Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:17 PM,
#3
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
वीनीत: सच मे नीलु ये बहोत ही सीधा हे।
नीलु: हां तभी मुझे देखकर इनका वो खड़ा हो गया था।
(नीलु की बात सुनते ही राहुल का सिर शर्म से झुक गया।उसका हाल काटो तो खुन नही। वो क्या उसकी जगह कोई भी होता तो उसका भी खड़ा हो जाता। )
(वीनीत राहुल का साथ देते हुए बोला)

वीनीत: अरे यार अब तुम ईस तरह से (बेंच पर झुकी हुई नीलु की चुची को शर्ट के उपर से ही दबाते हुए )अपनी बड़ी बड़ी चुचीया दीखाओगी तो कीसीका भी लंड खड़ा हो जाएगा। (जोर से चुची दबाने की वजह से नीलु की आहहहहह निकल गई।)

नीलु: आआहहहहह क्या कर रहे हो। दुखता है।
(नीलु की आहहह ओर उसकी बात सुनकर राहुल नीलु की तरफ देखने से अपने आप को रोक नही सका। ओर नीलु की तरफ नजर पड़ते राहुल के बदन मे सनसनी फेल गई।उसका रोम रोम झनझना गया। क्योकी वीनीत का हांथ अभी भी नीलु की चुची पर थी ओर उसे दबा भी रहा था। नीलु को राहुल की मौजुदगी जरा भी नही खल रही थी। राहुल के होने से नीलु को जरा भी फर्क नही पड़ रहा था। राहुल दोनो हाथ से नीलु की चुचीयो को दबाते हुए राहुल की तरफ देखते हुए बोला।)

वीनीत; देखेगा नीलु की चुचीयो को। बोल देखेगा ना।
(राहुल क्या बोलता उसकी तो बोलती ही बंद हो गई थी।राहुल से कुछ जवाब नही मिला तो खुद ही बोला।)
देखेगा देखेगा। तुम दीखाओ।
(नीलु तो जैसे खुद ही दीखाने के लिए तड़प रही हो ईस तरह से तुरन्त अपने शर्ट के बटन को खोलने के लिए अपने हांथ को शर्ट के उपरी बटन पर ले गई।राहुल की नजर भी नीलु की छातीयो पर जम गई थी । लेकीन जेसे ही वो शर्ट का पहला बटन खोली ही थी की। रीशेष पुरी होने की घंटी बज गई।नीलु झट से अपने शर्ट का बटन बंद करते हुए बोली अब बाद मे नही तो कोई आ जाएगा तो सब गड़बड़ हो जाएगा। ईतना कह के वो तुरंत दरवाजा खोलके चली गइ। वीनीत औक राहुल दोनो उसको गांड मटका के जाते हुए देखते रह गए।
नीलु जा चुकी थी …लेकीन जाते जाते राहुल के बदन मे और जाँघो के बीच हलचल मचा दी थी। वीनीत तो पहले से ही खेला खाया हुआ था। लेकीन अभी जो क्लास मे हुआ ये राहुल के लिएे अलग और बिल्कुल ही नया अनुभव था।
वीनीत के पेन्ट मे अभी भी तम्बु बना हुआ था। राहुल खुद अपनी जाँघो के बीच ऊठे हुए भाग को देखकर हैरान था ।उसे खुद समझ मे नही आ रहा था की ऐसा क्यों हो रहा था। वैसे सुबह मे उठने पर अक्सर उसके पजामे का आगे वाला भाग ऊठा हुआ ही मिलता था। लेकीन उसने कभी ज्यादा बिचार नही कीया । उसे यही लगता था की पेशाब लगने की वजह से ऐैसा होता हे।
और इस समय भी ऊसे यही लग रहा था की पेशाब की वजह से ही ये उठा हुआ है। लेकीन उसे ईस बात से भी हैरानी हो रही थी की उसे इस समय तो पेशाब बिल्कुल नही लगा था। तो ऐैसा क्यों हो रहा है। राहुल की साँसे अभी भी भारी चल रही थी। राहुल नीलु के बारे मे वीनीत से कुछ पुछ पाता ईस्से पहले ही क्लास रुम मे विद्घार्थी आना शुरु हो गए और राहुल ईस बारे मे वीनीत से कुछ पुछ नही पाया।
रीशेष के बाद राहुल का मन पढाई मे बिल्कुल भी नही लग रहा था। बार बार ऊसकी आँखो के सामने नीलु का चेहरा आ जा रहा था। और जब जब नीलु का ख्याल आता ऊसकी पेन्ट मे तम्बु बनना शुरु हो जाता।
बार बार वो चाह रहा था की वीनीत से कुछ पुछे लेकीन अपने शर्मीले स्वभाव के कारण और कुछ मन मे डर की वजह से भी कुछ पुछ नही सका। 
वीनीत बार बार राहुल से पुछ भी रहा था की ऊसे हुआ क्या है… ईतना शान्त क्यो है? लेकीन वो था की बार बार बात को घुमा दे रहा था। यू ही कश्मकश मे छुट्टी की घंटी भी बज गई।
वीनीत अपनी बाईक को पार्कींग से निकाल रहा था। राहुल वहीं खड़ा था। जेसे ही वीनीत पार्कींग से बाईक को बाहर निकाला वैसे ही नीलु अपनी कुछ सहेलियो के साथ वहाँ आ गई। नीलु और उसकी सहेलियो को देखते ही राहुल की हालत खराब होने लगी। वीनीत बाइक को स्टार्ट कीए बिना ही मैन सड़क तक ले आया। तभी नीलु वीनीत के पास गई और बोली।

नीलु: वीनीत मुझे अपनी नोट्स तो दो। तुम तो नोट्स 
दीए बिना ही चलते बने।
(नीलु की बात को सुनते ही जेसे उसे कुछ याद आया हो इस तरह से बोला।)

वीनीत : वोह गॉड एम रीयली वेरी वेरी सॉरी। मुझे याद ही नही रहा।(ईतना कहते ही अपने आगे रखी बेग को खोलने लगा। राहुल बड़े गौर से नीलु को ही देख रहा था। ईतने मे नीलु की सहेली बोल पड़ी।)

नीलु की सहेली: कभी कभार हमारी तरफ भी ध्यान दे दीया करो वीनीत। हम लोगो का भी नोट्स बाकी है।(बाकी की सहेलीयो ने भी उसके सुर मे सुर मिलाई।)

वीनीत: हाँ हाँ क्यों नही मुझे अपने घर या मेरे घर पर आ जाया करो (बेग से नोट्स नीकालकर नीलु को थमाते हुए।) सबके नोट्स मैं खुद ही पुरा कर दुंगा। (नीलु झट से वीनीत के हाँथ से नोट्स को थाम ली। नोट्स को थामने मे नीलु ने अपने मखमली ऊँगलियो का स्पर्श वीनीत के हाँथ पर कर दी जिस्से वीनीत मुस्कुरा दीया। और राहुल ने भी नीलु की इस हरकत को देख लिया ।नीलु की सहेली वीनीत की बात सुनकर बोली।)

नीलु की सहेली: अरे यार हमारी ऐैसी कीस्मत कहाँ की तुम हमारी खिदमत करो।।

वीनीत: एक बार मौका तो देकर देखो ऐसी खिदमत करुंगा की सारी जिंदगी याद करोगी की कोई खिदमत गार मिला था।

नीलु ; बस बस अब रहने दो ईन लोगो की खिदमत करने को। बस तुम जहाँ ध्यान देते हो वहीं ध्यान दो।(ईतना कहने के साथ ही नीलु अपनी छातियो को थोड़ा सा बाहर की तरफ नीकालकर वीनीत को दीखाने लगी। वीनीत भी नीलु की छातियो को खा जाने वाली नजरो से घुरने लगा। राहुल ईन लोगो की बातो का असली मतलब नही समझ पा रहा था। वीनीत नीलु की छातीयो को घुरता हुआ बाईक स्टार्ट करते हुए बोला।

वीनीत: चल रे राहुल आज तो संतरे खाने की इच्छा हो रही है। (ईतना कहते ही बाईक स्टार्ट हो गई।राहुल झट से बाईक पर बैठ गया और वीनीत नीलु को आँख मारते हुए एक्सीलेटर देते हुए आगे बढ़ने लगा । ओर पीछे से नीलु की सहेलीयो की आवाज आई।)

नीलु की सहेलीयाँ; बडे़ बड़े संतरो का स्वाद लेना हो तो हमे जरुर याद करना।

वीनीत;(दूर जाते हुए) जरुर याद करुंगा।।

वीनीत नीलु और उसकी सहेलीयाँ द्बीअर्थी भाषा मे बाते कर रहे थे । जो की राहुल के बिल्कुल भी समझ मे नही आ रहा था। 

वीनीत: क्या हुआ यार आज तु ईतना शांत क्यो है? तबीयत तो ठीक हे न तेरी। 
(वीनीत बाइक को आराम से चलाते हुए राहुल से पुछ रहा था। )

राहुल: हाँ यार ठीक हुँ । कुछ नही हुआ है मुझे। 

वीनीत: तो ईतना शांत क्यो है। बता तो सही हुआ क्या है। (वीनीत बार बार राहुल से पुछ रहा था लेकीन राहुल था की कुछ बता नही रहा था। और बताता भी कैसे उसने आज तक कभी भी ऐसी बाते न सोचा था और न ही कीसी से एसी बाते कीया था। फीर भी वीनीत को राहुल का ईस तरह से व्यवहार का कारण समझ मे आ गया। वो झट से बोला।)

वीनीत: अच्छा अब समझ मे आया । तु नीलु के बारे मे सोच रहा है न। सच सच बताना मुझसे झुठ मत बोलना। बता यही सोच रहा है ना। 
(राहुल वानीत के सवाल का जवाब नही दीया। उसे शरम आ रही थी। वो भी नीलु के बारे मे ही बात करना चाहता था लेकीन केसे करे कुछ समझ मे नही आ रहा था। ईस परीस्थिती का भी हल वीनीत ने ही कर दीया। वो बोला।)

वीनीत: देख भाई मे तेरा दोस्त हुँ । तेरे मन मे जो भी हे बिंदास बोल डाल। मे जानता हुँ तु जिसके बारे मे सोच रहा है। लेकीन शर्मा रहा हे ना। और यार मुझसे केसी शर्म । एसी बाते मुझसे नही कहेगा तो कीससे कहेगा। चल अब जल्दी से सब बोल डाल। नीलु की वजह से परेशान हे ना। बोल । 
(वीनीत के लाख समझाने पर राहुल बोला।)

राहुल: हाँ। 

वीनीत: ये हुई न बात।(राहुल का जवाब सुन कर खुश होता हुआ बोला।) अब तेरे मन मे जो भी हे सब बोल डाल।अच्छा रुक पहले कुछ खा लेते हे। वहीं बैठकर बात करेंगे। (वीनीत अपनी बाईक को एक छोटे से रेस्टोरेंट के आगे खड़ी कर दीया।
कभी कभार वीनीत और राहुल यहाँ नास्ता करने आया करते थे। और वीनीत ही पैसे चुकाया करता था। क्योकी वो राहुल की स्थीति से वाकीफ था। वीनीत और राहुल दोनो पेड़ के नीचे रखी कुर्सी पर बैठ गए।
आज यहाँ बहुत ही कम भीड़ दीख रही थी। 
दोनो के बैठते ही एक।वेईटर ऑर्डर लेने आ गया। हमेशा की तरह ही वीनीत ने ऑर्डर दे दीया। वेइटर ऑर्डर लेकर चला गया। 

वीनीत: अब कुछ बताएगा भी या यूं ही बुत बनकर बैठा रहेगा। 
राहुल: (नजरे ईधर उधर घुमाते हुए) क्या बताऊ यार कुछ समझ मे नही आ रहा है। 

वीनीत: ईसमे ईतना सोचने वाली क्या बात हे जो मन मे हे बोल डाल। नीलु ने परेशान कर रखा हे न तुझे। बोल यही बात हे न। 
राहुल हाँ मे सिर हीलाते हुए) लड़कीयाँ ईस तरह की भी होती हैं मुझे यकीन नही हो रहा है।

वीनीत: कीस तरह की मतलब?
(वीनीत राहुल का मतलब समझ गया था लेकीन आज वो ये देखना चाहता था की शर्मीला राहुल केसे और क्या बोलता हे।)


राहुल: अरे तू देखा नहीं किस तरह से अपनी छातियों को ऊभार कर अपना वो दिखा रही थी।

वीनीत; अपना वो मतलब।
राहुल; अपना वो यार। मतलब अपना वही जो दिखा रही थी।( राहुल शर्माते हुए बोला)

वीनीत; तू ठीक से बता भी नहीं रहा है।

राहुल; अरे यार वही जो तू दबा रहा था।( राहुल झट से शर्माते हुए बोला)

वीनीत; अच्छा उसकी चुची।( कह कर हंसने लगा)

राहुल: देख देख कितना बेशर्मों की तरह बता भी रहा है

( इतने में वेइटर समोसा और चाय लेकर आ गया।)

वीनीत; अच्छा चल पहले नाश्ता करले । ( समोसे को उठाकर उसको बीच से तोड़ते हुए) वैसे एक बात कहूं
तू भी कोई सीधा नहीं है। पता है ना नीलू की चुची देखकर तेरा भी खड़ा हो गया था। ( इतना कहते हुए समोसे का टुकड़ा मुंह में डाल लिया। विनीत कि इस बात पर राहुल हक्का-बक्का रह गया क्योंकि विनीत भी सच ही कह रहा था। विनीत की बात सुनकर राहुल का चेहरा फीका पड़ गया। राहुल के पास विनीत की बात का कोई जवाब नहीं था। क्योंकि सच में नीलू की चुचीयो को देखकर राहुल का भी खड़ा हो गया था। 
चाय की चुस्की लेते हुए विनीत बोला)

वीनीत: चल कोई बात नहीं यह सब तो नॉर्मल है। तू चाय पी और समोसे खा। लड़कियों को देख कर लड़कों का नहीं खड़ा होगा तो किसका खड़ा होगा। ( इतना कहते हुए फिर से समोसे का टुकड़ा मुंह में डाला।)
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:17 PM

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