RE: Antarvasna kahani मासूम
"अच्छा दीदी इसलिए, और दीदी बच्चे कैसे पैदा होते है" मैने एक बार फिर नादान बनते हुए पुछा
"बस शादी के बाद भगवान जी बच्चे दे देते है" दीदी ने भी मुझे एडा समझते हुए बताया लेकिन वो नही जानती थी कि ये एडा बहुत जल्द पेड़ा खाने की सोच रहा है
"दीदी ये तो मुझे पता है कि भगवान ही बच्चे देते है लेकिन दीदी वो सुहागरात क्या होती है और उसमे हज़्बेंड और वाइफ क्या करते है" मैने फिर पुछा
"भाई ऐसी बाते नही करते कभी अपनी एज देखी है और बाते देखो कैसी पुछ रहा है और ज़रा ये तो बताओ कि किसने बताया तुम्हे ये सब" दीदी तुनक्ते हुए बोली
"वो......वो दीदी जब मैं अपने कज़िन की शादी मे गया था और जब दुल्हन घर आ गई थी तब कुच्छ लोग बाते कर रहे थे कि अब तो दूल्हा दुल्हन मज़े से सुहागरात मनाएँगे और आज रात दूल्हा दुल्हन को सोने नही देगा" मेरी तो गान्ड फटी हुई थी लेकिन किसी तरह मैने बात को संभाला
"कौन कह रहा था ये सब और तुम क्यों सुनते हो किसी की बाते, किसी की बाते सुन.ना बहुत बुरी बात है बेटा आगे से ऐसा नही करना" दीदी मुझे समझाते हुए बोली
"दीदी मुझे नही पता वो लोग कौन थे और दीदी वो लोग मेरे साथ एक ही रूम मे सो रहे थे अब मैं अपने कान कैसे बंद करता" मैं बोला
दीदी मेरी बात सुनकर चुप हो गई आख़िर मेरी बात भी सही हो थी
"दीदी बताओ ना सुहागरात क्या होती है कैसे होती है और हज़्बेंड वाइफ को रात भर क्यों नही सोने देता" थोड़ी देर बाद मैं फिर बोला
"भाई अब मैं मारूँगी सच मे, कहा ना ऐसे बाते नही करते अभी तुम्हारी एज नही है ऐसी बाते पुछ्ने की और जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हे खुद-ब-खुद ही सब पता चल जाएगा" दीदी थोड़े गुस्से से बोली
"दीदी मुझे अभी बताओ ना और देखो ना मैं बड़ा तो हो ही गया हूँ ना" मैं ज़िद्द करते हुए बोला "वैसे दीदी आपने कभी सुहागरात मनाई है क्या"
"भाई सुहागरात शादी के बाद मनाई जाती है पहले नही, गंदे कहीं के पता नही क्या क्या कहते जा रहे हो ना सोचते हो ना कुच्छ........अब बस करो और जाओ बाहर जाकर खेलो" दीदी मुझे झिड़कते हुए बोली
अब मैने ज़्यादा बहस करना ठीक नही समझा और उठ कर खेलने के लिए बाहर चला गया कुच्छ देर खेलने के बाद मैं घर वापस आगया
रात हमारी मौसी हमारे घर आई वो भैया के लिए रिश्ते के बात करने आई थी लड़की वाले उनके रिश्तेदार थे और लड़की बहुत ही सुंदर थी इसलिए मौसी ज़िद्द कर रही थी कि लड़की भी अच्छी है और वो लोग भी अच्छे है ऐसा रिश्ता फिर नही मिलेगा इसलिए शादी वहीं करते है
हमने मौसी से कहा कि सोच कर बताते है और फिर बादल भैया आए तो उन्हे बताया लेकिन भैया मना करने लगे फिर हम सबने ज़िद्द की और भैया को मनाया कि एक बार लड़की तो देख लो पसंद नही आए तो मत करना और किसी तरह भैया को मना कर हम लड़की देखने पहुचे लड़की सच मे बहुत सुंदर थी
लड़की सभी को पसंद आ गई और कुच्छ दिनो के बाद रिश्ता पक्का हो गया भाभी सच मे बहुत ही क्यूट, सेक्सी, स्लिम और हॉट थी मैं तो सोच रहा था कि उनकी शादी भैया से ना होकर मुझसे हो जाए लेकिन ये नामुमकिन था......
रिश्ता तय होते ही हम लोगो ने डिसाइड किया कि जल्द ही भैया की शादी कर देते है लेकिन भैया ने मना कर दिया कि इतनी जल्दी नही करना है शादी के लिए अभी उन्हे थोड़ा वक्त चाहिए तो भाई की बात सुनकर ये तय किया गया कि अभी सगाई कर देते है शादी बाद मे भैया की सुविधा से कर देंगे
सगाई 2 दिन के बाद रखी गई सगाई पर सब बहनो ने खुलकर मज़े से डॅन्स किया भाभी से भी डॅन्स करवाया गया और भैया की साली ने भी खूब डॅन्स किया
सब मे बहुत सेक्सी डॅन्स किया और सभी लड़किया डॅन्स करते वक्त बहुत सेक्सी लग रही थी
डॅन्स करते वक्त सभी लड़किया सलवार सूट मे थी लेकिन डॅन्स करते वक्त किसी ने भी दुपट्टा नही लिया हुआ था सभी का डॅन्स बहुत अच्छा और सेक्सी था खास कर कविता दीदी का
कविता दीदी ने जब डॅन्स शुरू किया तो दुपट्टा पहना हुआ था क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े है लेकिन कुच्छ देर बाद दीदी ने जब दुपट्टा उतारा तो उनकी कुरती के बड़े गले से उनके बड़े बड़े बूब्स बहुत हद तक सॉफ नज़र आरहे थे डॅन्स करते वक्त जब वो उच्छलती तो बहुत हॉट नज़ारा देखने को मिलता
फंक्षन बहुत रात तक चला फिर हम घर वापस आगये हम सब बहुत थक गये थे घर पहुच कर सब अपने अपने रूम मे चली गये
मैं कविता दीदी के रूम की तरफ बढ़ गया मैं आज कुच्छ और चान्स लेना चाहता था पेड़ा खाने के लिए लेकिन रूम के बाहर पहुच कर देखा तो गैट लॉक था मैने नॉक किया
"कॉन है" अंदर से दीदी की आवाज़ आई
"मैं हूँ दीदी दरवाजा खोलो" मैं बोला
"क्या बात है बेटा मैं चेंज कर रही हूँ" दीदी बोली
"दीदी खोलो ना चेंज बाद मे कर लेना" मैं बोला और फिर नॉक किया
अब दीदी ने दरवाजा खोल देता और मैं अंदर जाकर उनके बेड पर बैठ गया
"दीदी आज आपका डॅन्स बहुत अच्छा था सब से ज़्यादा अच्छा सच मुझे बहुत मज़ा आया आपको डॅन्स करते हुए देख कर" मैं बोला
"थॅंक यू बेटा क्या यही कहना था जिसके लिए तुम यहाँ आए थे" दीदी मुस्कुराते हुए बोली
"नही दीदी आप इन कपड़ो मे बहुत प्यारी लग रही है इसलिए मैं आ गया सोचा कहीं आप चेंज ना कर लो मैं आपको इन कपड़ो मे देखने और आप से बाते करने आया हूँ अगर आप थकि हुई ना हो तो हम बात कर लेते है वरना मैं चला जाता हूँ" मैं बोला
"नही भाई मैं नही थकि हूँ चलो बाते कर लेते है वैसे भी कल छुट्टी है तो मैने कौन सा जल्दी उठना है" दीदी बोली
मैं खुश हो गया और दीदी एक चेयर लेकर मेरे सामने बैठ गई मेरी नज़रे बार बार उनकी बड़ी बड़ी चुचियो पर जा रही थी
"अच्छा तो सब से ज़्यादा मेरा डॅन्स अच्छा लगा तुम्हे, है ना बेटा" दीदी मुझे देखते हुए बोली
"जी दीदी, सब से अच्छा डॅन्स आपने किया और मेरी कविता दीदी से अच्छा कोई नही है मेरी कविता दीदी ईज़ बेस्ट" मैने मक्खन लगाया "उर दीदी आप ब्लॅक कलर के कपड़ो मे बहुत प्यारी लग रही है सच दीदी सब कुच्छ ब्लॅक आप पर बहुत अच्छा लग रहा है"
"सब कुच्छ ब्लॅक से क्या मतलब है भाई" दीदी कुच्छ सकपकाते हुए बोली
"दीदी आपकी कुरती, सलवार, दुपट्टा और आपकी बनियान" मैं बोला
"बनियान.........क्या मतलब है भाई तुम्हारा और तुमने कब और कैसे देखा" दीदी हैरान होकर बोली
"क्या कैसे देखा आपने ब्लॅक सलवार कुरती और दुपट्टा नही पहना है क्या अभी, और मैं कैसे ना देखता" मैं एकदम भोन्दु बनते हुए बोला
"भाई ये सब नही हो जो तुमने कहा ना बनियान उसका पुच्छ रही हूँ मैं" दीदी बोली
"अच्छा वूऊ...........वो तो जब आप डॅन्स कर रही थी ना तब देखा था मतलब नज़र आ गई थी आपकी ब्लॅक बनियान" मैं बोला
"भाई मैने तो दुपट्टा लिया हुआ था तब तो फिर कैसे नज़र आ गई, कहीं तुमने कहीं और से तो नही देखा आइ मैं जब मैं चेंज कर रही हौं तब" दीदी थोड़ी शरमाते हुए बोली
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