Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:28 PM,
#34
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
उसी तरह से वह भी वीनीत के बदन से लिपट गई' और खुद ही उसके होठों को चूसने लगी। अलका को साथ देता देखकर विनीत की हिम्मत बढ़ने लगी। अंधेरे का लाभ उठा कर विनीत यहीं पर सब कुछ कर लेना चाहता था इसलिए वह अलका की चूचियों को भी मसलने लगा' लंड की चुभन ओर चुचीयो के मसलन से अलका मस्त होने लगी।उसकी कामोत्तोजना बढ़ती जा रही थी। ठंडे ओर खुशनुमा मोसम मे भी अलका गरमाने लगी थी। वीनीत तो इतना पागल हो चुका था कि उसके हाथ अल्का के बदन के कोने-कोने तक पहुंच रहे थे।
अलका के गुलाबी होठों को चूस चूस कर के बदन में मदहोशी छाने लगी थी ऐसा लगने लगा था कि जैसे शराब की कई बोतल का नशा उसकी आंखों में उतर आया हो। अलका उत्तेजना की वजह से शुध बुध को बैठी थी। उसके दिमाग में इस समय कुछ भी नहीं चल रहा था अच्छे-बुरे कि समझ खो चुकी थी। इस वक्त उसका दिमाग एकदम शुन्यमनस्क हो चुका था। कामोत्तेजना में सराबोर होकर कब उसके दोनों हाथ विनीत की पीठ पर जाकर उसे सहलाने लगे उसे खुद को पता नहीं चला। 
विनीत तो कभी उसकी पीठ सहलाता तो कभी उस की गदराई बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से मसलता तो कभी दोनो चुचियों को हथेली में भर भर कर दबाता , अलका विनीत की इन सभी हरकतों से आनंदित हुए जा रही थी। अलका उस वक्त एकदम जल बिन मछली की तरह तड़प उठी जब विनीत ने अपनी हथेली को साड़ी के ऊपर से ही उसकी जांघों के बीच बुर पर रगड़ने लगा
अलका के पुरे बदन में चुदास की लहर भर गई. वह एकदम से तड़प ऊठी। वह उत्तेजना के मारे कसमसाने लगी विनीत की हथेली बुर वाली जगह को लगातार रगड़ रही थी। दोनों के हॉट आपस में भिड़े हुए थे दोनों पूरी तरह से गरमा चुके थे।
विनीत समझ चुका था कि अलका पुरी तरह से उसके हाथ में आ चुकी है। इसलिए वह एक हाथ से उसकी साड़ी को पकड़कर उपर कि तरफ सरकाने लगा धीरे धीरे करके उसने साड़ी को जाँघो के ऊपर तक ऊठा दिया, अलका इससे ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसने एक बार भी विनीत को रोकने की कोशिश नहीं की बल्कि वह शायद अंदर से यही चाह भी रही थी' या उसके बदन की गर्मी ने उसे वीनीत को रोकने की इजाजत नहीं दिया। विनीत का लंड एकदम टाइट चुका था, और उसने तुरंत एक हाथं से अपनी जीप खोलकर अपने टनटनाए हुए लंड को पेंट से बाहर निकाल लिया था। वीनीत पूरी तरह से तैयार था वह इसी जगह पर अलका को चोदना चाहता था इसलिए वह अलका को पकड़कर दूसरी तरफ घुमाना चाह ही रहा था कि दूर से आ रही मोटरकार कीे लाईट की वजह से रुक गया और तुरंत अपने लंड को वापिस पेंट में ठूस लिया। अलका को भी जैसे होश आया हो उसने तुरंत अपने कपड़े को दूरुस्त की ओर मोटर कार उसके पास से होकर गुजरे इससे पहले ही वह बिना कुछ बोले लगभग दौड़ते हुए चौराहे के दूसरे तरफ से अपने घर की तरफ चल दी ' अलका एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखी वह जल्द से जल्द अपने घर की तरफ चली जा रही थी और वीनीत वही खड़े ठगी आंखों से अलका को जाते हुए देखता रहा।

अलका हांफते हांफते अपने घर पर पहुंची ' रात के 8:30 बज चुके थे। राहुल अपनी मां को देखते ही सवाल पर सवाल पूछने लगा।

क्या हुआ मम्मी इतनी देर कैसे लग गई , कहां रह गई थी मम्मी, ( अब राहुल के सवाल का क्या जवाब देती इसलिए वह गोल-गोल घुमाते हुए बोली।)

अरे बेटा देख तो रहे हो एक तो वैसे ही ऑफिस में इतनी देर हो गई थी और ऊपर से जब ऑफिस से छुट्टी तो बाहर यह बारिश घुटनों तक पानी में पैदल चल कर आ रही हुं ओर तू है कि सवाल पर सवाल पूछे जा रहा है।
( अलका का जवाब सुनकर राहुल बोला।)


सॉरी मम्मी इतनी देर हो गई थी इसलिए मुझे चिंता हो रही थी।

अच्छा सोनू कहां है उसे कुछ खिलाए कि नहीं? 

अपने कमरे में हे मम्मी पढ़ रहा है।

ठीक है बेटा थोड़ा इंतजार करो मैं झटपट खाना बना देती हूं मुझे मालूम है कि तुम लोगों को भूख लगी होगी।

( अलका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े बदल ली और पतला गाऊन अपने बदन पर डाल कर खाना बनाने में जुट गई। खाना बनाते समय रह नहीं कर उसे सड़क वाला दृश्य याद आ रहा था उस दृश्य को याद करके अलका रोमांचित हो जा रही थी। आज उसके साथ जो हुआ था उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी। वह इतना कैसे बहक गई उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था। आज खाना बनाने में उसका मन बिल्कुल नहीं लग रहा था लेकीन जैसे तैसे करके उसने खाना तैयार कर ली। अलका अपसाथ में बैठकर खाना खाने लगी तभी राहुल की नजर दीवाल के सहारे रखी छतरी पर पड़ी, और छतरी को देखते ही राहुल बोला। 

यह छतरी किस की है मम्मी? 

( राहुल की बात सुनते ही अलका का दिल धक से रह गया। उसे तुरंत याद आया कि उसने तो छतरि देना भूल ही गई। और छतरी को देखते ही अलका के आंखों के सामने विनीत का चेहरा तेरने लगा उसे वह सब याद आने लगा जो उसके साथ सड़क पर हुआ था। राहुल का उसको अपनी बाहों में कसना उसका होठो को चूसना, अपनी दोनों हथेलियों से उसकी बड़ी बड़ी गांड को कस कस के मसलना, अलका के पूरे बदन में सीहरन सी दौड़ गई जब उसे याद आया कि कैसे वीनीत ने साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुप को मसलना शुरू कर दिया था और तो और हद तब हो गई थी जब उसने उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना शुरु कर दिया था। यही सब अलका याद कर रही थी कि तभी अचानक राहुल बोला।


क्या हुआ मम्मी कहां खो गई तबीयत तो ठीक है ना!


राहुल की बात सुनते ही अलका हड़बड़ाते हुए बोली।

ककककक...कुछ नही बेटा ये छतरी तो मेरी एक सह कर्मचारी की है जिसने मुझे बारिश से बचने के लिए छतरी दी थी कल उसे लौटा दूंगी।
( अलका राहुल से झूठ बोल गई थी। थोड़ी देर में खाना खत्म करके दोनों बच्चे अपने अपने कमरे में चले गए और रसोई की साफ-सफाई कर के अलका भी अपने कमरे में आ गई। 
अलका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी, रह-रहकर अभी भी उस का मन मचल जा रहा था। आज जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचते ही उसकी जांघों के बीच सुरसुराहट होने लग रही थी। वह मन ही मन बार बार अपने आप को ही कोस रही थी कि उसने क्यों उस बित्ते भर के छोकरे को रोक नहीं पाई। वह मन ही मन अपने आप से ही सवाल पूछ रही थी कि पति के जाने के बाद जिसने आज तक किसी भी मर्द को अपने आस-पास भटकने भी नहीं दी, तो उस लड़के को इतनी आगे बढ़ने की इजाजत कैसे दे दी क्यों उसे रोक नहीं पाई कैसे उसका बदन उसके सामने ढीला पड़ने लगा। विनीत के साथ का रास्ते पर का सारा ब्यौरा उसकी आंखों के सामने तैर रहा था' बार-बार उसे उसकी बुर पर साड़ी के ऊपर से ही विनीत के द्वारा हाथ लगाना याद आ रहा था उस दृश्य को याद कर करके रोमांचित भी हो जा रही थी लेकिन फीर अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था। 
वह अपने आप मन में ही बड़बड़ातेे हुए बोली उस बित्ते भर के छोकरे की इतनी हिम्मत कि उसने मेरी ......छी....( अलका अपनी बुर के बारे में मन ही मन बड़बड़ा रहे थी लेकिन अलका कभी भी अपने मुंह से अपनी अंगो का नाम नहीं ली थी अपने पति के सामने भी नहीं )...उसने मुझे क्या दूसरी औरतों की तरह समझा था जो मेरे साथ ऐसा करने लगा , अब कभी भी वह मुझे मिला तो उसे जरूर डांटुंगी और अब से यह भी कहूंगी कि मेरे करीब बिल्कुल ना आए। ( अलका दूसरी तरफ करवट लेकर आंखों को बंद करके सोने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही आंखों को बंद की तुरंत उसकी आंखों के सामने फिर से वही दृश्य तेरने लगा। उसका चूचियों को दबाना है उस को मसलना कमर को सहलाते हुए बड़ी-बड़ी गांड को दबाना, उसके होठों को ऐसे चूसना जैसे कि वह उसकी प्रेमिका हो और उसकी बुर को साड़ी के ऊपर से ही मसलना, साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना और उसको होश में लाती हुई मोटर कार की तेज रोशनी, उसने तुरंत अपनी आंखें खोल दी और मन ही मन सोचने लगी कि अगर आज वह ऐन मौके पर मोटर गाड़ी नहीं आती तो ना जाने क्या हो जाता बरसों से बेदाग दामन में बदनामी का धब्बा लग जाता। अभी अलका को ऐसा लगने लगा कि उसकी जाँघों के बीच कुछ रीस रहा है , वह समझ नहीं पाई की यह क्या है और उत्सुकता वश बैठ गई। उसने बैठे-बैठे ही अपने गांउन को झट से अपनी कमर तक खींच ली, तुरंत कमर के नीचे का भाग पूरा नंगा हो गया
और तो और उसने आज पेंटी भी नहीं पहनी थी इसलिए गांव के अंदर पूरी तरह से नंगी ही थी, अलका ने जब अपनी उंगलियों से बुर को टटोलते हुए चेक करने लगीे तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना था। वह समझ गई कि उसकी बुर से काम रस रीस रहा था।
वह समझ नहीं पाई कि ऐसा क्यों हो रहा है आखिर यह काम रस क्यों उसकी बुर से निकल रहा है। कहीं विनीत के साथ उसका जोवा क्या हुआ था कहीं उसके बदन को आनंदित तो नहीं कर रहा है . । अलका बार-बार कैटरीना को भूलना चाहती थी इस घटना से निकलना चाहती थी लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसे वही सब वाकया याद आ रहा था और वह यह भी साफ तौर पर जानती थी कि उस वाक्ये से उसे भी आनंद आ जरूर रहा था। तभी तो बारबार उसे आज की घटना याद आ जा रहाी थी। और वह भी उस घटना को याद कर करके रोमांचित हुए जा रही थी। 
अलका की ऊंगलिया खुद ब खुद बुर पर घुमने लगी थी।
अलका आज बड़े गौर से अपनी बुर को निहार रही थी, कई सालों के बाद आज पहली बार इतनी ध्यान से अपनी जांघों के बीच की पतली दरार को देख रही थी।
नाजुक नाजुक उंगलीयो पर बालों के झुरमुटों का नरम स्पर्श होते ही उसको यह एहसास हुआ कि महीनों से उसने इन बालों को साफ नहीं की थी और बाल काफी बड़े हो गए थे जिसकी वजह से बुर की पतली दरार भी बड़ी मुश्किल से नजर आ रही थी, अलका की ऊंगलिया बुर के कामरस मे भीगने लगी थी। अपनी बुर पर ऊंगलिया फीराते हुए अलका मदहोशी के आलम में उतरती चली जा रही थी। अलका ने उत्सुकता वश जैसे ही अपनी उंगली से बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेदी उसे फिर से वीनीत याद आ गया, जब उसने उसे कसके अपनी बाहों में भींचा था तो कैसे उसका टनटनाया हुआ लंड पेंट के अंदर होते हुए भी उसकी ठोकर उसकी साड़ी के ऊपर से ही सीधे इसकी बुर पर लग रही थी।
उसके लंड की ठोकर को अपनी बुर पर महसुस करके अलका एक बार फिर से पूरी तरह से गनगंना गई। 
अलका के चेहरे पर एक बार फिर से शर्म-ओ-हया की लाल़ी छाने लगी उसके गाल सुर्ख गुलाबी हो गए। उसके चेहरे पर एक बार फीर से क्रोध ओर आनंद का मिला जुला असर देखने को मिल रहा था। 
अलका एक साथ दो राहों पर चल रही थी एक तो उसका बदन जो बरसों से प्यासा था उसके बस में नहीं था एक तरफ वीनीत की हरकतों से उसके बदन में मस्ती की लहर दौड़ जा रही थी और दूसरी तरफ उसका मन इन सब बातों से अपने आप को खुद ही कोश भी रहा था। 
अलका विनीत के बारे में सोचते हुए अंगुलियों से अपनी बुर को कुरेदे जा रही थी, उसे अब मजा आने लगा था। 
ईसमे दोष उसका नही बल्की बर्षो से ऊसके अंदर दबी हुई उसके बदन की भुख थी जैसे विनीत ने अपनी हरकतों से भड़का दिया था। अलका ने उसके पति के जाने के बाद अपने हालात से समझौता कर ली थी, उसने अपना सारा ध्यान अपने बच्चों के पालन-पोषण में ही लगा दी थी। बल्कि जिस समय उसका पति उसे छोड़ कर गया था एसी उम्र में बदन की प्यास और ज्यादा भड़क जाती है ऐसे में औरत बिना लंड लिए संतुष्ट नहीं हो पाती। अलका जीस उम्र के दौर से गुजर रही थी एसी उमर में अक्सर औरत बिना लंड के एक पल भी गुजारा नहीं कर पाती, और अलका ने तो इस उम्र में ही इन सब बातों को बहुत पीछे छोड़ चुकी थी, अपने बदन की जरूरत को उसने अपने अंदर ही दफन कर ली थी। अलका को सेक्स की जरूरत कभी महसूस ही नहीं हुई थी. उसने अपने अंदर सेक्स की प्यास को भड़कने ही नहीं दी थी । लेकिन आज उस छोकरे ने अपनी हरकत से बरसों से दबी हुई उसके बदन की आग को भड़का दिया था।
अलका प्यासी थी लेकिन उसके संस्कारों ने उसे बांध रखे थे। अगर हल्की सी चिंगारी को भी थोड़ी सी हवा दी जाए तो वह भड़क उठती है, उसी तरह से अलका के भी बदन में दबी हुई बरसों की चिंगारी धीरे धीरे भड़क रही थी।
अलका हल्के हल्के अपनी उंगलियों से बुर की पत्ती को मसलना शुरू कर दी थी, झांटों के झुरमुटों के बीच जब
अलका अपनी उंगलियों को कसकर रगड़ती तो बड़े बड़े बाल अंगुलियों की रगड़ के साथ खींचा जाते जिससे उसे दर्द होने लगता लेकिन उस दर्द को अलका अपने होंठ को दातो तले दबा कर सह जाती। कुछ ही पल में उन्माद से भरा हुआ अलका का बदन हिचकोले खाने लगा, सांसे भारी होने लगी थी. उसका गला सूख रहा था। अब उसे ज्यादा कुछ नहीं बस वही दृश्य बार-बार याद आ रहा था जब विनीत ने उसे करके अपनी बाहों में भींचा था, और तुरंत उसका कड़क लंड साड़ी के ऊपर से ही बुर पर ठोकर मार रहा था। आज बरसों के बाद उसने लंड की कठोरता को अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस की थी। इसलिए तो उसका बदन और भी ज्यादा चुदवासा होकर चुदास की तपन मे तप रहा था।
इस वक्त ना चाहते हुए भी उसे विनीत ही बार बार याद आ रहा था । मदहोशी के आलम में अलका की आंखें मुंदी हुई थी, और वह विनीत को याद करके अपनी बुर को बड़ी तेजी से रगड़ रही थी, लेकिन बार-बार उसकी झांट के बाल उंगलियों के साथ खींचा जा रही थी।
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:28 PM

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