मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:16 PM,
#71
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
अगले दो दिन मैं अमोल की याद मे खोई रही. खुले खेत मे उससे चुदाई की बात याद करके मन ही मन मुसकुराती थी. देर रात तक उसके साथ चुदाई की कल्पना करके अपनी चूत मे बैंगन पेलती रहती थी. अपने घर पहुंचकर उसने मुझे एक प्यारी सी चिट्ठी लिखी थी जिसे मैं बार-बार पढ़ती थी.

तीसरे दिन जब मीना भाभी की चिट्ठी आयी, तब मेरी तन्द्रा टूटी. चिट्ठी नही कोई पोथी लग रही थी. न जाने भाभी ने उसमे क्या लिखा था! खुश होकर मैं अपने कमरे मे भागी और उसकी चिट्ठी पढ़ने लगी.

**********************************************************************

मेरी प्यारी ननद रानी,

तुम्हारा ख़त मिला. पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई. मुझे पूरा भरोसा था तुम्हे मेरा छोटा भाई बहुत पसंद आयेगा. पर मुझे यह अंदाज़ा नही था कि तुम उससे पहली मुलाकात मे ही चुदवा बैठोगी! पर तुम्हारा भी क्या कसूर! चूत की प्यास के मारे एक औरत कुछ भी कर सकती है.

वैसे देखने मे तो मेरा भाई सुन्दर है ही. शहर मे बहुत सी लड़कियाँ उससे चुदवाने के लिये मरती हैं. अब तुम ने पूछ ही लिया तो बता दूं. वह सच मे बहुत सी भाभीयों और कुंवारी लड़कियों को चोदे फिरता है, हालांकि मैं यह नही जानती वे कौन हैं. इसलिये चुदाई के मामले मे वह बहुत निपुण हो गया है. मुझे खुशी है कि तुम्हे इसमे कोई आपत्ती नही है. तुम एक खुले विचारों की लड़की हो और मैं अपने भाई के लिये तुम्हारे जैसी खुले विचारों की पत्नी चाहती थी.

अब आती हूँ तुम्हारे दूसरे सवालों पर. मैने अमोल को तुम्हारे घर भेजने से पहले सब कुछ साफ़ साफ़ बता दिया था. हम दोनो का जो सोनपुर मे रमेश और उसके दोस्तों के हाथों बलात्कार हुआ था. फिर विश्वनाथजी के घर पर दावत मे हम दोनो की जो सामुहिक चुदाई हुई थी. मैने उसे यह भी बता दिया था कि हम दोनो तुम्हारे मामाजी याने मेरे ससुरजी से भी बहुत चुदवाये हैं. और यह भी कि सोनपुर मे बेलगाम ऐयाशी के चलते हम दोनो का गर्भ भी ठहर गया है.

यह सब जानने के बाद भी अमोल तुम से शादी करने को तैयार हुआ है. बल्कि मैं तो कहूंगी कि यह सब जानकर ही अमोल तुमसे शादी करने तो तैयार हुआ है!

वह तो तुम्हारा दिवाना तब से है जब से मेरी शादी मे उसने तुम्हे देखा था. जब उसे पता चला कि तुम एक बहुत ही बड़ी चुदैल हो, वह फूला नही समाया और उसने मेरी माँ और पिताजी से ज़िद की कि वह सिर्फ़ तुम से ही शादी करेगा. इसका कारण यह है कि अमोल शादी के बाद अपनी ऐयाशियां जारी रखना चाहता है. और यही नही, उसे कोई आपत्ती नही है अगर तुम भी दूसरे मर्दों से जवानी का मज़ा लो. तुम्हारे ख़त से मुझे लगा तुम भी यही चाहती हो. मेरा खयाल है अब तुम्हारे मन की शंका दुर हो गयी होगी.

तुम शायद सोच रही होगी, एक बहन होकर मैने अपने छोटे भाई से ऐसी अश्लील बातें कैसे कर ली! भला कोई बहन अपने भाई को अपने बलात्कार और सामुहिक चुदाई के बारे मे बताती है? और कौन आदमी एक बदचलन, गर्भवती लड़की को अपनी पत्नी बनाना चाहता है? ननद रानी जी, इसके लिये मुझे अमोल को तैयार करना पड़ा. मैने अमोल को तुम्हारे लिये कैसे तैयार किया इसकी कहानी अब मैं तुम्हे खोलकर बताती हूँ. उम्मीद है तुम्हे पढ़कर आनंद आयेगा.


यह सब घटनायें अमोल के आने के हफ़्ते दस दिनों मे हुई.

मेरे माँ बाप के शहर लौटने के बाद अमोल मुझे एक पल अकेला नही छोड़ता था. बस एक ही रट लगाये हुए था, "दीदी, मुझे उस गंवार लड़की से शादी नही करनी है. तुम माँ और पिताजी को समझाओ ना!"

मैने अपने पिताजी से बात कर ली थी और उन्होने ख़त मे जवाब दिया था कि अगर अमोल राज़ी नही है तो वह शादी के लिये ज़ोर नही डालेंगे. पर मेरी माँ को भी समझाना पड़ेगा क्योंकि वह अमोल की जल्दी शादी करवाना चाहती है.

अमोल के घर पर होने से हम सब को चुदाई मे बहुत मुश्किल हो रही थी. हर समय वह या तो मेरे साथ, या फिर किशन या तुम्हारे बलराम भैया के साथ रहता था. खेत मे, बैठक मे, या बगीचे मे किसी से भी नंगे होकर चूत मरा लें यह सम्भव ही नही था. किसी और के कमरे मे जाकर चुदवाने से भी डर लगता था. चुदाई बस रात को होती थी और वह भी अपने अपने पति से. भला रोज़ रोज़ एक ही आदमी से चुदवाकर कोई मज़ा आता है?

एक दिन तुम्हारे मामाजी किशन को बोले, "किशन, अमोल बेचारा घर पर बैठे-बैठे उब गया होगा. उसे ज़रा हाज़िपुर ले जा और थोड़ी सैर करा ला."
"मुझे खेत मे काम है, पिताजी." किशन बोला, "आप भैया को बोलिये ना खेत मे जाने को."

तो तय हुआ कि मेरे वह रामु के साथ खेत मे जायेंगे और किशन मेरे भाई को लेकर हाज़िपुर जायेगा.

उन सबके जाते ही सासुमाँ ने गुलाबी के हाथों मुझे बुला भेजा. मैं सासुमाँ के कमरे मे गयी तो देखी ससुरजी और सासुमाँ पलंग पर बैठे हुए बातें कर रहे हैं.

मुझे देखते ही ससुरजी बोले, "आ बहु! आजकल तो तु नज़र ही नही आती है!"
"बाबूजी, मैं तो हमेशा आपके पास ही रहना चाहती हूँ. पर क्या करुं, मेरा भाई जो आकर ठहरा हुआ है!" मैने कहा.
"तभी तो मैने किशन को उसके साथ हाज़िपुर भेजा है." ससुरजी मेरा हाथ पकड़कर मुझे पलंग पर बिठाते हुए बोले, "बहुत दिन हो गये हैं तेरी जवानी का रस पीये हुए."
मैं हंसकर बोली, "मुझे भी तो कितने दिन हो गये हैं आपके लौड़े का रस पीये हुए."
"चल, जब तक तेरा भाई सैर करके आये, हम थोड़ी अपनी चुदास मिटा लेटे है." ससुरजी बोले.

उन्होने मुझे अपनी ताकतवर बाहों मे भर लिया और मेरे नर्म होठों को अपने मर्दाने होठों से चिपकाकर मुझे चूमने लगे.

मै भी ससुरजी से लिपटकर उनके होठों का मज़ा लेने लगी. ससुरजी का हाथ मेरी ब्लाउज़ मे कसी चूचियों को दबाने लगे और मेरे हाथ लुंगी मे उनके लन्ड पर चले गये. कुछ देर हम ससुर-बहु एक दूसरे के प्यार मे खोये रहे.

सासुमाँ हम दोनो को देख रही थी. वह बोली, "बहु, वीणा की कोई चिट्ठी आयी कि नही?"
"हाँ, माँ." मैने ससुरजी के होठों से मुंह हटाकर जवाब दिया.
"क्या कहती है? उसका गर्भ तो नही ठहर गया?"
"उसका मासिक नही हो रहा है." मैने कहा, "उसका गर्भ यकीनन ठहर गया है."
"मुझे इसी बात का डर था." सासुमाँ बोली, "सुनो जी, अब क्या करोगे उस बेचारी का?"

ससुरजी मेरे गले और कंधों को चुम रहे थे. वह बोले, "क्यों, क्या करना है?"
"ज़रा बहु की जवानी से मुंह हटाओ तो बताऊं!" सासुमाँ बोली, "तुम्हारी अपनी भांजी है. जब सबके साथ मिलकर उसकी चूत मार रहे थे तब तो नही सोचा. अब पेट ठहर गया है, तो मामा होकर तुम्हे कुछ तो सोचना चाहिये!"
"सोच रहा हूँ, भाग्यवान!" ससुरजी बोले. वह मेरी ब्लाउज़ के हुक खोलने लगे और बोले, "अब तो एक ही रास्ता बचा है. उसकी शादी करवानी पड़ेगी."

"बाबूजी, उसका गर्भ गिरया भी तो जा सकता है?" मैने कहा.
"अरे बहु, अब हाज़िपुर जैसे छोटे से शहर मे ऐसा डाक्टर कहाँ मिलेगा? सब डाक्टर राज़ी नही होते ऐसा काम करने को." ससुरजी मेरे ब्लाउज़ को मेरे हाथों से अलग करते हुए बोले, "पूछ्ताछ करने पर उलटे बदनामी हो जायेगी. नही, वीणा की शादी ही करवानी पड़ेगी."
"पर इतनी जल्दी मे एक अच्छा लड़का कहाँ मिलेगा!" मैने कहा.

सासुमाँ बोली, "एक लड़का है मेरी नज़र मे. मुझे तो बहुत पसंद है लड़का, पर उसे वीणा से शादी करने के लिये राज़ी करना पड़ेगा."
"कौन है, माँ?" मैने उत्सुक होकर पूछा.
"बहु, मैं तेरे भाई अमोल की बात कर रही हूँ." सासुमाँ बोली, "कितना सुन्दर नौजवान है. और अपनी वीणा भी बहुत सुन्दर है. खूब जंचेगी दोनो की जोड़ी."

"अमोल!" मैने चौंक कर पूछा, "उसकी और वीणा की शादी?"
"क्यों, क्या बुराई है वीणा मे?" सासुमाँ ने पूछा.

"माँ, आपको तो सब पता ही है!" मैने कहा, "वीणा कितनी बदचलन है! सोनपुर मे कितने सारे मर्दों से वह चुदवाई थी. अब तो उसका गर्भ ठहर गया है और पता नही बच्चे का बाप कौन है!"
"ठीक तेरी तरह..." सासुमाँ ने हंसकर मुझे याद दिलाया, "मेरे बेटे ने भी तो तेरे जैसी एक बदचलन, आवारा, चुदैल लड़की से शादी की है और निभा भी रहा है."
"पर माँ, मेरा भाई बहुत सीधा है." मैने कहा, "वह वीणा से शादी करके निभा नही पायेगा. वीणा शादी के बाद कोई पतिव्रता थोड़े ही बन जायेगी? वह तो जहाँ मौका मिलेगा मुंह मारेगी."

मैने अपने हाथ ऊपर किये तो ससुरजी ने मेरी ब्रा उतार दी और मेरी नंगी चूचियों को मसलने लगे.

ससुरजी बोले, "बहु, अमोल उतना सीधा नही है जितना दिखता है. आजकल 22 साल के होते होते लड़के बहुत ही सयाने हो जाते हैं और चुदाई का स्वाद चख लेते हैं. ऊपर से मैने गौर किया है तेरा भाई बहुत ही लंपट नज़रों से गुलाबी की चूचियों को घूरता रहता है."
"पर माँ, मैं अपने छोटे भाई की शादी एक गर्भवती लड़की से कैसे करवा दूं?" मैने कहा, "मै उसे ऐसा धोखा नही दे सकती!"

सासुमाँ ने प्यार से मेरी गालों को सहलाया और बोली, "बहु, तुझे अपने भाई को धोखा देने को कौन कह रहा है! हम अमोल को वीणा के चरित्र के बारे मे सब कुछ बता देंगे. यह भी बता देंगे कि वह गर्भवती है. उसके बाद भी अगर वह वीणा से शादी करने को तैयार हो जाये, फिर तो तुझे आपत्ती नही होनी चाहिये?"
"अरे नही होगी बहु को आपत्ती." ससुरजी मेरे निप्पलों को मुंह मे लेकर चूसते हुए बोले, "हमारी बहु बहुत खुले विचारों की है."
"मगर बाबूजी," मैने कहा, "मेरे माँ-बाप, आनन्द भैया - यह सब लोग क्या सोचेंगे?"
"उन्हे बताने की क्या ज़रूरत है?" ससुरजी बोले, "अगर अमोल वीणा से खुश हो तो बात उन दोनो के बीच रह जायेगी."
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