RE: Bhabhi Sex Kahani भाभियों के साथ मस्ती
उनके ऐसे बोलने से सभी औरतें हँस पड़ीं। उसकी बात भी सही थी। मैं आधा लिटर तो पी ही गया होऊँगा, और मेरा पेट भी भर गया था, लगता था शायद शाम तक मुझे खाना ही नहीं पड़ेगा।
तभी राशि भाभी बोली- देवरजी, भूखे तो नहीं ना अब? वरना और भी है। चाहो तो और दूध का इंतेजाम कर देती हूँ…”
मैंने बोला- “नहीं भाभी, मेरा पेट बिल्कुल भर गया है…”
अभी भी मैं रसीला की चूची चूस रहा था, तो रसीला भाभी से बोली- “राशि, लगता है ये मेरे चूचे ऐसे नहीं छोड़ेगा, तुम इसे मेरे घर लेकर आना, इसको पूरा भोजन और चोदन करा दूँगी…”
राशि भाभी हँसकर बोली- हाँ वो ठीक रहेगा, लेकिन अभी तो हमारा मेहमान है।
फिर मैं दूध पीते-पीते रसीला के पेटीकोट के नारे पे अपना हाथ ले जाने लगा, जिसे देखकर रसीला बोली- “अभी नहीं, घर आना आराम से करेंगे…”
मैंने बोला- सिर्फ एक बार मुझे तुम्हारी वो देखनी है।
रसीला बोली- वो मतलब?
मैं- मतलब आपकी चूत।
रसीला- “देखकर भी क्या करोगे? इधर तो कुछ होने वाला नहीं…”
मैं- “हो भले ना, लेकिन पता तो चलेगा की पूरी दुनियां जिसमें समा चुकी है वो चीज कैसी होती है?”
रसीला ये सुनकर हँस-हँस के पागल हो गई और मेरी भाभी को बोली- “देखो राशि, ये क्या बोल रहा है? उसे मेरी चूत देखनी है, और बोलता है की मुझे वो देखना है जिसमें पूरी दुनियां समा चुकी है…”
ये सुनकर रसीला और दूसरी सब औरतें हँसने लगी।
राशि- “हाँ, तो बता दे ना, वो भी क्या याद करेगा, और रोज तेरे नाम की मूठ मारता रहेगा…”
रसीला- अरे… मेरे होते हुए क्यों मूठ मारेगा बिचारा, कल ले आना मेरे घर, धक्के ही लगवा दूँगी।
राशि- ठीक है, लेकिन अभी का तो कुछ कर।
रसीला- “हाँ… अभी तो मैं उसे मेरी मुनिया के दर्शन करा देती हूँ। ताकि उसके मुन्ने को पता चले की कल उसे कौन से ठिकाने जाना है, और अभी मैं उसका केला चूस के रस पी लेती हूँ, गुफा में कल प्रवेश कराऊँगी…” ऐसा बोलकर उसने अपना पेटीकोट कमर तक ऊंचा कर दिया और अपनी रेड कलर की जलीदार पैंटी उतारने ही वाली थी।
तभी मैंने कहा- रहने दो मैं उतारूँगा।
रसीला- हाँ भाई, तू उतार ले।
उसके ऐसा बोलते ही मैंने अपना हाथ उसकी चूत पे रख दिया और उसकी चूत का उभार महसूस करने लगा। पहली बार मैं किसी औरत की चूत छू रहा था, उसका उभार भी क्या गजब था जैसे वड़ापाओ जैसा, और बीच में एक लकीर जैसी थी और दोनों साइड एकदम चिकना-चिकना गोल था। मुझे तो स्वर्ग जैसा अनुभव लग रहा था। मैंने साइड में से उंगली डालकर उसकी पैंटी को खींचकर उसकी लकीर को महसूस किया। वो तो बस मेरे सामने ही देख रही थी, और मैं उसकी चूत की दुनियां में जैसे डूब गया था।
रसीला बोली- ऐसे ही चड्डी के ऊपर से ही देखोगे, या उतारकर भी देखना है?
मैं जैसे होश में आता हूँ- “हाँ भाभीजी…” और ऐसा बोलकर मैंने उनकी पैंटी नीचे सरकाई, और उतार फेंकी,
ओह्ह… माई गोड… भगवान्… अब समझ में आया की सभी मर्द चूत के पीछे क्यों भागते है, शायद मैं भी उन लोगों की दुनियां में आ गया था।
उसकी चूत एकदम साफ थी, मुझे मालूम था की औरतों को भी झांटें होती हैं, लेकिन फिर भी मैंने भोला बनकर रसीला को पूछि- “भाभीजी, मैंने तो सुना था की औरतों की भी झांटें होती हैं, लेकिन आपको तो नहीं है…”
रसीला हँसकर बोली- “हाँ होती है ना… लेकिन मैंने आज ही साफ की थी, शायद मेरे पति से ज्यादा लकी तुम हो जो उससे पहले तुमने मेरी बिना झांटों वाली चूत देख ली…”
बस मैं तो उसकी चूत पे हाथ फेरने लगा और देखने लगा। हर एक कोना देखना चाहता था मैं, तो मैंने उनकी टाप से लेकर बाटम तक चूत को महसूस किया, जैसे मैंने चूत की दोनों गोलाईया खोली, बीच में दो होंठ जैसा लगा। मैंने अंजान बनकर रसीला को पूछा- भाभीजी, ये बीच में लटकता हुआ क्या है?
रसीला- उसे चूत के होंठ कहते हैं।
मैं आश्चर्य से- क्या इसे भी होंठ कहते हैं?
रसीला- हाँ मेरे राजा, इसको चूसने से औरत को इस होंठ से भी ज्यादा मजा आता है।
मैं- तो क्या मैं इसे अभी चूस लूँ?
रसीला- नहीं, अभी सिर्फ देखो। कल घर आकर जो करना है करना, मैं मना नहीं करूँगी, इधर सब आते-जाते रहते हैं।
मैं- ठीक है, लेकिन मेरे इस केले का तो कुछ कर दो।
रसीला- ठीक है, मैं अभी ही इसका रस निकाल देती हूँ।
मैं- “तो देर किस बात की है, ले लो तुम मेरा केला…”
ऐसा बोलते ही उसने मेरी निक्कर नीचे उतार दी और मेरा फड़फड़ाता हुआ लण्ड हाथ में पकड़ लिया। ये मेरा पहली बार था इसलिए बहुत गुदगुदी हो रही थी। उसने मेरे टोपे की चमड़ी को ऊपर-नीचे किया। पहली बार मैं किसी और से मूठ मरवा रहा था, वो भी किसी औरत से, मेरा लण्ड काबू में नहीं था।
मैंने उसे बोला- “जल्दी करो, मुझसे रहा नहीं जाता है…”
रसीला बोली- रुको, इतनी भी क्या जल्दी है? अभी तो सिर्फ हाथ ही लगाया है, जब मुँह लगाऊँगी तो क्या होगा?
मैं अंजान बनते हुए- क्या इसे भी मुँह में लिया जाता है?
रसीला- “हाँ…” और ऐसा बोलकर वो मेरे लण्ड की चमड़ी ऊपर-नीचे करने लगी और मूठ मारने लगी।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उधर राशि भाभी ये सब देख रही थी। जब मेरा ध्यान उसपे पड़ा तो मेरा शर्म से मुँह लाल हो गया। मैं रसीला के हर एक स्ट्रोक का आनंद उठा रहा था। रसीला के मूठ मारने से मेरी उत्तेजना और बढ़ गई थी, और वीर्य की एक बूँद टोपे पे आ गई। ये देखते ही रसीला ने मेरा मूठ मारना छोड़ दिया।
एक बार तो मुझे लगा की वो ऐसे मुझे क्यों आधे रास्ते पे छोड़ रही है। लेकिन तुरंत ही वो मेरे लण्ड पे झुक गई, और मेरा टोपा अपने मुँह में ले लिया।
मेरे तो जैसे होश उड़ गये, और इतना मजा आने लगा कि अब मैं सातवें आसमान पे था। धीरे-धीरे उसने मेरा पूरा लण्ड मुँह में भर लिया और चप-चप चूसने लगी। मेरी तो हालत खराब होती जा रही थी। रसीला कभी मुँह में जीभ फेरती, तो कभी छाप-छाप करके चाटती थी। जीभ से मेरे गोटे भी चूसने लगी। फिर से उसने मेरे लण्ड को मुँह में भर लिया और जड़ तक चूसने लगी।
अब मेरा सब्र का बाँध टूटने वाला था, मुझे लगा की मेरा वीर्य निकले वाला है, मैंने रसीला को बोला- “भाभीजी छोड़ो अब, मेरा निकलने वाला है…”
लेकिन, मुझे आश्चर्य हुआ, क्योंकी रसीला सुना अनसुना करके मेरा लण्ड चूसती रही। अब मुझे क्या था, मैं तो बिंदास होकर आनंद लेने लगा। अब मेरा पूरा बदन सिकुड़ने लगा। भाभीजी को मालूम हो गया और वो और जोर से चूसने लगी। तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। वीर्य सीधा उसके गले में जाने लगा। मेरा लण्ड ऐसे 7-6 झटके मरता रहा, लेकिन उसने मेरा लण्ड छोड़ा नहीं और पूरा वीर्य पीने लगी। बाद में मेरे लण्ड को पूरा चाट-चाट के साफ किया।
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