Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
10-10-2018, 01:36 PM,
#2
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मलाई वाली रात भी बीत गई और मुझे समझ नहीं आ रही थी मैं करूँ तो क्या करूँ और कैसे अपने दिल की बात करूं। और फिर अगली सुबह ज़ुबैदा के घरवाले आ गए और ज़ुबैदा उस दिन दोपहर को अपने माता पिता के साथ लाहौर अपने घर चली गई। ज़ुबैदा के चले जाने के बाद बस अपने कमरे में ही पड़ा रहा बस अपने भ्रम के बारे में ही सोचता रहा मेरी बड़ी बाजी जमीला भी अपने बच्चों के साथ घर पे ही आई हुई थी शादी के बाद वह अपने घर ससुराल नहीं गई थी। शाम तक अपने कमरे में ही था तो 6 बजे के वक्त होगा जब जमीला बाजी मेरे कमरे में आई और लाइट ऑन कर मेरे बिस्तर के पास आ गई में इस लेकिन जाग रहा था।

बाजी मेरे पास आकर बोली वसीम क्या हुआ यूं कमरे में अकेला क्यों बैठा है बाहर सब से अब्बा जी तुम्हारा पूछ रहे हैं। मैं उठ कर बैठ गया और बोला बाजी बस वैसे ही तबीयत ठीक नहीं थी और लेटा हुआ था। बाजी मेरे बेड पे बैठ गई और मेरे माथे पे हाथ रखा तो मुझे बुखार आदि तो नहीं था इसलिए बाजी बोली तुम्हें बुखार भी नहीं है फिर मन क्यों खराब है। मैंने कहा वैसे ही बाजी थकान सी हो गई थी तो शरीर में दर्द था . बाजी ने कहा चल मेरे भाई लेट जा तेरा शरीर दबा देती हूँ। मैंने कहा नहीं बाजी मैं ठीक हूँ बस थोड़ी सी थकावट के कारण ऐसा हो रहा है आप परेशान न हों। मैं बेड से उठ कर खड़ा हो गया और बाजी से बोला चलो बाजी बाहर ही चलते हैं बाजी और मैं बाहर आ गए बाहर आंगन में सब बैठे चाय पी रहे थे। मैं भी वहां बैठ गया और चाय पीने लगा और यहाँ वहाँ की बातें करने लगा। घर में शायद नबीला ही थी जो मेरी हर परेशानी और बात को समझ जाया करती थी


वह बाजी के चले जाने के बाद भी मेरा बहुत ध्यान रखती थी घर की सारी जिम्मेदारी उसके ऊपर थी और घर का काम वह अकेले ही करती थी मैं वहाँ काफी देर तक बैठा बाजी और नबीला उठकर किचन में खाना बनाने चली गई। और मैं वहाँ से उठकर सीधा छत पे चला गया और वहाँ चार पायी रखी थी उस पे लेट गया और दुबारा फिर से ज़ुबैदा के बारे में सोचने लगा। । लगभग 1 घंटे बाद नबीला छत पे आई और आकर बोली वसीम भाई खाना तैयार हो गया है नीचे आ जाओ सब इंतजार कर रहे हैं। मैंने कहा ठीक है तुम चलो मैं आता हूँ वह यह कहकर नीचे चली गई और मैं भी वहाँ से उठ कर नीचे आ गया और सभी के साथ मिल बैठ कर खाना खाने लगा खाने के दौरान भी मैं चुप ही था। खाना खाकर मैं थोड़ी देर तक अम्मी और अब्बा जी से बातें करता रहा और फिर उठ कर अपने कमरे में आ गया और आकर बेड पे लेट गया मैं सोचने लगा मुझे ज़ुबैदा से बात करनी चाहिए और अपना कार्यक्रम समाप्त करना चाहिए। फिर मैं यही सोचता सोचता सो गया अगले दिन दोपहर का वक्त था जब मैं अपने कमरे में बैठ कर टीवी देख रहा था तो जमीला बाजी मेरे कमरे में आ गई और आकर मेरे साथ बेड पे बैठ गई। 


कुछ देर तक वे भी चुपचाप टीवी देखती रही फिर कुछ ही देर बाद बोली वसीम मुझे तुमसे एक बात पुछनी है। मैंने टीवी की आवाज धीरे कर दी और बाजी की ओर देखकर बोला कहो बाजी आपको क्या पूछना है। बाजी बोली वसीम में 3 दिन से देख रही हूँ तुम बहुत चुप चुप से रहते हो शादी तक तुम इतना खुश थे और शादी की रात तक इतना खुश नजर आ रहे थे और वैसे भी ज़ुबैदा तुम्हें पसंद भी थी तो आखिर ऐसी क्या बात है तुम शादी रात से लेकर अब तक चुप हो क्या समस्या है मुझे बताओ मैं तुम्हारी बड़ी बाजी हूँ कोई ज़ुबैदा के साथ समस्या हुई है। मुझे बताओ शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूँ। 


में बाजी की बात सुनकर थोड़ा बौखला-सा गया और फिर जल्दी से अपने आप को संभाला और बाजी को कहा बाजी कोई ऐसी बात नहीं है और न ही ज़ुबैदा के साथ कोई समस्या हुई है। आप बेवजह परेशान ना हों। बाजी ने कहा फिर अपने कमरे में ही क्यों बैठे रहते हो बाहर क्यों नहीं निकलते तो बाजी थोड़ा हंस कर बोली लगता मेरे छोटे भाई को ज़ुबैदा की याद बहुत आती होगी। में बाजी की बात सुनकर शर्मा गया और बोला नहीं बाजी ऐसी कोई बात नहीं है। बाजी ने कहा अगर मेरा भाई उदास है तो ज़ुबैदा को फोन करती हूं वह जल्दी वापस आ जाए और आकर मेरे भाई का ख्याल रखे। मैंने तुरंत बोला नहीं बाजी ऐसा मत करो मैं बिल्कुल ठीक हूँ कोई उदास नहीं हूँ आप उसको मत बुलाओ वह अपने माता पिता के घर गई हुई है उसे रहने दो। 

बाजी ने कहा, ठीक है नहीं करती लेकिन तुम अपनी हालत ठीक करो बाहर निकलो किसी से मिलो बात करो। मैंने कहा जी बाजी आप चिंता न करें मैं जैसा आप कह रही हैं, वैसा ही करूंगा। फिर बाजी कुछ देर वहाँ बैठी यहाँ वहाँ की बातें करती रही और फिर उठ कर चली गई। मैंने सोचा मुझे घर में किसी को दुख में नहीं डालना चाहिए जब ज़ुबैदा आएगी तो उससे बात करके ही कुछ आगे विचार होगा 2 दिन के बाद बाजी अपने घर चली गई और दिन यूं ही गुजर रहे थे तो कोई एक सप्ताह बाद ज़ुबैदा वापस आ गई उसके माता पिता ही उसे छोड़ने आए थे वे एक दिन रह कर वापस चले गए। हर रोज़ ही ज़ुबैदा के साथ बात करने का सोचता लेकिन वक्त आने पे मेरी हिम्मत जवाब दे जाती थी। लगभग हर दूसरे दिन ही ज़ुबैदा को चोदता था उसका मेरे साथ खुलकर साथ देना और हंसी खुशी मेरे साथ रहना और बातें करना मेरे दिमाग़ के टेन्षन को समाप्त कर देता था लेकिन अकेले में मेरा ज़मीर मुझसे सवाल करता रहता था। और यूं ही दिन बीतते जा रहे थे और अंत में नौकरी की मेरी छुट्टी खत्म हो गई मुझे पाकिस्तान आए हुए 3 महीने हो गए थे
Reply


Messages In This Thread
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना - by sexstories - 10-10-2018, 01:36 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,561,550 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 551,258 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,258,815 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 951,837 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,688,449 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,110,317 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,001,576 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,225,056 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,092,817 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,803 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 9 Guest(s)