RE: Antarvasna kahani मासूम
सुबह मैं देर से उठा तो देखा कि प्रीति दीदी रूम मे नही थी तभी वो बाथरूम से बाहर आई
"उठ गये भैया, तुम्हारे लिए नाश्ता बना दूं क्या" प्रीति दीदी बड़े प्यार से बोली
"क्यों........आज आप नाश्ता क्यों बनाएगी, बाकी सब कहाँ है" मैने पुछा
"वो क्या है ना आज सभी मामा के घर गये है अगर तुम जल्दी उठते तो तुम्हे भी पता होता" दीदी बोली
"आप क्यों नही गई उनके साथ" मैने पुछा
"मुझे स्कूल का बहुत काम है और पढ़ाई भी करनी है उपर से तुम भी घोड़े बेच कर सो रहे थे तो घर पर किसी को तो रहना ही था तो मैं ही रुक गई" प्रीति दीदी बोली
"ठीक है आप नाश्ता बना लो तब तक मैं नहा लेता हूँ" मैं सिर हिलाते हुए बोला
मैं उठा और बाथरूम मे घुस गया वहाँ मैने प्रीति दीदी के उतरे हुए कपड़े देखे तो उनकी ब्रा ढूंढी और उसे सूँघा तो एक बहुत ही सेक्सी स्मेल मेरी नाक से टकराई जो मेरी सबसे छोटी दीदी के जिस्म की थी उसे सूंघ कर मेरा मन अपने काबू मे नही रहा और मेरा लंड टाइट होने लगा
मैने वहीं प्रीति दीदी को इमॅजिन कर के मूठ मारी और अपना सारा माल दीदी के ब्रा के कप मे निकाल दिया लेकिन अब मैं प्रीति दीदी के साथ भी रियल मे कुच्छ करना चाहता था तो मैं नहा कर दीदी की वो ब्रा वैसे ही लेकर बाहर आगया प्रीति दीदी मेरा नाश्ता लेकर बेड पर ही बैठी थी
"दीदी ये क्या है मुझे बाथरूम मे मिला" मैं दीदी को उनकी ब्रा दिखाते हुए बोला
"छोटू ये क्यों उठा लाए तुम और ये तुम्हे कहाँ से मिली इसे तो मैने कपड़ो के अंदर रखा था, क्या तुमने मेरे कपड़े खोले? और अगर ऐसा किया तो क्यों किया, लाओ मुझे दो ये तुम्हारे काम की चीज़ नही है" दीदी मेरे हाथ मे अपनी ब्रा देख कर सकपकाते हुए गुस्से से बोली
"दीदी मैने आपके कपड़े चेक नही किए मेरा हाथ लगा तो वो नीचे गिर गये थे जब मैं उठा कर वापस रखने लगा तो उनमे से ये निकला, बताइए ना दीदी कि ये क्या है और आप क्यों पहनती है इसे" मैं एक बार फिर नादान बनते हुए बोला
"भाई मैं नही बता सकती कि ये क्या है, प्लीज़ जल्दी से मुझे दो वरना मैं बड़े भैया से तुम्हारी शिकायत कर दूँगी" दीदी भड़कते हुए बोली
जब मैने उनकी बात सुनकर भी उन्हे ब्रा नही दी तो वो और भी भड़कते हुए बोली "सुना नही क्या, ये तुम्हारे काम की नही है वापस दो मुझे"
"दीदी गुस्सा क्यों करती हो मैं तो बस पुच्छ ही रहा हूँ ना और ये तो सच मे मेरे काम की निकली ये देखो" कहते हुए मैने दीदी को ब्रा खोल कर दिखाई जहाँ मेरी कम थी
प्रीति दीदी ने ब्रा मुझसे ले ली और मेरी कम देखने लगी लेकिन उसे कुच्छ समझ नही आया कि ये क्या है उसने मेरी कम को टच भी किया लेकिन तब भी नही समझ पाई क्योंकि वो ये सब बाते नही जानती थी
"दिपु ये क्या है, जब मैं नहा कर निकली तब तो कुच्छ भी नही था फिर ये कहाँ से आगया और ये तुम्हारे काम कैसे आती है क्या तुम भी इसे पहनते हो" दीदी आन थोड़े असमंजस से बोली उसे कुच्छ समझ नही आरहा था
"दीदी मैने उसे उठाया और सूँघा तो मुझे बहुत अच्छी खुश्बू आने लगी फिर पता नही क्या हुआ की मैने उसे नीचे किया और मेरे नीचे से ये निकलने लगा और इसमे गिरने लगा" मैं बहुत मासूमियत से बोला
"क्या मतलब? कहाँ से निकलने लगा और ये है क्या" प्रीति दीदी ने हैरत से पुछा
चूँकि मैं अभी नहा कर ही निकला था और इस वक्त सिर्फ़ एक टवल ही लपेटा हुआ था तो मैने टवल निकाल दिया और प्रीति दीदी को अपना लंड दिखा कर बोला "दीदी इसमे से निकला है ये"
प्रीति दीदी ने मेरा लंड देखा लेकिन तुरंत ही अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया
"दिपु प्लीज़ टवल पहन लो कुच्छ तो शरम करो" प्रीति दीदी वैसे ही दूसरी तरफ देखते हुए बोली
मैने टवल नही पहना और नंगे ही दीदी के साथ बेड पर बैठ गया
"क्यों दीदी आपने बचपन मे भी तो देखा है मुझे ऐसे, मुझे पता है कि आप सभी बहने मुझे नहलाती थी तो अब क्या हो जाएगा" मैं बोला
"भैया तब तुम छोटे बच्चे थे लेकिन अब तुम बड़े हो गये हो" प्रीति दीदी थोड़ी शांत होते हुए बोली उसपर मासूमियत के मेरे आख़िरी हथियार का वार चल गया था
"जो भी था लेकिन आपने देखा तो था ना मुझे, अब मैं आपको भी वैसे ही देखना चाहता हूँ प्लीज़ दीदी बस एक बार" मैं गिडगिडाते हुए बोला
"नही भाई ये ग़लत बात है, मुझे नही पता कि इसमे क्या ग़लत है लेकिन बस इतना जानती हूँ कि ऐसा करना ग़लत है" दीदी बोली लेकिन तभी उसकी नज़र मेरे टाइट होते लंड पर गई और हैरत से उसका मूह खुल गया और वो फिर बोली "वैसे भाई ये है क्या अरे देखो तो अभी ये सो रहा था और अब खड़ा हो रहा है, ऐसा क्यों हो रहा है भाई"
"दीदी ये सब आपकी वजह से हो रहा है क्योंकि आप बहुत प्यारी है और जब से इसने आपकी ब्रा देखी है तब से इसका यही हाल है" मैं अपने लंड को सहलाते हुए बोला
प्रीति दीदी आन अपनी गर्दन झुका कर मेरे लंड को देख रही थी
"लेकिन भैया अभी तो कुच्छ नही देख रहे हो फिर भी क्यों खड़ा हो रहा है और वो भी तो नही निकल रहा जो मेरी ब्रा मे है जो तुमने कहा था कि इसमे से निकला है" दीदी बड़े ध्यान से मेरे लंड को देखते हुए बोली
"आप वो निकलते हुए देखना चाहती हो क्या" मैने पुछा
"हां दिखाओ ना वो कब निकलेगा और कैसे निकलेगा" आन दीदी थोड़ी उत्सुकता से बोली
अब मैने प्रीति दीदी के एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और बोला "दीदी इसे अपने हाथ मे पकडो फिर ये वो लिक्विड निकाल देगा और सच मे दीदी जब वो निकलता है तो बड़ा मज़ा आता है"
"भैया ये तो बहुत हार्ड हो गया है और बहुत हॉट भी है" प्रीति दीदी मेरे लंड को गर्मी की अपने हाथ मे महसूस करते हुए बोली दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ मे पकड़ रखा था लेकिन कुच्छ कर नही रही थी तो मैं धीरे धीरे अपना लंड को हिलाने लगा.................
प्रीति दीदी का हाथ बहुत सॉफ्ट था और उनके नरम और गरम हाथ मे अपना लंड देकर मुझे बहुत मज़ा आरहा था
"दीदी आप अपने कपड़े तो उतार दो देखना बड़ा मज़ा आएगा, प्ल्ज़ दीदी उतार दो ना" मैं अपना हाथ दीदी के हाथ पर रख कर अपना लंड हिलाते हुए बोला
"नही भैया मुझे बहुत शरम आती है मैं नही उतारूँगी. प्ल्ज़ भाई हर बात पर ज़िद मत करो ना" दीदी बोली
"अच्छा दीदी लेकिन अपने हाथ को उपर नीचे धीरे धीरे हिलाओ ना लेकिन ज़्यादा टाइट मत पकड़ना ये बहुत नाज़ुक होता है" मैं बोला
इतना कह कर मैने अपना एक हाथ प्रीति दीदी के बूब पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा
"दिपु ये क्या कर रहे हो हटाओ अपना हाथ" दीदी ने मेरा हाथ अलग किया और फिर बोली "लेकिन भाई ये इतना नाज़ुक क्यों है और ये किस काम आता है और मेरे पास तो है भी नही ये"
मैं समझ गया था कि दीदी को सेक्स के बारे मे कुच्छ पता नही है और उसकी इस नादानी का फ़ायदा उठा कर आज मैं उसे चोद भी सकता हूँ
"दीदी प्लीज़ थोड़ी देर करने दो ना, और दीदी ने सबका नाज़ुक ही होता है उसे लंड कहते है और ये सिर्फ़ बाय्स के पास होता है और दीदी की लड़कियो के पास होती है ना टाँगो के बीच मे उसमे जाता है जिस से लड़के और लड़कियो दोनो को बहुत मज़ा आता है" मैं दीदी को समझाते हुए बोला और वापस अपना हाथ उनके बूब पर रख कर उसे धीरे धीरे दबाने लगा
"क्या मतलब, ये कहाँ जाता है और क्यों जाता है और ऐसा करने से क्या होता है भाई जिस से मज़ा आता है?" दीदी ने पुचछा
"दीदी जहाँ से आप लोग पेशाब करती हो ना उस होल के पास एक होल और होता है ये उसमे जाता है और इसे वहाँ डाल कर आगे पिछे करने से बहुत मज़ा आता है" मैं बोला और मैने अपनी उंगली दीदी की चूत पर रख कर उन्हे बताया
"भैया क्यों मज़ाक कर रहे हो वो होल तो बहुत छोटा हिला है और ये तो बहुत लंबा और मोटा है ये वहाँ कैसे जासकता है" दीदी हैरत से बोली
"जाता है दीदी इसीलिए तो कह रहा था कि अपने कपड़े उतार दो फिर मैं आपको सब दिखाता हूँ" मैं दीदी को उकसाते हुए बोला
"नही नही भाई ऐसे ही ठीक है मैं समझ गई हूँ" दीदी बोली वो मछ्ली की तरह मेरे हाथ से फिसली जा रही थी
"अच्छा दीदी चेक तो करने दो कि आप नीचे से गीली हो या नही" मैं भी हार नही मानने वाला था
"नीचे से गीली...............क्या मतलब?" प्रीति दीदी के मूह से निकला
मैं अपना हाथ दीदी की चूत के पास ले गया और बोला "इसकी बात कर रहा था मैं अगर ये गीली होगी तो ये तैयार है लंड अंदर लेने के लिए अगर गीली नही है तो अभी तैयार नही है, बस"
मेरी बात सुनकर दीदी सोच मे पड़ गई
"मैं चेक कर लूँ क्या दीदी" मौका सही देख कर मैं बोला
"नही भाई मैं खुद ही चेक करती हूँ" दीदी बोली
अब दीदी ने मेरा लंड छोड़ दिया और अपना हाथ अपनी सलवार मे डाल कर अपनी चूत को टच किया
"अरे भाई ये तो गीली है सच मे, तो क्या ये तैयार है तुम्हारा लंड अंदर लेने के लिए" दीदी अपनी चूत की हालत जान मार हैरान होते हुए बोली
"हां दीदी ये बिल्कुल तैयार है प्ल्ज़ अब तो अपने कपड़े उतार दो और खुद भी मज़े लो और मुझे भी लेने दो" मैं बोला
"नही भाई मुझे बहुत डर लग रहा है, नही मैं नही करने दूँगी" दीदी घबराते हुए बोली
"दीदी कुच्छ नही होता मैने प्रिया दीदी के साथ भी किया है ये सब और उन्हे तो बहुत मज़ा आता है रात को भी मैने उनके साथ किया था" मैने बताया
"सच कह रहे हो भाई? क्योंकि रात को तो तुम यहाँ थे और वो अपने रूम मे थी तो फिर कैसे किया, तुम झूठ बोल रहे हो ना" दीदी बोली
"नही दीदी मैं झूठ नही बोल रहा हूँ मैं उनके रूम मे गया था लेकिन इस वक्त प्रिया दीदी के साथ कीर्ति भी थी तो मैं आपके रूम मे आगया फिर देर रात प्रिया दीदी मुझे उठा कर बाहर वाले बाथरूम मे ले गई और फिर वहाँ हमने किया और सच दोनो को ही बहुत मज़ा आया" मैं बोला
"लेकिन भाई कुच्छ होगा तो नही, दर्द तो नही होगा ना" दीदी ने पुछा वो अभी भी नॉर्मल नही हुई थी
"कुच्छ नही होता दीदी आप करने तो दो देखना बहुत मज़ा आएगा" मैं खुश होते हुए बोला
अब मैं दीदी के पास गया और पहले मैने उनकी कुरती उतारी फिर ब्रा और लास्ट मे पैंटी सहित सलवार को भी नीचे करके उतार दिया अब प्रीति दीदी और मैं दोनो ही नंगे आमने सामने खड़े थे दीदी की नज़रे शरम से झुकी हुई थी फिर मैने दीदी को बेड पर बैठा दिया और खुद भी उनके पास बैठ गया
अब मैने दीदी को किस करना शुरू किया फेस से लेकर बूब्स नवल पेट जाँघ सभी जगह किस किया कोई जगह नही छोड़ी जिससे प्रीति दीदी को भी मज़ा आने लगा अब मैने अपना एक हाथ दीदी की चूत पर रखा जो सच मे गीली थी लेकिन ज़्यादा नही थोड़ी थोड़ी थी
"दीदी आप लेट जाओ पहले हम किस करेंगे फिर अंदर डालेंगे इससे हम दोनो को ही बहुत मज़ा आएगा" मैने बोलते हुए दीदी को लेटा दिया
दीदी लेट गई तो मैं भी उसके साथ लेट गया और दीदी को किस करने लगा बिल्कुल वैसे ही जैसे प्रिया दीदी को किया था दीदी को मज़ा आरहा था उनकी आँखे बंद हुई जा रही थी और साँसे तेज चल रही थी मेरा लंड भी बहुत हार्ड हो गया था कुच्छ देर बाद मैने दीदी की टाँगे खोल लो और अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रख दिया अब तक दीदी की चूत पूरी तरह गीली हो गई थी और उससे पानी भी बाहर आरहा था
"दीदी आप तैयार है ना, शुरू मे थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद मे बहुत मज़ा आएगा" मैं अपने लंड को दीदी की चूत के छेद पर रगड़ते हुए बोला
"हां भैया लेकिन देखना ज़्यादा दर्द ना हो वरना मैं नही करने दूँगी" दीदी बोली शायद ये अभी तक मिले मज़े का ही कमाल था जो वो चुदने को तैयार थी
अब मैने लंड को अंदर धकेला तो थोड़ा सा लंड आराम से दीदी की चूत मे चला गया
"भैया आराम से मुझे दर्द हो रहा है प्ल्ज़......." प्रीति दीदी बोली
"दीदी अभी सब ठीक ही जाएगा" मैं बोला और जितना लंड अंदर गया था उतने को ही धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा काफ़ी देर तक तक मैं ऐसा ही करता रहा अभी दीदी को मज़ा आरहा था और दर्द भी ख़तम हो गया था
"दीदी मज़ा आरहा है ना आपको" मैने उसे चोदते हुए पुछा
"हां भाई अब मज़ा आरहा है लेकिन प्लीज़ आराम आराम से करना" दीदी मज़े से बोली
मैने दीदी के दोनो बूब्स को किस करना मसलना और सक करना शुरू कर दिया साथ ही साथ धीरे धीरे लंड भी अंदर बाहर करने लगा था फिर मैने अपने लिप्स दीदी के लिप्स पर रखे और किस करने लगा दीदी मदहोश हो गई थी उन्हे अब बहुत मज़ा आरहा था मैने मौका देख कर लंड पिछे खींचा और एक ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा लंड दीदी की सील तोड़ते हुए पूरा अंदर घुस गया और दीदी की आँखे बाहर निकल आई दीदी तड़पने लगी लेकिन मैने लंड अंदर ही रखा मेरे होंठ अभी भी दीदी के लिप्स से जुड़े हुए थे जिस वजह से उसकी आवाज़ बस गन......गन.......ही निकल रही थी
दीदी छटपटाने लगी थी और खुद को मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन मैने उन्हे नही छोड़ा मुझे दीदी की टाइट चूत अपने लंड को भींचते हुए महसूस हो रही थी और जैसे मेरा लंड उनकी चूत मे जकड लिया था मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आरहा था
कुच्छ देर बाद दीदी नॉर्मल हुई तो मैने अपना मूह उनके मूह से हटाया
"दिपु तुम बहुत गंदे हो तुमने कहा था अब दर्द नही होगा और सिर्फ़ मज़ा आएगा लेकिन अभी जब तुमने धक्का मारा तो मुझे बहुत दर्द हुआ ऐसा लग रहा था की अभी मर जाउन्गी" दीदी मेरे सीने पर मुक्के मारती हुई बोली
"सॉरी दीदी लेकिन अब तो दर्द नही हो रहा है ना आपको" मैं दीदी के गाल चूमते हुए बोला
"अब भी हो रहा है लेकिन उतना नही जितना तब हुआ था" दीदी बोली
"दीदी तब आपकी चूत की सील टूटी थी इसलिए दर्द ज़्यादा हुआ था लेकिन अब कभी भी दर्द नही होगा" मैने उन्हे समझाइया और दीदी के बूब्स सक किए उनकी दबाता रहा फिर लिप्स पे किस करता यहाँ वहाँ इधर उधर बहुत किस मैने दीदी को
"भैया अभी मज़ा आरहा है मुझे और दर्द भी नही होरहा है लेकिन फिर भी आराम आराम से करना तेज तेज नही अभी अच्छा फील कर रही हूँ मैं" दीदी बोली
"देख दीदी मैने कहा था ना कि कुच्छ देर बाद आपको बहुत मज़ा आएगा" कहते हुए मैं दोबारा दीदी को चोदने लगा मैं उन्हे किस कर रहा था रब कर रहा था मुझे बहुत मज़ा आरहा था और अब तो दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था वो मेरी पीठ पर हाथ फिरा रही थी
"भैया थोड़ा तेज तेज करो मुझे मज़ा आरहा है हां भैया और ज़ोर से और तेज एर ज़ोर से धक्के मारो.......
........आह.. ..मेरे प्यारे छोटे भाई ज़ोर से छोड़ो मुझे" दीदी अपनी कमर उच्छालती हूँ सेक्सी आवाज़ मे बोली
अब मेरे धक्को की भी स्पीड बहुत बढ़ गई और धुआँधार चुदाई शुरू हो गई और कुच्छ ही देर मे दीदी झड गई और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ने और छोड़ने लगी मैं भी ज़्यादा देर सह नही पाया और मेरे लंड ने ज़ोर ज़ोर से पिचकारियाँ मार कर दीदी की चूत को भर दिया.....
टाइम बहुत ही गया था तो बाद मे हमने कुच्छ नही किया और अपने आप को सॉफ करके कपड़े पहन लिए
थोड़ी ही देर बाद जब लोग वापस आगये लेकिन कीर्ति वापस अपने घर जा चुकी थी और मेरे मामा की दो जुड़वा बेटियाँ यानी मेरी ममेरी बहने जो सिर्फ़ दो मिनिट से छोटी बड़ी थी मेरे भाई बहनो के साथ आई थी एक का नाम रूपा था जबकि दूसरी का नाम दीपा था दोनो ही मस्त आइटम थी और जुड़वा होने के कारण दोनो की शकल सूरत के साथ साथ फिगर भी लगभग सेम ही था दोनो के ही बूब्स बड़े थे और गोल मटोल गान्ड बाहर को निकली हुई थी मेरी दोनो से ही अच्छी बनती थी और छोटा भाई होने के कारण वो दोनो भी मुझे बहुत प्यार करती थी लेकिन जब से सेक्स के कीड़े ने मुझे काटा था तब से मैं इन दोनो सेक्स बॉम्ब को चोदने को बहुत बेताब था
खैर आते ही कविता दीदी ने खुश खबरी सुनाई की बादल भैया और प्रिया दीदी की शादी एक ही दिन एक ही मंडप से होगी इसलिए सभी तैयारियो मे लग जाओ और रूपा और दीपा भी अब शादी तक यहीं रह कर हमारी मदद करेंगी
दीदी की बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया था क्योंकि मुझे लग रहा था कि अभी तक जो कुच्छ भी हुआ है अगर वैसा ही चलता रहा तो शायद मैं रूपा और दीपा नाम की सेक्स की दो देवियो को भी निपटा सकता हूँ
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