RE: Bhabhi Sex Kahani भाभियों के साथ मस्ती
वैसा बोलकर उन्होंने अपने पैरों को सीधा किया और मेरी तरफ देखकर ही मेरे सामने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी। ब्लाउज़ क्या तंग था की उनको शायद हुक खोलने में मुश्किल हो रही थी। और वो मेरी तरफ देखकर बार-बार मुश्कुरा रही थीं। फाइनली उसका टाप का हुक खुल गया, उसके बाद दूसरा, तीसरा, करके चारों हुक खोल दिए। और उसने ब्लाउज़ वैसे ही रहने दिया।
उनके चूचे कपड़ों से ढँके थे, लेकिन उनकी लम्बी लकीर दिख रही थी, जो किसी के भी लण्ड का पानी छोड़ने के लिए काफी थी। उसने मेरी तरफ मुश्कुराकर खुद ही उपने चूचे को दोनो हाथों से सहलाया और दो साइड से ब्लाउज़ अलग कर दिया। बाद में उसने अपने कंधे ऊपर करके ब्लाउज़ उतार फेंका। अब उसके हाथ पीछे की और गये और उसने अपनी ब्रा का हुक भी खोल दिया। वाउ… ब्रा उसके हाथों में थी और उनके दूधिया चूचियां हवा में लहराने लगीं। चूचियां भी जैसे हवा में आजाद होकर फ्री महसूस कर रही हों, वैसे हिलने लगीं। उनके निपल मीडियम साइज के और एकदम काले थे, और दोनों चूचों के बीच में कोई जगह नहीं थी, और एक दूसरे से अपनी जगह लेने के लिए जैसे लड़ाई कर रहे हों। वो नजारा देखने लायक था। मेरी आँखें वहां से नजरें हटाने का नाम नहीं ले रही थीं।
उन्होंने वो देख लिया और बोली- क्यों देवरजी अब बराबर है ना? हुई तसल्ली?
मैं बस हैरान होकर देखे ही जा रहा था। बाकी औरतें उनकी ये हरकत से हँसने लगी। मेरा लण्ड अब मेरे काबू में नहीं था।
तभी एक चाची जो कि करीब 35 साल की थी उसने भाभी को कहा- “क्यों बिचारे को तड़पा रही हो? ऐसा देखकर तो बिचारे के लण्ड से पानी निकल रहा होगा…”
बात भी सही थी उनकी, शायद वो ज्यादा अनुभवी थी, इसलिए आदमी की हालत समझती थी। वैसे मेरी भाभी भी कोई कम अनुभवी नहीं थीं, लेकिन वो मजा ले रही थी।
मैंने भाभी को बोला- भाभी, आप मत तड़पाओ मुझे, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है।
वो बोली- क्यों रहा नहीं जा रहा है? मतलब, क्या हो रहा है?
मैं भी बेशरम होकर बोला- भाभी मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है।
वो हँसती हुई बोली- “सबर करो देवरजी, उसका इलाज भी मेरे पास है, देखते है की कैसे नहीं बैठता है आपका वो… लण्ड…” और वो फिर कपड़े धोने लगी।
मैं फिर उसकी और दूसरी औरतों के चूचे देखते हुए फिर से नहाने में ध्यान लगाने लगा, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उन सभी के चूचों और जांघों के बीच में ही अटक जाता था। कई औरतों का पेटीकोट तो घुटने तक ऊपर उठे होने की वजह से उनकी जांघें साफ-साफ दिख रही थीं और चूचे घुटनों में दबने से इधर-उधर हो रहे थे। तभी मैं नहाने का छोड़कर मूठ मारना चाहता था कहीं पेड़ के पीछे।
मैंने भाभी को बोला- “भाभी, मैं अब थक गया हूँ और मुझे भूख भी लगी है तो मैं घर जा रहा हूँ…”
भाभी बोली- “अभी से क्यों थक गए तुम? और भूख लगी है तो तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। इधर ही तुम अपनी भूख मिटा लो…” ऐसा बोलकर उसने बाजूवाली को बोला- “क्यों रे रसीला, तेरे चूचे में अभी दूध आ रहा है कि नहीं?”
रसीला ने जवाब दिया- हाँ, राशि भाभी, आ रहा है।
भाभी बोली- जरा इसका तो पेट भर दे, अपनी गोदी में लेकर।
तो बाकी सब औरतें हँस पड़ीं। मैं तो हैरान रह गया।
तभी रसीला की आवाज आई- “आऊ भैया इधर…”
मैं शर्मा रहा था।
तो रसीला मुझसे बोली- “शर्माने की क्या बात है? तुम्हारे भैया भी तो रोज ही पीते हैं। अगर एक दिन तूने पी लिया तो कोई खतम थोड़े ही होगा, बहुत आता है इसमें…”
मैं धीरे-धीरे आगे बढ़कर उसके पास गया, वो पैरों को मोड़कर बैठ गई और अपनी गोद में मेरा सिर रखने को बोला। मैंने वैसा किया। क्योंकी अब मेरे पास कोई और चारा नहीं था। मेरे निक्कर में से वो बार-बार मेरा टोपा दिख रहा था। मैं जैसे ही गोद में लेटा, उसने अपने ब्लाउज़ के बटन खोलना चालू किया, एक, दो, तीन, करके सभी बटन खोल दिए और ब्लाउज़ को दूर हटाके अपने एक हाथ में चूचे को पकड़ा। उसका निपल खुद दबाया तो जैसे एक फुव्वारे कीती तरह दूध की धार मेरे पूरे चेहरे को भिगो गई।
मुझे बहुत ही मजा आया तो मैंने भी निपल को दो उंगली में लेकर दबाया तो फिर से वैसे ही दूध की पिचकारी उड़ती हुई मेरे चेहरे को भिगोने लगी। अब मैंने मेरा मुँह निपल के सामने रख दिया और उसे फिर से दबाने लगा, तो मेरे मुँह में उसके शरीर का अमृत जाने लगा। और उसका स्वाद… वाउ… क्या मीठा था, एकदम मीठा। मैं वैसे ही निपल को दबाने लगा पर दूध पीने लगा।
फिर बाद में रसीला ने अपना निपल धीरे से मेरे मुँह में दे दिया और बोला- “अब चूसो इसे…”
मैं तो उसे चूसने लगा। सोचा की ऐसे ही पूरी जिंदगी दूध ही पीता रहूं। मेरे मुँह में दूध की धारा बह रही थी। जैसे ही चूसता, पूरी धार मेरे मुँह में आ जाती। मुझे उसका दूध पीने में बहुत ही मजा आ रहा था। और वो भी अपनी दो उंगलियों में निपल लेकर दबाती ताकि और दूध मेरे मुँह में आ जाये। थोड़ी देर पीने के बाद जब उस चूची में दूध खतम हो गया, तो मैंने भाभी को वो बताया।
रसीला ने दूसरी तरफ सोने का बोला और दूसरा चूची मेरे मुँह में दे दिया। दूसरे चूचे से दूध पीते वक्त मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैं अपने हाथ से दूसरे चूचे की निपल अपनी दो उंगलियों में लेकर दबा देता था। जिससे रसीला की एक मादक आवाज आती थी- “आह्ह… आऽऽ…”
ये देखकर भाभी भी उधर बैठे-बैठे अपनी चूचियां दबा देती थी। शायद उसे भी सेक्स करने का मन कर रह था।
दूसरी सभी औरतें अपने काम में से टाइम निकाल के हमें देख लिया करती थीं। तभी रसीला की दूसरे चूचे में भी दूध खतम हो गया।
जब मैंने बताया तो, वो बोली- “अभी आधा लीटर पी गये, अब तो खतम होगा ही ना…”
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