RE: Kamukta Kahani जुआरी
''आआआआआआआआआआआआआआआआहह माआआआाअलिइीईईईईईईईिक...... मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईई अहह''
बेचारी ज़्यादा विरोध भी नही कर पाई....
और एक-2 इंच करता हुआ वो बेखौफ़ लंड उसकी गांड की टनल में उतरता चला गया...
बेशक पायल तड़पति रही पर ना तो विजय को उसपर दया आई और ना ही उसके पति कुणाल ने उसे रोका...
सभी को पता था की ये तो होना ही था...
कुणाल तो उल्टा खुश हो रहा था की चलो इसी बहाने पायल की गांड भी मारने को मिलेगी बाद में.
विजय ने जब अपना पूरा लोढ़ा उसकी गांड में उतार दिया तो उसने विजयी मुस्कान से सभी को देखा, जैसे किसी किले पर विजय पा ली हो...चित्तौरगढ़ किला फतह कर लिया था उसने
और फिर एक गहरी साँस लेकर वो उसकी गांड को बुरी तरह से मारने लग गया..
जैसा चूत के साथ होता है, वैसा ही गांड के साथ भी हुआ...
पहले दर्द हुआ फटने का और फिर मज़ा मिलने लगा....
और उसकी लय में आकर पायल भी अपनी गांड मटकाने लगी और चीखने चिल्लाने लगी..
''ओह मैय्य्य्ययाआआअ मज़ा आ गया.....साआब....... कसम से....... आप शहर वाले कितने तरीक़ो से मज़े लेते हो...... ऐसन मज़ा तो आगे से भी नही मिला आज तक..... मारो साब जोर से मारो..... आज से ये गांड आपके नाम हुई......''
ऐसी बेशरम औरत कम ही होती होंगी जो अपने पति के सामने होते हुए अपनी पहली गांड मरवाई अपने आशिक के नाम कर दे.
पर इस वक़्त कुणाल पर भी कोई ख़ास असर नही पड़ रहा था.....
उसकी और कामिनी मेडम की नज़रें मिल चुकी थी...
और अपनी आँख का इशारा करके कामिनी ने अपने पालतू कुत्ते को एक बार फिर से अपने करीब बुला लिया...
यानी जो जुए का खेल पूरी रात चलने वाला था, वो पहली गेम में ही ख़त्म होकर रह गया...
और अब जो पूरी रात चलने वाला था वो था सैक्स का नंगा नाच.
कुणाल ने कामिनी के पास पहुँचने से पहले ही अपने सारे कपड़े उतार फेंके...
और अपनी टाँगो के बीच झूलता हुआ काला भूसंद लंड लेजाकर उसने कामिनी मेडम के चेहरे के सामने पेश कर दिया...
वो उसपर ऐसे झपटी जैसे बरसों की प्यासी हो...
और हाथ में पकड़ते ही उसे मुँह में ले जाने में भी देर नही लगी.
लंड को अच्छी तरह से चूसने के बाद उसने अपनी टांगे फेला दी....
उसे पहले तो अपनी चूत में रेंग रही चिंटीयों को उसके मूसल से रोंदना था, उसके बाद कोई दूसरा काम करना था..
कुणाल को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी
उसने उसकी दोनो टाँगो को पूरब और पश्चिम की दिशा में ऐसे फेलाया जैसे वो उसे चीर ही डालेगा...
और फिर उसकी उभर कर बाहर निकली चूत में जब उसने अपना लंड पेला तो वो बेचारी चरमरा कर रह गयी....
''आआआआआआआआआअहह कुणालाआआआआआआआआआअ.... मेरी ज़ाआाआआआन्णन्न्''
ये 'जान' उसने विजय को सुनाने के लिए ही बोला था जो बड़ी मस्ती में भरकर पायल की गांड मार रहा था....
कामिनी अक्सर बेड पर विजय को भी ऐसे ही बुलाती थी....
विजय ने वो सुना और उसे अनसुना सा करता हुआ अपनी वाली जान की तरफ ध्यान लगा दिया यानी पायल की तरफ...
क्योंकि अपनी गांड का कुँवारापन लूटाकार वो उसकी जान जो बन चुकी थी.
वो भी चिल्लाया : "ओह मेरी जान ..... क्या मस्त गांड है तेरी पायल..... मज़ा आ गया इस दीवाली का...
उधर कुणाल का लंड तो कामिनी की चूत में तबाही मचा रहा था....
उसने अपनी दोनो टांगे उसकी कमर में लपेट दी और खुद को कुणाल के जिस्म से बाँध सा लिया...
जैसे उसमें समाकर , पूरी की पूरी उसी की होकर रह जाना चाहती हो...
कुणाल भी उसके फूल जैसे बदन को हवा में लेकर चोदने लगा....
उसे गोद में उठाकर वो उसकी गांड पर हाथ लगाकर उसकी चुदाई कर रहा था.
दूसरी तरफ विजय के लंड से बर्दाश करना मुश्किल हो रहा था....
कुँवारी गांड का छल्ला होता भी बड़ा टाइट है, उसकी पकड़ से लंड को ओर्गास्म के करीब पहुँचने में ज़रा
भी टाइम नही लगा और वो ज़ोर -2 से चिल्लाता हुआ उसकी गांड में झड़ने लगा..
''आआआआआआआआआआआआअहहउहह माय गॉड ........ वॉट ए फीलिंग..... मज़ा आ गया........ ऐसी टाइट गांड आज तक नही मारी .......... कमाल की चीज़ है तू पायल......... आअहह..... सच में .... मज़ा आ गया.....''
अपने मालिक को खुश करके पायल भी काफ़ी खुश थी....
उसे भला और क्या चाहिए था.
कुछ देर बाद जब विजय का सारा पानी उसकी गांड ने सोख लिया तो वो पलटी और अपने मालिक के लंड को मुँह में लेकर उसने उसे अच्छे से सॉफ किया....
और उसे चमकाकर उनसे लिपट कर गहरी स्मूच में डूब गयी...
कुणाल अपना लंड बाहर निकाला और कामिनी मेडम को टेबल पर लिटा कर उनकी चूत मारने लगा...
और उसके मोटे-2 मुम्मो से खेलता हुआ, वो कामिनी की चूत का बाजा बजाने लगा..
करीब आधे घंटे से चल रहे उनके चुदाई के खेल को कभी ना कभी तो ख़त्म होना ही था, उनका भी हो गया जब कुणाल के लंड ने कामिनी की चूत में पानी बरसाना शुरू कर दिया....
उसने अपना लंड बाहर निकाला और पीछे -२ ढेर सारा माल भी बाहर निकल आया, जिसे कामिनी ने अपनी चूत पर मल लिया
कामिनी के पूरे शरीर को उसने अपने लंड के पानी से सींच डाला..
कामिनी भी करीब 4 बार झड़ चुकी थी....
जब से कुणाल ने उसकी मारनी शुरू की थी तब से वो हमेशा 3-4 बार झड़ जाया करती थी...
इसलिए शायद उसे भी इस नये खेल में काफ़ी मज़ा मिल रहा था.
कामिनी ने भी कुणाल के लंड को अपने मुँह में लेकर सॉफ किया और उससे लिपट कर, उसकी गोद में चढ़कर एक सोफे पर बैठ गयी.
कामिनी ने ताश के पत्तो की तरफ देखा और मन ही मन उन्हे थेंक्स कहा क्योंकि उन्ही की वजह से ये नयी जिंदगी सबको जीने को मिली थी...
और सबसे बड़ा थेंक्स उसने कुणाल के मोटे लंड को कहा जिसने उसे चुदाई की नयी परिभाषा सिखाई थी.
विजय अपना पेग बनाकर कामिनी के मोम्मे चूसता हुआ फिर से मस्त होने लगा...
और कामिनी भी एक पेग लगाकर अपनी गांड मराई की तैयारी करने लगी.
वो खेल पूरी रात चला, कभी मुँह में लंड तो कभी गांड में...
कभी चूत में तो कभी नर्म हाथ में ....
ऐसे ही उन दोनो मादकता से भरी जवानियो ने अपने-2 पति के सामने दूसरे से जी भरकर मज़े लिए और दिए भी...
ताश के खेल ने और दीवाली के जुए ने उन सबकी जिंदगी को रंगीन बना दिया था, जिसका वो आने वाले कई सालो तक मिल-जुलकर मज़ा लेने वाले थे.
*************
समाप्त
*************
|