RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
फिर मैंने मोटर बाइक निकाली और नबीला को साथ लिया और वहाँ से निकल आया। नबीला को बाजी जमीला घर के बाहर छोड़कर में मुल्तान स्टेशन की ओर चल दिया। लगभग 1 बजने में अभी 15 मिनट बाकी थे जब मैं स्टेशन पे पहुंचा था। मैंने मोटर बाइक को एक तरफ खड़ा किया और पैदल चलता हुआ स्टेशन के अंदर चला गया जहां पे ट्रेन आकर रुकती थी। वहाँ ही रखे हुए बेंच पे बैठ गया और ट्रेन का इंतजार करने लगा। लगभग 1 बजकर 5 मिनट पे मुझे ट्रेन की आवाज सुनाई दी। और फिर अगले 5 मिनट में ट्रेन स्टेशन पे आकर रुकी और उसमें से अलग सवारियाँ बाहर निकलने लगीं। लगभग 5 मिनट के बाद ही मुझे ट्रेन की दूसरी बोगी से ज़ुबैदा बाहर निकलती हुई दिखी मैं बेंच से उठा और उसके पास चला गया उसने मुझे देखा और सलाम किया और हम दोनों ने एक दूसरे का हाल पूछा तो मैंने उसका बैग उठा लिया और उसे साथ लेकर स्टेशन से बाहर जहां अपनी मोटर बाइक खड़ी की थी वहाँ ले आया और फिर मैंने उसका बैग आगे मोटर बाइक की टंकी पे रखा और खुद बैठ गया फिर ज़ुबैदा भी पीछे बैठ गई। मैंने मोटर बाइक स्टार्ट की और घर की ओर चल पड़े।
स्टेशन से घर तक का मोटर बाइक यात्रा में लगभग 40 से 45 मिनट का था। जब ज़ुबैदा को लेकर वापस आ रहा था तो जब हम शहर से बाहर आए तो मैं ज़ुबैदा पूछा तुम्हारी तबियत को क्या हुआ था। तो वो बोली कुछ खास नहीं था बुखार चढ़ गया था 3 दिन तक बुखार के कारण तबियत ठीक नहीं रही। मैंने कहा अच्छा अब तबियत कैसी है। अगर ठीक नहीं है तो रस्ते में डॉक्टर को दिखाकर घर चले चलते है। तो ज़ुबैदा ने कहा नहीं रहने दें मेरी तबियत अब कुछ बेहतर है मैंने जो लाहौर से दवा ली थी वह ले रही हूँ वह साथ भी ले आई हूं इससे काफी फर्क है अगर फर्क नहीं पड़ा तो फिर डॉक्टर जाँच करवा लेंगे तो मैंने कहा चलो ठीक है जैसे तुम्हारी इच्छा मेंने कहा चाची कैसी हैं उन्हें भी साथ ले आती वह भी यहां कुछ दिन रह लेती तो ज़ुबैदा ने कहा अम्मी ठीक हैं
ज़ुबैदा ने बताया मैंने कहा था लेकिन वो कहती हैं घर में कोई नहीं है घर अकेला छोड़ कर नहीं जा सकती तो यूं ही बातें करते करते घर नज़दीक पहुँच गए जब जमीला बाजी के घर के करीब पहुंचा तो मैंने बाइक वहाँ पे रोक दी .ज़ुबैदा सवालिया नजरों से मुझे देखने लगी मैंने अपने मोबाइल से नबीला के नंबर पे कॉल मिलाई तो थोड़ी देर बाद नबीला ने कॉल पिक की तो मैंने पूछा नबीला तुम कहाँ हो बाजी के घर हो या घर चली गई हो। तो नबीला ने कहा भाई अभी 15 मिनट पहले घर आई हूँ तुम कहाँ हो खैर तो है। मैंने कहा हां सब ठीक है ज़ुबैदा को लेकर वापस आ रहा था तो सोचा तुम बाजी घर ही होगी तो तुम्हें भी साथ घर ले जाऊँगा। चलो ठीक है मैं घर आ रहा हूँ। मैंने फोन बंद करके जेब में रखा मोटर बाइक स्टार्ट की और घर की ओर चल पड़ा ज़ुबैदा को भी सवाल का जवाब मिल चुका था उसने कोई सवाल नहीं किया और फिर 10 मिनट के बाद में और ज़ुबैदा घर पहुंच गए मैंने मोटर बाइक का हार्न बजाया तो नबीला ने तुरंत दरवाजा खोला मैं बाइक को लेकर अंदर चला गया और आंगन में एक ओर खड़ा कर दिया ज़ुबैदा भी अंदर आ गई और अम्मी आंगन में ही बैठी थीं। ज़ुबैदा उनके गले लगकर मिली और नबीला को भी मिली मैंने देखा ज़ुबैदा को देखकर नबीला का मूड ऑफ हो गया था। फिर ज़ुबैदा सब से मिल कर अपने कमरे में चली गई। मैं भी उसका बैग उठा कर अपने कमरे में आ गया। जब कमरे में प्रवेश किया तो ज़ुबैदा शायद बाथरूम में थी मैं भी बैग अलमारी में रख कर बेड पे चढ़ कर लेट गया।
थोड़ी देर बाद ज़ुबैदा बाहर निकली तो उसके बाल गीले थे शायद वह नहा कर फ्रेश होकर बाहर निकली थी। फिर वह ड्रेसिंग टेबल के पास जाकर अपने बाल सुखा ने लगी। और बाल सुखा कर अपने बालों में कंघी कर रही थी। तभी नबीला ने कमरे में प्रवेश किया उसके हाथ में चाय की ट्रे थी। इसमें 2 कप चाय के रखे थे। और चाय टेबल पे रख कर बोली भाई आप चाय पी लें खाना तैयार होने वाला है फिर बाहर आकर खाना खा लें। मैंने कहा ठीक है वह फिर बाहर चली गई। मैंने अपना चाय का कप उठा लिया और चाय पीने लगा ज़ुबैदा भी अपने बालों में कंघीकरके उसने अपना चाय कर कप उठा लिया और दूसरी तरफ से बेड पे आकर बैठ गई और चाय पीने लगी। मैंने ज़ुबैदा से पूछा तुम्हारी बहन साना का क्या हाल है क्या वह घर आती रहती है। तो ज़ुबैदा ने कहा हां, वह ठीक है और घर भी महीने या 2 महीने के बाद चक्कर लगा लेती है कभी कभी अम्मी भी जाकर 1 दिन के लिए उसके पास चली जाती हैं अभी 1 महीना पहले भी घर आई हुई थी। कहती है समय नहीं मिलता पढ़ाई पहले है। फिर ज़ुबैदा ने कहा आप सुनाएं आप कैसे हैं मुझे याद भी नहीं किया। मैं ज़ुबैदा के इस सवाल से बौखला सा गया क्योंकि वास्तव में मैंने उसे याद नहीं किया था
क्योंकि जब मुझे इस बारे में बात पता चली थीं और फिर जब नबीला मेरे इतने करीब हो गई थी उसने मुझे ज़ुबैदा के बारे में सोचने से ही नहीं दिया। मैं अभी ज़ुबैदा के सवाल का जवाब ही सोच रहा था तो ज़ुबैदा ने कहा क्या हुआ आप किन सोचों में गुम हैं। मैंने कोई मुश्किल सवाल पूछ लिया है।
मैंने कहा नहीं मुश्किल सवाल नहीं है लेकिन इतना भी जरूरी नहीं है। अगर तुम्हारी चिंता न होती तो तुम्हें फोन भी नहीं करता और मैं तो तुम्हें लेने जा रहा था लेकिन तुमने ही कहा था तुम नहीं आओगी और अम्मी के साथ कुछ दिन के लिए मरी जा रही हो तो ज़ुबैदा ने कहा हां अम्मी ने सोचा था और अम्मी पहले इस्लामाबाद जाएँगी तो वहां से साना को साथ लेकर कुछ दिन के लिए मरी चले जाएंगे वो भी खुश हो जाएगी और हमारा भी मौसम बदल जाएगा। लेकिन फिर मैं बीमार हो गई और हमारी योजना नहीं बन सकी . फिर मैं और ज़ुबैदा यहाँ वहाँ की बातें करते रहे और लगभग 2 बजे नबीला कमरे में आई और बोली- आप आ जाएं खाना लग गया है और वह यह बोल कर बाहर चली गई। मैं बेड से उठा हाथ धोकर ज़ुबैदा को बोला हाथ धोकर आओ भोजन तैयार है। वह बाथरूम में चली गयी मैं बाहर आ गया जहां पे खाने लगा था अम्मी और नबीला वहाँ ही बैठे थे फिर 2 मिनट बाद ही ज़ुबैदा भी आ गई। फिर हम सब ने मिलकर खाना खाया और भोजन समाप्त होकरकरके फिर अपने कमरे में आ गया और नबीला और ज़ुबैदा किचन का काम करने लग गईं
लगभग 3 बजे ज़ुबैदा काम निपटा कर कमरे में आ गई और आकर दरवाजा बंद कर दिया और आकर बेड पे बैठ गई तो फिर उठी अलमारी से अपना बैग निकाला और उसकी जेब से अपनी दवाई निकाल कर पानी के साथ अपनी दवाई खाने लगी मैं बेड पे लेटा हुआ था और उसे देख रहा था। फिर वह दवाई खाकर मेरे साथ ही लेट गई और बोली- मुझे पता है आप को मेरी जरूरत है, लेकिन मैं 1 या 2 दिन में पूरा ठीक हो जाऊँगी तो आप जो कहेंगे करूंगी। अब के लिए माफ कर दें। मैंने कहा बात नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तुम बीमार हो तुम आराम करो जब तुम्हारा अपना दिल करे तो मुझे बता देना। फिर वह मेरी बात सुन कर खुश हो गई और आगे होकर मेरे होंठ पे किस कर दी और फिर करवट बदल कर लेट गई मैं भी थोड़ा थक गया था मुझे भी नींद आ गई और मैं भी सो गया। फिर 2 दिन ऐसे ही बीत गए और कुछ खास नहीं हुआ न ही मेरी नबीला से कोई लंबी-चौड़ी बात हो सकी।
फिर 1 दिन दोपहर को अपने बेड पे लेटा हुआ था लगभग 3 बजे का समय होगा जब ज़ुबैदा अपना काम निपटा कर कमरे में आई और दरवाजा बंद कर मेरे साथ बेड पे आकर लेट गई और मेरे होंठ पे किस देकर बोली वसीम आज मैं बिल्कुल ठीक हूँ आज रात मुझे आपके प्यार की जरूरत है। तो मैंने कहा ठीक है मुझे कोई समस्या नहीं है। फिर रात को खाना आदि खाकर छत पे चला गया और थोड़ी देर टहलता रहा तो 10 बजे के करीब नीचे अपने कमरे में आ गया। ज़ुबैदा अब भी कमरे में नहीं आई थी। मैंने टीवी ऑन किया और कमरे की रोशनी को बंद कर के बेड पे टेक लगाकर बैठ कर टीवी देखने लगा। लगभग आधेघंटे के बाद ज़ुबैदा कमरे में आई और आ कर दरवाजा बंद कर दिया और बाथरूम में चली गई और 5 मिनट बाद बाथरूम से वापस आ गई और बेड के पास आकर अपने कपड़े उतारने लगी और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो कर बेड पे आ गई और मेरे साथ चिपक गई मैंने भी सिर्फ सलवार और बनियान पहनी हुई थी। उसने सलवार के ऊपर से मेरा लंड पकड़ लिया और मेरे होंठ पे किस कर बोली वसीम कितने दिनों से तुम्हारे बिना दिन गुजार रही हूं। मुझे आपकी बहुत याद आई थी मैं कब की वापस आ जाती क्या करूँ में बीमार हो गई थी। और साथ ही सलवार के ऊपर से ही मेरा लंड को भी सहला रही थी। मैंने कहा मैं तो 2 साल बाहर था तब तुम कैसे गुजारा करती थी। मेरे इस सवाल पे वह बौखला गई और थोड़ी देर चुप हो गई। फिर हिम्मत इकट्ठा करके बोली वह तो पता होता था आपने 2 साल वापस नहीं आना है इसलिए उंगली से ही अपनी प्यास बुझा लेती थी। अब तो आप यहाँ आ गए हैं जब पता हो तो नज़दीक है बंदा तो ज़्यादा याद आती है .
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