मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:06 PM,
#22
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
किशन अपनी आंखें मींचे खड़ा रहा. उसका शरीर कांप रहा था. मुझे लगा वह अपना पानी छोड़ देगा, पर ऐसा नही हुआ.

मैने धीरे धीरे उसके किशोर लन्ड को चूसना शुरु किया. एक अलग ही महक और स्वाद था उसके लन्ड मे. मैं उसके लन्ड को पेलड़ तक अपने मुंह मे ले रही थी, फिर निकाल कर उसके सुपाड़े को जीभ से सहला रही थी, और कभी लन्ड को मुंह से निकाल कर चाट रही थी. अपने दूसरे हाथ की उंगलियों से पेलड़ मे उसके टट्टों को सहला रही थी.

बीच बीच मे मैं कनखियों से दरवाज़े की तरफ़ भी देख रही थी. मुझे पता था कि मेरे ससुरजी और सासुमाँ मेरे कुकर्मों को देख रहे है और शायद बाहर खड़े होकर चुदाई कर रहे हैं. उन्हे दिखाने मे मुझे और ज़्यादा मज़ा आ रहा था.

"देवरजी," मैने किशन का लन्ड मुंह से निकालकर कहा, "अपने लौड़े के बालों को साफ़ रखा करो. औरतों को चूसने मे ज़्यादा मज़ा आता है."

किशन आंखें बंद करके अपने आप पर काबू रखने की कोशिश कर रहा था.

मैने कुछ देर और उसके लन्ड को चूसा और कहा, "देवरजी, अगर सम्भाला नही जा रहा है तो अपना पानी निकाल दो. मुझे भी ज़रा अपना गला तर करना है."

मेरा कहना था कि किशन ने दोनो हाथों से मेरा सर पकड़ लिया और मेरे मुंह मे अपना लन्ड पेलने लगा. उसके लौड़े का सुपाड़ा जा जाकर मेरे गले से टकराने लगा. एक ही मिनट पेलकर, वह झड़ने लगा. मेरे सर को कस के दबाकर, अपना लौड़ा मेरे मुंह मे पूरा ठूंसकर, वह अपना पेलड़ खाली करने लगा.

पता नही कितना वीर्य था उसके पेलड़ मे, पर मुझे लगा वह रुकने का नाम ही नही लेगा. मेरा मुंह उसके वीर्य से पूरा भर गया और मेरे होठों से निकलकर मेरी नंगी चूचियों पर गिरने लगा.

मेरी सांस रुकने लगी तो मैने उसे धक्का देकर उसका लन्ड अपने मुंह से निकाल दिया. उसके लन्ड के निकलते ही ढेर सारा वीर्य मेरे मुंह से निकलकर मेरे चूचियों पर आ गिरा. बाकी का वीर्य निगलकर मैं हंसने लगी. "देवरजी, कितनी मलाई सम्भाल कर रखे थे अपनी भाभी के लिये? इतना तो मुझसे पिया ही नही गया."

झड़कर किशन को जैसे आराम मिल गया था. पर उसका लौड़ा अभी भी तना हुआ था.
मैं किशन के वीर्य को अपने गोरी गोरी नंगी चूचियों पर मलने लगी और अपने खड़े निप्पलों को मीसने लगी. जब मेरी चूचियां पूरी तरह उसके वीर्य से चिपचिपा हो गयी मैने उठकर अपनी साड़ी बदन से अलग कर दी. किशन आंखें फाड़-फाड़कर मुझे देख रहा था.

मैने कहा, "देवरजी, अब आपको अपनी चूत के दर्शन कराती हूँ. वैसे तो तुम दरवाज़े के बाहर से मेरी चूत देख ही चुके हो, पर आज पास से देखो." बोलकर मैने अपनी पेटीकोट उतार दी और पूरी तरह नंगी हो गयी.

किशन के खाट पर लेटकर मैने उसे अपने पास आने को कहा. वह तुरंत मेरे ऊपर आकर चढ़ गया. मैं उसका सर पकड़कर अपने पास ले आयी और फिर उसके होठों को अपने होठों से चिपकाकर पीने लगी. उफ़्फ़! क्या कोमल, रसीले होंठ थे उसके! एक हाथ से मैं उसके चिपचिपे लन्ड को भी सहलाने लगी.

कुछ देर उसके होंठ पीकर मैने कहा, "देवरजी, ज़रा मेरे चूचियों को पीयो."
"पर भाभी, उस पर तो मेरा...पानी..." किशन हिचकिचा कर बोला.
"तो क्या हुआ?" मैने डांटकर कहा, "जब मैं तुम्हारा आधा लीटर वीर्य पी सकती हूँ, तो तुम भी थोड़ा चख लोगे तो कुछ नही होगा."

मैने उसका सर पकड़कर अपने चूचियों पर दबा दिया तो वह मेरे निप्पलों को मुंह मे लेकर चूसने लगा. बहुत मज़ा आने लगा मुझे. मेरी चूत तो कब से गीली ही पड़ी थी. बस एक खड़े लन्ड का इंतज़ार था मुझे.

किशन मेरी चिपचिपे चूचियों को जोश मे दबाने और चूसने लगा. फिर मैं उसके सर को और नीचे कर के अपनी चूत के पास ले गयी और बोली, "देवरजी, अब मेरी चूत को चाट दो. औरतों को चूत चटवाने मे बहुत मज़ा आता है."

किशन मेरी चूत के फांक मे जीभ डालकर अच्छे से चाटने लगा. मैं आह!! कर उठी. "हाय, देवरजी, बहुत अच्छा चाट रहे हो. उम्म!! ऐसे ही चाटते रहो. आह!! चाटकर मुझे एक बार झड़ा दो."

किशन जितना मेरी चूत को चाट रहा था मेरी मस्ती भी खलास होने को आ रही थी. जल्दी ही उसके सर को जोर से अपनी चूत पर दबाकर मैं झड़ने लगी. "हाय, कितना मज़ा आ रहा है! देवरजी, और चाटो अपनी भाभी की चूत! आह!! ओह!! उम्म!!"

झड़के मुझे कोई शांति नही हुई. मुझे तो लौड़े की ज़रूरत थी. "देवरजी, अब मेरे ऊपर चढ़ जाओ." मैने कहा, "अब तुम्हे अपनी भाभी को चोदकर उसकी प्यास बुझानी है, समझे?"

वीणा, नौजवानों की यह खूबी होती है कि जल्दी ही फिर वे चुदाई के लिये तैयार हो जाते है. किशन का लन्ड भी पूरी तरह कड़क हो गया था.

किशन मेरे दो टांगों के बीच बैठा तो मैने उसका लन्ड पकड़कर अपनी चूत पर रखा और कुछ देर उसके सुपाड़े को अपनी चूत के फांक मे रगढ़ा. फिर उसके लन्ड को अपनी चूत पर सेट करके मैने कहा, "देवरजी, अब धीरे से अपने लन्ड पर दबाव डालो."

किशन ने दबाव डाला तो उसका खड़ा लन्ड मेरी बहुत ही गीली चूत मे आराम से पूरा घुस गया. उसे इतना मज़ा आया कि वह गनगना उठा.

मैने उसे कमर चलाने से रोका और कहा, "देवरजी, अब थोड़ी देर मेरी चूत मे लन्ड डाले पड़े रहो. कुछ करो मत."
"भाभी, बहुत गरम है आपकी चूत!" किशन कसमसा कर बोला. उसकी आवाज़ से मैं समझ रही थी कि वह मुश्किल से अपने पर काबू किये हुए था.
"तुमने कभी किसी चूत मे लन्ड नही डाला है ना, इसलिये तुम्हे आदत नही है." मैने कहा, "कुछ एक बार चोद लोगे तो कोई मुश्किल नही होगी."

किशन मेरी चूत मे अपना पूरा लन्ड डाले मेरे ऊपर लेटा रहा. मैने उसके नंगे बदन को जकड़कर अपनी चूत मे उसके लन्ड के सुखद अनुभव का मज़ा लेती रही.

कुछ देर बाद जब किशन को अपने पर काबू हुआ तो मैने उसे कहा, "देवरजी, अब धीरे धीरे मुझे पेलना शुरु करो. बहुत धीरे धीरे."

किशन ने ऐसा ही किया. उसका लन्ड मेरी चूत के अन्दर बाहर होने लगा तो मुझे और मज़ा आने लगा. धीरे धीरे वह अपनी गति बढ़ाने लगा और मैं भी उसका साथ देने लगी. उसे बाहों मे जकड़कर, उसके ताल पर ताल मिलाकर मैं अपना कमर उठाने लगी. "हाय, राजा! क्या चोद रहो हो अपनी भाभी को! उम्म!! आह!! पेलो देवरजी, अच्छे से पेलो अपनी चुदैल भाभी को! हाय, बहुत मज़ा आ रहा है!"

किशन बस "ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ!" की आवाज़ निकालकर ठाप लगा रहा था. पर नौसिखिया होने के चलते वह मुझे ज़्यादा देर चोद नही सका. मुझे जोर से ठोकते हुए बोला, "भाभी, मेरा पानी छूटने वाला है!"
मैं बोली, "कोई बात नही, देवरजी! भर दो अपना वीर्य मेरे गर्भ मे! आह!! ओह!! उम्म!! और जोर से! और जोर से!! डाल दो पूरा अन्दर!"

मुझे पता था की हमारी यह अवैध चुदाई मेरे ससुरजी और सासुमाँ बाहर से देखे रहे हैं. सोचकर ही मैं झड़ने लगी. किशन ने अपना लन्ड मेरे चूत की गहराई मे ठूंस दिया और मुझे जकड़कर मेरे चूत मे अपना पानी छोड़ने लगा. चूत के अन्दर देवर के पहले वीर्य को पाकर मैं सुख के सातवें आसमान पर उड़ने लगी.

झड़ने के बाद किशन और मैं काफ़ी देर तक एक दूसरे से लिपटे आलिंगन का आनंद लेते रहे. किशन मेरे ऊपर ही लेटा रहा और उसका अब ढीला हो चुका लन्ड मेरी चूत के बाहर आ गया.

"देवरजी" मैने कुछ देर बाद कहा, "मज़ा आया अपनी भाभी को चोदकर?"
"हाँ भाभी. बहुत मज़ा आया." किशन बोला, "पर हमे यह सब नही करना चाहिये था ना?"

मैने समझ गयी छोकरे का लन्ड नीचे होते ही उसकी अंतरात्मा सर उठाने लगी है.
"क्यों, देवरजी?" मैने पूछा.
"भाभी तो माँ समान होती है." किशन ने कहा.
"और मुझे चोदकर तुमने मानो अपनी माँ को ही चोद लिया है?" मैने पूछा. "तुम जो कहानियाँ पढ़ते हो उसमे तो देवर लोग अपनी भाभी को चोदते हैं. बेटे अपनी माँ को चोदते हैं. तुम तो मेरा नाम लेकर मुठ भी मारते हो. अब मुझे चोद लेने के बाद तुमको क्या हो गया."
"जी, कहानी पढ़ना अलग बात है." किशन बोला.
"मन मे पाप और कर्म मे पाप मे कोई फ़र्क नही है, देवरजी." मैने कहा, "तुम ऐसी कहानियाँ पढ़ते हो क्योंकि तुम्हारे मन मे मेरे लिया पाप था और अपनी माँ के लिये पाप है. है कि नही बोलो."
"जी है." किशन धीरे से बोला.
"अब जब मन मे पाप हो ही गया तो करने मे कोई ज़्यादा बुराई है क्या?"
"पता नही, भाभी." वह बोला.
"देवरजी, इतने धरम-करम मे मत पड़ो." मैने उसके सर के बालों मे उंगलियाँ चलाकर कहा, "चोदने को चूत मिले तो चोद लो! फिर वह चूत भाभी की हो या माँ की या घर के नौकरानी की. ऐसे मौके ज़िंदगी मे बार बार नही आते, समझे?"

किशन चुप रहा फिर बोला, "पर भाभी आपने क्यों मेरे साथ यह सब किया. आपके लिये तो भैया हैं ना."
"मेरे भोले देवरजी!" मैने कहा, "घर पर जवान देवर हो तो किस भाभी का मन नही मचलता उससे चुदवाने के लिये? मुझे क्या तुमने कोई शराफ़त की देवी समझ रखा है? हर औरत की तरह मेरे मन मे भी पाप है और कुकर्म करने के लिये मेरा मन भी मचलता है. आज मुझे मौका मिला तो तुमसे चुदवा लिया. तुम्हारी भाभी कोई देवी-शेवी नही है, देवरजी. एक जवान, गर्म औरत है जिससे जितने लन्ड मिले कम हैं."

किशन मेरी बात सुनकर हंस दिया. बोला, "भाभी, मेरी माँ भी आप जैसी है क्या?"
उसका मतलब समझकर मैने कहा, "बहुत बड़ी चुदैल है सासुमाँ. आज भी ससुरजी जब उन्हे ठोकते हैं तो बाहर तक उनकी मस्ती की आवाज़ आती है. अपनी उम्र मे उन्होने न जाने कितने लन्ड लिये होंगे."
"नही भाभी, मेरी माँ ऐसी नही हो सकती." किशन बोला.
"तो क्या तुमने सिर्फ़ अपनी भाभी को ही एक मात्र छिनाल समझ लिया है? औरतों को देवी बनाने की मर्दों की बड़ी बुरी आदत है." मैने कहा, "कहते हैं ना, औरत को ना ताज चाहिये ना तख्त चाहिये. उसे तो बस एक लन्ड मोटा और सख्त चाहिये. माँ, बहन, भाभी, बेटी, बीवी, साली - सब एक जैसी होती हैं. सबके पास चुदाने के लिये चूत होती है और सबको लौड़ों की चाहत होती है."

किशन और जोर से हंसने लगा. अपनी माँ के बारे मे बुरा-भला सुनकर उसका लन्ड फिर सख्त होने लगा था. वह बोला, "अगर भैया को पता लग गया तो?"
"नही पता लगेगा." मैने कहा. "मैं सब देख लुंगी. तुम बस मेरा कहना मानो और देखो कितना मज़ा है चुदाई मे."
"ठीक है भाभी." किशन बोला.
"लगता है अपनी माँ के चरित्र के बारे मे सुनकर तुम्हारा लन्ड फिर खड़ा हो गया है." मैने उसके लौड़े को पकड़कर कहा, "चलो, देवरजी, अपनी भाभी को एक और बारी चोदकर उसकी प्यास ठीक से बुझा दो."
Reply


Messages In This Thread
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग - by sexstories - 10-08-2018, 01:06 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,547,707 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,647 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,252,179 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 946,689 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,681,190 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,103,524 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,990,006 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,184,383 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,079,556 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,412 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 9 Guest(s)