Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:23 PM,
#17
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
स्कूल से छूटने के बाद राहुल घर जाने के बजाए विनीत के घर की तरफ चल दिया वैसे स्कूल से ज्यादा दूर नहीं था उसका घर लेकिन फिर भी 20 25 मिनट पैदल चलने में लगी जाते थे। राहुल चाहता तो ऑटो पकड़ कर जा सकता था लेकिन वैसे भी घर पर कोई काम नहीं था और घर पर इस समय मम्मी भी नहीं होती थी। इसलिए वह विनीत के घर पर पैदल ही जाने के सोचा था कि कुछ समय में भी बीत जाएगा।
राहुल विनीत के घर पर पहले भी जा चुका था। उसका घर भी सोसायटी में था वह लोग भी पैसे से सुखी और संपन्न थे। 
थोड़ी देर बाद विनीत का घर आ गया वह उसके घर के आगे गेट के पास खड़ा हो गया। कुछ देर तक वहीं खड़ा हो कर घर की तरफ देखता रहा वहां बाइक खड़ी थी। बाइक को देख कर समझ गया की विनीत घर पर ही है। उसने खुद ही गेट खोला और गेट के अंदर दाखिल हो गया। दोपहर का समय था इसलिए इक्का-दुक्का को छोड़ कर कोई भी नजर नहीं आ रहा था। ...
राहुल ने डोर बेल पर अपनी उंगली रखकर दबाया
डोर बेल पर उंगली रखते ही वह समझ गया की स्विच खराब है। दरवाजा खटखटाने के लिए जैसे ही वह दरवाजे पर हाथ रखा दरवाजा खुद-ब-खुद खुलता चला गया । इस तरह से दरवाजा अपने आप खुल जाने से राहुल को बड़ा आश्चर्य हुआ। बस सोच में पड़ गया कि इस तरह से दरवाजा क्यों खुला पड़ा है।
राहुल दरवाजा खोलते हुए कमरे में आ गया और दरवाजे को वापस बंद करते हुए विनीत को आवाज लगाया लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। एक दो बार ओर आवाज लगाने से भी कोई भी जवाब नहीं मिला इस बार उसे चिंता होने लगी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। क्या इस समय घर में कोई है नहीं और है तो मेरी आवाज सुनने के बाद भी जवाब क्यों नहीं दे रहा है। राहुल को बड़ी चिंता होने लगी वह सोचने लगा की कहीं कुछ गलत तो नहीं हो गया है। उसके मन में ढेर सारे सवाल भी चल रहे थे और डर भी रहा था। वह डरते डरते धीमे कदमों के साथ विनीत के कमरे की ओर बढ़ा वह ईस घर में पहले भी आ चुका है इसलिए उसे पता था कि विनीत का कमरा कहां है। वह जेसे ही विनीत के कमरे के पास पहुंचा तो कमरे का दरवाजा खुला देख कर उसके चेहरे पर चिंता के बादल उमड़ने लगे। क्योंकि कमरे का दरवाजा तो खुला था लेकिन कमरे में कोई नहीं था। उसके मन में पूरी तरह से डर बैठ गया उसे लगने लगा कि कुछ गलत जरूर हुआ है। इसलिए वापस आने लगा वह अब इस घर से निकल जाना चाहता था। यहां अब एक पल भी ठहरना उसे ठीक नहीं लग रहा था।
राहुल जल्दी-जल्दी मुख्य दरवाजे के पास आ गया और जैसे ही दरवाजा खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ाया था कि उसे किसी औरत की खिलखिलाकर हँसने की आवाज आई और वो रुक गया। राहुल सोचने लगा कि यह हसने की आवाज कहां से आने लगी अभी तक तो कोई भी आवाज नहीं आ रही थी। रह-रहकर औरत के हंसने की आवाज राहुल के कानों में पड़ रही थी । वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर हंसने की आवाज किस दिशा से आ रही है। राहुल वहीं खड़े होकर आ रही आवाज की दिशा तय करने लगा। थोड़ी ही देर में समझ गया की ये आवाज तो सीढ़ियों के ऊपर से आ रही है। राहुल के समझ में नहीं आ रहा था कि वह ऊपर जाकर देखें कि नहीं देखे कौन होगा उपर । एक पल तो वह वापस लौट जाने के लिए मुड़ा लेकिन फिर उसे नोटबुक का ख्याल आ गया नोट बुक ले जाना भी बहुत जरूरी था और सोचा कि हो सकता है उसे नोटबुक ही मिल जाए कोई ओर भी होगा तो उससे वौ मांग लेगा।
यही सोचकर वह सीढ़ियां चढ़ने लगा सीढ़ियां चढ़ते समय भी उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था। क्योंकि वह नहीं जानता था कि जिसके हंसने की आवाज आ रही है वह कौन है हो सकता है उसकी भाभी ही हो विनीत के भाई के साथ। और कहीं वो लोग मुझ पर नाराज हो गए तो। यही सब सवाल उसे परेशान कीए जा रहा था। फीर मन में सोचा कि कोई भी होगा कह देगा की इंग्लिश की नोट बुक लेने आया हूं बहुत जरूरी था इसलिए। वह मन नहीं है यह सब सोचते हुए
सीढ़ियां चढ़ गया और हंसने की आवाज की तरफ बढ़ने लगा सामने की गैलरी के बगल में ही कमरा था राहुल को यह समझते देर नहीं लगी की हंसने की आवाज उसी कमरे से आ रही थी। वह कमरे की तरफ बढ़ा और दरवाजे के पास आकर रुक गया उसे अब कमरे के अंदर से आ रही हंस कर खिलखिलाने की आवाज और धीरे-धीरे फुसफुसाने की आवाज साफ सुनाई देने लगी । लेकिन वह लोग किस बात पर हंस रहे थे वह सुनाई नहीं दे पा रहा था। तभी वो धीरे से फुसफुसाने की आवाज सुनकर मन मे हीं बोला यह तो विनीत की आवाज है। इसका मतलब विनीत घर मे ही है। घर में होने के बावजूद भी यह मेरी आवाज क्यों नहीं सुना। और अपना कमरा छोड़कर इस कमरे में क्या कर रहा है। इस समय ढेर सारे सवाल उसके मन में चल रहे थे। यही सब सोचते हुए वह कमरे का दरवाजा खट खटाने जा ही रहा था कि वह कुछ सोचने लगा उसकी नजर खिड़की पर पड़ी। और वह दरवाजे को खटखटा या नहीं बल्कि उत्सुकतावश वह खिड़की की तरफ बढ़ा एक बार खिड़की से झांक लेना चाहता था कि आखिरकार कमरे में ऐसा क्या हो रहा है कि हंसने और धीरे-धीरे फुसफुसाने की ही आवाज आ रही है। 
राहुल खिड़की के पास ही खड़ा था खिड़की का दरवाजा खुला हुआ था लेकिन खिड़की पर पर्दा लगा हुआ था । खिड़की पर परदा लगा होने की वजह से कमरे के अंदर का कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था और राहुल कमरे के अंदर देखना चाह रहा था इसलिए उसने थोड़ी हिम्मत बांध कर खिड़की के पर्दे को हल्का सा हटाया राहुल ने पर्दे को सिर्फ इतना ही हटाया था कि वह कमरे के अंदर का दृश्य देख सके । पर्दे को हल्का सा हटते ही राहुल अपनी नजर को पर्दे के सहारे कमरे के अंदर दौड़ाना शुरू किया जल्द ही उसे अंदर का दृश्य देखना आरंभ हो गया। राहुल की नजरों ने कमरे के अंदर के दृश्य को ज्यों पकड़ा उसे देखकर राहुल के बदन के साथ-साथ उसका दिमाग भी सन्न रह गया। अंदर कमरे में विनीत था जिसे तो वो पहचानता था। लेकिन वह इस महिला को नहीं पहचान पा रहा था जिसकी गर्दन को विनीत जो मैं जा रहा था विनीत उस महिला के बाहों में कसा हुआ था वह महिला विनीत को पागलों की तरह अपने सीने से लगा कर के वह भी विनीत के गाल पर वोट पर और उसकी गर्दन पर चुंबनों की बौछार किए जा रही थी । उस महिला का बदन एकदम गोरा भरा हुआ और एकदम कसा हुआ था उसकी कद-काठी भी अच्छी खासी थी। उसकी उम्र लगभग 30 से 35 साल की होगी। कमरे के अंदर का दृश्य बहुत ज्यादा ही कामुक था क्योंकि अंदर का गरम दृश्य देखते ही राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया था। विनीत के दोनों हाथ उस महिला के बड़ी बड़ी गांड पर थे जिसे विनीत अपनी हथेलियों में दबा रहा था। वह महिला भी सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट मे ही थी। इसलिए उसका बदन और ज्यादा सेक्सी लग रहा था। राहुल बड़े सोच में पड़ गया था एक तो अंदर का गर्म दृश्य उसके बदन में भी कामाग्नि भड़का रहा था ।

कमरे के अंदर का नजारा देख कर राहुल का बदन भी गरम होने लगा था। विनीत उस महिला की गांड को अपने दोनों हाथों से कस कस के मसल रहा था और वह महिला विनीत के गर्दन पर गालों पर चुंबनों की बौछार करते हुए सिसकारी भर रही थी। राहुल की नजर बार बार उस महिला की बड़ी-बड़ी गांड पर ही जा रही थी जिसे विनीत अपनी हथेली से मसल मसल कर गर्म कर रहा था। उस महिला का बदन पेटीकोट ब्लाउज में होने से और भी ज्यादा कामुक लग रहा था। 
तभी विनीत ने अपने हाथों से उस महिला की पेटीकोट को ऊपर की तरफ चढ़ाना शुरु कर दिया। और अगले ही पल उस महिला की पेटीकोट उसकी कमर तक चढ़ चुकी थी। पेटिकोट को कमर तक चढ़ते ही जो नजारा सामने आया उसे देखते ही राहुल के लंड से पानी की बूंद टपक पड़ी। उस महिला की गोरी गोरी गांड एकदम नंगी हो गई सिर्फ एक काले रंग की पैंटी उसकी गांड पर टिकी हुई थी जो कि उसकी गांड को ढँक पाने में असमर्थ थे। राहुल की हालत बहुत खराब होते जा रही थीे उससे यह सब दृश्य देख पाना बर्दाश्त के बाहर था।
उसकी पेंट में तुरंत तंबू बन चुका था। विनीत अपनी हथेलियों में भर भर के उस महिला की गांड को दबा रहा था मसल रहा था। अपनी उंगलियों को पेंटी के अंदर डालकर गांड को मसलने का मजा ले रहा था। 
राहुल ये फैसला नहीं ले पा रहा था कि वह वहां पर रुके या चला जाए। एक मन तो कर रहा था कि चला जाए लेकिन दूसरा मन उसकी जवानी को बुलावा दे रहा था औरतों के बदन का आकर्षण उसे वहीं रुकने को कह रहा था। और इस उम्र में मन चंचल होता है पानी की तरह जहां पर बहाव होता है मन ही बता चला जाता है ईस उम्र की दहलीज पर जवानी के बहाव को रोक पाना किसी के बस में नहीं होता है। राहुल को उस महिला का कामुक बदन एकदम जड़वंत बना चुका था। वह वहां से चाह कर भी हील नहीं पा रहा था। । और उसके मन में यह जिज्ञासा भी थी की आखिर यह महिला है कौन जो विनीत के साथ इस अवस्था में है। राहुल यह सब सोच ही रहा था कि तब तक उस महिला ने खुद अपनी पेंटी को अपने हाथों से नीचे सरकाते हुए अपनी टांगो से बाहर निकाल दी। यह नजारा देखते ही राहुल के लंड में सनसनाहट दौड़ने लगी उसका खून उबाल मारने लगा
खुद पर काबू कर पाना अब उसके लिए बड़ा मुश्किल होता जा रहा था। उसका हाथ खुद बा खुद पेंट में बने तंबू पर चला गया।वह अपने तंबू को मसल ही रहा था कि तभी विनीत ने उस महिला के ब्लाउज के बटन खोलना शुरू किया और अगले ही पल उसके ब्लाउज को उतार कर बिस्तर पर फेंक दिया। यह देखकर राहुल का लंड ठुनकी मारने लगा। उस महिला ने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहना था इसलिए उसकी पीठ एकदम नंगी हो गई उसकी गोरी गोरी चिकनी पीठ देख कर किसी का भी ईमान डोल जाए। तभी विनीत उस महिला की चुचियों के बीच अपना मुंह डाल दिया। लेकिन विनीत को यहां से उस महिला की चूची नहीं देख रही थी क्योंकि उस महिला की पीठ खिड़की की तरफ से पर इतना जरुर पता चल रहा था कि विनीत उस महिला की चुचियों के बीच में ही अपना मुँह डालकर मजा लूटा रहा था। इससे पहले विनीत ने सिर्फ औरतों को नंगी देखने का सुख ही प्राप्त किया था। वह अपनी मां और नीलू को एकदम नंगी तो नहीं लेकिन जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द उत्सुक रहता है वह अंग तो वह देख ही चूका था। लेकिन आज वह पहली बार किसी महिला के अंगो से खेलते हुए देख रहा था और इस खेल को देखने में उसे परम आनंद का अनुभव भी हो रहा था। यहां से सिर्फ वह उस महिला की पीठ का ही भाग देख पा रहा था जिस पर विनीत अपनी हथेलियां फिरा रहा था। तभी उस महिला ने अपने बदन पर से आखरी वस्त्र भी त्याग दी उसने खुद अपनी पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नीचे सरका दी और पैरों के सहारे से अपनी टाँगो से निकाल कर एक तरफ सरका दी । उस महिला की सारी कामुक हरकतें किसी भी कुंवारे लड़के का पानी निकालने के लिए काफी था।
उस महिला की हरकतों से लग रहा था कि वह महिला इस खेल में काफी माहिर थी। अब वह महिला पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी उसके बदन पर कपड़े का लेशमात्र भी नहीं था एकदम नंगी और एकदम गोरी भरा हुआ बदन चिकनी पीठ चिकनी जाँघे । बड़ी-बड़ी तरबूज की तरह गोलाई लिए हुए उसकी मद मस्त गांड और गांड के दोनों फाँको को अलग करती हुई और गजब की गहराई लिए हुए वह कामुक लकीर। इस लकीर की अंधियारी गली में दुनिया का हर मर्द भटकने के लिए मचलता रहता है। विनीत अपने दोनों हाथों से उस महिला की गांड की फांकों को अपनी हथेलियों में भर के इधर-उधर मसलते हुए खींच रहा था। जिसे देख कर राहुल के दिल की धड़कने तेज हुई जा रही थी। 
उस महिला ने विनीत के भी कपड़े उतारना शुरू कर दिए और अगले ही पल विनीत बिल्कुल नंगा खड़ा था 
और महिला से लिपट चिपट रहा था। तभी उस महिला ने बोली


ओहहहहह वीनीत आहहहहहहहह तुम्हारा लंड तो पूरी तरह से तैयार हो चुका है। ( उस महिला के हाथ की हरकत से राहुल इतना तो समझ रहा था कि उसने विनीत के लंड को पकड़ा हुआ है। और उस महिला के मुंह से इतनी सी बात सुनकर राहुल की उत्सुकता वीनीत के लंड को देखने के लिए बढ़ने लगी। राहुल उत्सुकतावश विनीत के को देखना चाह रहा था लेकिन उसका बदन महिला के बदन की वजह से ढका हुआ था
इसलिए राहुल भी देख नहीं पा रहा था। विनीत बार-बार उस महिला की बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए मचल रहा था जिसे देखकर राहुल के माथे से पसीना टपकने लगा। महिला के हाथ की हरकतें तेज होती देख राहुल समझ गया था कि वह महिला वीनीत के लंड को पकड़ कर जोर-जोर से आगे पीछे कर रही है। उस महिला का खुलापन देखकर राहुल दंग रह गया। इस महिला के बारे में जानने की राहुल की उत्सुकता और ज्यादा बढ़ गई। वह जानना चाहता था कि आखिर यह महिला है कौन ये वीनीत की क्या लगती है और वीनीत के साथ इस तरह से क्यों है? यह सब सारे सवालं उसे
परेशान किए हुए थे। तभी उस महिला की कामुक बातें
राहुल के लंड में रक्त संचार को तीव्र गति से बढ़ाने लगी




ओहहहहहहह मेरे राज्जा आज तो तेरे लंड को अपनी बुर मे जी भर कर लूंगी मेरी प्यास बुझा मेरे राजा मसल दे मुझे नीचोड़ डाल।।। अपनी बाहों में कस ले मुझे।आहहहहहहहह....आहहहहहहहहह

विनीत उस महिला की बातें सुनकर एकदम गरम होने लगा था वह अपने हाथ से पेंट में मैंने तंबू को मसल रहा था। अंदर कमरे में आग लगी हुई थी और बाहर कमरे की तपिश से राहुल जल रहा था। तभी विनीत के मुंह से राहुल ने जो सुना उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ राहुल एकदम दंग रह गया उसे एक पल तो समझ में ही नहीं आया कि ये वीनीत ही है या कोई और! वह बोल रहा था।


ओह भाभी मेरी जान मेरा लंड तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए। तुम्हारे कहने पर ही तो मैं 2 दिन से स्कूल नहीं गया।( अपनी ऊंगली को उस महिला की गांड की फांकों के बीच में रगड़ते हुए) पिछले 2 दिन से तुम्हारी दिन रात जमकर चुदाई कर रहा हूं। फिर भी मेरा मन तुमसे भरता ही नहीं है बस दिल करता है कि पूरा लंड तुम्हारी बुर में डाल कर पड़ा रहुँ। 


ओह वीनीत मेरे राजा मैं भी तो 2 दिन से लगातार तुझसे चुदवा रही हुँ फिर भी मेरी बुर की प्यास बुझने का नाम ही नहीं ले रही है। मेरा भी दिल यहीं करता है की तोरे लंड पर अपनी बुर रखके बैठी रहुँ। 

राहुल यह सब सुनकर एकदम दंग रह गया उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि जो वह सुन रहा है वाकई में वह सच है। इस वक्त उसे खुद के कानों पर भी भरोसा नहीं हो रहा था। जिस महिला को लेकर वो अब तक शंके में था उसकी हकीकत जानकर उसे यकीन नहीं हो रहा था।उसे यह जानकर बड़ी हैरानी हो रही थी कि क्या वाकई में ये महिला वीनीत की सगी भाभी है ? नहीं ऐसा नहीं हो सकता विनीत तो अपनी भाभी को अपनी मां से भी बढ़कर मानता था और उसकी भाभी भी विनीत को अपने बच्चे की तरह मानती थी। नहीं ऐसा नहीं हो सकता यह महिला कोई और होगी जिसे वह भाभी कह रहा है। यह उसकी शगी भाभी नहीं हो सकती। 
राहुल अब तक इस महिला के बारे में ख्यालों में ही तर्क वितर्क लगा रहा था वैसे भी राहुल अब तक वीनीत की भाभी से रूबरू नहीं हुआ था। उसने वीनीत की भाभी को देखा नहीं था । इसलिए वह लेकिन नहीं कर पा रहा था कि वाकई में यह वीनीत की भाभी है या कोई और।
राहुल अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं आ पाया था तब तक वह महिला जिसे विनीत भाभी कह रहा था। वह महिला पलंग पर टांगे फैलाकर लेट गई। राहुल की नजर जैसे ही उस महिला की जाँघो के बीच गई राहुल के बदन में सनसनी दौड़ गई। आज पहली बार राहुल की आंखों ने औरतं की खुली बुर को देखा था। 
उस महिला की जांघों के बीच की बनावट को देखकर राहुल दंग रह गया था। उसे खुद कि आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। हल्के हल्के बाल ओर उस रेशमी बालों के बीच हलके गुलाबी रंग की लकीर जोकि हल्की सी खुली हुई थी। जिसे देखते ही राहुल का लंड एकदम से टन्ना गया। आज उसने जो देखा था उसकी गहराई आज तक किसी ने नहीं नाप पाया। इस गहराई में न जाने कितने लोग डुब चुके हैं कितने डूब रहे हैं और ना जाने कितने डुबते रहेंगे। राहुल का लंड जिसे देखकर एकदम से टन्ना गया था उसकी सही उपयोगिता के बारे में राहुल को बिल्कुल भी पता नहीं था। उसको यह नहीं मालूम था कि जिसे देख कर वह इतना मस्त हुए जा रहा है उसका उपयोग कैसे करते है? 
राहुल उस महिला को देखकर उसकी खूबसूरती को देखकर दंग रह गया था उसकी बड़ी बड़ी चूचियां एक दम नंगी तनी हुई थी। उसका चेहरा एकदम खूबसूरत था। अपने हाथ से ही अपने बुर कों रगड़ रही थी। तब तक राहुल की नजर विनीत और उसके लंड पर पड़ी जिसे वह अपने हाथ में लेकर हिला रहा था। विनीत का लंड भी फुल टाइट हो चुका था विनीत के लंड को देख कर
राहुल के मन मे अजीब सी जिज्ञासा होने लगी। विनीत को अपनी मुट्ठी में अपने लंड को भर कर हीलाते हुए देख कर राहुल से भी रहा नहीं गया और उसने अपनी पेंट की चेन खोल कर अपने मुसल जेसे लंड को बाहर निकाल कर अपनी मुट्ठी में भर लिया। 
कमरे के अंदर का दृश्य बहुत ज्यादा गर्म था उससे भी ज्यादा गर्म होने जा रहा था।

अभी भी राहुल के मन में उस महिला को लेकर शंकाओ ने घेर रखा था । लेकिन विनीत के मुंह से जो उसने सुना उसे सुनने के बाद सब कुछ साफ हो चुका था। विनीत अपने टनटनाए हुए लंड को मुठीआते हुए बोला 


ओह भाभी देख रही हो मेरे लंड को यह आप की ही सेवा करने के लिए बना है। तभी तो आप जब बुलाती है तब हाजिर हो जाता हूं। आपके फोन पर मैं जहां भी रहता हूं तुरंत आपके पास भागा भागा चला आता हूं
( विनीत लगातार अपने लंड को मुठीयाए जा रहा था और वह महिला ललचाई आंखों से विनीत के टनटनाए हुए लंड को घूरे जा रही थी। ) क्यों न क्लास में रहुँ। कई बार तो रिसेस में दोस्तों के साथ बैठा रहता हूं तभी आपका फोन आ जाता है और मुझे दोस्तों से झूठ बोल कर आप के पास आना पड़ता है।।
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