्मान हो। आप का भी हम पे पूरा अधिकार है।
तो चाची ने कहा सही है तो कभी सही तरह से फर्ज़ क्यों नहीं निभाया
मैंने कहा चाची जब आप मौका दें सारा हक़ अदा कर दूंगा आप बोलें तो सही। चाची ने कहा अब बोल कर ही सेवालेनी होगी समझदार हो खुद ही कोशिश कर के फर्ज़ निभा दिया करो। मैंने कहा चाची जी पहले के लिए माफी माँगता हूँ, लेकिन अब के बाद आपकी जो आज्ञा।
चाची मेरी बात सुन कर खुश हो गई। मैंने कहा चाची जी आपकी बेटी से मैं आपका और साना का हाल पूछता रहता हूँ वह तो यही कहती है अम्मी खुश हैं उन्होने कभी भी कोई गिला नहीं किया। चाची गुस्से में बोली हां उसे क्या चिंता है दिन रात लंड मिलता रहता है
चाची मुंह लंड का लफ़्ज सुनकर मैं हैरान हो गया चा चीभी काफी शर्मिंदा हो गई और बोली- बेटा गलती से मुंह से निकल गया था। फिर मैंने कहा चाची आपकी बेटी का अपना नसीब है और खुद अगर आज चाचा जीवित होता तो शायद आप को इस बात की कमी नहीं रहती। आप भी अपनी बेटी की तरह खुश रहती। तो चाची ने कहा बेटा तुम्हें नहीं पता यह दुख काफी पुराना है। तुम्हारे चाचा द्वारा सुख मिलना तो उनके मर जाने से 4 या 5 साल पहले ही खत्म हो गया था। फिर उसके बाद बाद घुटन भरा जीवन गुज़ार रही हूँ।
मैंने कहा चाची आपकी तकलीफ समझ सकता हूँ। चाची ने कहा बेटा ज़ुबैदा तुम्हारी बहुत प्रशंसा करती है। और तुम्हारी वजह से आज सुखी जीवन गुज़ार रही है। में चाची बात सुनकर चुप हो गया। फिर चाची ने कहा वसीम बेटा एक बात पूछना चाहती हूँ तो बुरा तो नहीं मानोगे और क्या अपनी चाची को दोस्त जानकर सच सच बताओगे
मैंने कहा चाची आप कैसी बात कर रही हैं। बताइए आपको क्या पूछना है। चाची ने कहा बेटा तुम पुरुष हो शादी के बाद दो दो साल तक सऊदी में रहते हो कभी अपनी पत्नी की याद नहीं आती थी उसका साथ याद नहीं करते थे। कहीं आप वहाँ कोई और दोस्त तो नहीं बना रखी थी चाची ये बोल कर हंसने लगी। मैं भी मुस्कुरा पड़ा कुछ बोलने ही जा रहा था कि चाची ने कहा 12 बजने वाले हैं तुम भी बैठे बैठे थक गए होगे आओ कमरे में चलकर बेड पे आराम से लेट कर बातें करते हैं बाहर थोड़ी गर्मी भी है अंदर एसी लगा लेते हैं। मैंने कहा ठीक है चाची जैसे आप चाहें
चा ची ने उठकर बाहर का दरवाजा बंद किया रोशनी ऑफ की और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने कमरे में ले जाने लगी तो मैंने कहा चाची में दूसरे कमरे में सो जाउन्गा आप आराम से सो जाएं। तो चाची ने मुंह फुला कर कहा कोई जरूरत नहीं है मेरा बेड बड़ा है तुम भी वहाँ सो सकते हो और दूसरे कमरे में एसी नहीं है और वैसे भी मेरे बेटे हो। और मेरा हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई। और मुझे अपने बेड पे बैठा कर खुद एसी ऑन कर दिया। फिर अलमारी से एक बलैंकट निकाल कर बेड के पैर वाली ओर रख दी और कमरे में ज़ीरो वाट का बल्ब लगाकर बेड पे आकर बैठ गई। मैं अभी भी पैर नीचे लटका कर बैठा था। तो चाची ने कहा वसीम बेटा में खा नहीं जाऊँगी। चलो सही होकर बेड पे बैठ जाओ। मुझे शर्ट उतार कर सोने की आदत थी। चाची ने शायद भांप लिया था तो बोली मुझे पता है तुम शर्ट उतार कर सोते हो तुम अपने शर्ट को उतार कर लेट जाओ।
मैंने शर्ट उतार कर एक तरफ रख दिया और पैर सीधे कर लेट गया अब मेरे और चाची के बीच कोई 1 फुट की दूरी थी फिर चाची ने कहा अब बताओ मैंने तुम से सवाल पूछा था। मैंने कहा चाची पत्नी किसे याद नहीं आती है। मैं भी इंसान हूँ औरत का साथ किसे अच्छा नहीं लगता और सऊदी में मेरा कोई दोस्त नहीं था वहाँ ऐसे दोस्त बनाना बहुत मुश्किल है बस मैं भी 2 साल मजबूरी समझ कर बिता लेता था। फिर चाची ने कहा बेटा क्या मेरी बेटी तुम्हें खुश रखती है ना अगर नहीं रखती है तो मुझे बताओ मैं उसे समझा दूँगी।
मैं चाची की बात सुनकर चुप हो गया। चाची ने कहा बेटा क्या बात है तुम चुप क्यों हो तुम्हारी चुप्पी से मुझे लगता है तुम्हें मेरी बेटी से कोई शिकायत है। तुम मुझे बताओ मैं उसे समझा दूँगी वह तुम्हारा और ज़्यादा ख्याल रखेगी। और यह बात कहकर चाची मेरे और करीब होकर मेरे साथ लेट गई। और मेरे बालों में प्यार से उंगलियां फेरने लगी मैं फिर भी चुप था चाची को उनकी बात का क्या जवाब दूँ यह तो मेरा और ज़ुबैदा का पति पत्नी वाला मुद्दा है। चाची मुझे चुप देखकर बोली वसीम बेटा मैंने कहा था न तुम अपनी चाची को अपना समझते ही नहीं हो इसलिए अगर अपना समझते तो अपने दिल की बात मुझे बता देते ज़ुबैदा मेरी बेटी है मैं उसे समझा सकती हूँ। तुम मेरे दामाद के साथ साथ मेरे भतीजे भी हो। मेरा तो तुम्हारे साथ दोहरा रिश्ता है। फिर भी तुम मुझे अपना नहीं मानते हो तो मत बताओ .
मैं उठ कर बैठ गया और चाची की ओर देखकर बोला चाची जी इस दिल में बहुत कुछ है जो आपको बता सकता हूं लेकिन आपके और मेरे रिश्ते का मान है इसलिए बता नहीं पा रहा हूँ। तो चाची ने कहा बेटा तुम मुझे अपनी एक दोस्त समझकर या अपने दुख का साथी समझकर बताओ। मेरा विश्वास करो मैं अपनी बेटी या किसी भी बात का बुरा या गुस्सा नहीं करूंगी। तुम आज अपना दिल खोल दो। तुम ने इस बात को बोलकर मेरे अंदर के भ्रम को और अधिक पुख्ता कर दिया है मुझे यकीन हो गया है तुम्हारे दिल में निश्चित रूप से बहुत ज़्यादा शिकायतें और सवाल है
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