RE: Antarvasna kahani मासूम
लेकिन ये सब इतना आसान नही था क्योंकि शादी की डेट बहुत पास थी और मेहमान आना शुरू गये थे जोकि मेरे नये नये चुदाई के अखाड़े मे उतरे लंड के साथ बहुत ना-इंसाफी थी लेकिन अब मैं कर भी क्या सकता था एक दो बार प्रिया दीदी और प्रीति दीदी को चुदाई के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन मेहमानो के कारण उन्होने भी मना कर दिया लेकिन इस बीच कैसे भी बेचारी प्रिया दीदी ने दो बार मुझे चोदने दिया लेकिन ज़्यादा मज़े करने के लिए अब मेरे पास अपने लंड को हाथ से हिला कर शांत करने के सिवा और कोई चारा नही था
आज एक ही मंडप मे बादल भैया और प्रिया दीदी की शादी थी बहुत अच्छी पार्टी हुई और सभी ने बहुत एंजाय किया सुबह होते ही प्रिया दीदी की विदाई हो गई और हम भाभी को लेकर घर वापस आ गये हम सभी बहुत खुश थे और मैं मन ही मन सोच रहा था कि आज की रात भैया भाभी की सुहागरात है और भैया आज भाभी को चोद डालेंगे और यही सोच कर मैं थोड़ा सॅड भी फील कर रहा था क्योंकि भाभी के जैसा कड़क माल मेरे हाथ ना लग कर भैया के हाथ लग चुका था
लेकिन होनी को कुच्छ और ही मंजूर था उस रात भैया के कुच्छ दोस्त जो शादी मे दूसरे शहर से आए हुए थे उन्हे खाना खिलाने के लिए भैया होटल ले गये थे और हम सब भाभी के साथ भैया के रूम मे मे बैठे हुए थे भाभी बहुत सेक्सी लग रही थी मेरा दिल कर रहा था कि भाभी को अभी के अभी चोद डालु लेकिन ये नामुमकिन था
काफ़ी देर हो गई थी लेट नाइट भैया अभी तक वापस नही आए थे हम सब परेशान थे फिर एक फोन आया कि भैया का आक्सिडेंट हो गया है और वो हॉस्पिटल मे अड्मिट है
भैया के दोस्तो ने शराब पी रखी थी और वो सब खाना खा कर वापस आरहे थे और भैया का जो फ्रेंड कार चला रहा था उससे कार कंट्रोल नही हुई और रोड के बाजू मे खंबे से जा टकराई भैया उसी साइड बैठे थे और बहुत ज़ख्मी हो गये थे जब राह चलते लोगो ने उन्हे देखा तो उठा कर हॉस्पिटल पहुचाया
हम सब जल्दी से हॉस्पिटल मे निकले भाभी भी साथ ही थी सब रो रहे थे हॉस्पिटल पहुच कर पता चला कि भैया की हालत खराब थी वो खून से लथपथ थे लेकिन डॉक्टर ने कहा कि ख़तरे की कोई बात नही है लेकिन उन्हे ठीक होने मे कुच्छ टाइम लगेगा
मैं बहुत रो रहा था क्योंकि मेरे मोम डॅड नही थे और मेरे भैया ने ही उनकी कमी पूरी की थी और वो ही मेरे लिए सब कुच्छ थे
तभी कविता दीदी वहाँ आई और पहले मुझे समझाइया और फिर कब मैं चुप हो गया तो वो बोली कि सब लोग वापस घर जाओ यहाँ सिर्फ़ मैं रुकूंगी और फिर मामा भी वहाँ थे ही तो हम सभी घर वापस आगये
सारी रात कोई नहीं सोया सभी लोग टेन्षन की वजह से जागते रहे उधर प्रिया दीदी भी बहुत परेशान थी भैया की खबर सुनकर लेकिन वो बेचारी भी क्या करती आख़िर आज उसकी भी सुहागरात थी
खैर सभी मे हिम्मत से काम लिया और अगले दिन भाभी को बहुत परेशान थी को मना कर जैसे तैसे खाना खिला ही दिया उधर हॉस्पिटल से भी दीदी की खबर आई कि भैया की हालत बहुत तेज़ी से सुधर रही है तो भाभी और हम सभी थोड़े और रिलॅक्स हो गये थे
उस रात मैं भाभी के रूम मे गया वो अकेली थी मैं वहाँ बैठ कर भाभी के साथ बाते करने लगा भाभी देवर होने के नाते मुझे भैया या भाई कहती थी
"भाभी आप परेशान ना हो भगवान ने चाहा तो भैया बहुत जल्दी ठीक ही जाएँगे" मैं भाभी को दिलासा देते हुए बोला
"भैया भगवान करे कि वो जल्दी ठीक ही जाए लेकिन भैया सभी लोग कह रहे है कि मैं मनहूस हूँ जैसे ही मेरे कदम इस घर मे पड़े ये सब हो गया" भाभी उदास लहजे मे बोली
"नही भाभी ऐसा नही है और किसने कहा आपसे ये सब मुझे बताओ मैं उसे नही छोड़ूँगा, सच भाभी ऐसा कैसे हो सकता है बताओ किसने कहा आप से ऐसा" भाभी की बात सुनकर मैं गुस्से से बोला "क्या मेरी बहनो मे से किसे ने कहा"
"नही भैया वो सब तो बहुत अच्छी है लेकिन जो और भी लोग आए है ना उन्ही मे से किसी ने कहा था और मैने सुन लिया था" भाभी बोली
इतना कह कर भाभी रोने लगी तो मैने उन्हे चुप कराया और अपने गले से भी लगा लिया
"भाभी प्ल्ज़ रोना बंद करो ये जो दूसरे लोग है ना सब बकवास करते है असल मे वो जलते है कि मेरी भाभी बहुत अच्छी है और बहुत प्यारी है इसलिए" मैं भाभी को दिलासा देते हुए बोला
मेरी बात सुनकर भाभी चुप हो गई और फिर हँसने लगी
"अच्छा जी तो मैं अच्छी हूँ, लेकिन तुम्हे कैसे पता जबकि अभी मुझे यहाँ आए दो दिन ही हुए है अब क्या पता कि मैं अच्छी हूँ या नही और क्या पता कि कुच्छ दिन बाद आप ही कह रहे होवो कि भाभी अच्छी नही है" भाभी बोली
"नही भाभी मैं ऐसा कभी भी नही कहूँगा चाहे जो हो जाए मुझे पता है कि आप बहुत अच्छी और बहुत प्यारी है" मैं बोला
अभी हमारी बात चल ही रही थी कि कविता दीदी रूम मे आ गई
"अरे वाह.........देवर भाभी एक साथ क्या बाते हो रही है" कविता दीदी हमे एक साथ देख कर बोली
"कुच्छ नही दीदी बस ये महोदय मेरी बहुत तारीफ कर रहे है" भाभी बोली
"अच्छा जी ज़रा हम भी तो सुने कि कितना मक्खन लगा रहे है जनाब" कविता दीदी मुस्कुराते हुए बोली
"दीदी मैं भाभी को कोई मक्खन नही लगा रहा हूँ, भाभी रो रही थी क्योंकि उन्होने कुच्छ लोगो से सुना जो उन्हे मनहूस कह रहे थे क्योंकि उनके आते ही भैया का आक्सिडेंट हो गया तो मैं भाभी को वही समझा रहा था कि ऐसा कुच्छ नही होता ये सब बकवास है" मैं बोला
"भाई तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो सच ये सब बकवास है और भाभी आप चिंता क्यों कर रही हो हम लोगो मे से किसे ने तो ऐसा नही कहा ना" कविता दीदी बोली
"दीदी ऐसी बात नही है आप सब बहुत अच्छे है लेकिन कुच्छ लोगो ने कहा हो मैने सुना इसीलिए सिर्फ़ बता ही रही थी और बहुत उदास थी और रो रही थी लेकिन दिपु भैया इतने अच्छे है कि उन्होने मुझे हंसा दिया" भाभी बोली
"भाभी आप भी ना......लोगो की बाते क्यों सुनती हो लोग तो किसी को नही छोड़ते और फिर जो होना है वो तो होकर ही रहता है और किसी की वजह से तो कभी भी नही होता जो लिखा है बस वही होता है" दीदी भाभी को समझाते हुए बोली
"देखा भाभी मैने भी तो यही कहा था आप से" मैं बोला
"ओके बेटा अब भाभी को ज़्यादा परेशन मत करना और जल्द ही अपने रूम मे जाकर सो जाना" कविता दीदी बोली और रूम से बाहर निकल गई
फिर मैं और भाभी बाते करने लगे और बाते करते करते हो मुझे नींद आ गई और मैं भाभी के बेड पर ही सो गया
मैं गहरी नींद मे था और मेरे कानो मे किसी के बोलने की आवाज़े आरहि थी मैं जाग गया लेकिन मैने आँखे नही खोली और सुनने लगा
"भाभी आप परेशान मत होओ लोग तो बकवास करते हो रहते है उनकी बात दिल पर नही लेते" मेरे कानो से प्रीति दीदी की आवाज़ टकराई "भाभी आपको नींद आरहि होगी आप सो जाओ, लेकिन इन को तो देखो ये साहब यहीं गये, भाई उठो अपने रूम मे जाओ भाभी को सोने दो"
प्रीति दीदी ने मुझे उठाना चाहा शायद वो चुदवाना चाहती थी क्योंकि बहुत दिन हो गये थे उन्हे चुदाई किए बगैर लेकिन मैने कोई रिप्लाइ नही किया और वैसे ही पड़ा रहा
कब मैं नही उठा तो भाभी बोली "कोई बात नही सो रहा है तो सोने दो इसे यहीं वैसे भी मैं अकेली हूँ"
भाभी की बात सुनकर मैं खुश हो गया
"अच्छा भाभी कुच्छ चाहिए तो बता दो" भाभी की बात सुनकर प्रीति दीदी बोली
"नही दीदी कुच्छ नही चाहिए बस आप जाओ और सो जाओ रात बहुत ही गई है" भाभी बोली
भाभी की बात सुनकर प्रीति दीदी चली गई और भाभी ने उठ कर गेट लॉक कर दिया और कपड़े चेंज करने लगी मैने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो भाभी ने पहले कुरती उतारी भाभी के बूब्स ब्रा मे बहुत सेक्सी लग रहे थे फिर भाभी ने दूसरी कुरती उठा कर पहन ली और अपनी सलवार उतार दी लेकिन उनकी कुरती बहुत लंबी थी इसलिए मैं ज़्यादा कुच्छ नही देख पाया......................
फिर भाभी ने सलवार पहनी और ज़ीरो का बल्ब ऑन करके बाकी सब लाइट ऑफ कर दी और बेड पर मेरे पास आकर लेट गई मेरी बॅक भाभी की तरफ थी
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