RE: Antarvasna kahani मासूम
"नही दीदी आप मेरे सामने चेंज थोड़ी ही कर रही थी जो मैं देख पाता और बाकी कोई ऐसी जगह तो है नही जहाँ से देखता मैं सच कह रहा हूँ डॅन्स करते वक्त देखा था पहले तो आपने दुपट्टा लिया हुआ था लेकिन डॅन्स करते वक्त बाद मे निकाल दिया था तब नज़र आ गई थी आपकी बनियान और........." कहते कहते मैं रुक गया
"और क्या भाई" दीदी ने जल्दी से पुछा
"वो......दीदी...उूओ.......मुझे नाम तो नही पता लेकिन आपके ये भी नज़र आरहे थे" मैने दीदी की चुचियो की तरफ इशारा करते हुए कहा
मेरी बात सुनकर दीदी के गाल शरम से लाल हो गये
"भैया शरम करो अपनी बहन को वहाँ नही देखते और ऐसी बाते भी नही करते" दीदी मुझे घूरते हुए बोली
"ओक दीदी, लेकिन प्ल्ज़ दीदी मुझे दोबारा डॅन्स कर के दिखा दो ना प्ल्ज़ थोड़ा सा वैसे ही" मैं बोला
"भैया मैं थक गई हूँ फिर कभी करके दिखा दूँगी प्रॉमिस" दीदी मुझे टालते हुए बोली
"नही दीदी मुझे अभी देखना है प्ल्ज़ दीदी प्ल्ज़ अभी दिखाइए ना दीदी प्ल्ज़, और अभी तो आपने कहा था कि अभी आप थकि नही हो" मैं ज़िद्द करते हुए बोला
"अच्छा.....अच्छा चलो जाओ कोई सॉंग लगा दो" दीदी मुस्कुरा कर हार मानते हुए बोली
मैं उठा और स्लो आवाज़ मे 'जी कर्दा भाई जी कर्दा' सॉंग लगा दिया
मैं बेड पर बैठ गया और दीदी ने डॅन्स शुरू कर दिया दीदी बिल्कुल कटरीना कैफ़ की तरह डॅन्स कर रही थी डॅन्स करते वक्त एक बार फिर उनके बड़े बड़े बूब्स उच्छल कर उपर नीचे होने लगे और मेरे लंड मे हरकत होने लगी
"दीदी आप तो कटरीना से भी अच्छा डॅन्स कर रही हो सिर्फ़ स्कर्ट और टॉप की कमी है क्या वो नही है आपके पास" मैं दीदी को उकसाते हुए बोला
दीदी डॅन्स करते करते मेरे पास आ गई और मेरे गाल पर प्यार से मार कर बोली "बेशरम......" और फिर डॅन्स करने लगी
"दीदी दुपट्टा निकाल दो ना प्लीज़" मैं बोला
"नही भाई तुम फिर से वहाँ देखोगे" दीदी आँखे निकलते हुए बोली
"दीदी मैं वहाँ नही देखूँगा प्लीज़ निकाल दो ना प्ल्ज़, प्ल्ज़, प्ल्ज़" मैं दीदी की मिन्नत करते हुए बोला
दीदी ने मेरी तरफ मूह बना कर देखा और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर मुझे चिढ़ाया और दुपट्टा निकाल कर मुझ पर फेंक दिया और डॅन्स करते रही
दीदी ने मेरी तरफ पीठ कर के रखी थी क्योंकि दीदी के बड़े बड़े बूब्स सॉफ नज़र आरहे थे लेकिन ऐसे मे उनकी बलखाती मस्त बड़ी गान्ड अभी मेरी नज़रो के सामने थी
थोड़ी देर मैने उनकी गान्ड का नज़ारा किया और फिर बोला "दीदी क्या आपको मल्लिका शहरावत की तरह डॅन्स आता है"
दीदी रुक कर मुझे देखने लगी और हँस कर बोली "हां आता है"
मैं उठा और मैने 'नाम जलेबी बाई' वाला सॉंग लगा दिया और वापस बेड पर बैठ गया
दीदी ने बिल्कुल मल्लिका की तरह डॅन्स करना शुरू कर दिया उसी की तरह अपनी गान्ड हिला रही थी और दिखा रही थी कुच्छ देर बाद दीदी मेरी तरफ घूम गई और डॅन्स करते करते झुक गई और अपने बूब्स हिलाने लगी दीदी के आधे से ज़्यादा बूब्स नज़र आरहे थे
दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मेरी नज़र उनके गले मे से झाँकते बड़े बड़े बूब्स पर थी दीदी फ़ौरन सीधी खड़ी हो गई और डॅन्स भी रोक दिया
"क्या हुआ दीदी और करो ना प्लीज़" मैने रिक्वेस्ट की
"बस भाई काफ़ी है अब मैं थक भी गई हूँ" दीदी बोली और मेरे पास आकर बैठ गई वो तेज तेज साँसे लेरही थी और उनके बूब्स उपर नीचे ही रहे थे दीदी की छाती बाहर निकल आती और फिर अंदर हो जाती दीदी का दुपट्टा अभी भी मेरे पास ही था
"दीदी अभी डॅन्स करते वक्त जब आप झुकी थी तो मुझे आपकी वो ब्लॅक बनियान दिखाई दी थी लेकिन वो हम लड़को के जैसी नही लग रही थी प्लीज़ दीदी मुझे अपनी बनियान दिखाओ ना" मैं बड़ी मासूमियत से बोला
दीदी ने बड़े गुस्से से मेरी तरफ देखा लेकिन फिर तुरंत ही उन्हे हँसी आ गई...
"भैया उसे बनियान नही कहते और बेटा मैने तुम्हे कहा था ना कि अपनी बहनो के साथ ऐसी बाते नही करते" दीदी मुस्कुराते हुए बोली
"दीदी मैं कैसी बाते कर रहा हूँ कि आप मना कर रही है आख़िर ऐसा क्या है इन बातों मे प्लीज़ दीदी दिखा दो ना आख़िर ऐसा क्या बुरा हो जाएगा, प्ल्ज़ दीदी दिखा दो ना मेरी खुशी की खैर प्ल्ज़" मैं नादान बनते हुए बोला
मैने जब भी किसी के कोई भी बात मनवानी होती तो मैं अपनी शकल एकदम मासूम और रोती हुई बना लेता था अब चूँकि मैं सबको बहुत प्यारा था इसलिए मैं उनकी दुखती रग था कोई भी मुझे रोता नही देख सकता था इसलिए ये मेरा आख़िरी हथियार था जो कभी भी खाली नही जाता था और आज भी मेरे इस हथियार ने दीदी को घायल कर दिया था
"अच्छा अच्छा जाओ वो अलमारी खोली उस मे रखी है देख लो" आख़िर दीदी हार मानते हुए बोली
मैं उठा और दीदी की अलमारी से उनकी वाइट ब्रा निकाल कर दीदी के पास आगया
"आरीई.....ये नही लानी थी ये तो उतरी वाली है दूसरी साइड मे धूलि हुई रखी है" दीदी मेरे हाथ मे अपनी ब्रा देख कर बोली
"दीदी अगर ये उतरी वाली है भी तो क्या मुझे सिर्फ़ देखनी ही तो है" मैं ब्रा का मुआयना करते हुए बोला
मैने दीदी के सामने ही ब्रा खोल ली और उसे देखने लगा कभी सामने से कभी साइड से कभी पिछे से
"दीदी ये लॉक किस लिए है और ये कैसे पहनते है और क्यों पहनते है और इसे क्या कहते है मतलब इसका नाम क्या है" मैं महा-मूर्ख बनते हुए बोला
"भैया इसे बस ऐसे ही पहन लेते है अब तुमने पहन.नी तो है नही फिर क्यों पुच्छ रहे हो?" दीदी बोली "वैसे ये लॉक टाइट या लूस करने के लिए है और और इसे लॉक नही हुक कहते है इन से ही तो ये उतरती या गिरती नही बल्कि अपनी जगह पर रहती है, और भाई ये हर लड़की को पहन.नी पड़ती है इसके बगैर लड़की बुरी लगती है और इसको ब्रेज़ियर कहते है शॉर्टकट मे ब्रा भी कहते है यही नाम है इसका" दीदी ने मुझे ब्रा को सारी हिस्टरी समझा दी
"दीदी को ब्रा आपने पहनी हुई है क्या वो दिखा सकती हो प्ल्ज़" मैं मासूमियत से बोला
"नही भाई अब बस और कुच्छ नही अब तुम जाओ, सोना नही है क्या" अब दीदी चिढ़ते हुए बोली
मैने ज़िद्द नही की क्योंकि आज के लिए इतना भी बहुत था लेकिन कविता दीदी की ब्रा साथ लेकर ही रूम से बाहर आने लगा तो दीदी ने टोक दिया
"ब्रा तो वापस करो भैया कोई देखेगा तो क्या सोचेगा" दीदी बोली
"मैं किसी को नही दिखाउन्गा दीदी प्लीज़ मेरे पास रहने दो ना इसमे से बहुत प्यारी खुश्बू आरहि है मुझे" ये कह कर मैं दीदी के सामने ब्रा सूंघने लगा और फिर बाहर चला गया
मैं वॉशरूम मे गया और दीदी की ब्रा को किस किया, सक किया, लीक किया, सूँघा और मूठ मार दी मैने अपना सारा माल दीदी की ब्रा मे राइट वेल कप मे गिरा दिया और ब्रा दीदी को देने उनके रूम मे गया मैने डोर ओपन किया तो दीदी टॉपलेस खड़ी थी दीदी की बॅक मेरी तरफ थी मैने दीदी को कुरती के बगैर देख लिया था दीदी ने वही ब्लॅक ब्रा पहनी हुई थी और दीदी कुरती पहन रही थी दीदी अपनी कुरती गले मे डाल रही थी कि मैने डोर बंद करके लॉक कर दिया लॉक होने से आवाज़ आई तो दीदी ने फ़ौरन पिछे देखा और मुझे देख के अपनी छाती कुरती से छुपा ली
"बेटा डोर नॉक करके अंदर आते है ऐसे नही और अब क्या करने आए हो यहाँ" दीदी सकपकाते हुए बोली
"सॉरी दीदी मैं आपकी ब्रा वापस देने आया था मुझे पता नही था कि आप चेंज कर रही हो वरना मैं नही आता, वैसे दीदी उतरी हुई ब्रा से ज़्यादा अच्छी पहनी हुई ब्रा लगती है" मैं मासूमियत से बोला
"अच्छा...अच्छा अब ज़्यादा बाते मत बनाओ वहाँ रख दो ब्रा और बाहर जाओ प्लीज़" दीदी एक तरफ इशारा करते हुए बोली
मैने ब्रा साइड मे रखी और बाहर आगया............
कुच्छ दिन बाद कविता दीदी के लिए रिश्ता आया लेकिन उन्होने शादी करने से मना कर दिया क्योंकि उनके उपर हम सभी भाई बहनो को ज़िम्मेदारी थी लेकिन लड़का और उसके घर वाले बहुत अच्छे थे तो उस लड़के के साथ प्रिया दीदी का रिश्ता पक्का कर दिया गया लेकिन इन लोगो को शादी की जल्दी थी तो अगले महीने ही शादी की डेट फिक्स कर दी गई
एक दिन सभी लोग सो रहे थे तो मैं प्रिया दीदी के रूम मे गया वो भी सो रही थी तो मैं उनके साथ लेट गया और उनसे चिपक गया दीदी के बदन से बहुत ही सेक्सी खुश्बू आरहि थी तो मेरा मन भटक गया और मेरे मन मे उनके लिए गंदे ख्याल आने लगे और पता नही कब मेरी हाथ उनके बूब्स पर चला गया
मैने प्रिया दीदी के बूब्स पर हाथ रखा और आराम आराम से उन्हे दबाने लगा अभी एक मिनिट भी नही हुआ था कि दीदी जाग गई मेरी तो फट के हाथ मे आ गई मैने फ़ौरन अपना हाथ अलग कर लिया लेकिन दीदी को शायद पता नही चला था कि मैं उनके साथ क्या कर रहा था
"भैया क्या बात है आज मेरे पास कैसे आगये तुम तो कविता दीदी से सब से ज़्यादा प्यार करते हो" प्रिया दीदी मुझे वहाँ देख कर बोली
"दीदी ऐसा नही है मैं आप सभी से बहुत प्यार करता हूँ और आपकी शादी होने वाली है ना इसलिए मैं बहुत उदास था तो आपके पास आगया" मैं बोला
प्रिया दीदी ने मेरी बात सुनी तो करवट ली और मुझे गले से लगा लिया
"भैया मैं कोई दूर थोड़े ही ना जा रही हूँ यहाँ पास ही तो है मेरा घर जब भी तुम्हे मेरी याद आएगी वहाँ आ जाया करना और मैं भी हप्ते मे दो तीन बार आ जाया करूँगी, मुझे नही पता था कि मेरे छोटा भाई मुझसे इतना प्यार करता है और इतना उदास है मेरे लिए" प्रिया दीदी मेरे सारे पर हाथ फेरते हुए बोली
"दीदी क्या आप उदास नही है और आपको डर नही है की आपकी शादी होने वाली है" मैं बोला
"भाई दुख तो मुझे भी है कि मुझे तुम सभी को छोड़ कर दूसरे घर जाना पड़ेगा लेकिन डर किस बात का भाई शादी होने डरना किस लिए शादी होने से डर थोड़े ही ना लगता है" दीदी बोली
"दीदी शादी होने का डर नही सुहागरात के डर की कह रहा हूँ" मैं बोला
"हा हा हा.......भाई कैसी बाते कर रहे हो और तुम्हे किसने बताया सुहागरात के बारे मे, भाई ऐसी बात नही करते इतनी छोटी सी उमर मे" दीदी मेरी बात सुनकर हँसते हुए बोली
"दीदी मुझे सब कुच्छ पता है और प्लीज़ मैं बच्चा नही हूँ सब यही कहते है कि इस उमर मे ऐसी बाते नही करते क्या हुआ है मेरी उमर को मैं बड़ा हो गया हूँ दीदी अब मैं बच्चा नही रहा" मैं थोड़े गुस्से से बोला
"अरे भाई गुस्सा क्यों हो रहे हो मैं तो बस ये कह रही थी कि किसी बाते नही करते अपनी बहनो के साथ अच्छा नही लगता ना" दीदी बड़े प्यार से बोली
"दीदी मेरा कोई दोस्त नही है ना ही कोई गर्लफ्रेंड है तो किसके साथ करूँ मैं अपने मन की बाते और जो बाते मैं करना चाहता हूँ आप लोगो से तो आप लोग मना क्यों करती हो" मैं बोला
"भाई और कौन मना करता है किस के साथ ही है ऐसी बाते" प्रिया दीदी ने पुछा
"कविता दीदी से पुछा तो उन्होने भी कुच्छ नही बताया मुझे, सोचा आपकी शादी होने वाली आप से पुछ लूँ और आप भी नही बता रही है अब मैं किसी से बात नही करूँगा बस क्योंकि सब मेरा दिल दुखाते है" मैं मूह उतार कर बोला
"भाई ऐसी बात नही है अच्छा पुछ क्या पुच्छना चाहता है मैं बताती हूँ तुम्हे जितना मुझे पता होगा सब बता दूँगी" प्रिया दीदी मेरे सेनटी ड्रामे से पिघल गई थी
मैं खुश हो गया और हँसने लगा
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