Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:23 PM,
#16
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
दरवाजे का लोक खुलते ही नीलू ने दरवाजे का हैंडल पकड़कर दरवाजें को अंदर की तरफ ठेला। दरवाजे को छेलते ही दरवाजा खुलता चला गया और नीलू कमरे में दाखिल हुई उसके मन में ढेर सारे अरमान पनप चुके थे कमरे के अंदर घुसते ही राहुल को भी अंदर आने को कहीं राहुल भी कमरे के अंदर आ गया। राहुल के कमरे में प्रवेश करते हैं नीलू ने धीरे से दरवाजे को लॉक कर दिया।
जैसे ही निलूं दरवाजे को लॉक करके वापस मुड़ी उसकी नजर सीधे डाइनिंग टेबल के पास पड़ी चेयर पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए चेयर पर उसकी मम्मी बैठी हुई थी। नीलू को तो यकीन ही नहीं हुआ उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सपना देख रही है या हकीकत। वैसे जो उसने चाभी वाली बात कही थी वह ठीक ही कही थी लेकिन वह जानती थी कि इस समय घर में न मम्मी होंगी ना पापा। वह तो अपने मन में चुदाई के सपने बुनकर राहुल को घर लाई थी लेकिन यहां तो सब काम उल्टा हो गया। नीलू की मम्मी उन दोनों को ही देख रही थी नीलू क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था अब यह भी नहीं कह सकती थी कि मम्मी तुम इस समय यहां क्या कर रही हो। क्योंकि वो राहुल को यही कहकर घर लाई थी कि वह उसे मम्मी से मिलाएगी।
नीलू का पूरा प्लान चौपट हो चुका था। अब वह मम्मी से क्या कहें कैसे राहुल को मम्मी से मिलवाए यही सब उसके दीमाग मे चल रहा था। नीलू भी कम नहीं थी बहाना तो उसके जुबान पर होता था ऐसे मौके पर उसका दिमाग कुछ ज्यादा ही चलता था। नीलू तपाक से बोली।

ममममम मम्मी यययय ये राहुल है । ( राहुल ने नीलू की मम्मी को नमस्ते किया। लेकिन राहुल की मम्मी ने कुछ जवाब नहीं दिया। राहुल को कुछ अजीब सा लगा। नीलू समझ चुकी थी कि क्या मामला है। नीलू जानती थी कि मम्मी को किसी पार्टी में जाना पार्टी एंजॉय करना और ड्रिंक लेना यह सब पसंद था.. अौर वह समझ गई थी कि मम्मी ज्यादा ड्रिंक करके आ गई है। और नहा कर ही यहां पर बैठी है। लेकिन अभी भी होश में नहीं है।
राहुल तो पहले ही नीलू की मम्मी को देखते ही सन्न रह गया था। क्योंकि नीलू की मम्मी चेयर पर एकदम बिंदास हो कर बैठी हुई थी। उसके कपड़े भी अस्त- व्यस्त थे। जांघ पर जाँघ चढ़ा कर बैठी हुई थी वह भी उसकी आधी जाँघे दिखाई दे रही थी। नंगी जाँघों को देखकर ही राहुल के लंड में सनसनाहट पैदा होने लगी
थी। उसके लंड में उस वक्त और ज्यादा अकड़न पैदा हो गई जब उसकी नजर नीलू की मम्मी की छातियों पर पड़ी। नीलू की मम्मी ने ब्लाउज नहीं पहनी थी। उसकी चूचियां बिल्कुल नंगी थी बस ऊपर से साड़ी के पल्लू से ढका हुआ था। फिर भी आधी चूची नजर ही आ रही थी।
राहुल यह बात बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था कि उसके होने की मौजूदगी में भी नीलू की मम्मी अपने नंगे बदन को ढँकने की जरा भी कोशिश नहीं कर रही थी।
लेकिन नीलू जानती थी कि उसकी मम्मी शराब के नशे में धुत थी। राहुल को यह बात मालूम नहीं पड़ गया है इसलिए उसने अपनी मम्मी को कंधों से पकड़कर हीलाते हुए बोली।।।

मम्मी ये राहुल है मेरा क्लासमेट ये आपसे मिलने आया है ( इस बार नीलू की मम्मी जवाब नहीं बस मुस्कुरा दे राहुल ने भी नीलु की मम्मी को नमस्ते किया। नीलु की नजर राहुल की जाँघों के बीच जाते ही वहां बने तंबू को देखकर एकदम से सन्न रह गई। वह समझ गई कि उसकी मम्मी के अस्त व्यस्त कपड़ों को देख कर ही राहुल का लंड खड़ा हो गया है । और वह तुरंत अपनी मम्मी के कपड़ों को व्यवस्थित करते हुए बोली।

राहुल आज मम्मी की तबीयत ठीक नहीं लग रही है।( अपनी मम्मी की साड़ी को व्यवस्थित कर के राहुल की तरफ बढ़ते हुए।) तुम्हें तकलीफ देने के लिए माफी चाहती हूं किसी और दिन में तुम्हें मम्मी से मिलवा दूंगी।


कोई बात नहीं नीलूं मैं समझ सकता हूं आंटी थोड़ा अपसेट लग रही है मैं किसी और दिन आ जाऊंगा घर तो तुम्हारा देख ही चूका हूं इसलिए कभी भी मुझे जरूरत पड़ेगी तो मैं आ जाऊंगा। ( राहुल दरवाजे की तरफ जाने लगा तो नीलु भी उस की तरफ बढ़ते हुए बोली।)


चलो तुम्हें गेट तक छोड़ देती हूं।

( नीलू राहुल को छोड़ने के लिए गेट तक आई ।)

राहुल चला गया नीलू उसे जाते हुए देखते रह गई मन में ढेर सारे अरमान थे तभी तो अपनी बुर और पेंटी दोनों को की गीली कर ली थी । आज उसे अपनी मम्मी पर बहुत गुस्सा आ रहा था वैसे कभी भी इस समय घर पर नहीं होती थी लेकिन जब आज राहुल को लेकर आई तो ना जाने कैसे घर पर आ गई। नीलु यही साहब सोचते हुए कमरे में आई और गुस्से में अपनी मां को देखते हुए अपने कमरे में चली गई उसे कुछ सूझ नहीं रहा था उसके बदन में आग लगी हुई थी खास करके उसकी टांगों के बीच में। बार-बार उसे राहुल याद आ रहा था वही सोच रही थी कि अगर आज मम्मी घर पर नहीं होती तो मैं अपनी बुर मे राहुल के मोटे लंड को डलवाकर अपनी बुर की आग बुझा लेती। 
नीलू यह सब सोचते सोचते सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। इस तरह से बुर को मसलने की वजह से उसके बदन मे जेसे चीटियां रेंग रही हो उससे बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था।
उसकी पैंटी इतनी ज्यादा गीली हो चुकी थी कि सलवार के ऊपर से भी उसकी उँगलीया भीग जा रही थी।
तभी वह झट से बिस्तर से उठी और अपने कमरे का दरवाजा खोल कर किचन की तरफ बढ़ गई किचन में जाते ही उसने फ्रीज का दरवाजा खोला और अंदर से एक मजबूत मोटा और ताजा बैगन निकाली। बेगन का साइज थोड़ा ज्यादा ही था उसे लेकर नीलू अपने कमरे में आ गई कमरे का दरवाजा बंद करते ही वह अपने कपड़े उतारने लगी अगले ही पल वह एकदम नंगी बिस्तर के पास खड़ी थी और अपने हाथ से ही अपनी चूची को दबा रही थी। कुछ ही देर में इस तरह से चूची दबाने से चुची का रंग एकदम गुलाबी हो गया। उत्तेजना की वजह से चूची के साइज में भी बढ़ोतरी हो गई नीलू के मुँह से सिसकारीयो की आवाज़ निकलने लगी। नीलू एक हाथ से अपनी मस्त चूचियों को दबाते हुए मसल रही थी और दूसरे हाथ मे लिए हुए बैगन को अपनी बुर पर रगड़ रही थी। बैगन का मोटा वाला भाग बुर से स्पर्श होते हैं नीलू एकदम से मचल उठी उसकी काम भावनाएं प्रबल हो उठी। मीनू के मुंह से गर्म सिसकारियां बड़ी तेजी से फूट रही थी। बैंगन को नीलू अपने हाथों में इस तरह से पकडे हुई थी कि मानो वो बेगान न होकर राहुल का लंड हो। नीलू पूरी तरह से उत्तेजना के शिखर पर विराजमान हो चुकी थी। वह धम्म से बिस्तर पर बैठी और बैठते ही लेट गई। 
नीलू अपनी टांगों को फैला ली । चिकनी और सुडोल जाँघे बल्ब के उजाले में चमक रही थी। जांघों को फैलाते ही नीलु की गुलाबी बुर की गुलाबी पंखुड़ियां हल्के से अलग हो गई। गुलाबी पंखुड़ियों के अलग होते हैं उनमें से नमकीन पानी का झरना जैसे फूट पड़ा हो इस तरह से नमकीन पानी टपकने लगा। हर पल नीलू की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। उसकी गरम सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था। 
मारे उत्तेजना के नीलू के गोरे गोरे गाल भी लाल टमाटर की तरह हो गए। नीलू पूरे बिस्तर पर इधर से उधर तड़प तड़प के मारे उत्तेजना के उछल-कूद मचा रही थी।
नीलू जोर-जोर से बैगन के आगे वाले भाग को अपनी बुर की फाँको के बीच रगड़ रही थी और जोर-जोर से साँसे ले रही थी। नीलू इतनी ज्यादा मस्त हो चुकी थी कि उसके मुंह से अनायस ही राहुल का नाम निकल जा रहा था।



ओहहहहहहह राहुल....उउम्म्मम्म्म्............ डाल दो अपने मोटे गरम लंड को मेरी बुर मे ।। आआहहहहहहहह.........ओओहहहहहहहहह..........राहुल .....मेरी जान अब और मत तड़पाओ डाल दो पूरा लंड मेरी बुर में।। ( इतना कहने के साथ ही नीलू ने बैगन के आगे वाले भाग को अपने बुर की गुलाबी छेंद पर टिकाई और अपने हाथ से अपनी बुर * के अंदर ठेल दी। बुर पहले से ही गिली होने की वजह से चिपचिपी हो गई थी। इसलिए बेगन के आगे वाला भाग गप्प करके बुर में समा गया। बैगन एकाद ईन्च ही बुर मे घुसा था की नीलू का पूरा बदन अजीब से सुख के एहसास से गनगना गया। क्योंकि उसके ख्यालों में सिर्फ राहुल ही राहुल बसा हुआ था इसलिए तो उसके हाथ में जो बैगन था वह भी नीलू को राहुल का लंड ही लग रहा था इसलिए तो वह और भी ज्यादा मस्त हुए जा रही थी। 
नीलू एक हाथ से अपनी चूची को मसलते हुए और दूसरे हाथ से बेगन को अपनी बुर में ईन्च बाय उतार रही थी। 
थोड़ी देर में आधे से भी ज्यादा बेगन नीलू की बुर में अंदर तक धँसा हुआ था। नीलू पसीना-पसीना हो गई थी वह उत्तेजना की चरम सीमा पर थी। नीलू जल्दी-जल्दी बैगन को अपनी बुर में अंदर-बाहर कर रही थी। और गर्म सिसकारियां भरते हुए अनाप-शनाप बोले जा रहे थी।


आआआहहहहहह..आआहहहहहहहहह.....ऊऊममममममममम ............ राहुल........ और जोर से और जोर से राहुल......चोदो मुझे ......चोदो......... ( नीलू अपनी बुर में बैगन को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए अनाप-शनाप बोले जा रहे थी वह इतनी मस्त हो चुकी थी की उसे कुछ भी नहीं सुझ रहा था उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। वह अपनी चरम सीमा की बिल्कुल करीब थी। उसकी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी और बैंगन एक लंड की तरह उसकी बुर के अंदर बाहर ठोकरें लगाता जा रहा था। थोड़ी ही देर मे उसके मुंह से चीख नीकली और उसकी बुर ने भलभला के नमकीन पानी की बोछार कर दी। नीलू की हथेली उसके अपने ही बूर के पानी से भीग चुकी थी। कुछ ही देर में नीलु की वासना शांत हो गई।उसके बदन की गरमी पानी बनके उसकी बुर से निकल चुकी थी। नीलू का बदन शांत हो गया था। वह बिस्तर पर नंगी लेटी हुई
थी और धीरे धीरे नींद की आगोश मे चली गई।

दूसरी तरफ रात होते ही राहुल अपने बिस्तर पर पड़ा था आज उसके जेहन में नीलू की मम्मी का ही ख्याल आ रहा था। नीलू की मम्मी भी इतनी बिंदास्त होगी इस बारे में राहुल को बिल्कुल भी पता नहीं था।
बार-बार राहुल की आंखों के आगे नीलु की मम्मी की नंगी जाँघे और साड़ी के पल्लू से बाहर झाँकता हुआ उसका वक्षस्थल नाच जा रहा था। नीलू की मम्मी का भी बदन राहुल की मम्मी की तरह ही भरा हुआ था कद काठी भी लगभग एक जैसी ही थी।
उसकी गुदाज जाँघे राहुल की टांगों के बीच हलचल मचाए हुए था। ना चाहते हुए भी फिर से उसका हाथ उसके पैजामे में चला गया। और एक बार फिर से अपने भावनाओं पर काबू नहीं कर पाया और फिर से अपने पजामे को गीला कर लिया। मुठ मारने की कला में भी वह नीपूण होता जा रहा था। राहुल को भी अब इसमें मजा आने लगा था। अभी यह लगभग रोज का हो चुका था राहुल सोते समय रोज उन बातों को याद करता जिस से उस की उत्तेजना बढ़ने लगती और वह उत्तेजना के चलते मुठ मारता और अपनी भावनाओं को शांत करता। कुछ दीन तक यूं ही चलता रहा।
नीलू रोज-रोज राहुल के समीप रहने का मौका ढूंढती रहती और थोड़ा बहुत मौका मिलने पर वह राहुल के बदन से छेड़छाड़ भी कर लेती। और कभी अपने बदन की झलक भी दिखा देती जिसे राहुल की दीवानगी परवान चढ़ने लगी थी। राहुल भी ज्यादा से ज्यादा वक्त नीलू के साथ बिताने का बहाना ढूंढता रहता था। लेकिन विनीत की वजह से राहुल ज्यादा समय नीलू के साथ बीता नहीं पा रहा था। और विनीत को इस बारे में कुछ बता भी नहीं सकता था। 
राहुल का मन इन सब बातों में उलझे होने के बावजूद भी वह अपनी पढ़ाई पर बराबर ध्यान केंद्रित कर रहा था अपनी हरकतों को अपनी पढ़ाई पर हावी होने नहीं दिया था। इसलिए उसका क्लास का हर काम पूरा होता था। विनीत हमेशा राहुल की नोटबुक घर ले जाता और कॉपी करता क्योंकि उसका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था ऐसे ही 1 दिन वह राहुल से इंग्लिश की नोट बुक ले गया और लगभग दो-तीन दिन तक स्कूल आया ही नहीं। राहुल बहुत परेशान हो रहा था वह इस बात से परेशान नहीं था कि विनीत स्कूल नहीं आ रहा है उसे तो खुशी थे क्योंकि इन 3 दिनों में वह नीलू के बहुत करीब रहता था नीलू ने भी इन 3 दिनों में राहुल के साथ ज्यादा छूट छाट लेने लगी थी। यहां तक कि जब भी उसे मौका मिलता रिसेस में या कहीं भी जब किसी की भी नजर उन पर नहीं होती तो वह राहुल को किस करने लगती। और किस करते करते उसके पेंट के उभार को
हथेली में भरकर दबाती और मसलती। राहुल को भी इस में बहुत मजा आता । इसलिए तो उन दोनों को विनीत की गैरमौजूदगी फल नहीं रही थी बल्कि दोनों विनीत की गैर मौजूदगी का पूरा फायदा उठा रहे थे। 3 दिन से तो राहुल को विनीत का बिल्कुल भी ख्याल नहीं आया लेकिन उसे इंग्लिश में कुछ प्रोजेक्ट पूरे करने थे और वह नोटबुक विनीत ले गया था बिना नोटबुक के राहुल प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाता इसलीए उसे वीनीत से ना चाहते हुए भी मिलना जरुरी था। अब क्या करें विनीत के बगैर तो चल जा रहा था लेकिन जो उसने उस की नोट बुक लेकर गया है उसके बिना कैसे चलेगा इसलिए उसे विनीत के घर जाना जरुरी हो गया था।
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:23 PM

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