RE: Bhabhi Sex Kahani भाभियों के साथ मस्ती
सोनिया हँसने लगी, और बोली- “ठीक है, जैसी आपके मुन्ने की मर्ज़ी…” और काम में लग गई।
उधर प्रीति भी कल से मेरा लण्ड चखने के बाद बेताब थी। वो मेरे बाजू में आई और बोली- “क्यों रे देवरजी, पेट भरा की नहीं राशि से?”
मैं- हाँ भाभीजी, पूरी चूची निचोड़-निचोड़ के दूध पिया।
प्रीति- हाँ भाई, अभी तुम्हारे दिन हैं, मजे करते रहो। अब मेरी दुबारा कब बजाओगे?
मैं मजाक करते हुए- आप बोले तो अभी पटक के मारूं आपकी?
वो- नहीं नहीं, अभी नहीं। बाद में मेरे राजा। तूने तो मेरी चूत में वो आग लगा दी है की बुझती ही नहीं।
मैं- मेरा फायर फाइटर तैयार ही है, आप बस बुला लेना।
बाद में प्रीति सेक्सी मुश्कान देकर काम में जुड़ गई।
मेरी चाची बाहर थी आँगन में, तो वो कुछ सुन नहीं सकती थी। अब मैं ब्रश करके नाश्ता कर लिया। नाश्ते के वक्त राशि भाभी मेरे बाजू में ही बैठी थी, और दोनों भाभियां काम में लगी थी।
राशि ने मुझे नाश्ता देते हुए कहा- क्यों देवरजी, आज आपको आना है मेरे साथ, नहाने के लिए, तालाब पे? उधर रसीला भी आपका इंतेजार कर रही होगी…”
मैं- “ठीक है भाभी, आप धोने के कपड़े तैयार रखो। मैं नाश्ता करके आता हूँ। और आप बाद में मुझे रसीला के घर पे छोड़ देना…”
राशि मुश्कुरा दी- “बहुत चोदू हो गये हो राजा, कहीं इसकी आदत लग गई तो शहर वापस जाकर तकलीफ होगी…”
मैं- “मैं, यहाँ महीने में एक-दो दिन आ जाया करूँगा, सनडे को छुट्टी होगी तब। आप हैं तो मुझे कोई परेशानी नहीं…”
बाद में हम दोनों तालाब पे चले गये, रास्ते में हमने तय किया की आज मैं भाभी से मस्ती ना करूं और नहाकर तुरंत ही रसीला के घर चला जाऊँ। रसीला का घर रास्ते में जाते वक्त ही उसने मुझे दिखा दिया। जाते वक्त हम दो मिनट उधर रुके।
तभी राशि भाभी ने रसीला से पूछा- क्या कोई है घर में?
रसीला- नहीं, वो खेत पे गये हैब और सास ससुर रिश्तेदारी में गये हैं।
राशि भाभी- ठीक है, मैं देवरजी को अभी तालाब पे नहलाकर भेजती हूँ, तेरा खेत खोडने के लिए।
रसीला- “मैं तो कब से आप लोगों का इंतेजार कर रही थी। और इनके लिए मैंने अपनी मुनिया भी सजाकर तैयार रखी है… और वो भाभी के सामने देखी, और दोनों हँस पड़े।
मैं- “मैं अभी आता हूँ और देखता हूँ की कब तक आपकी मुनिया रोती नहीं है? उसका पानी ना निकाला तो मेरा नाम भी किशोर नहीं…”
जिस पर दोनों हँस पड़ी।
फिर हम तालाब चले गये। उधर और औरतें भी कल की तरह कपड़े धो रही थीं।
मुझे देखकर एक लता नाम की औरत जो की 40 साल की थी वो बोली- “क्यों रे इधर क्या कर रहा है? रसीला के घर नहीं जाना है क्या, दूध पीने?”
मैं- “आंटी, मैं दूध पीता ही नहीं, निकालता भी हूँ, वो भी भोस के अंदर से। अगर आपको भी मेरा पीना है तो बोलना…”
लता तो सुनकर शर्मा ही गई और हँसकर फिर से कपड़े धोने लगी। फिर नीचे देखकर बोली- “मेरी उमर कहां है। अब तो वो सब छोड़ दिया है…”
मैं कपड़े निकालकर पानी में जा रहा था और वो छुपी नजरों से मुझे देख रही थी।
मैं- लेकिन मुझे तो लगता है की आपने कुछ छोड़ा नहीं है?
वो- क्यों?
मैं- अभी ही तो आप मेरे लण्ड को घूर रही थीं, और आपकी इमारत ही बता रही है की यहाँ पे कितने मजदूरों ने काम किया है?
लता शर्म से लाल हो गई, कहा- “हाँ, कभी-कभी मस्ती हम भी कर लेते हैं। अगर थोड़ा टाइम मिले तो हमारे खेत में भी बारिस कर दो…”
वैसे मुझे वो लता में कोई दिलचस्पी नहीं थी। क्योंकी वो 40 साल के करीब थी, और जब मुझे अभी 25-30 साल की भाभियां मिल रही थी तो मैं अभी उसे क्यों चोदू? हाँ, वो तो साइड सेटिंग रखना है, ताकि कभी जरूर पड़े तो वो भी काम लगे। वैसे वहां पे कल आई औरतें तो मेरा लौड़ा देखकर कभी भी चुदने को तैयार ही थीं। जिसमें से एक को मैं आज चोदने वाला था, रसीला को। बाकी का बाद में देखूंगा। मैं फटाफट नहाकर बाहर निकला। वैसे तो मुझे भूख नहीं लगी थी लेकिन रसीला को चोदते वक्त ताकत मिलती रहे, इसलिए मैंने राशि भाभी को बोला- “मुझे थोड़ा दूध पीना है…”
जिसे सुनकर बाकी की औरतें हँसने लगी। कुछ एक-दो आज नई भी थीं, जो कल हाजिर नहीं थीं।
राशि बोली- “क्यों नहीं, इधर आ जा…” कहकर अपनी गोद में मेरी सिर रखकर अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी, और अपना एक स्तन बाहर निकालकर मुझे मुँह में दे दिया।
मैं भी छप-छप करके दूध पीने लगा। थोड़ी देर दोनों चूचों से दूध पीकर मैंने भाभी को बोला- “अब मैं चलता हूँ…”
राशि अपना ब्लाउज़ बंद करते हुए बोली- “देवरजी, शाम को ही आना। आज मैं चाची से बोल दूँगी की तुम तुम्हारे दो्सत के यहाँ बाजू के विलासपुर में गये हो…”
मैं खुश होकर- “ठीक है भाभी…” और निकल पड़ा। रास्ते में दुकान से कंडोम का पैकेट लेता गया, जो की मेरे पास अब समाप्त हो गये थे। उसका घर नजदीक आ गया था। मैंने आजू बाजू में देखा कहीं कोई मुझे देख तो नहीं रहा है उसके घर में जाते हुए।
रसीला गेट पे खड़ी मेरी राह देख रही थी। मुझे देखकर अंदर आने को बोला। मैं जल्दी ही अंदर घुस गया। मैंने देखा की उसने एक पतले कपड़े का ब्लाउज़ पहना था, जिसके अंदर उसने ब्रा भी पहनी थी जिसके अंदर मुझे चूचों की गोलाईयां दिख रही थीं। लेकिन उसकी स्ट्रिप्स कंधे पे नहीं जाती थीं। इस मतलब? ओह्ह… वाउ उसने स्ट्रैपलेश ब्रा पहनी थी।
उस विचार से ही मेरा लण्ड टाइट हो गया। उसके ऊपर उसने पतली चुन्नी डाली थी जो की उसके दोनों चूचों को ढँकने के लिए काफी नहीं थी, उससे उनकी सिर्फ एक ही चूची ढकी हुई थी। दूसरी अपनी उंचाई दिखा रही थी। नीचे उसकी नाभि बिल्कुल खुल्ली दिखती थी, उसका छेद ऐसा था की मन करे तो उसी में लण्ड पेल दो। नाभि से नीचे उसका कोमल पेड़ू का प्रदेश चालू होता था जो सिर्फ पेटीकोट के नीचे चूत को जा मिलता था। उसने पेटीकोट इतना नीचा पहना था की बस चूत ही दिखनी बाकी थी। अगर एक उंगली से पेटीकोट नीचे खींचे तो वो चूत की लकीर भी दिख जाए।
उसका नाड़ा साइड में था जो की अंदर घुसाया हुआ था। ब्लाउज़ का गला भी गहरा था, जिससे उसकी ब्रेस्ट लाइन आधी जितनी दिखती थी, और आधे चूचे बाहर दिख रहे थे। चूचे के उपरी हिस्से पे ब्लाउज़ सिर्फ निपल को ही ढँक रहा था, क्योंकी निपल के आजू बाजू का पिंक एरिया, जिसे अरोला बोलते हैं वो, दिख रहा था। निपल के एरिया में ब्लाउज़ थोड़ा गीला दिख रहा था, क्योंकी आपको मालूम है की उसे भी दूध आता था। जो मैंने पिया भी था। उसके चूतड़ क्या गजब के थे पतली सी 29” की कमर से उसका कटाव सीधा ही 36” हो जाता था।
सोचिए… 36” की गाण्ड के दो गुब्बारे कैसे दिखते होंगे? वो दो गुब्बारे इतने नजदीक थे की शायद वो किसी को भी भींचने के लिए काफी थे। और उसका सबूत उसने मुझे अभी ही दे दिया। क्योंकी वो गुब्बारे की टाइट क्रैक में उसका पेटीकोट, पैंटी के साथ फँस गया था। लेकिन उसकी पैंटी की लाइन गुब्बारे पे तो दिख नहीं रही थी। मतलब क्या उसने पैंटी नहीं पहनी थी?
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