RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मैं ज़ुबैदा की बात सुनकर हैरान था कितनी आसानी से झूठ बोल कर वह अपने आप को सच्चा बना लेती है। फिर मैंने कहा, हां यह बात तो है। फिर मैंने अपनी सलवार भी उतार दी और नीचे में भी पूरा नंगा हो गया था। कुछ देर मेरा लंड सहलाने के कारण अर्द्ध हालत में खड़ा चुका था। फिर ज़ुबैदा ने आगे होकर मेरे लंड को मुंह में ले लिया और उसकी चुसाइ लगाने लगी। ज़ुबैदा का चुसाइ लगाने का स्टाइल काफी अच्छा था। वह वैसे ही अच्छा होना ही था पता नहीं कितने लंड मुंह में लेकर चुसाइ लगाने का अनुभव था। अब नबीला बेचारी उसका मुकाबला कहाँ कर सकती थी। ज़ुबैदा लंड बड़े ही स्टाइल से मुंह में लेकर चुसाइ लगा रही थी। लगभग 5 से 7 मिनट के अंदर ही उसकी जानदार चुसाइ ने मेरे लंड के अंदर जान डाल दी थी लंड तन कर खड़ा हो गया था। फिर मैंने ज़ुबैदा से कहा बेड के नीचे खड़ी हो जाओ और एक पैर ऊपर बेड पे रख लो और एक जमीन पर रख लो मैं पीछे से योनी के अंदर करता हूं।
वह तुरंत ही मेरी बताई हुई स्थिति में खड़ी हो गई मैं ज़ुबैदा के पीछे जाकर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर ज़ुबैदा की योनी के छेद पे सेट किया और फिर अपने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड को पकड़ कर जोर का झटका मारा मेरा आधा लंड ज़ुबैदा की योनी के अंदर चला गया ज़ुबैदा झटका लगने से थोड़ा आगे हो गई। और उसके मुँह आह की आवाज निकल गई। फिर मैंने फिर से एक और जोरदार झटका मारा और पूरा लंड ज़ुबैदा की योनी की जड़ तक उतार दिया। ज़ुबैदा के मुंह से फिर आवाज़ आई हेययीयियीयियी अम्मिईीईईईईईईई जी। फिर मैं कुछ देर रुक कर लंड ज़ुबैदा की योनी के अंदर बाहर करने लगा शुरू में मैंने अपनी स्पीड धीरे ही रखी जब लंड काफी चिकना हो गया तो मैंने अपनी गति तेज कर दी अब ज़ुबैदा के मुंह से भी सुख भरी आवाज़ें निकल रही थीं। आह आह ओह आह ओह ओह आह। । और ज़ुबैदा भी अपने शरीर को आगे पीछे कर के लंड को अंदर बाहर करवा रही थी। ज़ुबैदा ने एक बार अपना पानी छोड़ दिया था जिसके कारण उसकी योनी के अंदर काफी गीलापन हो चुका था जब मेरा लंड अंदर जाता था तो पिच पिच की आवाज कमरे में गूंज रही थीं। इस स्थिति में मेरे पैरों की भी हिम्मत जवाब देने लगी थी इसलिए मैं पूरी ताक़त से लंड के अंदर बाहर करने लगा दूसरी ओर ज़ुबैदा की सिसकियाँ भी पूरे कमरे में गूंज रही थीं और 5 मिनट की चुदाई के बाद मेरे लंड ने अपना माल ज़ुबैदा की योनी के अंदर छोड़ना शुरू कर दिया था और ज़ुबैदा भी दूसरी बार अपना पानी मेरे साथ ही छोड़ चुकी थी। जब मेरा सारा पानी निकल चुका तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। और बेड पर बैठ गया ज़ुबैदा वैसे ही आगे होकर बेड पे गिर पड़ी और कुछ देर लम्बी लम्बी सांसें लेती रही फिर मैं उठ कर बाथरूम चला गया और अपनी साफ सफाई कर कमरे में आ कर अपनी सलवार पहन कर बेड पे लेट गया । मैंने देखा थोड़ी देर बाद ज़ुबैदा भी हिम्मत करके उठी और बाथरूम चली गई और फिर 10 मिनट बाद वापस आई और आकर अपने कपड़े पहन कर मेरे साथ ही बेड पे लेट गई तो मुझे पता ही नहीं चला कब आंख लग गई और मैं सो गया।
सुबह जब मैं उठा तो बेड पे देखा ज़ुबैदा नज़र नहीं आ रही थी घड़ी में समय देखा तो सुबह 10 बज गए थे। मैं बेड से उठा और बाथरूम में घुस गया और नहा धोकर फ्रेश हो गया .बाहर निकला तो ज़ुबैदा नाश्ता लेकर बैठी मेरा इंतजार कर रही थी। मैने बालों में कंघी की और फिर ज़ुबैदा के साथ बैठकर नाश्ता करने लगा। नाश्ता करके ज़ुबैदा बर्तन उठाकर बाहर चली गई। मैं बेड पे टेक लगाकर बैठ गया और टीवी लगा कर देखने लगा। लगभग 12 बजे के समय मैंने उठकर टीवी बंद किया और कमरे से निकल कर बाहर आंगन में आ गया वहाँ मेरी नजर शाजिया बाजी पे पड़ी वह आंगन में खाट पे बैठी अम्मी के साथ बातें कर रही थी। और नबीला अम्मी के पीछे बैठी अम्मी के सिर में तेल लगाकर मालिश कर रही थी। फिर जब शाजिया बाजी की नज़र मेरे ऊपर पड़ी तो मुझे देख कर उन्होने एक दिल कश मुस्कान दी और बोली- क्या हाल है वसीम आजकल नज़र ही नहीं आते हैं। हम भी तुम्हारे रिश्तेदार हैं कभी हमें भी समय दे दिया करो कभी हमारी ओर भी चक्कर लगा लिया करो।
मैं खाट के पास रखी कुर्सी पे बैठ गया और बोला बाजी मैं ठीक हूँ बस थोड़ा व्यस्त था इसलिए चक्कर नहीं लगा और यह बोलकर मैंने नबीला को देखा तो उसने मुझे आँख मार दी। फिर मैंने कहा बाजी आप सुनाएं आप कैसी हैं आप भी काफी कमजोर हो गई हैं। लगता है दूल्हा भाई की याद में कमजोर हो गई हैं। दूल्हा भाई सुनाएं वे कैसे हैं। मैंने देखा मेरी इस बात से शाजिया का थोड़ा मूड ऑफ हो गया था। और थोड़ा रुक कर बोली वह भी ठीक होंगे उन्हें कौन सा मेरी परवाह है अगर होती तो मुझे यहाँ अकेला रहने देते।
मैंने कहा बाजी आप नाराज क्यों हो रही हैं हम सब हैं न आप की चिंता करने के लिए। मेरी इस बात पे मैंने देखा शाजिया बाजी ने अपने होठों को थोड़ा काट कर मुझे नशीली नज़रों से देखा और फिर फिर अम्मी के साथ यहाँ वहाँ की बातें करने लगी। थोड़ी देर बाद ज़ुबैदा सबके लिए चाय बना कर ले आई। और सबसे चाय पीने लगे . मैं ने चाय समाप्त की और घर में बोल कर बाहर दोस्तों के पास गपशप लगाने के लिए चला गया। दोस्तों के पास समय गुजार कर लगभग 2 बजे जब घर लौट रहा था तो मुझे शाजिया बाजी सड़क के कोने पे मिली दोपहर का समय था गली में सन्नाटा था कोई बंदा न नही था शाजिया बाजी ने मुझे देखा और रास्ते में ही रोक लिया और बोली वसीम कभी हमारी ओर चक्कर लगा लिया करो हम भी तुम्हारे अपने हैं। हर समय ज़ुबैदा में ही घुसे रहते हो थोड़ा बाहर की भी दुनिया देखो और भी बहुत अच्छी अच्छी दुनिया है जहां फुल मज़ा मिलता है। कभी हमें भी अपनी सेवा का मौका दें।
मैं शाजिया बाजी के खुल्लम खुला निमंत्रण पे हैरान रह गया लेकिन एक मायने में खुश भी था चलो अच्छा ही हुआ शाजिया बाजी पे ज़्यादा समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा। मैंने कहा शाजिया बाजी आप को अपने पति को छोड़ कर और किसी की सेवा का ख्याल आ गया है। तो शाजिया बड़े ही खुमार भरी आवाज़ में बोली उसे कहाँ शौक है सेवा करने का वह तो बस सेवा करवा कर दूसरों को गर्म छोड़कर अपनी राह ले लेता है। अब बंदा किस किस को अपने दिल का दुख बताये अब कोई दिल का दुख सुने तो बताऊं कि जीवन में कितना अलगाव और घुटन है।
मैंने कहा शाजिया बाजी आप चिंता क्यों करती हैं। मैं हूँ ना आप का दुख बांटने के लिए अलगाव को समाप्त करने के लिए आज से पहले तो आपने कभी कुछ कहा ही नहीं तो कैसे पता चलेगा आप की क्या समस्या है। शाजिया मेरी बात सुनकर एकदम लाल हो गई और खुश हो गई और बोली वसीम पूरे परिवार में एक तू ही है जिसने मुझे पहचाना है मेरी परेशानी को समझा है। अब समय निकालकर कभी चक्कर लगाओ मैं तुम्हें अपना दुख बताना चाहूंगी। मैंने कहा ठीक है बाजी में जरूर चक्कर लगाऊँगा। फिर वहां से घर आ गया। दरवाजा नबीला ने खोला अंदर सब मेरा ही खाने के लिए इंतजार कर रहे थे। हाथ धोकर उनके साथ बैठ कर खाना खाने लगा। खाना खाकर अपने कमरे में आ गया और बेड पे लेट गया और आंखें बंद करके शाजिया बाजी की कही हुई बातों पे विचार करने लगा। और पता ही नहीं चला कब नींद आ गई और सो गया
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