मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:06 PM,
#24
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गुलाबी उनकी तरफ़ मुड़कर बैठी तो उन्होने अपना हाथ उसकी चोली मे घुसा दिया और उसकी चूची को मसलने लगे. दूसरे हाथ से फिर उसकी चूत सहलाने लगे. गुलाबी आंखें बंद करके मज़ा ले रही थी. मैं हैरान थी कि मेरे समझाने से कितनी जल्दी यह लड़की पराये मर्द के चुदवाने को तैयार हो गयी थी.
"ब्रा नही पहनी तु?" तुम्हारे भैया ने गुलाबी से पूछा.
"नही बड़े भैया." गुलाबी ने कहा, "मेरा मरद मना करता है."
"ठीक कहता है रामु. चड्डी और ब्रा मत पहना कर." मेरे वह बोले, "चूची दबाने और चोदने मे आराम होता है. सुन, एक दो दिन मे मैं ठीक हो जाऊंगा और खेत मे जाने लगुंगा. तु मुझे खाना देने आयेगी खेत मे?"
"हाँ, बड़े भैया. हम तो हमेसा आपको खाना देने आते हैं." गुलाबी ने कहा.
"जब तु आयेगी ना, तब तुझे बहुत प्यार से खेत मे चोदुंगा." उन्होने कहा. "वहाँ कोई देखेगा भी नही. बहुत मज़ा पायेगी."

गुलाबी ने कोई जवाब नही दिया तो मेरे वह बोले, "डरती है क्या? रामु तो घर पर है नही. जब तक वह ना आये मुझसे चुदवा के अपनी प्यास बुझा."
"नही, बड़े भैया. ई सब हमसे नही होगा." गुलाबी बोली और अचानक उठ खड़ी हुई.

"क्या हुआ गुलाबी! कहाँ जा रही है?" मेरे वह खीजकर बोले, "साली, अभी तो अपनी चूची दबवा कर मज़ा ले रही थी. अचानक सती-सावित्री होने का शौक कैसे पैदा हो गया?"
"हम सादी-सुदा औरत हैं." गुलाबी बोली, "भाभी हमको ई सब करने को नही कहतीं तो हम कभी नही करते."
"किसने कहा तुझे यह सब करने को?" मेरे उन्होने आश्चर्य से पूछा.

गुलाबी को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने झेंपकर आंखें नीची कर ली. तुम्हारे भैया की आंखें हैरत से बड़ी बड़ी हो गयी थी. "मीना ने तुझे कहा तु मुझसे अपनी चूची दबवा?"

गुलाबी बिना जवाब दिये दौड़कर कमरे से बाहर निकल आयी. मेरे वह पीछे से बोले, "ठहर साली, जब अगली बार मेरे कमरे मे आयेगी तुझे तेरी भाभी के सामने पटककर चोदुंगा. तब तेरे पतिव्रता होने का नाटक खतम होगा. और तेरी भाभी को भी देख लूंगा. खुद तो मुझसे चुदवाती नही है. अब अपनी नौकरानी को भेजी है मेरा लन्ड खड़ा करने के लिये."

गुलाबी बाहर आयी तो मैने उसे पकड़ा. उसकी सांसें उखड़ी हुई थी, आंखें वासना से लाल थी. मुझे हैरत हुई वह बिना चुदाये बाहर आ कैसे गयी. मैं तो ऐसे हालत मे अपने आप को नही सम्भाल पाती.

"क्यों रे गुलाबी, क्या हुआ अन्दर?" मैने पूछा.
"भाभी, बड़े भैया फिर हमरे साथ जबरदस्ती कर रहे थे." गुलाबी बोली.
"तु झूठ कब से बोलने लगी रे?" मैने कहा, "मैने तो देखा तु मज़े से अपनी चूची दबवा रही थी और चूत सहलवा रही थी. तु तो उनका लौड़ा भी हिला रही थी."

गुलाबी बोली, "ऊ तो आप हमको बोली करने को इसलिये हम किये."
"और तुझे बिलकुल मज़ा नही आया?" मैने उंगली से उसके मुंह को ऊपर उठाकर पूछा.
"आया, भाभी." गुलाबी धीरे से बोली.
"बड़े भैया का लौड़ा कैस लगा रे?"
"बहुत बड़ा है, भाभी." गुलाबी बोली.
"रामु जितना है?" मैने पूछा.
"उनसे भी बड़ा है." गुलाबी बोली.
"हूं. तो सोच, जब तुझे रामु का लौड़े चूत मे लेना इतना अच्छा लगता है, तो उससे भी बड़ा लन्ड चूत मे लेगी तो कितना मज़ा आयेगा?" मैने पूछा.
"हमे नही पता."
"तो पता कर ले ना!" मैने कहा. "जैसे तेरे बड़े भैया बोले, तु जब उन्हे खाना देने खेत मे जायेगी तब उनसे वहाँ एक बार चुदवा लेना. बस एक बार. मैं कब कह रही हूँ तु उनकी रखैल बन जा!"

गुलाबी चुप रही तो मैने कहा, "ठीक है सोच के देख. बहुत मज़ा देते हैं तेरे बड़े भैया! तु मेरी फ़िकर मत करना. मैं बिलकुल बुरा नही मानुंगी क्योंकि मैं खुद पराये मरद से चुदवाती हूँ."

गुलाबी ने मेरी आंखों मे देखा. मैं मुस्कुरा रही थी. मुझे देखकर वह भी मुस्कुरा उठी और बोली, "भाभी, हम को किसन भैया को नास्ता देने खेत मे जाना है." बोलकर वह रसोई मे चली गयी.


मैं अपने पति देव के कमरे मे घुसी. मुझे देखते ही वह अपने खड़े लौड़े की तरफ़ इशारा करके बोले, "देख रही हो यह? 15 दिनों से ब्रह्मचारी बना बैठा हूँ. तुम्हे तो मुझ पर तरस ही नही आता."

मैने उनके पास जाकर बैठी और बोली, "ब्रह्मचारी और आप? मेरे पीछे आपने गुलाबी की इज़्ज़त लूटने की कोशिश की थी. जैसे मैं कुछ जानती ही नही."

सुनकर तुम्हारे भैया के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी. "यह क्या कह रही हो तुम, मीना?"
"वही जो गुलाबी ने मुझे बताया." मैने जवाब दिया, "और जो मैने अपनी आंखों से देखा."
"तुमने सब देखा?" वह बोले. काफ़ी डरे लग रहे थे.
"हूं. मेरे पति देव अपनी नौकरानी पर इतने आशिक हैं मुझे पता नही था. बड़े प्यार से सहला रहे थे आप उसकी चूत को!"
"तुम गलत समझ रही हो, मीना!" तुम्हारे भैया बोले.
"इसमे गलत समझने का क्या है जी?" मैने पूछा, "जब एक आदमी खेत मे अपनी शादी-शुदा नौकरानी का बलात्कार करने की कोशिश करता है तो उसकी नीयत का साफ़ पता चल जाता है."

मेरे वह कुछ देर चुप बैठे रहे. उनका लौड़ा अब ढलकर लुंगी मे छुप गया था. फिर वह बोले, "तो फिर गुलाबी क्यों कह रही थी तुमने उसे मुझे से अपनी चूची मलवाने को भेजा है?"
"ठीक ही तो कह रही थी वह." मैने मचलकर कहा.
"तुमने...तुमने सच मे उसे बोला...के वह आकर...मुझसे..."
"हूं!"
"मगर क्यों?"
"ताकि वह थाने मे जाकर आपके ऊपर बलात्कार का केस ना ठोक दे!" मैने कहा. "आपका चरित्र कितना खराब है वह तो मैं समझ ही गयी हूँ. मेरे कहने से आप रुकने वाले तो हो नही. मौका मिलते ही बेचारी गुलाबी को कहीं पटककर चोद लोगे. रोना तो फिर मुझे पड़ेगा ना!"

तुम्हारे भैया को मेरी बात समझ मे नही आयी.

मैने कहा, "आपको गुलाबी को जबरदस्ती चोदना ना पड़े इसलिये उसे मैं आपके लिये पटा रही हूँ. पट जायेगी तो खुद ही चुदवा लेगी आपसे."

मेरे उनको अपने कानों पर विश्वास नही हुआ. "यह क्या कह रही तो तुम, मीना? एक पत्नी होकर तुम मेरे लिये गुलाबी को पटा रही हो?"
"तो क्या हुआ." मैने कहा, "गुलाबी को चोद लोगे तो क्या मुझे प्यार करना बंद कर दोगे?"
"नही, मीना! मैने तुम्हे प्यार करना कभी बंद नही करुंगा." वह बहुत गंभीरता से बोले.
"मै जानती हूँ. और मैं यह भी देख रही हूँ कि गुलाबी पर आपका कितना दिल आ गया है. वह है ही ऐसी चीज़ - इतनी जवान, भोली, और मनचली. काफ़ी सुन्दर है और उसकी चूचियां भी बहुत कसी कसी हैं. किसी भी मर्द का मन करेगा उसे चोदने का."
"मीना, तुम मेरे लिया इतना बड़ा त्याग करने को तैयार हो?" उन्होने पूछा.
"अपने पति के सुख का खयाल मैं नही रखूंगी तो कौन रखेगा?" मैने हंसकर कहा और उनके लुंगी मे हाथ डालकर उनके लौड़े को हिलाने लगी. लन्ड फिर से खड़ा हो गया.

"तुम कितनी अच्छी हो, मीना!" वह बोले और मेरी पीठ को सहलाने लगे.
"आप भी पति कुछ बुरे नही हैं!" मैने कहा, "मुझे विश्वास है कि किसी दिन मुझसे कोई भूल-चूक हो गयी, तो आप भी मेरे लिये ऐसा ही त्याग खुशी खुशी करेंगे."
"कैसे भूल-चूक, मीना?" वह सतर्क होकर बोले.
"जैसी भूल-चूक आप गुलाबी के साथ कर रहे हैं." मैने ने आंख मारकर कहा.
"कैसी बातें करती हो, तुम!"
"क्यों, मैं कोई भूल-चूक नही कर सकती क्या?" मैने पूछा, "मैं एक जवान औरत हूँ. देखने मे बुरी भी नही हूँ. और आपको तो पता है मुझमे चुदाई की भूख कितनी ज़्यादा है. अगर मैं किसी और मर्द से चुदवा बैठूं, तो आप क्या मुझे प्यार करना बंद कर देंगे?"

तुम्हारे भैया मेरी बात सुनकर गनगना उठे. मेरे हाथ को पकड़कर अपने लन्ड पर चलाने लगे और छत की तरफ़ देखते हुए कल्पनाओं मे खो गये. शायद कल्पना मे मुझे किसी और मर्द के साथ चुदाई करते देख रहे थे.

कुछ देर बाद वह बोले, "नही मीना, तुम चाहे कोई भी गलती करो, मैं तुम्हे प्यार करना बंद नही करुंगा."
"आप कितने अच्छे हैं!" मैने कहा और उनके होठों को चूम लिया. फिर मैं उठकर बाहर जाने लगी.

"हे भगवान, तुम फिर जाने लगी!" तुम्हारे भैया चिल्लाये.
"आपका पैर तो पहले ठीक हो जाये, फिर जितना चाहे चोद लेना मुझे!" मैने कहा और कमरे के बाहर निकल आयी.
"इन औरतों ने तो मेरा दिमाग ही खराब कर दिया है!" वह मेरे पीछे से चिल्लाये, "भगवान कसम! जो अगली औरत मेरे कमरे मे आयी उसे चोदे बिना नही छोड़ूंगा!"

वीणा, मज़े की बात यह है कि उनके कमरे मे जाने वाली अगली औरत तुम्हारी मामीजी थीं.

किशन सुबह-सुबह खेत मे काम देखने गया था. जब गुलाबी उसके लिये नाश्ता लेकर चली गयी, तब मुझसे अन्दर का हाल पूछकर सासुमाँ तुम्हारे भैया के कमरे मे गई.

जाते ही देखा कि उनका लौड़ा तो खड़ा होकर लहरा रहा है और वह हाथ से लौड़े को पकड़कर मुठ मार रहे हैं. अपनी माँ को देखते ही उन्होने खड़े लन्ड को अपनी लुंगी मे छुपा लिया और बोले, "माँ तुम, यहाँ!"

सासुमाँ ने हंसकर लुंगी मे खड़े उनके लन्ड को देखा और कहा, "तेरा यह हाल बहु ने किया है, या गुलाबी ने?"

माँ के सामने उनकी तो बोलती बंद हो गई. बस हाथ से अपने लन्ड तो दबाकर लुंगी मे छुपाने लगे.

"अरे बोल ना! इतना शरमा क्यों रहा है?" सासुमाँ बोली, "अब तु एक आदमी बन गया है. तुझसे मैं ऊंच-नीच, दुनिया-दारी की बातें कर सकती हूँ."

मेरे उन्होने थूक गटका और पूछा, "माँ, तुम्हे गुलाबी के बारे मे किसने बताया?"
"बहु ने, और किसने."
"मीना ने तुम्हे भी बता दिया?"
"तो क्या हुआ." सासुमाँ बोली, "मै कोई अनछुई कली हूँ क्या जो सुनकर शरम से मर जाऊंगी?"
"तो तुमने उसे क्या कहा?"
"मैने बहु को कहा कि मेरा बेटा जवान मर्द है और उसे भी और मर्दों की तरह औरत की भूख होती है." सासुमाँ बोली, "गुलाबी तुझे भा गयी है. इसमे अचरज की क्या बात है अगर तुने उसके साथ जबरदस्ती की है."

तुम्हारे भैया ने अपनी माँ के मुंह से कभी ऐसी बातें नही सुनी थी. हैरान होकर बोले, "फिर मीना ने क्या कहा?"
"बहु को कोई ऐतराज़ नही है." सासुमाँ बोली, "वह गुलाबी को समझा रही है तेरे साथ संबंध बनाने की लिये. बहुत अच्छी बहु है हमारी. लाखों मे एक है!"
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