Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:37 PM,
#81
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अलका पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी उसके बदन में अपने बेटे के सामने पेंटी उतारने की बात से ही गुदगुदी होने लगी थी। उसके हाथों में अभी भी कपड़ों का ढेर था वह कहां धीरे-धीरे नीचे ले जाने लगी, राहुल की आंखों में वासना का नशा छाने लगा था,वह बहुत कामुक नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था। उसकी मा भी राहुल की तरफ देखते हुए एक हाथ घुटने तक ले जाकर झुकते हुए, धीरे धीरे उंगलियों से साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी। यह नजारा देखते ही राहुल के साथ ही तीव्र गति से चलने लगी उसके बदन में रोमांच की लहर दौड़ ने लगी। छत पर केवल राहुल ओर अलंका ही थै अंधेरा छाने लगा था कोई उन्हें छत पर देख भी ले ऐसी कोई उम्मीद भी नहीं थी.। धीरे धीरे करके अलका ने अपनी साड़ी को जांघों तक उठा दि,
गोरी गोरी नंगी टांगें देखते ही राहुल के लंड नें ठुनकी मारना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे अलका अपने बेटे के सामने अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी वैसे वैसे उसकी सांसो का जोर बढ़ने लगा था। धीरे धीरे करके अलका हाथों मे कपड़े का ढेर लिए और एक हाथ से अपनी साड़ी को उठाते हुए साड़ी को जांघो के ऊपर तक सरका दी। साड़ी अब जांघो के ऐसे स्थान तक पहुंच गई थी कि जहां से उसकी पैंटी की किनारी दिखने लगी थी जिस पर राहुल की नजर जाते हैं उसका हाथ खुद ब खुद उसके टन टनाए हुए लंड पर चला गया जो कि इस समय पेंट के अंदर ही गदर मचाए हुए था। अलका भी अपने बेटे को इस तरह से पेंट के ऊपर से ही लंड को सहलाते हुए देखकर चुदास के रंग में रंगने लगी। अलका का भी चेहरा उत्तेजना में तपकर लाल टमाटर की तरह तमतमा रहा था।अलका मुंह हल्का सा खुल चुका था वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी अस्पताल वाली घटना को वह पूरी तरह से भूल चुकी थी विनीत का ख्याल उसके दिलों दिमाग से निकल चुका था इसलिए वह इतनी सहज और उत्तेजित नजर आ रही थी। वासना का रंग एक बार फिर से उसके ऊपर चढ़ने लगा था। वह साड़ी को वहीं पर रोक दी जहां से पेंटी की किनारी नजर आ रही थी उस गुलाबी रंग की पैंटी के किनारी को देखते ही राहुल के होश उड़ने लगे थे मदहोशी छाने लगी थी। उसके चेहरे पर उत्तेजना की लालीमा साफ नजर आ रही थी और अलका यही देखना ही चाहती थी। अलका साड़ी को थोड़ा और कमर तक उठा दी अब उसकी गुलाबी रंग की पेंटी पुरी तरह से साफ साफ नजर आने लगी । यह नजारा देख करके राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। अपने बेटे की यह तड़प देखकर अलका मन ही मन मुस्कुरा रही थी। अलका भी कुछ ज्यादा ही उत्सुक थी अपनी पैंटी को उतारने के लिए वह पेंटिं के साथ-साथ अपनी बुर भी दिखाना चाहती थी। ऐसा भी नहीं था कि अलका पहली बार अपनी बुर के दर्शन अपने बेटे को करवा रही हो और ऐसा भी नहीं था कि राहुल पहली बार ही अपनी मां की बुर देखने जा रहा हो । इससे पहले भी यह दोनों सारी मर्यादा को लांघ कर एक हो चुके हैं। दोनों एक दूसरे के अंगों को देख चुके हैं सहला चुके हैं चुम चुके हैं सब कुछ कर चुके हैं। लेकिन फिर भी आज दोनों इस तरह से कामोत्तेजित हो चुके थे एक दूसरे के अंग को देखने दिखाने के लिए की ऐसा लग रहा था कि दोनों आज पहली बार एक दूसरे को ईस हाल में देख रहे हो।
गजब का नजारा बना हुआ था शाम ढल चुकी थी हल्का हल्का अंधेरा छाने लगा था राहुल और अलका दोनों छत पर थे। अलका के हाथों में कपड़ों का ढेर था और वह एक हाथ से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए थीऊसकी गोरी गोरी मांसल जांघें अंधेरे में भी चमक रही थी और उसकी छोटी सी गुलाबी रंग की चड्डी जिसे देखकर राहुल बेचैन हो जा रहा था वह बार बार पेंट के ऊपर से ही अपने टंनटनाए हुए लंड को सहलाए जा रहा था। तभी अलका जिस हाथ में कपड़ों का ढेर ली हुई थी उसी हाथ से साड़ी को थाम ली और दूसरे हाथ से अपनी पैंटी को नाजुक उंगलियों में उलझाकर नीचे की तरफ सरकाने लगी , जैसे ही अलका अपनी पैंटी को उंगलियों के सहारे नीचे सरकार ने लगी वैसे ही राहुल की सांसे भारी होने लगी उत्तेजना के मारे उसका बुरा हाल हो रहा था अपनी मां को अपनी पैंटी उतारते देख कर उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा। अलका अपने बेटे को तड़पाते हुए धीरे-धीरे अपनी पैंटी उतारने लगी। कभी इस साइड से पैंटी को थोड़ा नीचे सरकारी तो कभी दूसरे साइट पर इस तरह से करते करते वह अपनी पैंटी को जांघो तक सरका दी। अलका की बुर एकदम नंगी हो गई थी राहुल उसे देखते ही तड़प ऊठा और उसे छुने के लिए मचल रहा था। बुर पर हल्के हल्के बालो का झुरमुट स उग गया था, क्योंकि विनीत वाले हादसे के बाद से अलका ने उस दिन से अब तक एक बार भी क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ नहीं की थी। इसलिए एकदम तरोताजा दिखने वाली अलका की बुर इस समय हलके हलके बालों के झुरमुट से घिरी हुई देखकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन राहुल को अपनी मां की बुर पर यह हल्के हल्के बाल और भी ज्यादा कामुक्ता का एहसास दिला रहे थे। दोनों की हालत खराब हो जा रहे थे दोनों के मन की लालसा बढ़ती ही जा रही थी अलका नो धीरे से पेंटी को घुटनों के नीचे सरका दी, घुटनों के नीचे आते ही पेंटी खुद-ब-खुद पैरों में जा गिरी
इसके बाद पैंटी निकालने के लिए अलका को ज्यादा जहमत उठाना नहीं पड़ा वह पेंटी में से एक पैर को खुद ब खुद निकाल ली, लेकिन एक पैर में अभी भी उसकी पैंटी फसी हुई थी जिसे वह बिना निकाले ही बड़े ही कामुक अदा से अपना वह पैर हल्के से उठाकर राहुल की तरफ बढ़ा दी राहुल अपनी मां का यह ईसारा समझ गया और तुरंत अपनी मां की तरफ बढ़ा और अपने घुटनों के पास बैठकर अपनी मां के पैर में फंसी हुई उसके गुलाबी रंग की पैंटी को पकड़कर पेर से बाहर निकाल लिया। पेंटी को हाथ में लेते ही राहुल तुरंत पेंटी को अपने नाक से लगाकर सुंघने लगा, राहुल मस्त होकर अपनी मां की पहनी हुई पैंटी को सुंघने लगा। जिसे वह दिनभर पहने हुए थी, पेंटी जो कि हमेशा अलका की मादक खुशबू से भरी रसीली बुर से और उसकी भरावदार गांड से चिपकी हुई रहती थी। जिसकी मादक खुशबू उसकी पैंटी मे उतर आई थी। जिसे सुंघते ही राहुल मदमस्त हो गया। पैंटी की मादक खुशबू उसके नथूनों से होकर सीने में भरते ही उसके पूरे बदन में चुदास की लहर दौड़ने लगी। वह आहें भर-भर कर पैंटी को अपनी नाक और होंठो से रगड़ते हुए पेंटी की मादक खुशबू का मजा ले रहा था। राहुल को इस तरह से अपनी पैंटी सुंघते हुए देखकर अलका का भी मन बहकने लगा। उसने अब तक अपनी साड़ी को नीचे करने की शुध बिल्कुल नहीं ली थी। या जानबूझकर वह अपनी साड़ी को कमर से पकड़ी हुई थी' ताकि राहुल की नजर उस पर भी बराबर बनी रहे। 
दोनों के बदन मे ऊन्माद अपना असर दिखा रहा था। राहुल पैंटी को सुघते हुए रसीली बुर पर बराबर नजर गड़ाए हुए था। उसकी आंखों के सामने दुनिया की बेशकीमती चीज बेपर्दा थी भला वह उसे छूने की अपने लालच को केसे रोक सकता था इसलिए वह घुटनों पर चलते हुए अपनी मां की तरफ बड़ा और उसे अपनी तरफ बढ़ता हुआ देख कर अलका कसमसाने लगी। क्योंकि वह समझ गई थी कि अब राहुल क्या करने वाला है उसके बारे में सोचकर ही उसके पैरों में कपकपी सी होने लगी। और अलका के सोचने के मुताबिक ही राहुल हाथ में पैंटी लिए हुए ही उसकी जांघों को हथेली में दबोच कर अपनी नाक को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए उसकी मादक खुशबू को अपने अंदर खींचने लगा। राहुल की हरकत कर अलका एकदम मस्त होने लगी ऊसके बदन मे सुरसुराहट सी होने लगी। अभी राहुल को पत्तियों के बीच नाक लगाएं उसकी मदद खुशबू को अपने अंदर खींचते कुछ सेकंड ही बीते थे कि वह झटके से जांघो को पकड़े हुए ही अपनी मां को दूसरी तरफ घुमा दिया और अलका अपने बेटे के इस हरकत पर गिरते गिरते बची हो तो अच्छा हुआ कि उसके हाथों में दीवार की किनारी आ गई लेकिन उस कीनारी को पकड़ते पकड़ते उसके हाथों से कपड़ों का ढेर नीचे गिर गया लेकिन कमर तक उठी हुई साड़ी नीचे नहीं गिरी राहुल आज कुछ और करना चाहता था। इस तरह से अलका को घुमाने से उसकी भरावदार नितंभ राहुल के आंखों के सामने हो गई और राहुल तुरंत अपनी मां की भरावदार गोरी गोरी और एकदम रुई की तरह नरम गांड की दोनो फांको को अपनी दोनों हथेलियों में दबोच कर फैलाते हुए फांको के बीच अपना मुंह सटा दीया। अपने बेटे की इस हरकत पर अलका पूरी तरह से गनगना गई। उसे समझ में नहीं आया कि राहुल कर क्या रहा है जब तक वह समझ पाती इससे पहले ही राहुल फांकों के बीच अपनी नाक सटाकर ऊसकी मादक खुशबू को अपने अंदर खींचने लगा। अलका एकदम मदमस्त होने लगी उसकी आंखों में नशा छाने लगा। उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

ससससहहहहहह....।राहुल .....
( अलका का इतना कहना था कि तभी सीढ़ियों के नीचे से सोनू की आवाज आई।)

सोनू की आवाज सुनते ही अलका पूरी तरह से हड़बड़ा गई, लेकिन राहुल अपने काम में डटे ही रहा ।वह अपनी मां की भरावदार गांड की दोनो फांकों को अपनी हथेलियों में दबोच कर अपना मुंह फांकों के बीच में डाल कर मस्त हुए जा रहा था उसे इस समय किसी की भी चिंता नहीं थी। उसे भी सोने की आवाज आई थी जोकि अलका को ढूंढ रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी इस मस्ती को खोना नहीं चाहता था उसके रग-रग में अलका की भरावदार गांड से आ रही मादक खुशबू दौड़ रही थी। अलका बार-बार अपने हाथ से राहुल के बालों को पकड़कर उसे हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन राहुल था क्या अड़ा हुआ था। वह इस समय किसी भी कीमत पर अपनी मां की भरावदार नितंबों को छोड़ना नहीं चाहता था। क्योंकि इस समय उसे अपनी मां के नितंबों से बेहद आनंद कीे अनुभूति हो रही थी। एकदम रुई की तरह नरम-नरम भरावदार गांड ऐसे लग रही थी मानो कोई लचकदार तकिया हो। राहुल के इस हरकत से अलका पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी, ओर ऊसकी बुर की धार पकड़कर मदन रस रिस रहा था। राहुल नरम नरम नितंबों को दबाते हुए गांड का मजा ले रहा था लेकिन तभी फिर से दोबारा सीढ़ियों के नीचे से आवाज आई।


मम्मी ओ मम्मी छत पर क्या कर रही हो? 
( इस बार सोनु की आवाज सुनकर अलका पूरी तरह से घबरा गई वह राहुल को छोड़ने के लिए कहने लगी।) 

राहुल छोड़ मुझे जाने दे सोनू मुझे बुला रहा है अगर कहीं वह ऊपर आ गया तो गजब हो जाएगा।( ऐसा कहते हुए वह अपने हाथ से राहुल को पीछे की तरफ ठेलने लगी। लेकिन राहुल था की छोड़ने से इंकार कर रहा था।)

मम्मी मुझे बहुत मजा आ रहा है आपकी मदद गांड की खुशबू मुझे मदहोश बना रही है।( ऐसा कहते हुए वह लगातार गांड की दरारों के बीच अपनी नाक रगड़े जा रहा था।) 

मम्मी कितना समय लगा रही हो।( सीढ़ियों के नीचे से फिर से सोनू आवाज लगाया।) 

बस राहुल मुझे अब जाने दे (इतना कहने के साथ ही अलका ने जोर से राहुल को पीछे की तरफ धकेला और राहुल भी अलका के इस धक्के से गिरते गिरते बचा, अलका राहुल की गिरफ्त से आजाद हो चुकी थी, और अपने कपड़े दुरुस्त करके नीचे गिरे हुए कपड़ों को समेटने लगी.। राहुल अपनी मां को ही देखे जा रहा था उसका हाल बुरा था उसके बदन में काम अग्नि की आग लपटे ले रही थी । अलका अपने कपड़े समेटकर जाने लगे जाते-जाते वह पीछे मुड़कर देखे उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान फैली हुई थी उसकी नजर राहुल के हाथ में जो कि अभी भी उसकी पैंटी थी उस पर गए और वह नीचे सीढ़ियों पर उतरने के लिए पांव रखते हुए बोली मेरे कमरे में आ जाना मेरी पैंटी लौटाने के लिए और इतना कहकर हंसते हुए चली गई। राहुल अलका को कातिल मुस्कान बिखेऱ कर जाते हुए देखता रह गया।
वह वहीं बैठा-बैठा खुश होने लगा क्योंकि आज दश पन्द्रह दिनों के बाद कुछ काम बना था उसे इस बात की खुशी होने लगी कि ईतने दिनों के बाद आज फिर से उसका काम बनता नजर आ रहा था। 
अलका अपनी पैंटी वहीं छोड़ गई थी जोंकि राहुल के हाथों में थी। अलका इस समय
साड़ी के नीचे बिल्कुल नंगी थी। इसका एहसास होते ही राहुल के बदन में गुदगुदी होने लगी उसके लंड में ऐठन बढ़ गया, और वह एक बार फिर से अपनी मां की पैंटी को नाक से लगाकर गहरी सांस लिया और फिर उसे अपने पैंट की जेब में रख लिया।

रसोई घर में खाना बनाते समय अलका का भी बुरा हाल था इसे भी बहुत दिनों के बाद उत्तेजना का एहसास हुआ था एक बार फिर से उसका मन मचल रहा था राहुल के लंड को लेने के लिए बहुत दिनों से उसकी बुर में उसके बेटे का मोटा लंड नहीं गया था जिसकी वजह से बुर की खुजली भी बढ़ती जा रही थी। वह रोटियां बनाते समय गर्म तवे को देख रही थी जिस पर रोटी रखते ही वह गरम होकर फूल जाती थी। मुझे इस बात का एहसास हो गया कि तवे की रोटी की तरह ही उसकी बुर का भी यही हाल था। क्योंकि इस समय वह भी गरम होकर फुल चुकी थी जिसका एहसास ऊसे बार-बार साड़ी के ऊपर से ही उस पर हाथ लगाने से हो रहा था। अलका का मन बहकनें लगा था। आज उसको राहुल के लंड की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ रही थी रोटी बनाते समय बार-बार उसे छत वाली घटना याद आ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल उसका इतना ज्यादा दीवाना हो चुका है। उस पल को याद करके वह रोमांचित हो उठती थी जब राहुल, अपना मुंह उसके भरावदार गांड की फांकों के बीच डाल कर उसकी मादक खुशबू का मजा ले रहा था। सारी घटनाओं को याद करके उसके बदन में कामाग्नि प्रबल होते जा रही थी उसकी बुर राहुल के लंड से चुदने के लिए तड़प रही थी क्योंकि जिस तरह की खुजली उसकी बुक में मची हुई थी उस खुजली को उसका बेटा ही मिटा सकता था।
खाना बनाने में भी उसका मन बिल्कुल नहीं लग रहा था फिर जैसे तैसे करके वह रसोई का काम समाप्त की।
तीनों साथ में खाना खाने बैठे हुए थे। राहुल की जेब मैं अभी-भी अलका की पेंटिं थी , जिसे वह सोनू की नजर बचाकर अपने हाथ में लिया हुआ था अलका भी भोजन करते समय अपनी पैंटी को अपने बेटे के हाथ में देखकर गंनगना गई। और राहुल भी अपनी मां को ऊकसाते हुए उसे दिखा कर पैंटी को रह रहकर अपनी नाक से लगा कर सुंघ ले रहा था। यह देख कर अलका की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगी थी वह जैसे तैसे करके भोजन ग्रहण के भोजन करने के बाद सोनू अपने कमरे में चला गया और राहुल भी अपने कमरे में जा रहा था की पीछे से उसे आवाज देते हुए अलका बोली।

बेटा मेरे कमरे में आकर वह दे जाना। ( इतना कहकर अलका मुस्कुराने लगी राहुल भी मुस्कुरा कर अपने कमरे में चला गया वह भी उत्सुक था अपनी मां के कमरे में जाने के लिए क्योंकि आज फिर से बिस्तर पर अपनी कला बाजिया दिखाना चाहता था वह तड़प रहा था अपनी मां की बुर में अपना लंड डालने के लिए। राहुल भैया अच्छी तरह से जानता था कि संभोग सुख का संतुष्टि भरा एहसास जो उसकी मां से मिलता था वह किसी से भी नहीं मिल पाता था। कमरे में जाते हुए उसके लंड में संपूर्ण तनाव बना हुआ था। यह तनाव को बने हुए आधे घंटे से ज्यादा हो चुका था लेकिन राहुल इतना ज्यादा उतेजित था की उसके लंड का तनाव थोड़ा सा भी कम नहीं हो रहा था। 
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