Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:22 PM,
#14
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अलका गाउन पहन चुकी थी। वह बिस्तर पर बैठ गई और बाजार वाली बात को याद करने लगी। 
उसे याद आने लगा कि वह बाजार से आज ढेर सारा सामान खरीदी कर ली थी जिससे कि उसका थैला भर चुका था और वजन भी ज्यादा था जिसको उठा पाना उसके बस की बात नहीं थी। वैसे भी आज उसने घर की जरूरत होगा कुछ ज्यादा ही सामान खरीद ली थी घर से निकली थी तब वह नहीं जानती थी कि यह सब समान उसे खरीदना है। लेकिन बाजार में पहुंचकर धीरे-धीरे ढेर सारा सामान खरीद ली। वह इतना ढेर सारा सामान खरीद तो ली लेकिन वो नहीं जानती थी कि वजन इतना बढ़ जाएगा कि उससे उठाया नहीं जाएगा।
वह बाजार में हुई बात को याद करते-करते बिस्तर पर लेट गई उसे वो याद आने लगा कि किस तरह से सामान से भरी थैले को उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो उठ नहीं पा रहा था। उसे बहुत टेंशन भी होने लगी थी की थी थैला अगर उठेगा नहीं तो घर तक जाएगा कैसे। वह बिस्तर पर लेटे लेटे यही सोच रही थी कि वह उस समय कितनी परेशान हो गई थी। तभी वह लड़का दौड़ते-दौड़ते पास में आया और कैसे मेरे बिना कुछ बोले ही खुद ही थेला उठा लिया। और कितनी अच्छी बातें करता था वो। 
लड़का: लाइये आंटी जी में उठा लेता हूं। ( इतना कहकर वह मेरे थेलै को उठाने लगा। और मैं उसे रोकते हुए बोली)

मै: अरे अरे रहने दो बेटा मैं उठा लूंगी। ( और वह मेरे कहने से पहले ही अपने मजबूत बाजूओ के सहारे उस वजनदार पहले को उठा लिया और बोला )

लड़का: आंटी जी मैं जानता हूं कि आप ईस थैले को नहीं उठा सकीे हैं तभी तो मैं आया हूं आपकी मदद करने। ( इतना कहने के साथ ही वह थैले को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया। मैं उससे फिर से पूछी।)

मै: तुम्हें कैसे मालूम बेटा कि मैं ये थैला नहीं उठा पाऊंगी

लड़का ; आंटी जी मैं बहुत देर से वहां बैठ कर( सामने रेस्टोरेंट की तरफ इशारा करते हुए) आपको ईस थैले को उठाते हुए देख रहा हूं लेकिन ये थैला आप से उठ ही नहीं रहा है इसलिए तो मैं वहां से इधर आया कि आपकी थोड़ी बहुत मदद कर सकु।( अलका उस लड़की की बात सुनकर मन ही मन में मुस्कुराने लगी। )
अलका; तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा। 

लड़का; आंटी जी इस मे शुक्रिया किस बात का। यह तो मेरा फर्ज है। वैसे आंटीजी ये थैला ले कहां जाना है। आप बताइए मैं वहां तक पहुंचा दुँ। ( अलका इस लड़के की मदद करने की भावना से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई
और इस लड़के की मासूमियत अलका को भा गई। अलका उस लड़के के मासूम चेहरे की तरफ देखते हुए बोली।)

अलका;अब कैसे कहूं बेटा तुम्हें तकलीफ देते हुए मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। तुम बहुत ही अच्छे लड़के हो।

लड़का: अब इसमें तकलीफ कैसी आंटी जी अब बस जल्दी से बताइए कहां ले जाना है? 

अलका; ( पर्स को अपने हाथ में दबाते हुए) बस बेटा वहाँ थोड़ा आगे तक। ( हाथ से इशारा करके दिखाते हुए) वहां तक पहुंचा दो मै वहाँ से ऑटो करके घर चली जाऊंगी। 
( अलका का इशारा पाते ही वह लड़का बिना कुछ बोले उस दिशा की ओर चलने लगा और उसके पीछे पीछे अलका चलने लगी। अलका मन ही मन में सोचने लगी कि यह लड़का कितना नेक दिल इंसान है। इसकी उम्र ही कितनी है मेरे राहुल जितनी हीं तो है। लेकिन इतनी कम उम्र में भी इसकी समझदारी इसका व्यवहार इसे इसकी उम्र से भी बड़ा कर देता है। अलका के मन में यह सब ख्याल आ ही रहा था कि तब तक उस लड़के ने अपने कंधे पर से थैला ऊतार के नीचे रख दिया और बोला)

लड़का: लो आंटी जी अब आ गया( इतना कहने के साथ ही वहां से एक ऑटो गुजर रहा था उसे हाथ दीखाकर रुकवा दिया। और उस ऑटो मे सामान से भरा थैला रखते हुए बोला।)

लड़का; यह लो आंटी जी आपका सामान में रख दिया अब आप को जहां जाना है आप आराम से बैठ कर चले जाइए।
( अलका को उस लड़के पर ढेर सारा प्यार उभर आया और अलका ने उस लड़के के माथे पर हाथ फेरते हुए उसका शुक्रिया अदा की और ऑटो में बैठकर अपने घर की तरफ तरफ चल दी।)
अलका बिस्तर पर लेटे लेटे उसी लड़के के बारे में सोच रीे थी लेकिन तभी उसे याद आया कि उस लड़के ने इतनी मदद की लेकिन उसने एक बार भी उस लड़के से उसका नाम नहीं पूछी। खेर कोई बात नहीं अगली बार मिलेगा तो जरुर उसका नाम पूछूंगी। अलका अपने मन में ही कह कर करवट बदल ली और पास में पड़े टेबल पर रखे लैंप की स्विच ऑफ करके बत्ती बुझाई और सो गई।
अलका जिस लड़के से इतना ज्यादा प्रभावित हुई थी वह उस लड़के के बारे में कुछ नहीं जानती थी। वह जिसे सीधा साधा और भोला भाला लड़का समझ रही थी । वह विनीत था उसके ही लड़के का दोस्त उसका हम उम्र। जो बड़ी उम्र की औरतों का शौकीन था। जो ज्यादातर बड़ी उम्र की औरतों की तरफ ही आकर्षित होता था। 
अलका यह समझ रही थी कि वह लड़का उस की मदद करने के इरादे से ही उसके पास आया था और उसका थैला उठाकर उसकी मदद किया था। लेकिन अलका इस बात से बिल्कुल भी बेखबर थी कि वह बस की मदद करने के हेतु से नहीं बल्कि उसके खूबसूरत बदन और उसके भरे हुए बदन के उभार और कटाव के आकर्षण को देखकर उसके पास आया था। वह लड़का सामने के रेस्टोरेंट में बैठ कर काफी देर से अलका के हिल चाल पर नजर रखे हुए था। वह लड़का भाई रेस्टोरेंट में बैठे बैठे अलका के भरे हुए बदन को ऊपर से नीचे तक उसकी बड़ी बड़ी चुचियों की गोलाई को अपनी आंखों से ही नाप रहा था। अलका की बड़ी बड़ी गांड और उसका घेराव ही उस लड़के के आकर्षण का केंद्र बिंदु था। अलका की हर एक हलन चलन पर उस लड़के ने अपनी नजर गड़ाए हुए था। अलका जब भी थोड़ा सा भी चलती तो उसकी गांड में उठने वाली थीरकन उस लड़के के लंड में मरोड़ पैदा कर दे रही थी। 
अलका जब-जब थैला उठाने के लिए नीचे झुकती तो सामने से उसकी बड़ी बड़ी चुचिया ब्लाउज में से झाँकती हुई नजर आ जा रही थी। जिसे देख कर उस लड़के की आह निकल जा रही थी। उस लड़के से अलका के बदन का उतार चढ़ाव बर्दाश नहीं हो रहा था और वह ये भी समझ गया था कि उस औरत से वह थैला ऊठ नहीं रहा है। इसलिए मैं सोचा कि वह जाकर उस खेलें को उठाने में उसकी मदद करें और काफी नजदीक से उसके खूबसूरत बदन का दर्शन भी हो जाए इसलिए वह उस रेस्टोरेंट से उठ कर अलका की मदद करने के लिए आया था।
विनीत के दिलो-दिमाग पर अलका की खूबसूरती और उसके बदन का भराव एकदम से छा चुका था। विनीत ने मन ही मन मे अलका के खूबसूरत बदन को भोगने का ठान लिया था। इसलिए विनीत ने अपना पहला दाँव चल चुका था और काफी हद तक कामयाब भी हो चुका था।

वहीं दूसरी तरफ राहुल अपने पजामे को गीला कर लीया था। उसके लंड ने इतनी तेज पिचकारी मारी थी कि उसे देख कर एक बार तो राहुल डर ही गया था यह क्या हो रहा है लेकिन लंड से पिचकारी निकलते समय मिलने वाले सुख का अहसास ने उसे आनंद के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर दिया। राहुल लंड को हिलाते हिलाते इतना मस्त हो गया था की पिचकारी निकलते समय उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी।
आज राहुल अनजाने में ही मुठ मारना सिख गया था।
आज उसे चरम सुख का अनुभव हो रहा था। बिस्तर पर पड़ी टॉवल से राहुल ने अपनी लंड को साफ किया। 
नीलू के बदन का आकर्षण पुरुष की दीवानगी ने राहुल को इस कदर मजबूर कर दिया था कि जो उसने आज तक नहीं किया था उसके बारे में सोचा भी नही था कभी उसी काम को अंजाम दे कर सुख का अनुभव कर रहा था।
राहुल आज नया अनुभव पाकर प्रसन्न हो गया था।
राहुल ने भी लेंप की स्विच को दबाकर ऑफ किया और आंखों को मुँद कर सपनों की दुनिया में चला गया।

दूसरे दिन स्कूल में राहुल नीलू से आंखें नहीं मिला पा रहा था उसे शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन छुप छुप के नीलू को नजर भर के देख ले रहा था नीलू भी विनीत से नजरें बचाकर राहुल को देखकर मुस्कुरा दे रहीे थी। 
नीलू बार बार राहुल को इशारे से रिसेस के समय ऊपर की क्लास में मिलने को समझा रही थी। लेकिन राहुल नीलु के इशारे को समझ नहीं पा रहा था। 
आज राहुल विनीत से भी बातें करने में भी हीचकीचा रहा था। आंखों ही आंखों से इशारा करते हुए कब रीशेष की घंटी बज गई पता ही नहीं चला। रिषेश की घंटी बजते ही सभी विद्यार्थी क्लास के बाहर चले गए विनीत भी राहुल का हाथ पकडे हुए क्लास के बाहर आ गया। नीलू छिप छिप कर उन दोनों को देख रही थी नीलू राहुल को ऊपर की क्लास में ले जाना चाहती थी क्योंकि ऊपर की क्लास ज्यादातर खाली ही रहते थी।
लेकिन वो जानती थी कि विनीत के होते हुए व राहुल के साथ ऊपर नहीं जा सकती। और विनीत था की राहुल के साथ ही चिपका रहता था। राहुल विनीत बातें करते हुए एक पेड़ की छाया के नीचे बैठ गए। नीलू वो दोनो को देख ही रही थी वह समझ गई कि आज का प्लान सक्सेस नहीं हो पाएगा। इसलिए थक हारकर वह भी उन दोनों के पास पहुंच गई।
नीलू को देखते ही विनीत बोला।

वीनीत; हाय जान तुम तो दीन ब दीन फुल की तरह खीेलती जा रही हो।( इतना कहने के साथ ही विनीत ने सबकी नजरें बचाकर अपने हाथ से नीलू की गदराई गांड को दबा कर अपना हाथ पीछे खींच लिया । युँ एकाएक अपनी गांड पर राहुल के हाथ का स्पर्श पाकर नीलू चौक ते हुए बोली।)

नीलु: क्या करते हो विनीत कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा।।
( नीलू की बात सुनते ही विनीत ने नीलू का हाथ पकड़ कर अपने नजदीक बैठाते हुए बोला)

वीनीत: अरे जान कोई नहीं देखेगा और देख भी लीया तो क्या हुआ मैं तुमसे प्यार करता हुँ। ( विनीत की बात सुनकर नीरलु मुस्कुरा दी लेकिन वही बैठे राहुल को यह सब बातें अच्छी नहीं लग रही थी पता नहीं क्यों उसे विनीत से ईर्ष्या होने लगी थी। राहुल बखूबी जानता था कि नीलू और विनीत का काफी समय से चक्कर चल रहा है लेकिन कल नीलू से मिलने के बाद से राहुल नीलू का अपना समझने लगा था इसलिए विनीत पर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन जिस तरह से विनीत ने अपने हाथों से नीलू की नरम नरम गांड को दबाया था उसे देखते ही राहुल के लंड में झनझनाहट होने लगी थी
लेकिन राहुल विनीत को कुछ कह भी नहीं सकता था। तभी विनीत ने नीलू से कहा)

वीनीत: क्या जान आजकल तो तुम्हारी गांड बहुत ज्यादा गदराई जा रही है कहीं किसी और का तो नहीं ले रही हो? ( विनीत की बात सुनते हैं नीलू एकदम से सकपका गई लेकिन अपने आप को संभालते हुए बोली।)

नीलु; पागल हो गए हो क्या कैसी बातें कर रहे हो वो भी अपने दोस्त के सामने। वो क्या समझेगा।

वीनीत; ( राहुल की तरफ देख कर उसको आंख मारते हुए) कुछ समझ भी जाएगा तो क्या हुआ मेरी जान यह मेरा जिगरी दोस्त है किसी से कुछ भी नहीं कहेगा।( राहुल के कंधे पर हाथ रखकर अपने तरफ खींचते हुए)
क्यों राहुल सच कहा ना।
( राहुल क्या कहता वह तो मन ही मन जलभुन रहा था लेकिन फिर भी हंसते हुए हाँ मे सिर हीला दीया। तभी विनीत ने नीलू से कल के बारे में पूछा तो नीलू फिर से सक पका गई। क्या जवाब दे कुछ समझ में नहीं आ रहा था राहुल भी नीलु की तरफ सवालिया नजरों से देख रहा था। वह भी यही सोच रहा था कि नीलू क्या जवाब देती है लेकिन कुछ देर तक नीलु खामोश रही। उसकी खामोशी को देखकर विनीत फिर से उसे वही सवाल दोहराया। इस बार नीलू हड़बड़ाते हुए जवाब दी)

नीलु: वो वो ककककल मै .....हाँ। कल मैं मम्मी पापा के साथ रिश्तेदार के वहां गए थी। और रात को देर से लौटे थे।( इतना बोलने के साथ ही अपने नजरों को इधर-उधर घुमाने लगी। नीलू के जवाब से संतुष्ट होकर विनीत बोला।)

वीनीत; कल मुझे भी बहुत काम था इसलिए मैं तुमसे मिल नहीं सका।( विनीत अपनी बात पूरी किया ही था कि उसके मोबाइल की रिंग बज उठी। वह अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर उसके स्क्रीन पर देखा तो उसकी भाभी का ही नंबर था। विनीत ने फोन पिक किया और बातें करने लगा। उसके फोन पर बात करने से पता चल रहा था कि उसकी भाभी को कोई जरूरी काम था उसे जाना पड़ रहा था। विनीत फोन को कट करके मोबाइल को जेब में रखते हुए बोला।)

वीनीत: यार मुझे जाना होगा घर पर जरुरी काम है।
( नीलू और राहुल को उसकी भाभी का यूं बार बार घर पर बुला लेना कुछ समझ में नहीं आ रहा था इसलिए नीलू विनीत से बोली)

नीलु; क्या यार जब देखो तब तुम्हारी भाभी बीच क्लास मे तो कभी रीशेष मे बुला लेती है .कभी भी बुला लेती है। आखिर ये सब चक्कर क्या है। ( राहुल भी विनीत की तरफ सवालिया नजरों से देख रहा था। नीलू के सवाल पर विनीत ने पहले नीलू की तरफ फिर राहुल की तरफ देखते हुए जवाब दिया।)

वीनीत; देखो यार तुम लोगों को तो पता ही है कि बचपन में ही मेरे सर से मां बाप का साया उठ चुका था भाई ने ही मेरी देखभाल की है। भाई की शादी के बाद भाभी ने भी मुझे अपने बेटे के जैसा ही प्यार दिया है मेरी हर जरूरतों का ध्यान रखतीे हैं। इसलिए तो मैं अपनी भाभी को अपनी मां की तरह मानता हूं। और इसलिए मैं उनकी हर आज्ञा मानता हूं। ( इतना कहकर विनीत खड़ा हो गया और जाते हुए बोला:-) अच्छा नीलू और राहुल अब कल मिलेंगे।।
( राहुल और नीलू विनीत को जाते हुए देखते रहे। विनीत के जाने के बाद राहुल और नीलू दोनों वहीं बैठे रहे . नीलू को पूरा मौका मिल गया था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था क्यों क्या कह कर राहुल को ऊपर मंजिले की तरफ ले जाएं।। रिसेस का समय पूरा होने में सिर्फ 15 मिनट ही रह गए थे। नीलु की बेचैनी बढ़ती जा रही थी इसी कशमकश में उसकी बुर फुदकने लगी थी। राहुल नीलू से शर्मा रहा था इस वजह से वह भी नीलू से कुछ कह नहीं पा रहा था। तभी नीलू मन में कुछ सोच कर राहुल से बोली।)

नीलु: राहुल चलो कहीं एकांत में चलते हैं यहां काफी शोर शराबा है।( नीलू की मीठी मधुर आवाज सुनते ही राहुल प्रसन्न हो गया वह नीलू की तरफ देखते हुए बोला।)

राहुल: लेकिन जायेंगे कहां सब जगह तो शोर शराबा है।

नीलु: तुम चलो तो मैं जानती हूं ऐसी जगह( इतना कहने के साथ है वह चलने लगी पीछे मुड़कर देखी तो राहुल भी उसके पीछे पीछे आने लगा। राहुल को पीछे आता देख वह मुस्कुरा दी। मीनू राहुल को स्कूल के उपरी मंजिल ए पर ले जा रही थी जहां पर कोई भी क्लास अटेंड नहीं होती थी। ऊपरी मंजिले की सारी क्लास खाली ही रहती थी। 
मीनू सीढ़ियां चढ़ रही थी रह-रहकर पीछे मुड़कर राहुल की तरफ भी देख ले रही थी। राहुल की नजर नी्लू पर ही टिकी थी खासकर के नीलू की गदराई गांड पर। जोकि सीढ़ीयाँ चढ़ने पर कुछ ज्यादा ही मटक रही थी।
जिसे देखकर राहुल के लंड में जान आना शुरु हो गया था। नीलू भी कुछ कम नहीं थी वह जानबूझकर अपनी बड़ी-बड़ी गदराई गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी । राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि नीलू उसे ऊपर की तरफ क्यों ले जा रही है। नीलू के आकर्षण ने उसे इतना ज्यादा मोह लीया था कि नीलू जहां कहती व जाने को तैयार था। इसलिए तो वह नीलू से बिना कुछ सवाल किए उसके पीछे पीछे खिंचा चला जा रहा था। राहुल को इस समय कुछ नहीं सुझ रहा था उसे तो बस नीलू की बड़ी बड़ी मटकती हुई गांड ही दिखाई दे रही थी जो की सीढ़ियां चढ़ने पर और भी ज्यादा मटक रही थी। राहुल के पेंट में तंबू बनना शुरू हो गया था। नीलु सीढ़ियां चढ़ चुकी थी और वह कोने वाली क्लास में जाने के लिए आगे बढ़ रही थी। यहां की सारी क्लास हमेशा खाली ही रहती थी। नीलू सबसे लास्ट की क्लास में ले जा रही थी। यह वही क्लास थी जिसमें नीलू ने बहुत बार विनीत से चुदवा चुकी थी। बहुत बार अपनी जवानी की प्यास विनीत के लंड से बुझाई थी। और आज उसकी इच्छा थी की राहुल के विशालकाय लंड को अपनी आंखों से एकदम नंगा देखना चाहती थी। 
राहुल के जाघों के बीच बने तंबू को देखकर ही इतना तो जान ही गई थी नीलू की राहुल एक दमदार और तगड़े लंड का मालिक है। 
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:22 PM

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